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Thursday 30 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 65*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_नाहक़ झगड़ना, दूसरे को हक़ीर समझ कर उस के कलाम में तान करना, इन्तिहाई दुश्मनी रखना और हक़ जाने बिगैर क़ाज़ी का वकील बनना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : और बाज़ आदमी वो है कि दुन्या की ज़िन्दगी में उस की बात तुझे भली लगे और अपने दिल की बात पर अल्लाह को गवाह लाए और वो सब से बड़ा झगड़ालू है और जब पीठ फेरे तो ज़मीन में फसाद डालता फिरे।
*✍🏼البقرة : ٢٠٤,٢٠٥*
     उन्हों ने तुम से ये न कही मगर नाहक़ झगड़ने को बल्कि वो है ही झगड़ालू लोग।
*✍🏼الزخرف : ٥٨*

     फरमाने मुस्तफा ﷺ : अल्लाह को सब से ज़्यादा न पसन्द वो शख्स है जो बड़ा झगड़ालू है।
*✍🏼مسلم*
     जो शख्स बगैर इल्म के झगड़े व इख़्तिलाफ़ में पड़ता है वो अल्लाह की नाराज़ी में रहता है यहाँ तक कि उसे छोड़ दे।
*✍🏼موسوعة ابنابى الدنيا*
     मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़्यादा खौफ आलिम की कग्ज़िश, मुनाफ़िक़ के क़ुरआन में झगड़ने और दुन्या का है जो तुम्हारी गर्दनों को काट कर रख देगी।
*✍🏼معجم الكبير*
     जिसने बातिल की हिमायत में जान बुझ कर झगड़ा किया वो अल्लाह की नाराज़ी में रहेगा यहाँ तक कि उसे छोड़ दे।
*✍🏼ابوداود*
     हया और कमगोइ ईमान की दो शाखे है और फोहश गोई और ज़्यादा बोलना निफ़ाक़ की दो शाखे है।
*✍🏼ترمذى*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 196

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*वुज़ु और साइन्स* #06/15
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मिस्वाक के मदनी फूल_* #2
     हज़रते सय्यिदुना अब्दुल वह्हाब शारानी रहमतुल्लाह अलैह नकल करते है : एक बार अबू बक्र् शिब्ली बगदादी रहमतुल्लाह अलैह को वुज़ु के वक़्त मिस्वाक की ज़रूरत हुई, तलाश की मगर न मिली लिहाज़ा एक दिनार में मिस्वाक खरीद कर इस्तेमाल फ़रमाई।

     बाज़ लोगो ने कहा ये तो आपने बहुत ज्यादा खर्च कर डाला ! कही इतनी महगी भी मिस्वाक ली जाती है ? आप ने फ़रमाया बेशक ये दुन्या और इसकी तमाम चीज़े अल्लाह عزوجل के नज़्दीक मच्छर के पर बराबर भी हैसिय्य्त नहीं रखती, अगर बरोज़े कियामत अल्लाह عزوجل ने मुझसे ये पूछ लिया तो क्या जवाब दूंगा के तूने मेरे प्यारे हबीब ﷺ की सुन्नत (मिस्वाक) क्यू तर्क की ? मेने तुजे जो मालो दौलत दिया था उसकी हक़ीक़त तो मेरे नजदीक मच्छर के पर बराबर भी नहीं थी, तो आखिर ऐसी हकीर दौलत इतनी अज़ीम सुन्नत हासिल करने पर क्यू खर्च नहीं की ?
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 65*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*उस्ताज़ के आदाब*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     उस्ताज़ को चाहिये दिल में खौफ़ो खशिय्यत पैदा करे, बात को ख़ामोशी और तवज्जोह से सुने और समझे, रहमत का मुन्तज़िर रहे, मु-तशाबह हरुफ़, वक़्फ़ के इशारे, इब्तिदा की पहचान, हम्ज़ा का बयान, तादादे अस्बाक़, हुरूफ़े तजविद् और खातिमाए किताब का फायदा वगैरा की तरफ खूब ध्यान दे।

     इब्तिदा में शागिर्द पर नरमी करे, जब तालिबे इल्म गैर हाज़िर हो तो उस के बारे में मालूमात करे और जब हाज़िर हो तो उसे तालीम हासिल करने पर इस की तरगिब् दिलाए। गपशप से इज्तिनाब करे और अपने लिये दुआ करने से पहले शागिर्द के लिये दुआ करे जब तक कि वो किसी दूसरे उस्ताज़ के पास न चला जाए।
*✍🏼आदाबे दीन* 17

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*क़यामत से पहले हिसाब*
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अमीरुल मोमिनीन हज़रते उमर फ़ारूक़ رضي الله عنه फ़रमाते है : ऐ लोगो ! अपने आमाल का इस से पहले मुहासबा कर लो कि क़यामत आ जाए और इन का हिसाब लिया जाए।
*✍🏼احياء العلوم*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Wednesday 29 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 64*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_सोने चांदी के बर्तनों में खाना पीना_*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : बारीक रेशम पहनो न मोटा, न सोने चांदी के बर्तनों में न खाओ और न पियो क्यों की ये दुन्या में कुफ्फार के लिये और आख़िरत में तुम्हारे लिये है।
*✍🏼بخارى*
     जो सोने चांदी के बर्तनों में खाता और पीता है वो अपने पेट में जहन्नम की आग उंडेल रहा है।
*✍🏼مسلم*
     जो चांदी के बर्तन में कुछ पियेगा वो आख़िरत में चांदी के बर्तनों में नही पियेगा।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 194

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*नमाज़ की अहमिय्यत* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     मज़्हबे इस्लाम में नमाज़ को जो अहमिय्यत हासिल है वो किसी से छुपी नहीं। हुज़ूर ﷺ ने नमाज़ को दिन का सुतून, ईमान की अलामत, जन्नत की कुन्जी, मौमीनों की मेराज, अपनी आँखों की ठन्डक और ख़ुदावन्दे कुद्दूस की क़ुरबत का ज़रिया बताया है।

     इसके बर अक्स (उलटे) बे-नमाज़ियों को अज़ाब की वईदें सुनाई गई और नमाज़ छोड़ने को दुन्या व आख़िरत में नाकामी का ज़रिया बताया है।

     क़ुरआनो हदिष की रौशनी में नमाज़ की अहमिय्यत, उसकी फ़ज़ीलत और नमाज़ छोड़ने पर जो नुक्सानात है ان شاء الله अगली पोस्ट में तहरीर किया जायेगा।
     अल्लाह तआला मुसलमानो को इन आयतों और हदिशो से सबक हासिल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼नमाज़ की अहमिय्यत* 5

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*आलिम के पास हाज़िर होने के आदाब*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     सलाम करने में पहल करे, उस के सामने गुफ्तगू कम करे। जब वो खड़ा हो तो उस की ताज़ीम के लिये खड़ा हो जाए। उस के सामने यूँ न कहे : फुला ने तो आप के खिलाफ कहा है।
     आलिम की मौजूदगी में उस के हम नशीन से सुवाल न करे, न तो आलिम से गुफ्तगू करते वक़्त हँसे और न ही उस की राय के खिलाफ मशवरा दे।
     जब वो खड़ा हो तो उसके दामन को न पकड़े, रास्ते में चलते हुए उस से मसाइल न समझे। जब तक कि वो घर न पहुच जाए, आलिम की उकताहट के वक़्त उस के पास कम आया जाया करे।
*✍🏼आदाबे दीन* 16

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*आज क्या क्या किया ?*
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     अमीरुल मुअमिनिन हज़रते उमर फ़ारूक़ رضي الله عنه रोज़ाना अपना ऐहतिसाब फ़रमाया करते और जब रात आती तो अपने पाऊं पर दुर्रा मार कर फ़रमाते : बता ! आज तू ने क्या क्या किया है ?
*✍🏼احياء العلوم*

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Tuesday 28 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 62*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_खुद को अपने बाप के इलावा की तरफ मन्सूब करना_*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : जिसने खुद को अपने बाप के इलावा की तरफ मन्सूब किया हालाकिं वो जानता है कि वो उस का बाप नहीं है तो उस पर जन्नत हराम है।
*✍🏼مسلم و بوخارى*
     अपने आबाओ अजदाद के नसब से रुगर्दानी न करो, जिस ने अपने बाप से रुगर्दानी की उस ने कुफ़्र किया।
*✍🏼مسلم*
     जिसने खुद को अपने बाप के गैर की तरफ मन्सूब किया उस पर अल्लाह की लानत।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 190

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*आलिमे दीन के आदाब*
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     आलिम को चाहिये कि इल्म व अमल को लाज़िम जाने, हमेशा बा वक़ार रहे, तकब्बुर करने से बचे और मुतकब्बिराना अन्दाज़ में दुआ न करे, इल्म सिखने वाले पर नरमी करे, बड़ाई जताने वाले के साथ बुर्द-बारी से पेश आए, कुन्द ज़ेहन को मसअला अच्छी तरह समझाए, (मसअला मालुम न होने की सूरत में) अस्लाफ के क़ौल "में नही जानता" से बरकत हासिल करे, जब कोई सुवाल करे तो उस के इख्लास की वजह से अपनी पूरी कोशिश से उस के सुवाल के जवाब में गुफ्तगू का निचोड़ पेश करे और तकल्लुफ में न पड़े, दलील को तवज्जोह से सुने और (दुरुस्त होने की सूरत में) उसे क़बूल करे अगर्चे मद्दे मुक़ाबिल (मुखालिफ) की तरफ से हो।
*✍🏼आदाबे दीन* 16

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*वुज़ु और साइन्स* #04/15
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*_मिस्वाक का क़दरदान_*
     मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! वुज़ु में मुतअद्दी सुन्नते है और हर सुन्नत मख़ज़ने हिक्मत है।
     मिस्वाक ही को ले लीजिये ! सब जानते है की वुज़ु में मिस्वाक करना सुन्नत है और इस सुन्नत की बरकतों का क्या कहना !
     एक व्यपारी का कहना है : स्विजरलैंड में एक नौ मुस्लिम से मेरी मुलाक़ात हुई उसको मेने तोहफतन मिस्वाक लेश की, उसने ख़ुश हो कर उसे लिया और चूम कर आखो से लगाया और एक दम उस की आँखों से आसु छलक पड़े। उसने जेब से एक रुमाल निकाला उस की तह खोली तो उस में से तकरीबन 2 इंच का छोटा सा मिस्वाक का टुकड़ा बरामद हुवा। वो कहने लगा : मेरी इस्लाम आवरी के वक़्त मुसलमानो ने मिझे ये तोहफा दिया था। में बहुत संभाल संभाल कर इसको इस्तिमाल कर रहा था, ये खत्म होने को था लिहाज़ा मुझे तश्विश थी के अल्लाह ने करम फ़रमाया और आप ने मुझे मिस्वाल इनायत फरमा दिया।
     फिर उसने बताया के एक अरसे से में दातो और मसूढ़ों की तकलीफ से परेशान था। हमारे यहाँ के डेंटिस्ट से इन का इलाज बन नहीं पड़ रहा था। मेने इस मिस्वाक का इस्तिमाल शुरू किया थोड़े ही दिनों में मुझे फायदा हो गया। में डॉ. के पास गया तो वो हैरान रह गया और पूछने लगा : मेरी दवाई से इतनी जल्दी तुम्हारा मरज़ दूर नहीं हो सकता, सोचो कोई और वजह होंगी। मेने जब ज़हन पर ज़ोर दिया तो ख्याल आया के में मुसलमान हो चूका हू और ये सारी बरकतें मिस्वाक ही की है। जब डॉ को मिस्वाक दिखाया तो वो देखता ही रह गया।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, साफ 61-62*

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Monday 27 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 61*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_हथियार से मुसलमान को इशारा करना_*
     सरवरे आलम ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : जिस ने लोहे से अपने भाई की तरफ इशारा किया तो फ़रिश्ते उस पर लानत भेजते रहते है अगर्चे वो उसका सगा भाई हो।
*✍🏼مسلم*

     ये इशारा ख्वाह डराने धमकाने के लिये हो ख्वाह मज़ाक़ में, लोहे से मुराद क़त्ल का हर हथियार है तलवार, छुरी, काज कल पिस्तोल बन्दूक वगैरा।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्* 5/228

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*बारगाहे खुदा वन्दी के आदाब*
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     बन्दे को चाहिये की बारगाहे इलाही में अपनी निगाहे नीची रखे, अपने गमो और परेशानियों को अल्लाह की बारगाह में वेश करे, ख़ामोशी की आदत बनाए, आज़ा को पुर सुकून रखे, जिन कामो का हुक्म दिया गया है उन से और उन पर ऐतिराज़ करने से बचे, अच्छे अख़्लाक़ अपनाए, हर वक़्त ज़िक्रे इलाही की आदत बनाए, अपनी सोच को पाकीज़ा बनाए, आज़ा को क़ाबू में रखे, दिल पुर सुकून हो, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की ताज़ीम बजा लाए, गैज़ो गज़ब न करे, महब्बते इलाही को लोगो से छुपाए, इख्लास अपना ने की कोशिश करे, लोगो के पास मौजूद मालो दौलत की तरफ नज़र करने से बचे, सहीह व दुरुस्त बात को तरजीह दे, मख्लूक़ से उम्मीद न रखे, अमल में इख्लास पैदा करे, सच बोले और गुनाहो से बचे।
     नेकियों को ज़िन्दा करे (यानी नेकियों पर अमल पैरा हो) लोगो की तरफ इशारे न करे और मुफीद बाते न छुपाए, नाम व नसब की तब्दीली पर गैरत और हराम कामो के इरतिकाब पर गैज़ो गज़ब का इज़हार करे, हमेशा बा वक़ार व पुर जलाल रहे, हया को अपना शिआर बना ले, खौफ व डर की कैफिय्यत पैदा करे, उस शख्स की तरह मुतमइन हो जाए जिसे ज़मान दी गई हो, तवक्कुल अच्छे इख़्तियार की पहचान का नाम है, दुश्वारी के वक़्त कामिल वुज़ू करे, एक नमाज़ के बाद दूसरी नमाज़ का इन्तिज़ार करे, उस का दिल फ़र्ज़ छूट जाने के खौफ से बेचैन व मुज़तरीब हो जाए, गुनाहों पर डटे रहने के खौफ से तौबा पर हमेशगी इख़्तियार करे और ग़ैब की तस्दीक़ करे, ज़िक्र करते वक़्त दिल में खौफे खुदा पैदा करे, वाजो नसीहत के वक़्त उस का नुरे बातिनी ज़्यादा हो, फ़क़रो फ़ाक़ा (तंगदस्ती) के वक़्त तवक्कुल को अपना शिआर बनाए और जहाँ तक हो सके क़बूलिय्यत की उम्मीद रखते हुए सदक़ा करे।

*✍🏼आदाबे दिन* 15
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*वुज़ु और साइन्स* #03/17
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_*वुज़ु और फालिज*_
     वुज़ु में जो तरतीब वार आज़ा धोए जाते है ये भी हिक्मत से खाली नहीं।

★ पहले हाथ पानी में डालने से जिस्म का आसाबि निज़ाम मुत्तलअ हो जाता है, और फिर आहिस्ता आहिस्ता चेहरे और दिमाग की रगो की तरफ इस के असरात पहोचते है।

★ वुज़ु में पहले हाथ धोने फिर कुल्ली करने फिर नाक में पानी डालने फिर चेहरा और दीगर आज़ा धोने की तरतीब फालिज की रोकथाम के लिये मुफीद है।

★ अगर चेहरा धोने और मसह करने से आगाज़ किया जाए तो बदन कई बीमारियो में मुब्तला हो सकता है !
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 60-61*

फालिज यानि लकवा

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Sunday 26 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 60*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_बाल जोड़ना, दांत कुशादा करना और गुदना_*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : बाल जोड़ने, जुड़वाने वाली, गुदने, गुदवाने वाली, अबरू के बाल नोच कर बारीक करने और करवाने वाली और खूब सुरती के लिये दांत के दरमियान फ़ासिला कर के अल्लाह की तख़्लीक़ को बदलने वालियों पर अल्लाह ने लानत फ़रमाई है।
*✍🏼مسلم*
     कुत्ते और खून की क़ीमत हराम है और फ़ाहिशा (ज़ानीया) की कमाई भी हराम है और अल्लाह ने गुदने और गुदवाने वाली, सूद लेने और देने वाले और तस्वीर बनाने वाले पर लानत फ़रमाई।

(गुदने, गुदवाने से मुराद सुई के ज़रीए नेल या सुर्मा जिस्म में लगा कर नक़्शो निगार कराना या अपना नाम लिखवाना, ये दोनों काम ममनुअ है तरीक़ऐ मुशरिकीन है और तरीक़ए कुफ्फार व फुज्ज़ार.)
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्* 4/268
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 188

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*आदाबे दीन*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*तमाम खूबियां अल्लाह के लिये जिस ने हमें कामिल सूरत में पैदा फ़रमाया, हमें अच्छा अदब सिखाया और अपने प्यारे महबूब ﷺ का उम्मती बनने का शरफ अता फ़रमाया।*

     दीन में सब से कामिल अख़्लाक़ और अफ़्ज़ल अफआल इस के आदाब है, जिन के ज़रीए बन्दए मोमिन अल्लाह की इताअत करता और अम्बिया व मुरसलीन के अख़्लाक़ को अपनाता है। और अल्लाह ने क़ुरआन के ज़रीए वाजेह तौर पर हमें अदब सिखाया और अपने प्यारे हबीब ﷺ की मुबारक सुन्नत के ज़रीए हमें इस की तालीम दी जिस की पैरवी हम पर लाज़िम है, पस उसी का एहसान है।
     और इसी तरह सहाबा, ताबेईन और बाद आने वाले अहले अदब मुअमिनिन के ज़रीए हमें अदब सिखाया उन की इत्तिबाअ भी हम पर लाज़िम है। और दीन के आदाब का बहुत बड़ा हिस्सा है और इन की तादाद बहुत ज़्यादा है जिन में से हम बाज़ का ज़िक्र करेंगे ताकि बहस इतनी ज़्यादा तवील न हो जाए की इस का समझना ही दुश्वार हो जाए।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼आदाबे दीन* 14

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*वुज़ु और साइन्स* #02/17
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_वुज़ु और हाइ ब्लड प्रेशर_*
     एक हार्ट स्पेशालिस्ट का बड़े ऐतिमाद के साथ कहना है : हाई ब्लड प्रेशर के मरीज़ को वुज़ु करवाओ फिर उस का ब्लड प्रेशर चेक करो लाज़िमन कम होगा।

     एक मुसलमान माहिरे नफ्सियात का कौल है : नफ्सियात अमराज़ का बेहतरीन इलाज वुज़ु है।

     मग़रिबी माहिरीन नफ्सियात मरीज़ों को वुज़ु की तरह रोज़ाना कई बार बदन पर पानी लगवाते है।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, शफा 60*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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Saturday 25 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 59*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_गुमराही की तरफ बुलाना या बुरा तरीक़ा ईजाद करना_*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : जो गुमराही की तरफ बुलाए उस पर तमाम पैरवी करने वाले गुमराहों के बराबर गुनाह होगा और ये उन के गुनाहों से कुछ कम न करेगा।
*✍🏼مسلم*
     जो कोई बुरा तरीक़ राइज करे उस पर अपना गुनाह है और इस के बाद जो लोग इस पर अमल करेंगे उन के गुनाहों का वबाल भी उसी पर है और लोगों के गुनाहों में कुछ कमी भी न होगी।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 187

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*वुज़ु और साइन्स* #01/18
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_वुज़ु की हिकमते सुनने के सबब कबूले इस्लाम_*
     एक साहिब का बयान है : मेने मेल्जियम में यूनिवर्सिटी के एक गैर मुस्लिम स्टूडंट को इस्लाम की दा'वत दी। उसने सुवाल किया : वुज़ु में क्या क्या साइन्सि हिकमते है ? में ला जवाब हो गया।

     उसको एक आलिम के पास ले गया लेकिन उनको भी इसकी मालूमात न थी। यहाँ तक की साइन्सि मालूमात रखने वाले एक शख्स ने उसको वुज़ु की काफी खुबिया बताई मगर गर्दन के मसह की हिक्मत बताने से वो भी क़ासिर रहा।

     वो गैर मुस्लिम नौजवान चला गया। कुछ अरसे के बाद आया और कहने लगा : हमारे प्रोफेसर ने दौराने लेक्चर बताया : अगर गर्दन की पुशत और अतराफ़ पर रोज़ाना पानी के चन्द कतरे लगा दिये जाए तो रीढ़ की हड्डी और हराम मगज की खराबी से पैदा होने वाले अमराज़ से तहफ्फुज हो जाता है। ये सुन कर वुज़ु में गर्दन के मसह की हक़ीक़त मेरी समज में आ गई लिहाज़ा में मुसलमान होना चाहता हु और वो मुसलमान हो गया।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, शफा 58-59*

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*ख़ुत्बा सुनने व बैठने के एहकाम* #04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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     ख़ुत्बा के वक़्त भलाई का हुक्म करना भी हराम है, बल्कि ख़ुत्बा हो रहा हो तब दो हर्फ़ बोलना भी मना है। किसी को सिर्फ "चुप" कहना तक मना और लग्व (व्यर्थ) है।
     सहाह सित्ता (हदिष की 6 सहीह किताबों) में हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم फ़रमाते है कि बरोज़े जुमुआ ख़ुत्ब ऐ इमाम के वक़्त तूँ दूसरे से कहे "चुप" तो तूने लग्व (व्यर्थ काम) किया।
     इसी तरह मुसन्दे अहमद, सुनने अबू दाऊद में हज़रत अली كرم الله وجهه الكريم से है कि हुज़ूर ﷺ फ़रमाते है कि जो जुमुआ के दिन (ख़ुत्बा के वक़्त) अपने साथी से "चुप" कहे उसने लग्व किया और जिसने लग्व किया उसके लिये जुमुआ में कुछ "अज्र" (षवाब) नही।
*✍🏼फतावा रज़विय्या*

     ख़ुत्बा सुनने की हालत में हरकत (हिलना-डुलना) मना है। और बिला ज़रूरत खड़े हो कर ख़ुत्बा सुनना खिलाफे सुन्नत है। अवाम में ये मामूल है कि जब खतीब ख़ुत्बा के आखिर में इन लफ़्ज़ों पर पहुचता है "व-ल-ज़ीक़रुल्लाहे तआला आला" तो उसको सुनते ही लोग नमाज़ के लिये खड़े हो जाते है। ये हराम है, कि अभी ख़ुत्बा नही हुआ, चंद अलफ़ाज़ बाक़ी है और ख़ुत्बा की हालत में कोई भी अमल करना हराम है।
*✍🏼फतावा रज़विय्या*
*✍🏼मोमिन की नमाज़* 220

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Friday 24 November 2017

*83 आसान नेकियां* #79
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_ईसाले षवाब करना_*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : मुर्दे का हाल क़ब्र में डूबते हुवे इंसान की मानिन्द है कि वो शिद्दत से इन्तिज़ार करता है कि बाप या माँ या भाई या किसी दोस्त की दुआ उस को पहुचे और जब किसी की दुआ उसे पहुँचती है तो उस के नज़दीक वो दुन्या व माफिहा (यानी दुन्या और इस में जो कुछ है) से बेहतर होती है। अल्लाह क़ब्र वालों को उन के ज़िन्दा मुतअल्लिक़ीन की तरफ से हदिय्या किया हुवा षवाब पहाड़ों की मानिन्द अता फ़रमाता है, जिन्दों का हदिय्या (तोहफा) मुर्दो के लिये "दुआए मगफिरत करना" है।
*✍🏼شعب الايمان*
     फ़र्ज़, वाजिब, सुन्नत, नफ्ल नमाज़, रोज़ा, ज़कात, हज, बयान, दर्स, मदनी काफिले में सफर, नेकी की दावत वगैरा हर नेक काम का किसी इन्तिक़ाल करने वाले या ज़िन्दा शख्स को ईसाले षवाब कर सजते है। ईसाले षवाब करने वाले के षवाब में कोई कमी नही होती बल्कि ये उम्मीद है कि उस ने जितनों को ईसाले षवाब किया उन सब के मज़मुऐ के बराबर उस को षवाब मिले।
     मषलन कोई नेक काम किया जिस पर उस को दस नेकियां मिली अब उस ने दस मुर्दो को ईसाले षवाब किया तो हर एक को दस दस नेकियां पहुचेंगी जब कि ईसाले षवाब करने वाले को 110 और अगर 1000 को ईसाले षवाब किया तो उस को 10,010 नेकी मिलेगी। وٙعٙلٰى هٰذٙا الْقِياس
*✍🏼बहारे शरीअत*
*✍🏼आसान नेकियां* 176

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*बे वुज़ू क़ुरआने मजीद को कही से भी नहीं छू सकते*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     बे वुज़ू आयत को छूना तो खुद ही हराम है अगर्चे आयत किसी और किताब में लिखी हो, मगर क़ुरआने मजीद के सादा हाशिया बल्कि पुठ्ठे बल्कि चिली (यानि जो कपड़ा या चमड़ा गत्ते के साथ चिपका या सिला हो उस) का भी छूना हराम है.
     हा जुज़दान में हो तो जुज़दान को हाथ लगा सकते है।
     बे वुज़ू अपने सीने से भी मुसहफ शरीफ को मस नहीं कर सकता। बे वुज़ू की गरदन पर लंबी चादर का एक कपड़ा पड़ा हुवा है और वो उसके दूसरे कोने को हाथ पर रख कर मुसहफ शरीफ छूना चाहे और अगर चादर इतनी लंबी है की उस शख्स के उठने बैठने से दूसरे गोशे (यानि कोने) तक हरकत न पहोचेगी तो जाइज़ है वरना नहीं।
*✍🏽फतावा राज़वीय्या मुखर्रजा, 4/724-725*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 37*

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*ख़ुत्बा सुनने व बैठने के एहकाम* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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ख़ुत्बा में हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का नाम सुन कर दिल में दुरुद शरीफ पढ़े, ज़बान से खामोश रहना फ़र्ज़ है।
*(दुर्रे मुख्तार, फतावा रज़विय्या)*

     जब इमाम ख़ुत्बा पढ़ रहा हो, उस वक़्त वज़ीफ़ा पढ़ना मुतलक़न ना जाइज़ है और नफ्ल नमाज़ पढ़ना भी गुनाह है।
*✍🏼फतावा रज़विय्या*

     खतीब ने ख़ुत्बा के दौरान मुसलमानो के लिये दुआ की, तो सुनने वालो को हाथ उठाना या आमीन कहना मना है। करेंगे तो गुनाहगार होंगे।
*(दुर्रे मुख्तार, बहारे शरीअत)*

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼मोमिन की नमाज़* 119

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Thursday 23 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 57*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_सहाबए किराम को बुरा भला कहना_*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है जिस ने मेरे किसी वली से दुश्मनी की में उसे ऐलाने जंग देता हूँ।
*✍🏼مستدرك حاكم*
     मेरे सहाबा को बुरा भला मत कहो, उस ज़ात की क़सम जिस के क़ब्ज़ए क़ुदरत में मेरी जान है ! अगर तुम में से कोई उहुद पहाड़ जितना सोना खैरात करे तो उन के एक मुद (एक सेर) खैरात करने के बराबर बल्कि आधा मुद खैरात करने के बराबर नहीं हो सकता।
*✍🏼مسلم*
     हज़रते अल्क़मा رحمة الله عليه बयान करते है : में ने हज़रते अलियुल मुर्तज़ा كَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم को फ़रमाते सुना : मुझे ये खबर पहुची है कि लोग मुझे हज़रते अबू बक्र व उमर से अफ़्ज़ल क़रार देते है। जो शख्स ऐसी बात करेगा वो मुफ्तरी है और उस के लिये मुफ्तरी की हद है।

     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : और सब में अगले पहले मुहाजिर और अन्सार और जो भलाई के साथ इन के पैरु (पैरवी करने वाले) हुवे अल्लाह उन से राज़ी और वो अल्लाह से राज़ी।
*✍🏼التوبة ١٠٠*
     लिहाज़ा जो इन नुफुसे क़ुदसिय्या को बुरा भला कहे बिलाशुबा उस ने अल्लाह को जंग का चेलेंज दिया बल्कि इन हज़रात की शान तो अर्फअ व आला है अगर कोई आम मुसलमानो को गालिया दे, इज़ा पहुचाए और उन की तहक़ीर करे तो ये गुनाहे कबीरा में से है तो फिर उस शख्स के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है जो रसूलुल्लाह ﷺ के बाद सब से अफ़्ज़ल शख्स को बुरा भला कहता हो।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह*

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*_एबपोशी करना_*
     अगर किसी मुसलमान का ऐब मालुम हो जाए तो बिला मस्लेहते शरई किसी दूसरे पर इस का इज़हार करने वाला गुनाहगार और अज़ाबे नार का हक़दार है। मुसलमानों का ऐब छुपाने का ज़ेहन बनाइये कि जो किसी का एब छुपाए उस के लिये जन्नत की बशारत है।
     हज़रते अबू सईद खुदरी رضي الله عنه से मरवी है : जो शख्स अपने भाई की कोई बुराई देख कर उस की पर्दापोशी कर दे तो वो जन्नत में दाखिल कर दिया जाएगा।
     लिहाज़ा जब भी हमें मालुम हो कि फूलां ने معاذ الله कोई भी ज़ुर्म छुप कर किया है जिस को ज़ाहिर करने में कोई शरई मस्लेहत नही तो हमे उस का पर्दा रखना लाज़िम है और दूसरे पर ज़ाहिर करना गुनाह।
     यक़ीनन गीबत और आबरू रेज़ी का अज़ाब बर्दाश्त नही हो सकेगा। लेकिन अगर किसी में ऐसा ऐब मौजूद है जिस से दूसरे इस्लामी भाई को नुक़्सान पहुचने का अन्देशा हो तो महज़ इस निय्यत से मुतअल्लिक़ा इस्लामी भाई को इस ऐब के बारे में बता देना चाहिये ताकि वो इस नुक़्सान से बच सके।
     मषलन एक शख्स की आदत है कि वो लोगों की रकमें धोका देही से हड़प कर जाता है या क़र्ज़ ले कर वापस नहीं करता तो जिन जिन को नुक़्सान पहुचने का अन्देशा हो उन्हें उस के बारे में बता देने में कोई हर्ज़ नही, इसी तरह अगर किसी ने कही रिश्ता भेजा है और लड़की वाले आप से उस के किरदार व अमल के बारे में पूछे तो उन्हें हक़ीक़ते हाल से आगाह कर देना ज़रूरी है। लेकिन इन तमाम सूरतो में निय्यत दूसरों को नुक़्सान से बचाने की होनी चाहिये, किसी को रुस्वा करने की नही।
*✍🏼आसान नेकियां* 176

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*वुज़ूए अम्बियाए किराम और नींद मुबारक*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     अम्बिया अलैहिमुस्सलाम का वुज़ू सोने से नहीं जाता।

     अम्बिया की आँखे सोती है दिल कभी नहीं सोता।

     बाज़ वुज़ू तोड़ने वाली चीज़े अम्बिया के लिये यू वुज़ू टूटने का सबब नहीं, की इन का वुक़ूअ (यानि वाक़ेअ होना) ही उन से मुहाल (यानि ना मुम्किन) है जेसे जुनून (यानि पागल पन) या नमाज़ में कहकहा।

     गशी (यानि बेहोशी) भी अम्बिया के जिस्मे ज़ाहिरे पर तारी हो सकती है, दिल मुबारक इस हालत में भी बेदार व खबरदार रहता है।
*✍🏽फतावा राज़वीय्या मुखर्रजा 4/740*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 29-30*

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*ख़ुत्बा सुनने व बैठने के एहकाम* #02
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     ख़ुत्बा हो रहा हो तब सुनने वाले को एक घूंट पानी पीना हराम है और किसी की तरफ गर्दन फेर कर देखना भी हराम है।
*✍🏼फतावा रज़विय्या*

     ख़ुत्बा के वक़्त सलाम का जवाब देना भी हराम है।
*✍🏼फतावा रज़विय्या*

     जुमुआ के दिन ख़ुत्बा के वक़्त खतीब के सामने जो अज़ान होती है, उस अज़ान का जवाब या दुआ सिर्फ दिल में करें। ज़बान से अस्लन तलफ़्फ़ुज़ (उच्चार) न हो।
*✍🏼फतावा रज़विय्या*

     जुमुआ की अज़ाने सानी (ख़ुत्बे से पहले की अज़ान) में हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का नाम सुनकर अंगूठा न चूमें और सिर्फ दिल में दुरुद शरीफ पढ़े।
*✍🏼फतावा रज़विय्या*

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼मोमिन की नमाज़* 219
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Wednesday 22 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 56*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_पराई ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने के लिये ज़मीन के निशानात मिटाना_*
     हज़रते अलियुल मुर्तज़ा كَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم से मन्क़ुल हदिशे पाक में ऐसे शख्स पर लानत फ़रमाई गई है।
*✍🏼مستدرك حاكم*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : जो गैरुल्लाह के नाम के साथ ज़बह करे अल्लाह ने उस पर लानत फ़रमाई है, ज़मीन की अलामात मिटाने वाले पर अल्लाह ने लानत फ़रमाई है, जो किसी अंधे को रास्ते से भटका दे और वालिदैन को गाली दे अल्लाह ने उस पर लानत फ़रमाई है।
*✍🏼مستدرك حاكم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 180

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*सोने के वो 10 अंदाज़ जिनसे वुज़ू टूट जाता है*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

◆ उकड़ू यानि पाऊ के तलवो के बल इस तरह बैठा हो के दोनों घुटने खड़े रहे।
◆ चित यानी पीठ के बल लेटा हो।
◆ पट यानि पेट के बल लेटा हो। दाई या बाई करवट लेटा हो। एक कोहनी पर टेक लगा कर सो जाए।
◆ बैठ कर इस तरह सोया के एक करवट झुकी हो जिस की वजह से एक या दोनों सुरीन उठे हुए हो।
◆ नंगी पीठ पर सुवार हो और जानवर पस्ती (यानि नीचान) की जानिब उतर रहा हो।
◆ पेट रानो पर रख कर दो जानू इस तरह बेठे, सोये की दोनों सुरीन जमे न रहे।
◆ चार जानू यानि चोकड़ी मार कर इस तरह बेठे की सर रानो या पिंडलियों पर रखा हो।
◆ जिस तरह औरत सज्दा करती है इस तरह सज्दे के अंदाज़ पर सोया के पेट रनों और बाज़ू पहलुओ से मिले हुए हो या कलाइयां बिछी हुई हो।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 29*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*ख़ुत्बा सनने व बैठने के एहकाम* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     जो काम नमाज़ की हालत में करना हराम और मना है, ख़ुत्बा होने की हालत में भी हराम और मना है।
*(हुल्या, जामऊर्-रमुज़, आलमगीरी, फतावा रज़विय्या)*

     ख़ुत्बा सुनना फ़र्ज़ है और ख़ुत्बा इस तरह सुनना फ़र्ज़ है कि हमा-तन (समग्र एकाग्रता) उसी तरफ तवज्जोह दे और किसी काम में मश्गुल न हो। सरापा तमाम आज़ा ए बदन उसी की तरफ मुतवज्जेह होना वाजिब है। अगर किसी ख़ुत्बा सुनने वाले तक खतीब की आवाज़ न पहुचती हो, जब भी उसे चुप रहना और ख़ुत्बा की तरफ तवज्जोह रखना वाजिब है। उसे भी किसी काम में मश्गुल होना हराम है।
*(फत्हुल क़दीर, रद्दुल मोहतार, फतावा रज़विय्या)*

     ख़ुत्बा के वक़्त ख़ुत्बा सुननेवाला "दो जानू" यानी नमाज़ के क़ायदे में जिस तरह बैठते है उस तरह बैठे।
*(आलमगीरी, रद्दुल मोहतार, गुन्या, बहारे शरीअत)*

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼मोमिन की नमाज़* 218

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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Tuesday 21 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 55*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_गैरुल्लाह का नाम ले कर ज़बह करना_*
     मसलन ब वक़्ते ज़बह بسم الله الله اكبر की जगह यूँ कहे : باسم سيدى الشيخ यानी में अपने फुला शैख़ के नाम पर जबह करता हु।
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : और उसे न खाओ जिस और अल्लाह का नाम न लिया गया और वो बेशक हुक्म अदूली है।
*✍🏼الانعام ١٢١*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : जो गैरुल्लाह के नाम पर जबह करे और जो गुलाम खुद को अपने आक़ा के इलावा किसी और की तरफ मन्सूब करे उस पर अल्लाह ने लानत फ़रमाई और वालिदैन के ना फरमान और दूसरे की ज़मीन हथियाने के लिये ज़मीन की हुदूद मिटा देने वाले पर भी अल्लाह ने लानत फ़रमाई है।
*✍🏼مستدرك حاكم*
     जो गैरुल्लाह के नाम के साथ ज़बह करे उस पर अल्लाह ने लानत फ़रमाई।
*✍🏼مستدرك حاكم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 179

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*सोने से वुज़ू टूटने न टूटने का बयान* #02/02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_सोने के वो 10 अंदाज़ जिन से वुज़ू नहीं टूटता_*
★ इस तरह बैठना की दोनों सुरीन ज़मीन पर हो और दोनों पाऊ एक तरफ फैलाए हो (कुर्सी, रेल और बस की सिट पर बैठने का भी यही हुक्म है)
★ इस तरह बैठना के दोनों सुरीन ज़मीन पर हो और पिंडलियों को दोनों हाथो के हल्के में ले ले ख़्वाह हाथ ज़मीन वगैरा पर या सर घुटनो पर रख ले।
★ चार जानू यानि पालती (चोकड़ी) मार कर बैठे ख़्वाह ज़मीन या तख्त या चारपाई वग़ैरा पर हो।
★ दो जानू सीधा बैठा हो।
★ घोड़े या खच्चर वगैरा पर जिन रख कर सुवार हो।
★ नंगी पीठ पर सुवार हो मगर जानवर चढ़ाई पर चढ़ रहा हो या रास्ता हमवार हो।
★ तकये से टेक लगा कर इस तरह बैठा हो की सुरीन जमे हुए हो अगर्चे तकया हटाने से ये गिर पड़े।
★ खड़ा हो।
★ रुकूअ की हालत में हो।
★ सुन्नत के मुताबिक जिस तरह मर्द सज्दा करता है उस तरह सज्दा करके पेट रानो और बाज़ू पहलूओ से जुदा हो।

     ये सूरते नमाज़ में वाक़ेअ हो या इलावा नमाज़, वुज़ू नहीं टूटेगा और नमाज़ भी फासिद् न होगी अगर्चे कसदन सोए, अलबत्ता जो रुक्न बिलकुल सोते हुए अदा किया उस का इआदा (दोबारा अदा करना) ज़रूरी है और जागते हुए शुरुअ किया फिर नींद आ गई तो जो हिस्सा जागते अदा किया वो अदा हो गया बाकि अदा करना होगा।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 28*

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Sunday 19 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 53*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मर्द का रेशमी लिबास पहनना और सोना इस्तिमाल करना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : रेशम वही पहनेगा जिस का आख़िरत में कोई हिस्सा नहीं।
*✍🏼بخارى*
     सोना और रेशम पहनना मेरी उम्मत के मर्दों पर हराम और औरतों के लिये हलाल है।
*✍🏼ترمذى*
     जो चांदी के बर्तन में पीता है वो अपने पेट में जहन्नम की आग उंडेल रहा है।
*✍🏼بخارى*
     हज़रते हुजैफा رضي الله عنه बयान करते है रसूले पाक صلى الله عليه وسلم ने सोने चांदी के बर्तनों में खाने और पीने से और रेशम व दिबाज पहनने से नीज़ इस पर बैठने से मना फ़रमाया है।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 175

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*सोने से वुज़ु टूटने न टूटने का बयान* #01/02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_नींद से वुज़ू टूटने की दो शर्ते है_*
     दोनों सुरीन अच्छि तरह जमे हुए न हो, ऐसी हालत पर सोया जो ग़ाफ़िल हो कर सोने के रुकावट न हो।

     जब ये दोनों शर्ते जमा हो यानि सुरीन भी अच्छी तरह जमे हुए न हो नीज़ ऐसी हालत में सोया हो जो ग़ाफ़िल हो कर सोने में रुकावट न हो तो ऐसी नींद से वुज़ू टूट जाता है।

     अगर एक शर्त पाइ जाए और दूसरी न पाई जाए तो वुज़ू नहीं टूटेगा।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 27-28*

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Saturday 18 November 2017

*83 आसान नेकियां* #75
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_नमाज़े जनाज़ा पढ़ना_*
     जब जब मौक़ा मिले मुसलमान के जनाज़े में शिरकत कर के षवाब का खज़ाना समेटना चाहिये।

     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم का फरमान है : जो किसी मुसलमान के जनाज़े में ईमान के साथ अज़्रो षवाब की निय्यत से शरीक हुवा और नमाज़े जनाज़ा अदा करने और तदफ़ीन तक  जनाज़े के साथ रहा तो दो किरात षवाब ले कर लौटेगा इन में से हर किरात उहुद पहाड़ के बराबर होगा और जो नमाज़ पढ़ कर तदफ़ीन से पहले लौट आया तो वो एक किरात षवाब ले कर लौटेगा।
*✍🏼مسلم*

     एक और हदिष में है : बन्दे को अपनी मौत के बाद सब से पहले जो जज़ा दी जाती है वो ये है कि उस के जनाज़े में शरीक तमाम अफ़राद की मगफिरत कर दी जाती है।
*✍🏼مجمع الزوائد*
*✍🏼आसान नेकियां* 172

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*वुज़ु में शक आने के 5 अहकाम*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     अगर दौराने वुज़ु किसी उज़्व के धोने में शक वाक़ेअ हो और अगर ये ज़िन्दगी का पहला वाक़ेअ है तो उसको धो लीजिये। और अगर अक्सर शक पड़ा करता है तो इसकी तरफ तवज्जोह न दीजिये। इसी तरह अगर बादे वुज़ु भी शक पड़े तो इसका कुछ ख़याल मत कीजिये।
     आप बा वुज़ु थे अब शक आने लगा के पता नहीं वुज़ु है या नहीं, ऐसी सूरत में आप बा वुज़ु है, क्यू की सिर्फ शक से वुज़ु नहीं टूटता। वस्वसे की सूरत में एहतियातन वुज़ु करना एहतियात नहीं इत्तिबाए शैतान है।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी-1, स. 311*

     यक़ीनन आप उस वक़्त तक बा वुज़ु है जब तक वुज़ु टूटने का ऐसा यकीन न हो जाए के कसम खा सके।
     कोई उज़्व धोने से रह गया है मगर ये याद नहीं के कौन सा उज़्व था तो बाया (उल्टा) पाउ धो लीजिये।
*✍🏽दुर्रे मुख्तार, जी-1, स. 13*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स. 27*

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Friday 17 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 52*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_फख्र व गुरुर से तहबन्द वगैरा लटकाना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : और ज़मीन में इतराता न चल।
*✍🏼لقمان ١٨*

*_फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم_*
     तहबन्द (शलवार) का जो हिस्सा दोनों टखनों से निचे है वो आग में है।
*✍🏼بخارى*
     बरोज़े क़यामत अल्लाह 3 शख्सों की तरफ न नज़रे रहमत फ़रमाएगा न उन्हें पाक करेगा और न उन के लिये दर्दनाक अज़ाब है : (1) (तकब्बुर से) तहबन्द लटकाने वाला (2) एहसान जताने वाला (3) झूटी क़सम खा कर सौदा बेचने वाला।
*✍🏼مسلم*
     कपड़ा लटकाना, शलवार, क़मीज़ और इमामे में होता है, जो (इन में से) किसी शै को तकब्बुर के सबब घसिटेगा बरोज़े क़यामत अल्लाह उस की तरफ नज़रे रहमत नहीं फ़रमाएगा।
*✍🏼ابوداود*
     जो शख्स अपने कपड़े को तकब्बुर की वजह से घसिटेगा बरोज़े क़यामत अल्लाह उस की तरफ नज़रे रहमत नही फ़रमाएगा। ये सुन कर हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ رضي الله عنه ने अर्ज़ की : मेरा तहबन्द सरक जाता है सिवाए ये कि में इस का बहुत ख्याल रखूं। रसूले करीम صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : तुम उन में से नही हो जो ये फेल तकब्बुर की वजह से करते है।
*✍🏼بخارى*

     इस वईद में हर वो शख्स दाखिल है जो ज़मीन से मस होने वाला जुब्बा या चोगा या खुली शलवार पहने जब की वो ये फेल तकब्बुर या गुरुर के तौर पर करे।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 171

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*83 आसान नेकियां* #74
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*_वालिदैन की क़ब्रो पर जुमुआ के दिन हाज़री देना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो अपने माँ बाप दोनों या एक की क़ब्र पर हर जुमुआ के दिन ज़ियारत के लिये हाज़िर हो अल्लाह उस के गुनाह बख्श देगा और माँ बाप के साथ भलाई करने वाला लिख दिया जाएगा।
*✍🏼आसान नेकियां* 171

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Thursday 16 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 51*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_ऑलियाउल्लाह को अज़िय्यत देना और उन से अदावत रखना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : बेशक जो इज़ा देते है अल्लाह और उस के रसूल को उन पर अल्लाह की लानत है दुन्या और आख़िरत में।
*✍🏼الاحزاب ٥٧*

     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم फ़रमाते है : अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है जिस ने मेरे किसी वली से दुश्मनी की में उसे ऐलाने जंग देता हूँ।
     एक रिवायत के अलफ़ाज़ ये है : बिलाशुबा उस ने मेरे साथ जंग करने का एलान कर दिया।
*✍🏼بخارى*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : ऐ अबू बक्र ! अगर तुम ने उन्हें (फुकराए मुहाजिरिन को) नाराज़ कर दिया तो बिलाशुबा तुम ने अपने रब को नाराज़ कर दिया।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 170

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*क्या सत्र देखने से वुज़ु टूट जाता है ?*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     अवाम में मश्हूर है की घुटना या सत्र खुलने या अपना या पराया सत्र देखने से वुज़ु टूट जाता है, ये बिलकुल गलत है।
     हा वुज़ु के बाद के आदाब में से है की नाफ से लेकर दोनों घुटनो समेत सब सत्र छुपा हो बल्कि इस्तिन्जा के बाद फौरन ही छुपा लेना चाहिये,
     बगैर ज़रूरत सत्र खुला रखना मना और दुसरो के सामने सत्र खोलना हराम है।
*✍🏽बहारे शरीअत, जी-1, स. 309*

*_गुस्ल का वुज़ु काफी है_*
     गुस्ल के लिये जो वुज़ु किया था वोही काफी है, ख्वाह बरहना नहाए।
     अब गुस्ल के बाद दोबारा वुज़ु करना ज़रूरी नहीं बल्कि अगर वुज़ु न भी किया हो तो गुस्ल कर लेने से आ'जाए वुज़ु पर भी पानी बह जाता है, लेहाज़ा वुज़ु भी हो गया। कपडे तब्दील करने से भी वुज़ु नहीं जाता।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स. 26*

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गर होजाए यक़ीन के.....
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Wednesday 15 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 50*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुसलमान को आज़िय्यत देना और बुरा भला कहना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और जो ईमान वाले मर्दों और ओरतो को बे किये सताते है उन्हों ने बोहतान और खुला गुनाह अपने सर लिया।_
*✍🏼الاحزاب ٥٨*
_खराबी है उस के लिये जो लोगो के मुह पर ऐब करे पीठ पीछे बदी करे।_
*✍🏼الهمزة ١*

*_फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم_*
     बेशक अल्लाह के नज़दीक लोगो में से सब से बुरा मर्तबा उस का है जिसे लोग उस की फोहश कलामी के डर से छोड़ दे।
*✍🏼مسلم*
     हर मुसलमान की इज़्ज़त उस का खून और उस का माल दूसरे मुसलमान पर हराम है। (आप ने अपने दिल की तरफ इशारा कर के फ़रमाया) तक़्वा यहाँ है, आदमी के बुरे होने के लिये यही काफी है कि वो अपने मुसलमान भाई को हक़ीर जाने।
*✍🏼ترمذى*
     वो शख्स जन्नत में दाखिल न होगा जिस की शरारतों से उस का पड़ोसी अम्न में न हो।
*✍🏼مسلم*
     जिस ने किसी को काफ़िर या दुश्मने खुदा कहा हालांकि वो ऐसा नहीं था तो वो बात कहने वाले पर लौट आएगी।
*✍🏼مسلم*
     कबीरा गुनाहों में से एक आदमी का अपने वालिदैन को गाली देना है। सहाबा ने अर्ज़ की : या रसूलल्लाह صلى الله عليه وسلم ! क्या कोई शख्स औने वालिदैन को गाली दे सकता है ? इर्शाद फ़रमाया ये दूसरे के बाप को गाली देगा तो वो इस के बाप को गाली देगा और ये दूसरे की माँ को गाली देगा तो वो इस की माँ को गाली देगा।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 169

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Tuesday 14 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 49*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुसलमान पर नाहक़ खुरुज करना और कबीरा गुनाह के मूर्तक़िब को काफ़िर क़रार देना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और हद से न बढ़ो अल्लाह पसन्द नहीं रखता हद से बढ़ने वालों को।_
*✍🏼البقرة ١٩٠*
_और जो हुक्म न माने अल्लाह और उस के रसूल का वो बेशक सरीह गुमराह बहका।_
*✍🏼الاحزاب ٣٦*

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो अपने मुसलमान भाई को ऐ काफ़िर ! कहे तो बिलाशुबा कुफ़्र उन दोनों में से एक पर लौटेगा।
*✍🏼مسلم*
     खवारीज दिन से इस तरह निकल जाएगे जैसा कि तीर शिकार से निकल जाता है।
(खवारीज़ से मुराद वो लोग है जिन का गुमान ये है : कबीरा गुनाह का मूर्तक़िब शख्स काफ़िर है और वो हमेशा जहन्नम में रहेंगे)
     खवारीज़ बद मज़हब है, ये लोग आम मुसलमानो के खून को जाइज़ और इन की तकफीर को हलाल जानते है। हज़रते उष्माने गनी, हज़रते अलिय्युल मुर्तज़ा और अकाबिर सहाबए किराम की एक जमाअत को काफ़िर क़रार देते है।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 162

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*83 आसान नेकियां* #73
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_माँ बाप को महब्बत भरी निगाह से देखना_*
     अल्लाह हमे माँ बाप की अहमिय्यत समझने की तौफ़ीक़ बख्शे। आमीन।
     आइये ! बगैर किसी खर्च के बिलकुल मुफ़्त षवाब का खज़ाना हासिल कीजिये। खूब हमदर्दी और प्यार व मुहब्बत से माँ बाप का दीदार कीजिये, माँ बाप की तरफ ब नज़रे रहमत देखने के भी क्या कहने !
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जब अवलाद अपने माँ बाप की तरफ रहमत की नज़र करे तो अल्लाह उस के लिये हर नज़र के बदले हज्जे मबरूर (यानी मक़बूल हज) का षवाब लिखता है। सहाबा ने अर्ज़ की : अगर्चे दिन में 100 मर्तबा नज़र करे ! फ़रमाया : हा, अल्लाह सब से बड़ा है और सबसे ज़्यादा पाक है।
*✍🏼شعب الإيمان*

     यक़ीनन अल्लाह हर शै पर क़ादिर है, वो जिस क़दर चाहे दे सकता है, हरगिज़ आजिज़ व मजबूर नहीं लिहाज़ा अगर कोई अपने माँ बाप की तरफ रोज़ाना 100 बार भी रहमत की नज़र करे तो वो उसे 100 मक़बूल हज का षवाब इनायत फ़रमाएगा।
*✍🏼आसान नेकियां* 170

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*वुज़ू के मकरुहात*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

● वुज़ू के लिए नापाक जगह बेठना।
● नापाक जगह वुज़ू का पानी गिराना।
● आ'जाए वुज़ू से लौटे वग़ैरा में कतरे टपकना। (मुह धोते वक़्त भरे हुए चुल्लू में उमुमन चेहरे से पानी के कतरे गिरते है इसका ख्याल रखिये)
● किब्ले की तरफ थूक या बलगम डालना या कुल्ली करना।
● बे ज़रूरत दुन्या की बीते करना।
● ज्यादा पानी खर्च करना।
● इतना कम पानी खर्च करना की सुन्नत अदा न हो।
● मुह पर पानी मारना।
● मुह पर पानी डालते वक़्त फुकना।
● एक हाथ से मुह धोना, के रिफ़ाज़ व हुनुद का शीआर है।
● गले का मसह करना।
● उल्टे हाथ से कुल्ली करना या नाक में पानी चढ़ाना।
● सीधे हाथ से नाक साफ करना।
● तिन जदीद पानियों से तिन बार सर का मसह करना।
● धूप के गर्म पानी से वुज़ू करना।
● होठ या आँखे ज़ोर से बंद करना और अगर कुछ सुखा रह गया तो वुज़ू ही न होगा।

★ वुज़ु का हर सुन्नत का तर्क मकरूह है इसी तरह हर मकरूह का तर्क सुन्नत।
*✍🏽बहारे शरीअत, 1/300-301*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 16-17*

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Monday 13 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 48*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_बगावत व सर्कशी करना_*
(बगावत व सर्कशी का माना ज़ुल्म करना है या सुल्ताने इस्लाम पर खुरुज या तकब्बुर करना है)
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_मुवखज़ा तो उन्ही पर है जो लोगो पर ज़ुल्म करते है और ज़मीन में नाहक़ सर्कशी फैलाते है उन के लिये दर्दनाक अज़ाब है।_
*✍🏼الشورى*

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : बेशक अल्लाह ने मेरी तरफ वही फ़रमाई कि तुम लोग एक दूसरे के लिये तवाज़ोअ करो हत्ता कि कोई दूसरे पर ज़ुल्म व सर्कशी न करो और कोई दूसरे पर फख्र न जताए।
*✍🏼مسلم*
     सर्कशी और क़तए रेहमी से ज़्यादा कोई गुनाह इस लाइक नही कि अल्लाह आख़िरत में इस के लिये सज़ा को ज़मा रखने के साथ साथ दुन्या में भी इस के मूर्तक़िब को जल्द सज़ा दे।

    एक औरत को बिल्ली की वजह से अज़ाब में मुब्तला किया गया जिसे उस ने बांध कर रखा था हत्ता कि वो मर गई तो वो औरत उस बिल्ली के सबब आग में दाखिल हुई क्यूंकि उस ने बिल्ली को खाने को दिया न पिने को और न ही खुला छोड़ा कि वो ज़मीन के कीड़े मकोड़े खा लेती।
*✍🏼مسلم*
     बेशक अल्लाह उन लोगों को अज़ाब देगा जो दुन्या में लोगों को अज़ाब देते है।

     रसूले करीम صلى الله عليه وسلم का गुज़र एक ग़धे के क़रीब से हुवा जिस के चेहरे को दागा गया था। ये देख कर आप ने इर्शाद फ़रमाया : जिस ने इस के चेहरे को दागा है, अल्लाह उस पर लानात फरमाए।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 160

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*83 आसान नेकियां* #72
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_अपनी आख़िरत के बारे में गौरो फ़िक्र करना_*
     अपनी आख़िरत के बारे में गौरो फ़िक्र करना भी इबादत है। हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : (उमुरे आख़िरत में) घड़ी भर गौरो फ़िक्र करना 60 साल की इबादत से बेहतर है।
*✍🏼كنز العمال*
     हज़रते उष्माने गनी رضي الله عنه फ़रमाते है कि दुन्या की फ़िक्र दिल में अन्धेरा जब कि आख़िरत की फ़िक्र रौशनी व नूर पैदा करती है।

     हज़रते आमिर बिन क़ैस رحمه الله عليه फ़रमाते है : आख़िरत में सब से ज़्यादा खुश वो शख्स होगा जो दुन्या में (आख़िरत के बारे में) सब से ज़्यादा मुतफक्किर रहने वाला हो और आख़िरत में सब से ज़्यादा हंसना उसी को नसीब होगा जो दुन्या में (खौफे खुदा के सबब) सब से ज़्यादा रोने वाला हो और ब रोज़े क़यामत सब से ज़्यादा सुथरा ईमान उसी का होगा जो दुन्या में ज़्यादा गौरो फ़िक्र करने वाला है।

     हज़रते मकहुल शामि फ़रमाते है : इंसान जब बिस्तर पर आराम करने लगे तो अपना मुहासबा करे कि आज उस ने क्या आमाल किये ? फिर अगर उस ने अच्छे आमाल किये हो तो अल्लाह का शुक्र करे और अगर उस से गुनाह सरज़द हुवे हों तो तौबा व इस्तिग़फ़ार करे। क्यूंकि अगर ये ऐसा न करेगा तो उस ताजिर की तरह होगा जो खर्च करता जाए लेकिन हिसाब किताब न रखे तो एक वक़्त ऐसा आएगा कि वो कंगाल हो जाएगा।
*✍🏼आसान नेकियां* 170

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गर होजाए यक़ीन के.....
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Sunday 12 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 46*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_नौहा करना और चेहरा पीटना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : लोगो में दो चीजें ज़मानए कुफ़्र की अलामत है : (1) नसब में तान करना (3) मैय्यत पर नौहा करना
*✍🏼مسلم*
     वो हम में से नहीं जो गालों को पिटे, गिरेबान चाक करे और जाहिलिय्यत की बातें बके।
*✍🏼مسلم*
     बिलाशुबा मैय्यत को उस पर नौहा किये जाने के सबब उस की क़ब्र में अज़ाब दिया जाता है।
*✍🏼بخارى*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 156

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*83 आसान नेकियां* #71
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_शुक्र करना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : खाना खा कर शुक्र करने वाला उस रोज़ेदार की तरह है जिस ने खाने से सब्र किया हो।
*✍🏼ترمزى*
     यक़ीनन शुक्र आला दर्जे की इबादत, अज़ीम सआदत और इस में नेअमतों की हिफाज़त है। शुक्र का एक दर्जा ये है कि बन्दा अल्लाह की अता करदा नेअमतों में गौर करे, उस की अता पर राज़ी हो और उस की किसी नेअमत की नाशुक्री न करे जबकी शुक्र का दुसरा दर्जा ये है कि ज़बान से भी इन नेअमतों का शुक्र करे।
     जब भी हमें छोटी बड़ी नेअमत मिले अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिये मषलन नमाज़ वक़्त पर बा जमाअत अदा करने की सआदत मिली तो शुक्र अदा करें, किसी गुनाह से बचने में कामयाब हो गए तो शुक्र अदा करें, शदीद भूक प्यास में खाने को मिल गया तो शुक्र अदा करें, बिमारी से सिह्हत याबी मिली तो शुक्र अदा करें अल गर्ज़ हर वो जाइज़ बात जिस से ख़ुशी या आराम मिले उस पर शुक्र अदा करते रहने की आदत डालनी चाहिये।
     शुक्र के लिये कोई अलफ़ाज़ ख़ास नहीं الحمد لله عز وجل कह लीजिये या अपनी मादरी ज़बान में शुक्र अदा कर लीजिये दोनों तरह दुरुस्त है। अगर ज़बान से मौक़ा नहीं मिला तो दिल ही दिल में शुक्र अदा कर लेना चाहिये।
     हज़रते अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन मुन्कदिर क़रशि عليه رحما से रिवायत है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ये दुआ किया करते थे :
اٙللّٰهُمّٙ اٙعِنِّىْ عٙلٰى ذِكْرِكٙ وٙشُكْرِكٙ وٙحُسْنِ عِبٙادٙتِك
*तर्जमा* : ऐ अल्लाह अपने ज़िक्र, शुक्र और अच्छी इबादत पर मेरी मदद फरमा।
*✍🏼आसान नेकियां* 168

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*वुज़ु के बाद 3 बार सूरए क़द्र पढ़ने के फ़ज़ाइल*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हदिषे मुबारक में है, जो वुज़ु के बाद एक मर्तबा सूरतुल कद्र पढ़े तो वो सिद्दीकीन में से है, जो दो मर्तबा पढ़े तो शु-हदा में शुमार किया जाए, जो तिन मर्तबा पढ़ेगा तो अल्लाह  मैदाने महशर में उसे अपने अम्बिया के साथ रखेगा।

*_वुज़ु के बाद पढ़ने की दुआ_*
   (अव्वल आखिर दुरुद शरीफ)
तर्जुमा : तू पाक है और तेरे लीये ही तमाम खुबिया है में गवाही देता हु के तेरे सिवा कोई माअबूद नहीं, मैं तुज से बख्शीश चाहता हु और तेरी बारगाह में तौबा करता हु।

     जो वुज़ु करने के बाद ये दुआ पढ़े तो उस पर मोहर लगा कर अर्श के निचे रख दिया जाएगा और कियामत के दिन उस पढ़ने वाले को दे दिया जाएगा।
*✍🏽शोएबुल ईमान, जी. 3, स. 21*

*_वुज़ु के बाद ये दुआ भी पढ़ लीजिये_*
तर्जुमा : ऐ अल्लाह मुझे कसरत से तौबा करने वालो में बना दे और मुझे पाकीज़ा रहने वालो में शामिल कर दे।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स. 12*

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Saturday 11 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 45*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_चुगली_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और हर ऐसे की बात न सुनना जो बड़े क़समें खाने वाला ज़लील बहुत ताने देने वाला बहुत इधर की उधर लगाता फिरने वाला भलाई से बड़ा रोकने वाला हद से बढ़ने वाला गुनाहगार।_
*✍🏼القلم ١٠ تا ١٢*

*_फरमाने मुस्तफा_*
     चुगल खोर जन्नत में दाखिल न होगा।
*✍🏼مسلم*
     आप صلى الله عليه وسلم का गुज़र दो क़ब्रो के पास से हुवा, आप ने इर्शाद फ़रमाया ये दोनों अज़ाब दिये जा रहे है और किसी बड़ी चीज़ में अज़ाब नही दिये जा रहे। इन में एक चुगली किया करता था और दुसरा अपने पेशाब से नही बचता था।
*✍🏼مسلم*
     हज़रते काबुल अहबार رحمة الله عليه बयान करते है : चुगली से बचो कि बिलाशुबा चुगली करने वाला अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ नही रहता।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 153

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*जन्नत के आठो दरवाज़े खुल जाते है*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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     हदीषे पाक में है, जिसने अच्छी तरह वुज़ु किया और फिर आस्मान की तरफ निगाह उठाई और कलीमऐ शहादत पढ़ा उसके लिए जन्नत के आठो दरवाजे खोल दिए जाते है जिस से चाहे अंदर दाखिल हो।

*_नज़र कमज़ोर न होगी_*
     जो वुज़ु के बाद अस्मान् की तरफ देख कर सूरए इन्ना-अन्ज़लना पढ़ लीया करे उसकी नज़र कभी कमज़ोर न होगी।
*✍🏽मसाइलुल कुरआन, स. 291*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स. 11*

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Friday 10 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 44*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_कपड़े या दिवार वगैरा में तस्वीर बनाना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم :
     जिस ने कोई तस्वीर बनाई उसे ये तकलीफ दी जाएगी कि वो उस में रूह फूंके और वो रूह न फूंक सकेगा।
*✍🏼مسلم*
     बरोज़े क़यामत लोगों में सब से सख्त अज़ाब तस्वीर बनाने वालो को होगा, इन से कहा जाएगा : जो तुम ने बनाया है उसे ज़िन्दा करो।
*✍🏼مسلم*
     जो लोग जानदार की तस्वीरें बनाते है क़यामत के दिन उन्हें सख्त अज़ाब दिया जाएगा, उन से कहा जाएगा, जो तुम ने बनाया है उसे ज़िन्दा करो।
*✍🏼مسلم*
     हर तस्वीर बनाने वाला आग में है, उस के लिये अपनी बनाई हुई तस्वीर के बदले में एक जान बनाई जाएगी जो जहन्नम में उसे अज़ाब देगी।
*✍🏼مسلم*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन है जो मेरी तख़्लीक़ करदा मख्लूक़ की तरह मख्लूक़ बनाना चाहता है ? पस वो एक दाना, एक जव और एक ज़र्रा तो बना कर दिखा दे ।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 154

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*वुज़ू का तरीका* #04/04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     अब पहले सीधा फिर उल्टा पाउ हर बार उंगलियो से शुरू करके तखनो के ऊपर तक, बल्कि मुस्तहब है की आधी पिंडली तक 3 3 बार धो लीजिये।

     दोनों पाउ की उंगलियो का ख़िलाल करना सुन्नत है। इसका मुस्तहब तरीका ये है की उलटे हाथ की छोटी ऊँगली से सीधे पाउ की छोटी ऊँगली का ख़िलाल शुरू कर के अंगूठे पर खत्म कीजिये, और उलटे ही हाथ की ऊँगली से उलटे पाउ के अंगूठे से शुरू करके छोटी ऊँगली पर खत्म कर लीजिये।

     हज़रते इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद ग़ज़ालि अलैरहमा फरमाते है : हर उज़्व धोते वक़्त ये उम्मीद करता रहे की मेरे हर उज़्व के गुनाह निकल रहे है !
*✍🏽अहयाउल उलूम 1/183*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 10*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Thursday 9 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 43*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_रिश्तेदारों से तअल्लुक़ तोडना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और अल्लाह से डरो जिस के नाम पर मांगते हो और रिश्तों का लिहाज़ रखो।_
*✍🏼النساء ١*
_तो क्या तुम्हारे ये लच्छन (अंदाज़) नज़र आते है कि अगर तुम्हें हुकूमत मिले तो ज़मीन में फसाद फैलाओ और अपने रिश्ते काट दो ये है वो लोग जिन पर अल्लाह ने लानत की और उन्हें हक़ से बहार कर दिया और उन की आँखे फोड़ दी।_

*_क़तए रेहमी के मुतअल्लिक़ फरमाने मुस्तफा_*
     रिश्तेदारो से तअल्लुक़ तोड़ने वाला जन्नत में दाखिल नही होगा।
*✍🏼مسلم*
     जो अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखता है उसे चाहिये कि सीलए रेहमी करे।
*✍🏼بخارى*

*_फराखिये रिज़्क़ और उम्र में इज़ाफ़े का नुस्खा_*
     जो ये चाहे कि उस के रिज़्क़ में कुशादगी और उम्र में इज़ाफ़ा किया जाए तो उसे सीलए रेहमी करनी चाहिये।
*✍🏼مسلم*
     रेहम अर्श के साथ मुअल्लक़ है और वो कहता है : जो मुझे मिलाएगा अल्लाह उसे मिलाएगा और जो मुझे काटेगा अल्लाह उसे काटेगा देगा।
*✍🏼مسلم*
     अल्लाह फ़रमाता है : में रहमान हु और ये रेहम है तो जो इसे मिलाएगा में उसे मिलाऊंगा और जो इसे काटेगा में उसे काट दूंगा।
*✍🏼ابوداود*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 148

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*वुज़ू का तरीका* #03/04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फिर पहले सीधा हाथ उंगलियो के सिरे से धोना शुरू करके कहोनियो समेत 3 बार धोइये। इसी तरह उल्टा हाथ भी धो लीजिये। दोनों हाथ आधे बाज़ू तक धोना मुस्तहब है।
     अब चुल्लू भर कर कोहली तक पानी बहाने की हाजत नहीं, बल्कि बगैर इजाज़ते सहीहा ऐसा करना ये पानी का इसराफ है।

     अब नल बंद करके सर का मसह इस तरह कीजिये की, दोनों अंगूठो और कलिमे की उंगलियो को छोड़ कर दोनों हाथ की 3-3 उंगलियो के सिरे एक दूसरे से मिला लीजिये, और पेशानी के बाल या खाल पर रख कर खीचते हुए गुद्दी तक इस तरह ले जाइये की हथेलिया सर से जुदा रहे, फिर गुद्दी से हथेलिया खीचते हुए पेशानी तक ले आइये, कलिमे की उंगलिया और अंगूठे इस दौरान सर पर बिलकुल मस् नहीं होने चाहिए,
     फिर कलिमे की उंगलियो से कानो की अंदरूनी सतह का मसह कीजिये और छुगलिया कानो के सूराखो में दाखिल कीजिये
     और उंगलियो की पुश्त से गर्दन के पिछले हिस्से का मसह कीजिये।

     बाज़ लोग गले का और धुले हुए हाथो का मसह करते है ये सुन्नत नहीं है।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 10*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*83 आसान नेकियां* #70
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_सुल्ह करवाना_*
     मुसलमान मुसलमान का भाई होता है और इन्हें आपस में महब्बत व इत्तिफ़ाक़ से रहना चाहिये मगर शैतान को ये क्यूंकर गवारा हो सकता है, वो मर्दुद मुसमानों में फुट डलवाता, लड़वाता और क़त्लो गारत गिरी करवाता है, बाज़ अवक़ात दुश्मनी का सिलसिला नस्ल दर नस्ल चलता है, जिस से हो सके इन के बिच में पड़ कर सुल्ह करवाने की कोशिश करे और अज़ीमुश्शान षवाब कमाए, हमारा प्यारा रब पार 20 सूरए हुजुरात की आयत 10 में इर्शाद फ़रमाता है :
_मुसलमान मुसलमान का भाई है तो अपने दो भाइयों में सुल्ह करो और अल्लाह से डरो कि तुम पर रहमत हो।_

*_सुल्ह करवाने का षवाब_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो शख्स लोगों के दरमियान सुल्ह कराएगा अल्लाह उस का मुआमला दुरुस्त फरमा देगा और उसे हर कलिमा बोलने पर एक गुलाम आज़ाद करने का षवाब अता फ़रमाएगा और वो जब लौटेगा तो अपने पिछले गुनाहों से मगफिरत याफ्ता हो कर लौटेगा।
*✍🏼الترغيب والترهيب*
*✍🏼आसान नेकियां* 166

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Wednesday 8 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 42*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_शौहर की ना फ़रमानी करना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और जिन औरतों की ना फ़रमानी का तुम्हें अन्देशा हो तो उन्हें समझाओ और उन से अलग सोओ और उन्हें मारो।_
*✍🏼النساء ٣٤*

*_शौहर की ना फ़रमानी के मुतअल्लिक़ फरमाने मुस्तफा_*
     जब कोई मर्द अपनी बीवी को अपने बिस्तर पर बुलाए मगर वो न आए और उस का शौहर उस से नाराज़ी की हालत में रात गुज़ारे तो सुबह तक फ़रिश्ते उस औरत पर लानत करते रहते है।
*✍🏼مسلم*

*_नफ्लि रोज़े के लिये शौहर की इजाज़त_*
     जिस औरत का शौहर मौजूद हो उस के लिये शौहर की इजाज़त के बगैर नफ्लि रोज़ा रखना हलाल नहीं और न उस की इजाज़त के बगैर उस के घर में किसी को आने की इजाज़त देना जाइज़ है।
*✍🏼بخارى*
     अगर में अल्लाह के सिवा किसी और के लिये सजदा करने का हुक्म देता तो औरत को हुक्म देता कि वो अपने शौहर को सजदा करे।
*✍🏼سنن كبرى للنساىٔى*
     अल्लाह उस औरत की तरफ नज़रे रहमत नहीं फरमाता जो अपने शौहर का शुक्र अदा नहीं करती हालांकि वो उस से मुस्तग़नी नहीं हो सकती।
*✍🏼سنن كبرى للنساىٔى*
     जो औरत (बिला इजाज़त) अपने शौहर के घर से निकले उस पर फ़रिश्ते लानत करते है हत्ता कि घर लौट आए या तौबा कर ले।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 147

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*वुज़ू का तरीका* #02/04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     अब सीधे हाथ के 3 चुल्लू पानी से इस तरह 3 कुल्लिया कीजिये की हर बार मुह के हर पुर्ज़े पर (हल्क के कनारे तक) पानी बह जाए, अगर रोज़ा न हो तो गर-गरा भी कर लीजिये।

     फिर सीधे ही हाथ के 3 चुल्लू से 3 बार नाक में नर्म गोश्त तक पानी चढ़ाइये और अगर रोज़ा न हो तो नाक की जड़ तक पानी पहोचाइये,

     अब उल्टे हाथ से नाक साफ़ कर लीजिये और छोटी ऊँगली नाक के सुरखो में डालिये।

     अब 3 बार सारा चेहरा इस तरह धोइये के जहा से आदतन सर के बाल उगना शुरुअ होते है वहा से ले कर ठोड़ी के निचे तक और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक हर जगह पानी बह जाए।

     अगर दाढ़ी है तो इस तरह ख़िलाल कीजिये के उंगलियो को गले की तरफ से दाखिल करके सामने की तरफ निकालिये।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 8*

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*83 आसान नेकियां* #69
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_अफवो दर गुज़र करना_*
     अगर एक शख्स से दूसरे को कोई तकलीफ पहुंच जाए तो उसे शरीअत की हुदूद में रह कर बदला लेने का हक़ हासिल है या फिर क़यामत में उसे उस का हक़ दिलवाया जाएगा लेकिन नफ़्स पर गिरा होने के बा वुजूद अगर मुआफ़ कर दिया जाए तो ढेरों षवाब हासिल हो सकता है।
     इस हवाले से यूँ भी ज़ेहन बनाया जा सकता है कि में ने भी इस को वैसी ही तकलीफ पहुंचा दी जैसी इस ने मुझे पहुंचाई या इसे आख़िरत में अज़ाब हुवा तो मेरा इस में क्या फाइदा ? लेकिन अगर में इसे मुआफ़ कर दूँ तो मेरे गुनाह मुआफ़ होंगे और दरजात की बुलन्दी भी नसीब होगी जैसा कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जिस शख्स के जिस्म को कोई तकलीफ पहुंची और वो इसे (यानी तकलीफ पहुंचाने वाले मुसलमान को) मुआफ़ कर दे तो अल्लाह उस के दरजात बुलन्द कर देता है और उस के गुनाह मिटा देता है।
*✍🏼سنن الترمذي*
     अगर हमे कोई तकलीफ पहुंचाए तो बदला लेने के बजाए मुआफ़ कर देने पर हमे भी इस फ़ज़ीलत से हिस्सा नसीब हो जाएगा, चुनान्चे हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : क़यामत के रोज़ एलान किया जाएगा : जिस का अज्र अल्लाह के जिम्मए करम पर है, वो उठे और जन्नत में दाखिल हो जाए। पूछा जाएगा किस के लिये अज्र है ? वो मुनादी कहेगा : उन लोगों के लिये जो मुआफ़ करने वाले है। तो हज़ारो आदमी खड़े होंगे और बिला हिसाब जन्नत में दाखिल हो जाएंगे।
*✍🏼المعجم الاوسط*
*✍🏼आसान नेकियां* 165

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Tuesday 7 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 41*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_काहिन और नजूमी को सच्चा जानना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और उस बात के पीछे न पड़ जिस का तुझे इल्म नहीं।_
*✍🏼بنى إسرائيل ٣٦*
_ग़ैब का जानने वाला तो अपने ग़ैब पर किसी को मुसल्लत नहीं करता सिवाए अपने पसन्दीदा रसूलों के।_

*_इल्मे नुजुम और नुजुमी के मुतअल्लिक़ फरमाने मुस्तफा_*
     जो शख्स नुजुमी या काहिन के पास गया और उस की बातो को सच जाना बिलाशुबा उस ने उस शै का इनकार किया जो मुहम्मद صلى الله عليه وسلم पर नाज़िल की गई है।
*✍🏼ابوداود*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 143

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*वुज़ू का तरीका* #01/04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ काबतुल्लाह शरीफ की तरफ मुह करके उची जगह बैठना मुस्तहब है।
★ वुज़ू के लिये निय्यत करना सुन्नत है, निय्यत न हो तब भी वुज़ू हो जाएगा मगर षवाब न मिलेगा।
★ निय्यत दिल के इरादे को कहते है। दिल में निय्यत होते हुए ज़बान से भी कहलेना अफ़्ज़ल है लिहाज़ा ज़बान से इस तरह निय्यत कीजिये की
● में हुक्मे इलाही बजा लाने और पाकी हासिल करने के लिये वुज़ू कर रहा/रही हु।

★ बिस्मिल्लाह कह लीजिये की ये भी सुन्नत है।
√ बल्कि बिस्मिल्लाहि-वलहम्दु-लिल्लाह" कह लीजिये की जब तक बा वुज़ू रहेंगे फ़रिश्ते नेकियां लिखते रहेंगे।

★ अब दोनों हाथ 3-3 बार पहोचो तक धोइये,
★ दोनों हाथो की उंगलियो का ख़िलाल भी कीजये।
★ कम अज़ कम 3 बार मिस्वाक कीजिये और हर बार मिस्वाक को धो लीजिये।

     हज़रत मुहम्मद ग़ज़ालि अलैरहमा फरमाते है : मिस्वाक करते वक़्त नमाज़ में क़ुरआने मजीद की किराअत और ज़िकृल्लाह के लिये मुह पाक करने की निय्यत करनी चाहिये।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 8*

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Monday 6 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 40*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_अमीर के साथ अहद शिकनी वगैरा करना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और अहद पूरा करो बेशक अहद से सुवाल होना है।_
*✍🏼بنى إسرائيل ٣٤*
_ऐ ईमान वालो अपने क़ौल (अहद) पुरे करो।_
*✍🏼الماىٔدة ١*
_और अल्लाह का अहद पूरा करो जब क़ौल बंधो।_
*✍🏼النحل ٩١*

*_अहद व बद अहदी के मुतअल्लिक़ फरमाने मुस्तफा_*
     हर बद अहद के लिये बरोज़े क़यामत उस की सुरीन के पास एक झन्डा होगा, कहा जाएगा कि ये फूलां की बद अहदी है। सुनो ! अवाम का अमीर से बद अहदी करने से बढ़ कर कोई बद अहदी नहीं।
*✍🏼مسلم*
     जिस ने अपना हाथ फरमा बरदारी से निकाल लिया वो क़यामत के रोज़ अल्लाह से इस हाल में मिलेगा कि उस के पास कोई दलील न होगी और जो शख्स इस हालत में मरा कि उस की गर्दन में बैअत नहीं थी, वो जाहिलिय्यत की मौत मरा।
*✍🏼مسلم*
     जिसने मेरी इताअत की बिलाशुबा उस ने अल्लाह की इताअत की और जिस ने मेरी ना फ़रमानी की बिलाशुबा उस ने अल्लाह की ना फ़रमानी की और जिस ने अमीर की ना फ़रमानी की बिलाशुबा उस ने मेरी ना फ़रमानी की।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 141

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*दुगना षवाब*
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     यकीनन सर्दी, थकान या नज़ला, ज़ुकाम, दर्दे सर और बिमारी में वुज़ु करना दुष्वार होता है।
     मगर फिर भी कोई ऐसे वक़्त वुज़ु करे जब के वुज़ु करना दुष्वार हो तो उसको बी हुक्मे हदिष दुगना षवाब मिलेगा।

*_सर्दी में वुज़ु करने की हिकायत_*
     हज़रते उष्माने गनी رضي الله تعالي عنه ने अपने गुलाम हुमरान् से वुज़ु के लिए पानी मांगा और सरदी की रात में बहार जाना चाहते थे।
     हुमरान् कहते है : में पानी लाया, उन्होंने मुह हाथ धोये तो मेने कहा अल्लाह पाक आप को किफायत करे रात तो बहुत ठंडी है।
     इस पर आप ने फ़रमाया मेने रसूलुल्लाह ﷺ से सुना है की "जो बंदा वुजुए कामिल करता है अल्लाह उसके अगले पिछले गुनाह बख्श देता है"
*✍🏽बहारे शरीअत, जी. 1, स. 285*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स. 7*

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*83 आसान नेकियां* #68
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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_*सब्र करना*_
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जब अल्लाह मख्लूक़ को जमा फ़रमाएगा तो एक मुनादी निदा करेगा : अहले फ़ज़्ल कहाँ है ? तो कुछ लोग खड़े होंगे जो तादाद में निहायत क़लील होंगे। जब ये जल्दी से जन्नत की तरफ बढ़ेंगे तो फ़रिश्ते इन से मिलेंगे और कहेंगे : हम देख रहे है कि तुम तेज़ी से जन्नत की तरफ जा रहे हो तुम कौन ? तो वो जवाब देंगे कि हम अहले फ़ज़्ल है। फ़रिश्ते पूछेंगे : तुम्हारा फ़ज़्ल क्या है ? वो जवाब देंगे : जब हम पर ज़ुल्म किया जाता था तो हम सब्र करते थे और जब हम से बुराई का बरताव किया जाता था तो उसे बर्दाश्त करते थे। फिर उन से कहा जाएगा कि जन्नत में दाखिल हो जाओ और अच्छे अमल वालों का षवाब कितना अच्छा है।
*✍🏼الترغيب والترهيب*
*_सब्र किसे कहते है ?_*
     सब्र का मतलब ये है कि परेशानी के मौके पर ज़बान तो ज़बान ! मुंह बना कर या दीगर आज़ा के इशारे से भी बे चैनी और बेक़रारी का इज़हार न किया जाए।
     चुनान्चे हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान عليه رحما फ़रमाते है : सब्र के माना है "रोकना"। जब की शरीअत में कामयाबी की उम्मीद से मुसीबत पर बेक़रार न होने को सब्र कहते है। सब्र की तीन किस्मे है (1) मुसीबत में सब्र करना (2) इबादत और इताअत की मशक़्क़तों पर सब्र करना और इन पर क़ाइम रहना (3) नफ़्स को गुनाह की तरफ माइल होने से रोकना।
     इस को यूँ समझो कि मुसीबत में दिल चाहता है कि बेक़रारी और बेचैनी का इज़हार करे अब दिल को क़ाबू में रखना और राज़ी ब रिज़ा रहना पहली किस्म का सब्र है। सर्दी के मौसम में ठन्डे पानी से वुज़ू करने की हिम्मत नहीं पड़ती, इसी तरह ज़कात निकालने को जी नहीं चाहता अब दिल पर जब्र कर के इन कामों को कर गुज़रना दूसरी किस्म का सब्र है। गाने बजाने की तरफ दिल माइल है, हम देखते है कि सूदखोर बड़े मज़े से पैसे कमा रहे है हमारा दिल भी चाहता है कि ये हरकत करें अब दिल को रोकना और उधर न जाने देना तीसरी किस्म का सब्र है।
*✍🏼तफ़सीरे नईमी, 1/337*
*✍🏼आसान नेकियां* 160

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Sunday 5 November 2017

*गुस्सा ईमान को खराब करता है*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : गुस्सा ईमान को इस तरह खराब करता है जिस तरह एलवा (यानी एक कड़वे दरख्त का जमा हुवा रस) शहद को खराब कर देता है।
*✍🏼شعب الإيمان البيهقي*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*हर वक़्त बा वुज़ु रहने के 7 फ़ज़ाइल*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     अहमद राजा खान फरमाते है : बाज़ आरिफिन ने फ़रमाया : जो हमेशा बा वुज़ु रहे अल्लाह उसे को 7 फ़ज़ीलत से मुशर्रफ फरमाएगा

① मलाइका उसकी सोहबत में रगबत करे

② कलम उस की नेकिया लिखता रहे

③ उस के आज़ा तस्बीह करे

④ उस से तकबिरे उला फौत न हो

⑤ जब सोये अल्लाह कुछ फ़रिश्ते भेज के जिन्नों ईन्स के शर से उसकी हिफाज़त करे

⑥ सकराते मौत उस पर आसान हो

⑦ जब तक वुज़ु हो अमाने इलाही में रहे
*✍🏽फतावा रज़विय्या मुखर्रज, जी. 1, स. 702*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स. 6-7*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*83 आसान नेकियां* #67
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुसीबत छुपाना_*
     मुसीबत बसा अवक़ात मोमिन के हक़ में रहमत हुवा करती है और सब्र कर के अज़ीम अज्र कमाने और बे हिसाब जन्नत में जाने का मौक़ा फ़राहम करती है।

     हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله عنه फ़रमाते है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जिस के माल या जान में मुसीबत आई फिर उस ने पोशीदा रखा और लोगों को इस की शिकायत न की तो अल्लाह पर हक़ है कि उस की मगफिरत फरमा दे।
*✍🏼مجمع الزوائد*

     मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! ज़ख्म, बिमारी, घबराहट, नींद उचट जाना, तंग दस्ती और हर तरह की जानी या माली नुकसानों और परेशानियों पर सब्र करते हुवे बिला वजह दूसरों पर ज़ाहिर करने से बच कर मगफिरत की बिशारत के हक़दार बनिये।
*✍🏼आसान नेकियां* 159

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Saturday 4 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 38*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_लोगों की खुफ्या बातें सुनना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और ऐब न ढूंढो।_
*✍🏼الحجرات​ ١٢*

*_कानो में पिघला हुवा सीसा_*
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : जिस ने लोगों के ना पसंद करने और न चाहने के बा वुजूद उन की बातों की तरफ कान लगाए तो बरोज़े क़यामत उस के कानों में सीसा उंडेला जाएगा और जो तस्वीर बनाए उसे अज़ाब दिया जाएगा और उसे इस बात की तकलीफ दी जाएगी कि वो उस में रूह फूंके और वो रूह न फूंक सकेगा।
*✍🏼بخارى*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 135

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*बा वुज़ु सोने की फ़ज़ीलत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हदिषे पाक में है : बा वुज़ु सोने वाला रोज़ा रख कर इबादत करने वाले की तरह है।

*_बा वुज़ु मरने वाला शहीद है_*
     मदीने के ताजदार ﷺ ने हज़रत अनस رضي الله تعالي عنه से फ़रमाया : बेटा ! अगर तुम हमेशा बा वुज़ु रहने की इस्तिताअत रखते हो तो ऐसा ही करो, क्यू की मलकुल मौत जिस बन्दे की रूह हालते वुज़ु में कब्ज़ करता है उसे के लिए शहादत लिख दी जाती है।
*✍🏽शोएबुल ईमान, 3/29, हदिष 2783*

*_मुसीबतो से हिफाज़त का नुस्खा_*
     अल्लाह ने हज़रते मूसा कलीमुल्लाह से फ़रमाया : ऐ मूसा ! अगर बे वुज़ु होने की सूरत में कोई मुसीबत पहोंचे तो खुद अपने आप को मलामत करना।
*✍🏽शोएबुल ईमान, 3/29*

     हमेशा बा वुज़ु रहना इस्लाम की सुन्नत है।
*✍🏽फताव रज़विय्या मुखर्रज, 1/702*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 6*

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*83 आसान नेकियां* #66
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_आबे ज़म ज़म पीना_*
     आबे ज़म ज़म की क्या बात है ! इस को ब निय्यते इबादत देखने से एक साल की इबादत का षवाब मिलता है और इस को पी कर जो भी दुआ मांगी जाए वो क़बूल होती है।
*✍🏼المسلك المتقسط المعروف مناسك الملا علي قارى، ص ٤٩٥*

*_क़यामत की प्यास से तहफ़्फ़ुज़ के लिये पि रहा हूँ_*
     हज़रते अब्दुल्लाह बिन मुबारक رضي الله عنه ज़म ज़म शरीफ के कुंवे पर आए और एक डोल पानी पीने के बाद किब्ला रुख हो कर दुआ मांगी : ऐ अल्लाह मुझे अब्दुल्लाह बिन मुअम्मिल ने अबू ज़ुबैर से और उन्हों ने ज़ाबिर رضي الله عنه से रिवायत की है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : आबे ज़म ज़म उसी के लिये है जिस के लिये इसे पिया जाए। लिहाज़ा में क़यामत की प्यास से तहफ़्फ़ुज़ के लिये इसे पी रहा हूँ।

*_नफा बख्श इल्म, वसीअ रिज़्क़ और तंदुरस्ती मांगते_*
     हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله عنه जब आबे ज़म ज़म पीते तो ये दुआ मांगते :
ऐ अल्लाह में तुझ से नफा देने वाला इल्म, वसीअ रिज़्क़ और हर बिमारी से शिफ़ा का सुवाल करता हूँ।
*✍🏼المستدرك*
*✍🏼आसान नेकियां* 157

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