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Tuesday 5 September 2017

*गुनाह कबीरा 6* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_वालिदैन की ना फ़रमानी की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा_* #02

*_बाप जन्नत का दरमियानी दरवाज़ा है_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم :
     बाप जन्नत के दरवाज़ों में से दरमियानी दरवाज़ा है अगर तू चाहे तो उस की हिफाज़त कर और अगर चाहे तो उसे ज़ाएअ कर।
*✍🏼ترمذى*
   
     जन्नत माओं के कदमों तले है
*✍🏼مسند الشهاب*

     बारगाहे रिसालत में एक शख्स हाज़िर हुवा जो आप صلى الله عليه وسلم के साथ जिहाद करने के लिये आप से इजाज़त तलब कर रहा था। आप صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : क्या तेरे वालिदैन ज़िन्दा है ? उस ने कहा जी हाँ ! इर्शाद फ़रमाया : उन दिनों की खिदमत की कोशिश कर।
*✍🏼بخارى*

     तेरे हुस्ने सुलूक की ज़्यादा मुस्तहिक़ तेरी माँ, तेरा बाप, तेरी बहन और तेरा भाई है फिर जो रिश्तें में जितना क़रीब हो उस का मर्तबा है।
*✍🏼نساىٔى*

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 43*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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