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फैज़ाने सिद्दिके अकबर






*फैज़ाने सिद्दिके अकबर* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_शख्सिययत की पहचान का असल ज़रिया_*
     उमुमन किसी भी शख्स की मिज़ाजी केफिय्यत और उसकी ज़ात में पाई जाने वाली खुसुसिय्यात का अंदाज़ा उस के नसब का तज़किरा करने से होता है, यु समझिये कि किसी शख्सिय्यत के ज़ाती और अंदरुनी क्वाइफ जानने के लिये उसका नसब एक आईने की हेसिय्यत रखता है। जहां उसके नसब का ज़िक्र किया वही उसकी शख्सिय्यत अपने तमाम अतवार के साथ निखर कर सामने आ गई।

*_आप का सिलसिलए नसब_*
     हज़रते उर्वा बिन ज़ुबैरرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه का नाम अब्दुल्लाह बिन उष्मान बिन आमिर बिन अम्र बिन काब बिन साद बिन तैम बिन मुरहम बिन काब है।
     मुरहम बिन काब तक आपका सिलसिलए नसब में कुछ छे वासिते है और अल्लाह के प्यारे हबीब के नसब में भी मुरहम बिन काब तक छे ही वासिते है और मुरहम बिन काब पर जा कर आप का सिलसिला सरकारﷺ के नसब से जा मिलता है।
     आप के वालिद उष्मान की कून्यत अबू क़हाफा है, आप की वालिदए माजिदा का नाम उम्मुल खैर सलमा बिन्ते सखर बिन आमिर बिन अम्र बिन काब बिन साद बिन तैम बिन मुरहम बिन काब है।
     उम्मुल खैर सलमा की वालिदा (हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ की नानी) का नाम दिलाफ है और येही उमैमा बिन्ते उबैद बिन नाक़ीद खज़ाइ है। हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ की दादी का नाम अमीना बिन्ते अब्दुल ऊजा बिन हरसान बिन ऑफ बिन उबैदा बिन अदि बिन काब है।
*✍🏽अलमजम अलकबीर, 1/51*
*✍🏽फैज़ाने सिद्दिके अकबर, 17*
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*_सिद्दिके अकबर का इसमें गिरामी_* #02
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     आपرضي الله تعالي عنه के नाम के बारे में 3 क़ौल है :
*_पहला क़ौल_*
     आपرضي الله تعالي عنه का नाम अब्दुल्लाह बिन उष्मान है। चुनांचे हज़रते अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैरرضي الله تعالي عنه अपने वालिद से रिवायत करते है कि हज़रते अबू बक्र का नाम अब्दुल्लाह बिन उष्मान है।

*_दूसरा क़ौल_*
     जमहुर अहले नसब के नज़दीक आपرضي الله تعالي عنه का क़दीम नाम अब्दुल काबा था मुशर्रफ ब इस्लाम होने के बाद अल्लाह के हबीबﷺ ने तब्दील फरमा कर अब्दुल्लाह रख दिया।
     आपرضي الله تعالي عنه के घरवालो ने अब्दुल काबा नाम तब्दील कर के अब्दुल्लाह रख दिया। और आपرضي الله تعالي عنه की वालिदा जब दुआ करती तो यु कहती : ऐ अब्दुल काबा के रब।

*_तीसरा क़ौल_*
     अक्सर मुहदीसिन के नज़दीक आपرضي الله تعالي عنه का नाम अतीक़ है। इमाम इब्ने इस्हाक़ रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है कि अतीक़ हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ का नाम है और ये नाम इनके वालिद ने रखा। जब कि हज़रते मूसा बिन तल्हा रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है कि ये नाम आप की वालिदा ने रखा।

*_इन तमाम अक़वाल में मुताबक़त_*
     इन तीनो अक़वाल में कोई तज़ाद नही, मुताबक़त की सूरत ये है कि जब आपرضي الله تعالي عنه पैदा हुवे तो आप के वालिदैन ने आप का नाम अब्दुल काबा रखा, बाद में इन्होंने ने या सरकारﷺ ने तब्दील कर के अब्दुल्लाह रख दिया और अतीक़ आप का लक़ब था, लेकिन इसे नाम की हेसिय्यत हासिल हो गई।
*✍🏽फैज़ाने सिद्दिके अकबर, 19*
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*फैज़ाने सिद्दीके अकबर* #03
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*_आप की कून्यत_*
     आपرضي الله تعالي عنه की कून्यत अबू बक्र है, वाज़ेह रहे कि आप अपने नाम से नही बल्कि कून्यत से मश्हूर है, नीज़ आप की इस कून्यत की इतनी शोहरत है कि अवामुन्नास इसे आप का असल नाम समझते है हालांकि आप का नाम अब्दुल्लाह है।

*_अबू बक्र कून्यत की वुजुहात_*
     (1) अरबी ज़बान में "अल बक्र" जवान ऊंट को कहते है, इसकी जमा "अबकुर" और "बिकार" है, जिस के पास ऊंटो की कसरत होती या जिस का क़बीला बहुत बड़ा होता या जो ऊंटो की देख भाल और दीगर मुआमलात में बहुत माहिर होता अरब लोग उसे "अबू बक्र" कहते थे, चुकी आपرضي الله تعالي عنه का क़बीला भी बहुत बड़ा था और बहुत मालदार भी थे नीज़ ऊंटो के तमाम मुआमलात में भी आप महारत रखते थे इस लिये आप भी "अबू बक्र" के नाम से मशहूर हो गए।
     (2) अरबी ज़बान में "अबू" का माना है "वाला" और "बक्र" के माना "अव्वलिय्यत" के है, तो अबू बक्र के माना हुवे "अव्वलिय्यत वाला" चुकी आपرضي الله تعالي عنه इस्लाम लाने, माल खर्च करने, जान लुटाने, हिजरत करने, हुज़ूरﷺ की वफ़ात के बाद वफ़ात, क़यामत के दिन क़ब्र खुलने वगैरा हर मुआमले में अव्वलिय्यत रखते है इस लिये आप को अबू बक्र (यानी अव्वलिय्यत वाला) कहा गया।
*✍🏽मीरआतुल मनाजिह, 8/347*
     (3) आपرضي الله تعالي عنه की कून्यत अबू बक्र इस लिये है कि आप शुरू ही से खसाइले हमीदा रखते थे।

*✍🏽फैज़ाने सिद्दीके अकबर, 20*
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*फैज़ाने सिद्दीके अकबर* #04
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*अतीक़ लक़ब की वुजुहात* #01

*_जहन्नम से आज़ादी के सबब अतीक़_*
     हज़रते अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैरرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हज़रते अबू बक़र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه का नाम 'अब्दुल्लाह' था, हुज़ूरﷺ ने उन्हें फ़रमाया : तुम जहन्नम से आज़ाद हो। तब से आप का नाम अतीक़ हो गया।
*✍🏽सहीह इब्ने हबान, 9/2*
     हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها से रिवायत है : में एक दिन अपने घर में थी, रसूलल्लाहﷺ और सहाबा सहन में तशरीफ़ फरमा थे, मेरे और इन के माबैन चारपाई रखी थी, अचानक मेरे वालिद हज़रते अबू बक्र तशरीफ़ ले आए तो हुज़ूरﷺ ने इन की टफ देख कर अपने असहाब से कहा : जिसे दोज़ख से आज़ाद शख्स को देखना हो वो अबू बक्र को देख ले। इसके बाद से आपرضي الله تعالي عنه अतीक़ मशहूर हो गए।

*_हुस्नो जमाल के सबब अतीक़_*
     हज़रते लैस बिन साद , हज़रते इमाम अहमद बिन हम्बल, अल्लामा इब्ने मुईन और दीगर कई उल्माए किराम फरमाते है की आपرضي الله تعالي عنه को चेहरे के हुस्नो जमाल के सबब अतीक़ कहा जाता है। इमाम तबरानी ने हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बासرضي الله تعالي عنه से रिवायत की है की आपرضي الله تعالي عنه को चेहरे के हुस्नो जमाल के सबब अतीक़ कहा जाता था।
*✍🏽अल-मआजम अल-कबीर, 1/52*
*✍🏽तारीखे खलीफा, 22*

*_खैर में मुक़द्दम होने के सबब अतीक़_*
     अल्लामा अबू नुएम फ़ज़्ल बिन दुकैन अलैरहमा फरमाते है : खैरो खूबी में सब से पहले और दीगर अफ़राद से मुक़द्दम होने की वजह से आपرضي الله تعالي عنه को अतीक़ कहा जाता है।

*_नसब की पाकीज़गी के सबब अतीक़_*
     हज़रते ज़ुबैर बिन बकार अलैरहमा और इन के साथ एक पूरी जमाअत ने बयान किया है की : हसबो नसब की पाकीज़गी की वजह से आपرضي الله تعالي عنه को अतीक़ कहा जाता है क्यू की आप के नसब में कोई ऐसी कमज़ोरी नही थी जिस की वजह से आप की एबजुइ की जाती।
*✍🏽फैज़ाने सिद्दीके अकबर, 21*
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*फैज़ाने सिद्दीके अकबर* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*अतीक़ लक़ब की वुजुहात*​ #02
*_वालिद के नाम रखने के सबब अतीक़_*
     पहले आपرضي الله تعالي عنه का नाम अतीक़ रखा गया और बाद में आप को अब्दुल्लाह कहा जाने लगा। चुनांचे, हज़रते अब्दुर्रहमान बिन क़ासिम अपने वालिद से रिवायत करते है की इन्होंने ने हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها से पूछा : आप के वालिद अबू बक्र का नाम क्या है ? फ़रमाया : अब्दुल्लाह। अर्ज़ किया : लोग तो आप को अतीक़ कहते है ? फ़रमाया : मेरे दादा अबू क़हाफा के तिन बच्चे थे। आप ने उन के नाम अतीक़, मोअय्यतिक ओर मोअत्तिक रखे।

*_माँ की दुआ के सबब अतीक़_*
     हज़रते अबू तल्हाرضي الله تعالي عنه से पूछा गया की हज़रते अबू बक्र को अतीक़ क्यू कहा जाता है ? तो आप ने फ़रमाया : आप की वालिदा का कोई बच्चा ज़िन्दा नही रहता था, जब आप की वालीदाने आप को जन्म दिया तो आप को ले कर बैतुल्लाह शरीफ गई और गिड़ गिड़ा कर यु दुआ मांगी : ऐ मेरे परवर दगार ! अगर मेरा ये फ़रज़न्द मौत से आज़ाद है तो ये मुझे अता फरमा दे। तो इस के बाद आप को अतीक़ कहा जाने लगा।

*_गलबए नाम के सबब अतीक़_*
     हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها से रिवायत है की : आप का जो नाम आप के घर वालो ने रखा वो अब्दुल्लाह बिन उष्मान है लेकिन इस और अतीक़ नाम ग़ालिब आ गया।

*_आसमानों ज़मीन में अतीक़_*
     सरकारﷺ ने इरशाद फ़रमाया : अबू बक्र आसमान में भी अतीक़ है और ज़मीन में भी अतीक़ है।
*✍🏽मसनद अल-फ़िरदौस, 1/250*

*_गुलाम आज़ाद करने के सबब अतीक़_*
     आपرضي الله تعالي عنه निहायत ही शफ़ीक़ और महेरबान थे, हज़रते बिलाल हब्शीرضي الله تعالي عنه को उन के आक़ा के ज़ुल्मो सितम और दीगर कई मुसलमानो को कुफ़्फ़ार के ज़ुल्मो सितम से आज़ाद करवाया तो अतीक़ के नाम से मशहूर हो गए।
*✍🏽मीरआतुल मनाजिह, 8/346*

*_इन तमाम अक़वाल में मुताबक़त_*
     आपرضي الله تعالي عنه के लक़ब अतीक़ के बारे में जितने भी अक़वाल ज़िक्र किये गए इन तमाम में कोई तज़ाद नही की हो सकता है आप के वालिदैन ने आप को लक़बे अतीक़ से किसी एक माना में पुकारा हो, और दीगर लोगो ने इस माना में भी और किसी दूसरे माना में पुकारा हो। फिर कुरैश में वही मुस्तमल हो गया और फिर ये इतना मशहूर हो गया की इस्लाम से पहले भी और बाद में भी बाक़ी रहा। लिहाज़ा मुख़्तलिफ़ मानी के एतिबार से तमाम का आप को अतीक़ पुकारना दुरुस्त हुवा।
*✍🏽फैज़ाने सिद्दीके अकबर, 24*
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*फैज़ाने सिद्दीके अकबर* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*सिद्दीक़ लक़ब की वुजुहात* #01
_*रब ने आप का नाम सिद्दीक़ रखा*_
     हज़रते नबआ हबशिय्याرضي الله تعالي عنها फरमाती है : में ने रसूलुल्लाहﷺ को फरमाते हुवे सुना ऐ अबू बक्र ! बेशक अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने तुम्हारा नाम सिद्दीक़ रखा।

*_हुज़ूर के नज़दिम सिद्दीक़_*
     हज़रते सईद बिन ज़ैदرضي الله تعالي عنه से रिवायत है : में नव अफ़राद की गवाही देता हु की वो सब जन्नती है और अगर में दशवे शख्स की भी गवाही दू तो में गुनाहगार नही होऊंगा। पूछा गया वो क्या है ? फ़रमाया : हम हुज़ूरﷺ के साथ जबले हिरा पर गए तो अचानक वो लरज़ने लगा। हुज़ूरﷺ ने इरशाद फरमाया : ऐ हिरा ! ठहर जा की इस वक़्त तुझ पर एक नबी, एक सिद्दीक़ और दो शहीद खड़े है। हज़रते सईद से पूछा गया की उस वक़्त पहाड़ पर कौन था ? फ़रमाया : हुज़ूरﷺ, हज़रते अबू बक्र, उमर फारूक, उष्माने गनी, अलिय्युल मुर्तज़ा, तल्हा, ज़ुबैर, साद बिन अबी वक़्क़ास, अब्दुर्रहमान बिन औफرضي الله تعالي عنهم। फिर हज़रते सईद खामोश हो गए। पूछा गया : ये तो नव अफ़राद है, दसवे कौन है ? फ़रमाया में।

*_ज़बाने जिब्राईल से सिद्दीक़_*
     हज़रते नज़ाल बिन सबरहرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हम लोग हज़रते अलिय्युल मुर्तज़ाكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم के साथ खड़े हुवे थे और वो खुश तबई फरमा रहे थे, हम ने उन से अर्ज़ किया : अपने दोस्तों के बारे में कुछ इरशाद फरमाइये ? फ़रमाया : रसूलुल्लाहﷺ के तमाम असहाब मेरे दोस्त है। हमने अर्ज़ की : अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه के बारे में बताइए ? फ़रमाया : इनके तो क्या कहने ! ये तो वो शख्सिय्यत है जिन का नाम अल्लाह ने जिब्राईल और प्यारे आक़ाﷺ की ज़बान से सिद्दीक़ रखा है।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽फैज़ाने सिद्दीके अकबर, 25*
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*फैज़ाने सिद्दीके अकबर* #07
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*_​सिद्दीक़ लक़ब की वुजुहात_*​ #02
*ज़मानए जाहिलिय्यत से ही सिद्दीक़*
     आपرضي الله تعالي عنه को ज़मानए जाहिलिय्यत में लक़बे सिद्दीक़ से पुकारा जाता था क्यू की आप हर वक़्त सच बोलते थे। ज़ुहूरे इस्लाम से क़ब्ल आप का शुमार कुरैश के बड़े सरदारो में होता था, और आप लोगो की दिते भी अदा करते थे, यानी अगर कोई गलती से किसी को क़त्ल कर देते तो उस की तरफ से खून बहा खुद अदा कर देते थे, अगर वो गरीब होता तब भी कुरैश आप की बात को अहमिय्यत देते और दित क़ुबूल कर लेते और क़ातिल को छोड़ देते और अगर आप के इलावा कोई दूसरा दित की ज़िम्मेदारी लेता तो हरगिज़ क़बूल न करते, लोग आप की बात की तस्दीक़ करते थे, इस लिये आप ज़मानए जाहिलिय्यत में ही सिद्दीक़ के लक़ब से मशहूर थे।

*_तस्दीके मेराज के सबब सिद्दीक़_*
     हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها से रिवायत है, जब हुज़ूरﷺ को मस्जिदे हराम से मस्जिदे अक़सा की सैर कराई गई तो आपﷺ ने दूसरी सुब्ह लोगो के सामने इस मुकम्मल वाक़ीए को बयान फ़रमाया, मुशरिकीन वगैरा दौड़ते हुए हज़रते अबू बक्रرضي الله تعالي عنه के पास पहुचे और कहने लगे : क्या आप इस बात की तस्दीक़ कर सकते है जो आप के दोस्त ने कहि है ? आपرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया क्या आपﷺ ने वाक़ई ये ब्यान फ़रमाया है ? उन्हों ने कहा जी हा। आपرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया अगर आपﷺ ने ये इरशाद फ़रमाया है तो यक़ीनन सच फ़रमाया है। और में उन की इस बात की बिला झिजक तस्दीक़ करता हु। उन्होंने कहा क्या आप इस हैरान कुन बात की तस्दीक़ करते है की वो आज रात बैतूल मक़दस गए और सुब्ह होने से पहले वापस भी आ गए ?
आपرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया : जी हा ! में तो आपﷺ की आसमानी खबरों की भी सुबहो शाम तस्दीक़ करता हु और यक़ीनन वो तो इस बात से भी ज़्यादा हैरान कुन और ताज्जुब वाली बात है। पस इस वाक़ीए के बाद आप सिद्दीक़ मशहूर हो गए।

*_सिद्दीक़ लक़ब आसमान से उतारा गया_*
     हज़रते अबू यहया हकीम बिन सादرضي الله تعالي عنه रिवायत करते है, मेने हज़रते अलिय्युल मुर्तज़ाكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم को अल्लाह की क़सम उठा कर कहते हुए सुना की अबू बक्र का लक़ब सिद्दीक़ आसमान से उतारा गया।

*_हर आसमान पर सिद्दीक़ लिखा था_*
     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, हुज़ूर ने फ़रमाया : शबे मेराज मेने हर आसमान पर अपना नाम यू लिखा हुवा देखा : मुहम्मद अल्लाह के रसूल है और अबू बक्र सिद्दीक़ मेरे खलीफा है।

*_जो आप को सिद्दीक़ न कहे..?_*
     हज़रते उर्वा बिन अब्दुल्लाहرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, में हज़रते इमाम बाक़र अबू जाफर मुहम्मद बिन अली बिन हुसैन की खिदमत में हाज़िर हुवा और उन से इस्तिफ़सार किया : तलवार को आरास्ता करने के बारे में आप क्या फरमाते है ? फ़रमाया : इसमें कोई हर्ज नही क्यू की खुद हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه ने भी अपनी तलवार को आरास्ता किया। मेने कहा आप ने उन्हें सिद्दीक़ कहा ? ये सुनना था की आप जलाल फरमाते हुवे उठ खड़े हुवे और किब्ले की तरफ मुह कर के इरशाद फ़रमाया : हा वो सिद्दीक़ है, हा ! वो सिद्दीक़ है, हा! वो सिद्दीक़ है। और जो उन्हें सिद्दीक़ न कहे तो अल्लाह उस के क़ौल की तस्दीक़ नही फ़रमाता न दुन्या में और न ही आख़िरत में।
*✍🏽फैज़ाने सिद्दीके अकबर, 29*
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