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गुस्से का इलाज



*गुस्से का इलाज* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*शैतान के तिन जाल*_
     हज़रते फ़क़ीह अबुल्लैस समर क़न्दी अलैरहमा नक़ल करते है : हज़रते सय्यिदुना वहब  बीन मुनब्बेह फरमाते है : बनी इसराईल के एक बुजुर्ग एक बार कही तशरीफ् ले गए । रस्ते मै एक मौकअ  पर अचानक पथथर की एक चटटान ऊपर की जानिब से करीब आ पहुंची , उन्हों ने जिक्रुल्लाह शूरूअ कर दिया तो वोह दूर हट गई । फिर खोफनाक शेर और दरिन्दे जाहिर होने लगे मगर वोह बुजुर्ग न धबराए और जिक्रुल्लाह मै लगे रहे । जब वोह बुजुर्ग  नमाज़ मे मशगूल हुए तो एक साँप से लीपट गया, यहाँ तक कि सारे बदन पर फिरता हुवा सर तक पहुंच गया, वोह बुजुर्ग जब सज्दे का इरादा फरमाते वोह चेहरे से लिपट जाता सज्दे के लिए सर झुकाते येह लूकमा बनाने के लीये जा-ए सज्दा पर मुंह खोल देता। मगर वोह बुजुर्ग उसे हटा कर सज्दा करने मे काम्याब हो जाते। जब नमाज़ से फ़ारिग हुए तो शैतान खुल कर सामने आ गया और कहने लगा : येह सारी ह -र -कते मैं ने ही आप के साथ की है आप बहुत हिम्मत वाले हैं। मैं आप से बहुत मु -तअस्सिर हुवा हूं, लिहाज़ा अब मैं ने येह तै कर लिया है की आप से दोस्ती कर लीजाये।
     उस इज़राइली बुजुर्ग ने शैतान के इस वार को भी नाकाम बनाते हुऐ फ़रमाया : तु ने मुझे डराने के कौशिस की लेकिन मैं डरा नहीं, मैं तुझ से हरगिज दोस्ती नहीं करूँगा। शैतान बोला :अच्छा, अपने अहलो इयाल का अहवाल मुज से दरयाफ्त कर लीजिये की आप के बा'द उन पर क्या गुजरेगी। फरमाया : मुझे तुझ् से पूछने की ज़रूरत नहीं। शैतान ने कहा : फिर येही पुछ लीजिये की मै लोगो को किस तरह बहकाता हू । फ़रमाया : हा  येह बता दे।
    बोला ,मेरे तीन जाल है : (1) बुख्ल (2) गुस्सा (3) नशा। अपने तीनो जालो की वज़ाहत करते हुए बोला,
     जब किसी पर "बुख्ल" का जाल फेखता हु तो वोह माल के जाल मे उलझ् कर रह जाता है उस का जेहन बनाता रहता हू की तेरे पास माल बहुत कलील है  हुकुके वाज़िबा मे खर्च करने से भी बाज़ रहता है और दूसरे लोगो के माल की तरफ भी माइल हो जाता है।      
     जब किसी पर गुस्से का जाल डालने मै काम्याब हो जाता हु तो जिस तरह बच्चे गैंद को फेकते और उछालते है, मै उस गुसिले शयातीन की जमाअत मे इसी तरह फेकता और उछालता हूं। गुसिला श्ख्श इल्मो अमल के कितने ही बड़े मरतबे पर फाइज़ हो, ख़्वाह अपनी दुआओ से मुर्दे तक जिन्दा कर सकता हो, मै उस से मायुस नहीं होता, मूझे उम्मीद होती है की कभी न कभी वोह गुस्से मे बे क़ाबू हो कर कोई ऐसा जुम्ला बक देगा जिस से उस की आख़िरत तबाह हो जाऐगी।
     रहा "नशा" तो मेरे इस जाल का शिकार यानी शराबी, इस को तो मै बकरी की तरह कान पकड़ कर जिस बुराइ की तरफ़ चाहू लिये लीये फिरता हूं।
     इस तरह शैतान ने येह बता दिया, कि जो श्ख्स गुस्सा करता है वोह शैतान के हाथ मे ऎसा है, जैसे बच्चो के हाथ मे गैंद। इस लिये ग़ुस्सा करन वाले को सब्र करना चाहिये, ताकि शैतान का कैदी न बने की कही अमल ही जाएअ न कर बैठे ।
*✍🏽गुस्से का इलाज, 5*
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खादिमे दिने नबीﷺ *आकिब वहोरा*
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*गुस्से का इलाज* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*अक्सर लोग गुस्से के सबब जहन्नम मे जाएँगे*_
     कल की पोस्ट में उस बुज़ुर्ग की गुफ्त -गु मे शैतान ने येह बात भी बताई है की गुसिला इन्सान शैतान के हाथ मे इस तरह होता है जैसे बच्चों के हाथ मे गेंद। लिहाज़ा गुस्से का इलाज करना जरुरी है। कही ऐसा न हो कि गुस्से के सबब शैतान सारे आमाल बरबाद करवा डाले। हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद गज़ालि अलैरहमा फ़रमाते है : "गुस्से का इलाज और इस बाब मे मेहनतो मश्कक़त बरदाश्त करना फर्ज है, क्यूं कि अक्सर लोग गुस्से ही के बाइस जहन्नम मे जाएंगे। सय्यिदुना हसन बसरी अलैरहमा फ़रमाते है, ऐ आदमी! गुस्से मे तू खुब उछलता है, कही अब की उछाल तुजे दोज़ख मे न डाल दे ।

*_गुस्से  की ता 'रीफ_*
     हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा फ़रमाते है : "गज़ब यानी गुस्सा नफ़्स के उस जोश का नाम है जो दूसरे से बदला लेने या उसे दफअ करने पर उभारे।" 

*_गुस्से से जनम लेने वाली 16 बुराइयो की निशान देही_*
     गुस्से के सबब बहुत सारी बुराइया जनम लेती है जो आख़िरत के लिये
तबाह कुन है म-सलन :
(1) हसद (2) ग़ीबत (3) चुग्ली (4) कीना (5) कत्ए तअल्लूक (6)झुट (7) आबरू रेजी (8) दूसरे को हकीर जानना (9) गाली गलोच (10) तकब्बुर (11)  बे जा मारधाड़ (12) तमस्खुर (13) कत्ए रेहुमी (14) बे मुरव्वती(15) शमातत यानी कीसी के नुकसान पर राजी होना (16) एहसान फ़रामोशी वगैरा।
     वाकेई जीस पर ग़ुस्सा आ जाता है ,उस का अगर नुक्सान हो जाए तो गुस्से होने वाला खुशि महसूस करता है, अगर उस पर कोई मुसीबत आती है तो येह राजी होता है, उस के सारे एहसानात भूल जाता है और उस के तअल्लुकात ख़त्म कर देता है। बाजो का गुस्सा दिल मैं छुपा रहता है और बरसो तक नहीं जाता इसी गुस्से की वजह से वोह शादी गमी के मवाकेअ पर शिर्कत  नहीं करता। बाज लोग अगर ब जाहिर नेक भी होते है फिर भी जिस पर गुस्सा दिल मे  छुपा कर रखते है, उस का इज़्हार यूं हो जाता है कि अगर पहले उस पर एहसान करते थे तो अब नहीं करते, अब उस के साथ हुस्ने सुलूक से पेश नहीं आते, न हमदर्दी का मुजाहरा करते है.
     बाज़ रिश्तेदार ऐसे भी होते है कि उन के साथ आदमी लाख हुस्ने सुलूक करे मगर वोह राह पर आते ही नहीं मगर हमें मायुस नहीं होना चहिये। "जामेए सगीर" मे है : "जो तुझ से रिश्ता काटे तू उस से जोड़।"
*✍🏽गुस्से का इलाज, 7*
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*गुस्से का इलाज* #03
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_*गुस्से का अ -मली इलाज*_
     गुस्से का अ-मली इलाज़ इस तरह हो सकता है की गुस्सा पी जाने और दर गुज़र से काम लेने के फजाइल से आगाही हासिल करे, जब कभी गुस्सा आए इन फ़ज़ाइल पर गौरों फ़िक्र कर के गुस्से को पीने की कोशिश् करे, बुख़ारी शरीफ मे है, एक श्ख्स ने बारगाहे रिसालत मे अर्ज़ की, या रसूलल्लाहﷺ ! मुझे वसिय्यत फरमाइये । इर्साद फ़रमाया: "गुस्सा मत करो"
*✍🏽सहीह बुखारी, 4/141*

_*जन्नत की बिशारत*_
     हज़रते सय्यिदुना अबू दर्दा कहते है, कि मै ने अर्ज़ की, या रसूलल्लाहﷺ ! मुझे कोई ऐसा अमल इर्साद फरमाइये जो मुझे जन्नत मै दाख़िल कर दे, सरकारे मदीना, करारे कल्बो सीनाﷺ ने इर्साद फ़रमाया :  गुस्सा न करो, तो तुम्हारे लिये जन्नत है।
*✍🏽मउजम्मल जवाइद, 8/134*

*_ताकत वर कौन ?_*
     बुखारी मे है : "ताकत वर वोह नहीं जो पहलवान हो दूसरे को पछाड़ दे बल्कि ताक़त वर वोह है जो गुस्से के वक़्त अपने आप को काबू मे रखे।"
*✍🏽सहिह बुखारी, 4/130*

*_गुस्सा पीने की फ़ज़ीलत_*
     कन्जुल उम्माल मे है : सरकारे मदीनए मुनव्वरह, सुल्ताने मककए मुकर्रमाﷺ का फ़रमाने मुअज्जम है : जो गुस्सा पी जाएगा हाला कि वोह नाफ़िज़ करने पर कुदरत रखता था तो अल्लाह क़ियामत के दिन उस के दिल को अपनी रिज़ा से मामूर फ़रमा देगा। गुस्से का एक इलाज़ येह भी है कि गुस्सा लाने वाली बातो के मौकाअ पर बुज़ुर्गाने दीन के तर्ज़े अमल और इन की हिकायात को जेहन में दोहराए.
*✍🏽गुस्से का इलाज, 9*
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*गुस्से का इलाज* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_सात ईमान अफ़रोज़ हिकायात_*
     *हिकायात 1 :* कीमियाए सआदत मे हुज़्ज़तुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद ग़ज़ालि अलैरहमा नक़्ल फ़रमाते है : किसी श्ख्सने हज़रते अमीरुल मुअमिनीन सय्यिदुना उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ से सख्त कलामी की। आप ने सर झुका लिया और फ़रमाया : "क्या तुम येह चाहते हो की मुझे गुस्सा आ जाए और शैतान मुझे तकब्बुर और हुकूमत के गुरुर मे मुब्तला करे और मैं तुम को जुल्म का निसाना बनाऊ और बरोज़े क़ियामत तुम मुझ से इस का बदला लो मुझ से येह हरगिज़ नहीं होगा। " येह फ़रमा कर खामोश हो गए ।

     *हिकायत 2 :*  किसी श्ख्स ने हज़रते सय्यिदुना सलमान फारसी को गाली दी। उन्हों ने फ़रमाया : "अगर बरोज़े क़ियामत मेरे गुनाहो का पल्ला भारी है तो जो कुछ तुम ने कहा मैं उस से भी बदतर हूं और अगर मेरा वोह पल्ला हलका है तो मुझे तुम्हारी गाली की कोई परवाह नहीं ।"

     *हिकायत 3 :* किसी ने हज़रते सय्यिदुना शैख रबीअ बिन खुसैम को गाली दी। आप ने फ़रमाया : "अल्लाह तआला ने तेरे कलाम को सुन लिया है मेरे और जन्नत के दरमियान एक घाटी हाइल है मैं उसे तै करने मैं मसरूफ़ हूं अगर तै करने मे कामयाब हो गया तो मुझे तुम्हारी गाली की क्या परवाह ! और अगर मैं उसे तै करने मे नाकाम रहा तो तुम्हारी गाली मेरे लिये ना काफी हैं."

     *हिकायत 4 :* अमीरुल मुअमिनीन हज़रते सय्यिदुना अबू बक्र सिद्दीक को किसी ने गाली दी, इर्साद फ़रमाया : " मेरे तो इस तरह के और भी उयूब हैं। जो अल्लाह तआला ने तुझ से पोशीदा रखे हैं."

     *हिकायत 5 :* किसी शख्स ने सय्यिदुना श्अबी को गाली दी आप ने फ़रमाया : "अगर तू सच कहता है तो अल्लाह मेरी मग्फिरत फ़रमाए और अगर तू झुठ कहता है तो अल्लाह तेरी मग्फिरत फरमाए."

     *हिकायत 6 :* हज़रते सय्यिदुना फ़ुज़ैल बिन इयाज की ख़िदमत मे अर्ज़ की गई, हुज़ूर ! फुला आप को बुरा भला कह रहा था। फ़रमाया : खुदा की क़सम ! मै तो शैतान को नाराज़ ही करूंगा, फिर दुआ मांगी, या अल्लाह ! उस सख्स ने मेरी जो जो बुराइयां बयान की अगर वोह मुझ मे हैं तो मुझे मुआफ फ़रमा दे और मेरी इस्लाह फ़रमा।  और अगर उस ने मुझ झुठे इल्ज़ामात रखे हैं तो उस को मुआफ़ी से नवाज़ दे।

     *हिकायत 7 :* एक सख्स सय्यिदुना बक्र बिन अब्दुल्लाह मुज्नी को सरे आम बुरा भला कहे जा रहा था मगर आप खामोश थे। किसी ने अर्ज़ की, आप जवाबी कारवाई क्यूं नहीं फ़रमाते ? फ़रमाया : "मैं इस की कीसी बुराई से वाक़िफ़ ही नहीं जीस के सबब इसे बुरा कह सकू, बोहतान बांध कर सख्त गुनहगार क्यूं बनू !"

     येह हज़राते कुदस्सिया कितने भले इन्सान हुवा करते थे। उन्हें अच्छी तरह मा'लूम था कि अपने नफ़्स के वासिते गुस्सा कर के मद्दे मुक़ाबिल पर चढ़ाई करने मे भलाई नहीं है ।

     *सुन लो नुक़सान ही होता हैं बिल आखिर उन को*
     *नफ़्स के वासिते गुस्सा जो किया करते हैं*

*✍🏽गुस्से का इलाज, 11*
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*​गुस्से का इलाज*​ #05
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*_किसी पर गुस्सा आए तो यूं इलाज करे_*
     गुस्से की तबाह कारियों को भी पेशे नज़र रखिये क्यूं कि गुस्सा ही अकसर दंगा फ़साद, दो भाइयों में इफ्तिराक, मियां बीवी में तलाक़, आपस में मुना-फ़रत और कत्लो ग़ारत का मूजिब होता है। जब किसी पर गुस्सा आए और मारधाड़ और तोडताड़ कर डालने को जी चाहे तो अपने आप को इस तरह समझाये : मुझे दुसरो पर अगर कुंछ कुदरत हासिल भी है तो उस से बेहद जियादा अल्लाह मुझ पर कादीर है अगर मै ने गुस्से मे किसी की दिल आजारी या हक़ त-लफ़ि कर डाली तो क़ियामत के रोज अल्लाह के गजब से मैं किस तरह महफूज़ रह सकुंगा ?

*_गुलाम ने देर कर दी_*
     शहन्शाहे ख़ैरुल अनामﷺ ने एक गुलाम को किसी काम के लिये तलब फ़रमाया, वोह देर से हाज़िर हुवा तो हुज़ूरे अन्वर, मदीने के ताजवरﷺ के दस्ते मुनव्वर में मिस्वाक थी फ़रमाया : "अगर क़ियामत में इन्तिकाम न लिया जाता तो मै तुझे इस मिस्वाक से मारता।"
     देखा आपने ! हमारे मीठे मीठे आक़ा, शहन्नसाहे ख़ैरुल अनामﷺ कभी भी अपने नफ़्स की खातिर इन्तिकाम नहीं लेते थे और एक आज कल का मुसल्मान है कि अगर नोकर किसी काम में कोताही कर दे तो गालियों की बौछाड़ बल्कि मारधाड़ पर उतर आता है।
*✍🏽गुस्से का इलाज, 12*
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*​गुस्से का इलाज*​ #05
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*_किसी पर गुस्सा आए तो यूं इलाज करे_*
     गुस्से की तबाह कारियों को भी पेशे नज़र रखिये क्यूं कि गुस्सा ही अकसर दंगा फ़साद, दो भाइयों में इफ्तिराक, मियां बीवी में तलाक़, आपस में मुना-फ़रत और कत्लो ग़ारत का मूजिब होता है। जब किसी पर गुस्सा आए और मारधाड़ और तोडताड़ कर डालने को जी चाहे तो अपने आप को इस तरह समझाये : मुझे दुसरो पर अगर कुंछ कुदरत हासिल भी है तो उस से बेहद जियादा अल्लाह मुझ पर कादीर है अगर मै ने गुस्से मे किसी की दिल आजारी या हक़ त-लफ़ि कर डाली तो क़ियामत के रोज अल्लाह के गजब से मैं किस तरह महफूज़ रह सकुंगा ?

*_गुलाम ने देर कर दी_*
     शहन्शाहे ख़ैरुल अनामﷺ ने एक गुलाम को किसी काम के लिये तलब फ़रमाया, वोह देर से हाज़िर हुवा तो हुज़ूरे अन्वर, मदीने के ताजवरﷺ के दस्ते मुनव्वर में मिस्वाक थी फ़रमाया : "अगर क़ियामत में इन्तिकाम न लिया जाता तो मै तुझे इस मिस्वाक से मारता।"
     देखा आपने ! हमारे मीठे मीठे आक़ा, शहन्नसाहे ख़ैरुल अनामﷺ कभी भी अपने नफ़्स की खातिर इन्तिकाम नहीं लेते थे और एक आज कल का मुसल्मान है कि अगर नोकर किसी काम में कोताही कर दे तो गालियों की बौछाड़ बल्कि मारधाड़ पर उतर आता है।
*✍🏽गुस्से का इलाज, 12*
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*गुस्से का इलाज* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_पिटाई का कफ़्फ़ारा_*
     मुस्लिम शरीफ में है, हज़रते अबू मसऊद अंसारीرضي الله تعالي عنه फरमाते है : में अपने गुलाम की पिटाई कर रहा था की में ने अपने पीछे से आवाज़ सुनी, ऐ अबू मसऊद ! तुम्हे इल्म होना चाहिए की तुम इस पर जितनी क़ुदरत रखते हो अल्लाह इससे ज़्यादा तुम पर क़ुदरत रखता है। में ने पीछे मूड कर देखा तो वो रसूलुल्लाहﷺ थे। मेने अर्ज़ की : या रसूलल्लाहﷺ ! ये अल्लाह की रिज़ा के लिये आज़ाद है। हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : अगर तुम ये न करते तो तुम्हे दोज़ख की आग जलाती या फ़रमाया की तुम्हे दोज़ख की आग छूती।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 905*

*_दर गुज़र में आफिय्यत_*
     आप ने देखा ! हमारे सहाबए किराम अल्लाह व रसूल से किस क़दर प्यार करते थे। हज़रते अबू मसऊद अंसारीرضي الله تعالي عنه ने जू ही अपने आक़ा की नाराज़ी महसूस की फौरन न सिर्फ गुलाम की पिटाई से अपना हाथ रोक लिया बल्कि अपने इस कुसूर का ऐतिराफ करते हुए उस के कफ्फारे में गुलाम को आज़ाद कर दिया।
     आह ! आज लोग अपने ज़ेर दस्तो को बिला ज़रूरत झाड़ते, लताड़ते और उन पर दहाड़ते वक़्त इस बात की तरफ बिलकुल तवज्जोह नही देते की अल्लाह जो हम से ज़बर दस्त है वो हमारे ज़ुल्मो उदवान को देख रहा है। यक़ीनन अपने मा तहतो के साथ नरमी व हुस्ने सुलूक और अफ्वो दर गुज़र से काम लेने ही में आफिय्यत है।
*✍🏽गुस्से का इलाज, स.13*
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*गुस्से का इलाज* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*गुस्सा रोकने की फ़ज़ीलत*_
     हदीसे पाक में है : जो शख्स अपने गुस्से को रोकेगा अल्लाह क़यामत के रोज़ उस से अपना अज़ाब रोक देगा।
*✍🏽शोएबुल ईमान, 6/315*

_*जवाबी कार्रवाई और शैतान की आमद*_
     जब कोई हम से उलझे या बुरा भला कहे उस वक़्त ख़ामोशी में ही हमारे लिये आफिय्यत है अगर्चे शैतान लाख वस्वसे डाले की तू भी उस को जवाब दे वरना लोग तुझे बुजदिल कहेंगे, मिया ! शराफत का ज़माना नही है इस तरह तो लोग तुझ को जीने भी नही देंगे वगैर वगैरा। इस जिम्न में एक हदीस पढ़िए।
     चुनांचे किसी शख्स ने हुज़ूरﷺ की मौजूदगी में हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه को बुरा कहा तो जब उस ने बहुत ज़्यादती की। तो उन्हों ने उस की बाज़ बातो का जवाब दिया (हलाकि आप की जवाबी करवाई मासियत से पाक थी मगर) हुज़ूरﷺ वहा से उठ गए। अबू बक्रرضي الله تعالي عنه हुज़ूरﷺ के पीछे पहुचे, अर्ज़ की, या रसूलल्लाहﷺ ! वो मुझे बुरा कहता रहा आप तशरीफ़ फरमा रहे, जब मेने उसकी बात का जवाब दिया तो आप उठ गए, फ़रमाया : तेरे साथ फ़रिश्ता था जो उस का जवाब दे रहा था, फिर जब तू ने खुद उसे जवाब देना शुरू किया, तो शैतान दरमियान में आ कूदा।
*मसनद इमाम अहमद बिन हम्बल, 3/434*
*गुस्से का इलाज, 14*
*गुस्से का इलाज* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_जो चुप रहा उसने नजात पाई_*
     मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आप को बोल कर बारह पछताना पड़ा होगा मगर खामोश रह कर नदामत नही उठाई होगी। तिर्मिज़ी शरीफ में है "जो चुप रहा उसने नजात पाई"
*✍🏽तिर्मिज़ी 4/225*
     और ये मुहावरा भी खूब है, _एक चुप 100 को हराए_।

*_कर भला हो भला_*
     हज़रते शैख़ सा'दी रहमतुल्लाह अलैह बोस्ताने सा'दी में नकल करते है : एक नेक सीरत शख्स अपने जाती दुश्मनो का ज़िक्र भी बुराई से नरता था। जब भी किसी की बात छिड़ती, उस की ज़बान से नेक कलिमा ही निकलता। उसके मरने के बाद किसी ने उसे ख्वाब में देखा तो सुवाल किया : अल्लाह ने तेरे साथ क्या मुआमला फ़रमाया ? ये सुवाल सुन कर उसके होटो पर मुस्कुराहट आ गई और वो बुलबुल की तरह शीरी आवाज़ में बोला : दुन्या में मेरी ये कोशिश होती थी की मेरी ज़बान से किसी के बारे में कोई बुरी बात न निकले, नकीरैन ने भी मुझ से कोई सख्त सुवाल न किया और यु मेरा मुआमला बहुत अच्छा रहा।
*✍🏽बोस्ताने सा'दी, 144*

_*नरमी ज़ीनत बख्शती है*_
     आप ने देखा की नरमी और अफ्वो दर गुज़र करने से अल्लाह की किस क़दर रहमत होती है। काश हम भी अपनी बे इज़्ज़ती करने वालो या सताने वालो को मुआफ़ करना इख़्तियार करे।
     मुस्लिम शरीफ में है : जिज चीज़ में नरमी होती है उसे ज़ीनत बख्शती है और जिज चीज़ से जुदा कर ली जाती है उसे एबदार बना देती है।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 1398*
*✍🏽गुस्से का इलाज़, 15*
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*गुस्से का इलाज* #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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_*पेश्गी मुआफ़ करने की फ़ज़ीलत*_
     एहयाउल उलूम में है : एक शख्स दुआ मांग रहा था, या अल्लाह ! मेरे पास सदक़ा व खैरात के लिये कोई माल नही बस येही की जो मुसलमान मेरी बे इज़्ज़ती करे में ने उसे मुआफ़ किया। सरकार पर वही आई, हमने इस बन्दे को बख्श दिया।
*✍🏽एहयाउल उलूम, 3/219*

_*गुस्सा पिने वाले के लिये जन्नती हूर*_
     अबू दाऊद की हदीस में है : जिस ने गुस्से को ज़ब्त कर लिया हाला की वो उसे नाफिज़ करने पर क़ादिर था तो अल्लाह बरोज़े क़यामत उस को तमाम मख्लूक़ के सामने बुलाएगा और इख़्तियार देगा की जिस हूर को चाहे ले ले।
*अबू दाऊद, 4/325*

*_हिसाब में असानी के तिन अस्बाब_*
     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से मरवी है की तिन बाते जिस शख्स में होगी अल्लाह क़यामत के दिन उसका हिसाब बहुत आसान तरीके से लेगा और उस को अपनी रहमत से जन्नत में दाखिल फ़रमाएगा।
1) जो तुम्हे महरूम करे तुम उसे अता करो।
2) जो तुम से कतए तअल्लुक़ करे तुम उससे मिलाप करो।
3) जो तुम पर ज़ुल्म करे तुम उस को मुआफ़ करदो।
*✍🏽अल मुअ्जम अल वुसअत, 4/18*
*✍🏽गुस्से का इलाज, 16*
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*गुस्से का इलाज* #10

*_गालियो भरे खतो पर आला हज़रत का सब्र_*
     काश ! हमारे अंदर ये जज़्बा पैदा हो जाए की हम अपनी ज़ात और अपने नफ़्स की खातिर गुस्सा करना ही छोड़ दें। जैसा की हमारे बुज़ुर्गो का जज़्बा होता था की उन पर कोई कितना ही ज़ुल्म करे ये हज़रात उस ज़ालिम पर भी शफ़क़त ही फरमाते थे।
     चुनांचे हयाते आला हज़रत में है, आला हज़रत अलैरहमा की खिदमत में एक बार जब डाक पेश की गई तो बाज़ खत गालियो से भरपूर थे। मोतकीदीन बरहम हुए की हम इन लोगो के खिलाफ मुक़द्दमा दायर करेंगे। आला हज़रत ने फ़रमाया : जो लोग तारीफि खत लिखते है पहले उन को जागीरें तक़सीम कर दो, फिर गालिया लिखने वालो पर मुक़द्दमा दायर कर दो।
*हयाते आला हज़रत, 1/143*

     मतलब ये की जब तारीफ़ करने वालो को तो इनाम देते नही फिर बुराई करने वालो से बदला क्यू लेना ?
*✍🏽गुस्से का इलाज, 17*
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*गुस्से का इलाज* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मालिक बिन दिनार के सब्र के अन्वार_*
     हमारे बुज़ुर्गाने दिन ज़ुल्मो ज़ालिमिन और सितमे काफीरिन पर सब्र फरमाते और किस तरह गुस्से को भगाते थे इसे इस हिकायत से समझने की कोशिश कीजिये।
     चुनांचे हज़रते मालिक बिन दिनार रहमतुल्लाह अलैह ने एक मकान किराए पर लिया। उस मकान के बिलकुल मुत्तसिल एक यहूदी का मकान था। वो यहूदी बुग्ज़ो इनाद की बुन्याद पर परनाले के ज़रीए गन्दा पानी और गलाज़त आप के मकान में डालता रहता। मगर आप खामोश ही रहते। आखिर कार एक दिन उस ने खुद ही आ कर अर्ज़ की, जनाब ! मेरे परनाले से गुज़रने वाली नजासत की वजह से आप को कोई शिकायत तो नही ? आप ने निहायत ही नरमी के साथ फ़रमाया, परनाले से जो गन्दगी गिरती है उस को झाड़ू दे कर धो डालता हु। उसने कहा, आप को इतनी तकलीफ होने के बा वुजूद गुस्सा नही आता ? फ़रमाया : आता तो है मगर पी जाता हु क्यू की अल्लाह का फरमाने महब्बत निशान है :
*और गुस्सा पिने वाले और लोगो स3 दर गुज़र करने वाले और नेक लोग अल्लाह के महबूब है।*
*पारह 4, सूरए आले इमरान, 134*

जवाब सुन कर यहूदी मुसलमान हो गया।
*✍🏽तज़किरतुल औलिया, 51*

     मीठे मीठे इस्लामी भाईओ ! देखा आपने ! नरमी की केसी बरकत है। नरमी से मुअतस्सिर हो कर वो यहूदी मुसलमान हो गया।
*✍🏽गुस्से का इलाज, 19*
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*गुस्से का इलाज* #12
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

_*दिल में नुरे ईमान पाने का एक सबब*_
     हदीसे पाक में है, जिस शख्स ने गुस्सा ज़ब्त कर लिया बा वुजूद इस के वो गुस्सा नाफ़िज़ करने पर कुदरत रखता है अल्लाह उसके दिल को सुकून व ईमान से भर देगा।
*✍🏽जामिअल सगीर, 145*
     यानी अगर किसी की तरफ से कोई तकलीफ पहुच गई और गुस्सा आ गया ये बदला ले सकता था मगर महज़ रिज़ाए इलाही की खातिर गुस्सा पी गया तो अल्लाह उस को सुकूने क्लब अता फ़रमाएगा और उस का दिल नुरे ईमान से भर देगा। इससे मालुम हुवा की बाज़ अवक़ात गुस्सा आना मुफीद भी है जब की ज़ब्त करना नसीब हो जाए।

_*गुस्से की आदत निकालने के लिये 4 अवराद*_
     जिस को गुस्सा गुनाह करवाता हो उसे चाहये की हर नमाज़ के बाद *بِسْمِ اللّٰهِ الرَّ حْمٰنِ الرَّ حِيْم*   
21 बार पढ़ कर खाने और पानी पर भी दम कर ले।
     चलते फिरते कभी कभी *يَا اللّٰهُ يَا رَحْمٰنُ يَا رَحِيْمُ* कह लिया करे।
     चलते फिरते *يَا اَرْحَمَ الرَّاحِمِيْنَ* पढ़ता रहे।
     पारह 4 आले इमरान की 134 वी आयत का ये हिस्सा रोज़ाना 7 बार पढ़ता रहे : *وَالْكَا ظِمِيْنَ الْغَيْظَ وَالْعَافِيْنَ عَنِ النَّاسِ، وَاللّٰهُ يَحِبُّ الْمُحْسِنِيْنَ o*

*✍🏽गुस्से का इलाज, 21*
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*गुस्से का इलाज* #13
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_गुस्से के 13 इलाज_*
     जब गुस्सा आ जाए तो इन में से कोई भी एक या ज़रूरत सारे इलाज फरमा लीजिये।
*1* अउजूबिल्लाहि-मिन-श्शैतानि-र्रजीम पढ़िये।
*2* वला-हव्ल-वला-क़ुव्वत-इल्ला-बिल्लाह, पढ़िये।
*3* चुप हो जाइए।
*4* वुज़ू कर लीजिये।
*5* नाक में पानी चथाइए।
*6* खड़े है तो बैठ जाइए। बेठे है तो लेट जाइए।
*7* अपने गाल को ज़मीन से मिला दीजिये।
*8* (वुज़ू हो तो सज्दा कर लीजिये) ताकि एहसास हो की में खाक से बना हु लिहाज़ा बन्दे पर गुस्सा करना मुझे ज़ैब नहीं देता।
*✍🏽अहयाउल उलूम, 3/388*
*9* जिस पर गुस्सा आ रहा है उसके सामने से हट जाइये।
*10* सोचिये की अगर में गुस्सा करूँगा तो दूसरा भी गुस्सा करेगा और बदला लेगा और मुझे दुश्मन को कमज़ोर नही समझना चाहिए।
*11* अगर किसी को गुस्से में झाड़ वगैरा दिया तो खुसुसिय्यत के साथ सब के सामने हाथ जोड़ कर उससे मुआफ़ी मांगिये, इस तरह नफ़्स ज़लील होगा और आइन्दा गुस्सा नाफ़िज़ करतेवक़्त अपनी ज़िल्लत याद आएगी और हो सकता है यु करने से गुस्से से खलासी मिल जाए।
*12* ये गौर कीजिये की आज बन्दे की खता पर मुझे गुस्सा आया है और में दर गुज़र करने के लिये तैयार नही हाला की मेरी बे शुमार खताए है अगर अल्लाह गज़ब नाक हो गया और उस ने मुझे मुआफ़ी न दी तो मेरा क्या बनेगा !
*13* कोई अगर ज़्यादती करे या खता कर बेठे और उस पर नफ़्स की खातिर गुस्सा आ जाए उस को मुआफ़ करदेना कारे सवाब है। तो गुस्सा आने पर ज़ेहन बनाए की क्यू न में मुआफ़ करके सवाब का हक़दार बनू और सवाब भी केसा ज़बर दस्त की "क़यामत के रोज़ ऐलान किया जाएगा जिस का अज्र अल्लाह के ज़िम्मे करम पर है, वो उठे और जन्नत में दाखिल हो जाए। पूछा जाएगा किसके लिये अज्र है ? वो कहेगा : उन लोगो के लिये जो मुआफ़ करने वाले है। तो हज़ारो आदमी खड़े होंगे और बिला हिसाब जन्नत में दाखिल हो जाएगा।
*✍🏽तिबरानी, 1/542*
*✍🏽गुस्से का इलाज, 22*
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