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हयाते गौसुल आलम महबूबे यजदानी सैयद सुल्तान मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि रहमतुल्लाहि अलैरहमा




🔵हयाते गौसुल आलम महबूबे यजदानी सैयद सुल्तान मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि रहमतुल्लाहि अलैय🔵

Part➖1⃣

📚7 सदी हिजरी में ईरान के सुबा खुरासान में हुसैनी सादात की हुकूमत थी जिसका दारुल हुकूमत शहरे सिमनान था ____सुल्तान सैयद इब्राहिम (वफ़ात -सं 723 हिजरी) उस हुकूमत के बादशाह थे जो ज़ाहिरी शानो शौकत के साथ बातिनी खूबियों के भी मालिक थे आप बड़े ही मुत्तक़ी और परहेज़ गार थे ,,,

              🌹पैदाइश 🌹

📚हज़रत मखदूम अशरफ सिमनानि की पैदाइश भी अपनी जगह एक करामत हे ___ सीमनान शहर में एक मजज़ूब अल्लाह के वली शेख इब्राहिम अलैहिर्रहमा रहा करते थे ,,,एक दिन सुल्तान सैयद इब्राहिम और उनकी अहलिया ( बीवी) शाही महल में तशरीफ़ फ़रमा थे के अचानक शेख इब्राहिम मजज़ूब उस जगह पर ज़ाहिर हुवे तो सुल्तान ने मजज़ूब की हद दरजा ताज़ीम की के उनको एहतेराम के साथ अपनी जगह पर बिठाया और खुद उनके सामने अदब के साथ खड़े हो गए ,,,,
मजज़ूब ने पूछा ___ इब्राहिम क्या तू अल्लाह तआला से बीटा मांगता हे ❓
ये सुन कर सुल्तान और मलिका बहोत खुश हुवे क्यों के बेटा न होने की वजह से दोनों बहोत परेशान थे ,, और अक्सर अल्लाह की बारगाह में रो रो कर दुवाएं किया करते थे अब मजज़ूब की ज़बान से अचानक ये सुना तो दोनों के चेहरों पर ख़ुशी की लहरें दौड़ गई ____ सुल्तान ने अदब के साथ अर्ज़ किया की ___आप बुज़ुर्ग हैं दुवा फरमाएं __ मजज़ूब बुज़ुर्ग ने औलाद की दुवा फ़रमाई और चले गए ____

📚कुछ दिनों के बाद सुल्तान इब्राहीम ने हुज़ूर नबीये करीम ﷺ
 को ख्वाब में देखा    तो हुज़ूर ﷺ
 ने इरशाद फ़रमाया ___ ऐ इब्राहिम तुझको अल्लाह तआला दो (2) बेटे अता फरमाएगा ___बड़े का नाम "अशरफ"  और छोटे का नाम "अअरफ" रखना __
अशरफ  अल्लाह का वली होगा और अल्लाह की  बारगाह में मुक़र्रब होगा _ उसकी परवरिश और तरबियत खास तरीके से करना __

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Part➖2⃣

🌹पैदाइश के तिन(3) महीने पेहले🌹

📚हज़रत मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि की पैदाइश के 3 महीने पेहले सीमनान वालों ने एक मजज़ूब को देखा जो शहेर के गली कूचों में ये सदा बलंद आवाज़ में लगा रहा था ,,

📢बा-अदब बा-मुलाहिज़ा होशियार ज़माने के जहांगीर और अशरफ तशरीफ़ ला रहे हैं,,📢

🌹उस मजज़ूब को सबसे पहले एक सिपाही ने देखा और शहर के लोगों ने देखा तो सब हैरान हो गए के ये सदा लगाने वाला कोन हे ❓  आखिर पता चला के ये वही मजज़ूब बुज़ुर्ग हैं जिन्हों ने औलाद की बशारत दीथी पुरे शहेर में ये खबर फेल गई के मखदूम अशरफ पैदा होने वाले हैं,,,
तो हुज़ूर अकरम ﷺ
की दुवा और बुज़ुर्ग की बशारत पूरी हुई और  सं 708 हिजरी को हुज़ूर सैयद अशरफ जहांगीर सिमनानि की पैदाइश हुई

          🌹तालीम व तरबियत🌹

📚सुल्तान सैयद इब्राहिम ने अपने फ़रज़न्द की तालीम क़ुरान के हिफ़्ज़ से शुरू करवाई और तरबियत पर खास तवज्जो दी ,,,,,
7 साल की उम्र में हज़रत मखदूम पाक ने खुदाके फ़ज़ल से क़ुरान करीम को 7 किरात के साथ याद करलिया और 14 साल की उम्र में सारे उलूम हासिल करलिये और मखदूम पाक अपनी कम उम्र में हज़रत शेख रुक्नुद्दीन अलाउद्दौला सिमनानि की खिदमत में हाज़िर हुवे और तालीम हासिल की
जब आपकी उम्र 15 साल की हुई  तो आपके वालिद सुल्तान सैयद इब्राहिम का विसाल हो गया इस तरह काम उम्र में सिमनान की सल्तनत की ज़िम्मे दरी आपके कन्धों पर आगई लेकिन आपने अपनी सलाहियत और हुशियारी से इस निज़ाम चलाया के लोग हैरान हो गए ____ हज़रात मखदूम पाक ने अपने सं 722 हिजरी से सं 733 हिजरी तक निहायत अदलो इंसाफ से हुकूमत की इसी दौरान हज़रत खिजर अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात हुई  उन्हों ने आपको इसमे ज़ात का विर्द कराया और हज़रात उवैस करनी रदी अल्लाहु अन्हु की ख्वाब में ज़ियारत की ,,,,,,

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      ﷽

🔵हयाते गौसुल आलम महबूबे यजदानी सैयद सुल्तान मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि रहमतुल्लाहि अलैय🔵

Part➖3⃣

          🌹बादशाहत को छोड़ना🌹

📚आखिर वो वक़्त आगया जब आपको दुनिया की हुकूमत छोड़ कर रूहानियत की बादशाहत पर कायम होना था सं 733 हिजरी 27 रमज़ानुल मुबारक की रात थी के हज़रत खिजर अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाए और फ़रमाया ""👉🏿"तख्त व ताज के परदे दूर करके वसले इलाही की मिठास के लिए तैयार हो जाओ हज़रत अलाउद्दीन गंजे नबात तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं "👈🏿"""सुबह होते ही आपने अपने छोटे भाई सैयद अअरफ की बादशाहत का ऐलान किया और खुद हमेशा के लिए तख़्त व ताज से दूर हो गए ,,, उस वक़्त आपकी उम्र शरीफ 25 साल थी आप 10 साल हुकूमत फ़रमा चुके थे ,,,, आपने अपनी वालिदा (माँ) मोहतरमा से इजाज़त ली तो उन्हों ने फ़रमाया --- बेटा इस तरह न जाओ लोग क्या कहेंगे ❓ के सिमनान के शहेंशाह तनहा जा रहे हैं लेहाज़ा शहेर से निकलते वक़्त वज़ीरों और कुछ हिफाज़त करने वालों को साथ रखो ताके लोग समझें के बादशाह किसी काम से जा रहे हैं ,,,, वालिदा के हुक्म पर आपने वज़ीरों और कुछ सिपाहियों को साथ लिया और सिमनान शहेर से निकले कुछ दूर जाने के बाद आपने वज़ीरों और सिपाहियों को वापस करदिया  और खुद अकेले अपनी मंज़िल की तरफ रवाना हुवे ,,,

  🌹मुल्तान में हज़रत मखदूम जहानियां जहाँ गश्त रहमतुल्लाहि अलैय से मुलाक़ात 🌹


📚सबसे पेहले आप मुल्तान के क़स्बा औच शरीफ में पहोंचे जहाँ हज़रत मखदूम जहाँनियां जहाँ गश्त रहमतुल्लाहि अलैय से मुलाक़ात का शरफ हासिल हुवा -------जब हज़रत सैयद मखदूम अशरफ सिमनानि औच शरीफ पहोंचे तो उस वक़्त हज़रत मखदूम जहानिया अपने मुरीदों को तालीम दे रहे थे अचानक उन्हों ने फ़रमाया """"" 👉🏿मुझे अपने दोस्त की खुशबू आ रही हे👈🏿 """" ये कह करके जल्दी से अपनी खानकाह के दरवाज़े पर आए उसी वक़्त हज़रत मखदूम अशरफ वहाँ पहोंचे  तो हज़रत मखदूम जहानियां जहाँ गश्त ने आगे बढ़ कार आपकी पेशानी को चूमाँ और सीने से लगा लिया और फ़रमाया """"👉🏿सरदारी के बाग़ में एक मुद्दत बाद बहार आई हे 👈🏿""" फिर फ़रमाया मेरे अज़ीज़ जल्दी राहे सुलूक में कदम रखो मेरे भाई अलाउद्दीन तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं ---- फिर कुछ वक़्त अपनी खानकाह में ठहरा कर चिल्ला करवाया और तमाम रूहानी नेमतें अता फरमाई  और खिलाफत अता करने के बाद इरशाद फ़रमाया """अब तक जिन अकाबीरीन से मेने फायदा हासिल किया हे वो सब तुम्हे अता कर दिया ---
   इन तमाम नेमतों से सरफ़राज़ हो कर आप पैदल रवाना हो गए  और हिंदुस्तान के क़स्बा बिहार पहोंचे ,,,,,

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Part➖4⃣

🌹बिहार में हज़रत शरफुद्दीन यहया मुनिरी रदी अल्लाहु अन्हु की नमाज़े जनाज़ा 🌹

📚हज़रत मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि हिंदुस्तान के क़स्बा बिहार उस वक़्त पहोंचे जब मखदूमूल मलिक हज़रत शेख शरफुद्दीन यहया मुनिरी रहमतुल्लाहि अलैह का जनाज़ा रखा हुवा था ,,,👉🏿हज़रत मखदूम ने वसीयत फरमाई थी के उनकी नमाज़े जनाज़ा वही शख्श पढ़ाएगा जो सहियूंनसब सैयद हो -----  जो बादशाहत का छोड़ने वाला हो और 7 किरात का कारी हो वो मग़रिब (पश्चिम) की तरफ से काला कम्बल ओढ़े नमूदार होगा  उसी से मेरी नमाज़ पढ़वाना 👈🏿----  ये सब शर्तें हज़रत मखदूम पाक में मौजूद थीं  इस लिए उन्हों ने ही हज़रत मखदूम की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने की सआदत हासिल की  और दफ़न करने के बाद मज़ार के पास मुराकबा किया तो हज़रत को अपने सामने पाया उन्हों ने रूहानी तौर पर आपको तमाम नेमतों से नवाज़ा और फ़रमाया """"👉🏿बेटे अशरफ काश तुम मेरे हिस्से में आए होते लेकिन तुम्हें मेरे भाई अलाउद्दीन आवाज़ दे रहे हैं में अब तुम्हे ज़्यादा देर नहीं रोक सकता जाओ ये सफ़र तुम्हें मुबारक हो 👈🏿"""""

🌹मखदूम पाक बिहार में अपने पिरो मुर्शिद हज़रत अलाउद्दीन अलाउल हकक पंडवि रहमतुल्लाहि अलैह की बारगाह में🌹

📚जिस वक़्त आप पंडवा शरीफ के क़रीब पहोंचे तो हज़रत शेख अलाउद्दीन गंजे नबात रदी अल्लाहु अन्हु अपने मुरीदीन को तरीकत की तालीम दे रहे थे आप ने महफ़िल में जो हाज़िर थे उनसे फ़रमाया  """"👉🏿 मेरे मेहबूब के आने की खुशबु आरही हे  जिसका दो साल से हम इंतज़ार कर रहे हैं वो अनक़रीब यहाँ पहोचने वाला हे 👈🏿""""" फिर तमाम मुरीदों के साथ शहेर से बाहिर तशरीफ़ लाए और सैयद अशरफ जहांगीर सिमनानि का इस्तेकबाल किया और अपने साथ पालकी में बिठा कर खानकाह तक लाए---- खानकाह पहोचने के बाद आपको मुरीद किया और फ़रमाया """ 👉🏿बेटे अशरफ जिस वक़्त तुम सीमनान से निकले थे उस वक़्त से में तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ 👈🏿-----हज़रत मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि अपने पिरो मुर्शिद की बारगाह में बारह (12) साल रहे और सख्त रियाज़त और मुजाहिदे किये मुर्शिद कामिल ने आपको अपनी तमाम रूहानी नेमतें अता कि और खिरका शरीफ और खिलाफत से नवाज़ा ------------

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Part➖5⃣


              🌹तब्लीगे दिन🌹

📚हज़रत सैयद अशरफ जहांगीर सिमनानि अपने पिरो मिर्शीद हज़रत अलाउद्दीन गंजे नबात रहमतुल्लाहि अलैय के हुक्म पर दिन की तबलीग़ के लिए रवाना हो गए आपने पूरी दुनिया की सेर की और इस दौरान लाखों इंसानों को हिदायत की राह दिखाई ---तबलीग के सिलसिले में बड़ी रुकावटें आईं और बहोत ही खतरनाक जादूगरौं से मुकाबले हुवे लेकिन कोई भी आपके सामने न ढहेर सका आपने इस सिलसिले में सिर्फ तक़रीर ही न की बल्कि तहरीरी ( किताबें लिखना) काम भी जारी रखा आपने 31 किताबें लिखी ---लेकिन अब भी अल्हम्दु लिल्लाह 10 किताबें ऐसी हैं जो सही हालत में  हैं और आलमे इस्लाम के मुख़्तलिफ़ इदारों में महफूज़ हैं ---अक्सर किताबें फ़ारसी में थी बाद में आपने उनका अरबी में तर्जमा किया  जिस तरह एक किताब """ फवाईदुल अक़ाईद """ थी ये किताब फ़ारसी में थी बाद में उसका अरबी में तर्जमा किया गया  आपके खलीफा और जानशीन हज़रत अब्दुर्रज़्ज़ाक नुरुल ऍन फरमाते हैं """"" 👉🏿जब आप अरब में तशरीफ़ ले गए तो लोगों ने तसव्वुफ़ के मसाइल जानने की कोशिश की तो आपने फवाईदुल अक़ाईद का अरबी ज़बान में तर्जमा किया आप की लिखी हुई किताबों में "" लताइफे अशरफी "" को बड़ी एहमियत हासिल हे और तरीकत के तमाम बुज़ुर्गों ने इस किताब से फायदा हासिल किया _____

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Part➖6⃣

             🌹उर्दू के पहले अदीब🌹


📚सैयद अशरफ जहांगीर सिमनानि सिर्फ अरबी और फ़ारसी ही पर महारत नहीं रखते थे बल्कि उर्दू ज़बान के पहले अदीब भी माने जाते हैं ---- चुनांचे जामिया करांची  के उर्दू शोबा के साबिक सरबराह ""डॉक्टर अबुल्लेस सिद्दीकी """ ने अपनी तहक़ीक़ में दरियाफ्त किया हे के आपकी एक किताब उर्दू में " 👉🏿अख़लाक़ व तसव्वुफ़👈🏿 "" भी थी --- प्रोफेसर हामिद हसन कादरी की तहक़ीक़ भी यही हे की उर्दू में सबसे पहली लिखी हुई किताब सैयद अशरफ जहांगीर सिमनानि का रिसाला ""अख़लाक़ व तसव्वुफ़ "" हे जो सं 758 हिजरी मुताबिक सं 1308 ईस्वी में लिखा गया ये कलमी नुस्खा एक बुज़ुर्ग मौलाना वजीहुद्दीन के इर्शादात पर मुश्तमिल हे और उसके 28 सफहात (page) हैं ----क़ादरी साहब ने ये भी साबित किया हे की जिस किताब (अख़लाक़ व तसव्वुफ़ ) का ज़िक्र किया गया वो उर्दू ज़बान की पेहली किताब हे और " दास्ताने तारिखे उर्दू"" में लिखा हे की """उर्दू में इस से पेहले कोई किताब साबित नहीं-----
 तो मोहक़ीक़ीन की तहक़ीक़ से साबित हुवा के सैयद मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि रदी अल्लाहु अन्हु उर्दू के पहले अदीब और मुसन्निफ़ हैं -----

      आपने कुल 31 किताबें लिखी ----

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Part➖7⃣

✏हज़रत महबूबे यजदानी की करामतें इस कदर हे की बयां नहीं किया जा सकता मगर बरकत हासिल करने के लिए कुछ करामतों का ज़िक्र किया जाता हे

              🔶करामत--1⃣🔶

📚जब पिर अली बेग हज़रत मखदूम पाक की दुवा से एक मुहीम को जित कर वापस आया तो उसके लश्कर में एक बूढ़ा शख्स था जो काफी सालों से घांस लाया करता था उसने निहायत ही हसरत के साथ कहा के """👉🏿आज अरफा का दिन हे सारे हाजी आज अपने मक़सद यानि खानाए काबा को पहोचें होंगे ---क्या ही अछा होता के में भी इस दौलत से मालामाल होता ❓
         🍃हज़रत महबूबे यजदानी रदी अल्लाहु अन्हु ने ये सुन कर फ़रमाया """ 👉🏿क्या तुम हज्ज करना चाहते हो ❓
 उसने अर्ज़ किया अगर ये दौलत नसीब होती तो क्या ही अछा होता ---हज़रत ने फ़रमाया ~~आओ --- वो शख्स आया ---
हज़रत ने अपने मुबारक हाथों से इशारा किया और फ़रमाया के जाओ --- तो फ़ौरन उस फरमान के वो काबा शरीफ पहोंच गया और हज़ज के अरकान अदा किये और 3 दिन तक काबा शरीफ में रहा ----
     ✏फिर उसको ख्याल हुवा के कोई शख्स मुझको मेरे वतन पहोंचा देता --- उस ख्याल के आते ही उसने हज़रत महबूबे यजदानी गौसुल आलम मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि रदी अल्लाहु अन्हु को वहां देखा ,,,, क़दमों में गिर पड़ा --- सर उठाया तो अपने घर वतन में मौजूद था ---
                  🌱सुब्हान अल्लाह🌱

📜बहवाला लताइफे अशरफी -- सहाइफे अशरफि

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Part➖8⃣

              🌹बूत औरत बनगई🌹

📚हज़रत महबूबे यजदानी रदी अल्लाहु अन्हु जब "" अहमदाबाद (गुजरात) में तशरीफ़ रखते थे ,, आप के साथी तफ़रीह (घूमने , सेर करने) के लिए चले गए ,, एक बाग में गुज़र हुवा उसमे हसींन इश्क़ करने वालों का मजमा था , उस जमात में एक फ़क़ीर बहोत ही खूबसूरत देखा गया ,,, हज़रत के साथी उस फ़क़ीर को देखने लगे ,,,
       एक शख्स ने कहा ज़रा बूत खाने के अंदर जाकर देखो ,, उसमे एक से बढ़ कर एक खूब सूरत तस्वीरें पत्थर की तराशी हुई हैं ,,
      सब लोग बूत खाने में देखने लगे --- मौलाना गुलखनि भी उस जमात में थे ,, जब बूत खाने में गए तो एक औरत की तस्वीर जो बहोत ही खूबसूरत पत्थर की तराशी हुई नज़र आई -----देखते ही हज़ार जान से उस पर आशिक़ हो गए --- बूत का हाथ पकड़ लिया और कहा के उठ चल -- सब लोगों ने नसीहत की मगर उन पर कुछ असर न हुवा ---

📚कुछ दिन बगैर खाना खाए और पानी पिए उस बूत का हाथ पकड़ कर खड़े रहे  ---   इसी हालत में कुछ दिन गुज़र गए तो ये माजरा कुछ हज़रात ने महबूबे यजदानी की बारगाह में अर्ज़ किया ----

महबूबे यजदानी ने फ़रमाया के 👉🏿में खुद जाऊंगा और उसको देखूंगा ---- जब आप तशरीफ़ ले गए बहोत से लोग हज़रत के साथ चले ,, जब आपकी नज़र मुबारक मौलाना गुलखनि पर पड़ी ,,,अजीब हालत और बेखुदी में देखा के किसी आदमी पर ऐसी मुसीबत और इश्क़ का सदमा न हो ---- मौलाना गुलखनि की ये हालत देख कर हज़रत महबूबे तज़दानी रदी अल्लाहु अन्हु रो पड़े और फ़रमाया के ----
👉🏿क्या खूब होता के इस पत्थर की तराशी हुई सूरत में रूह समां जाती और ज़िंदा हो जाती -----

📚ज़बान मुबारक से ये फरमाना था के उस पत्थर की सूरत में जान आगई और उठ कर खड़ी हो गई ,,,, जितने लोग उस मजमे में हाज़िर थे सबने ""🌹सुब्हान अल्लाह🌹"" की सदाओं को बलंद किया और कहा के """ मुर्दों को हज़रत इसा अलैहिस्सलाम ज़िंदा फ़रमाया करते थे --- हज़रत की ये करामत हज़रत इसा अलैहिस्सलाम के एजाज़ की मज़हर हे ----

हज़रत मखदूम पाक ने मौलाना गुलखनि का निकाह उस बूत से करा दिया और गुजरात की विलायत उनके हवाले करके वहीँ ठहरा दिया ,,,

 हज़रत निज़ाम यमनी जामऐ मलफ़ुज़ लताइफे अशरफी फरमाते हैं ----- के उस बूत से जो औलाद पैदा होती थी उसके हाथ की चुंगलिया में एक गिरोह पत्थर की पैदाइश होती थी ---- ये अलामत नस्ले माँदरी बच्चों में होती थी -----

बहवाला   📚 लताइफे अशरफी -- सहाइफे अशरफी )

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Part➖9⃣

  🌹 दीदारे सहाबीए रसूल ﷺ 🌹

📚 गौसियत के इतने बड़े मक़ाम पर फाईज़ होने के इलावा हज़रत सैयद मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि रदी अल्लाहु अन्हु ने हज़रत सैयदना अबुररिजा हाजी रतन इब्ने हिंदी रदी अल्लाहु अन्हु जो ""👉🏿सहाबीए रसूल थे --- उनके दीदार और मुलाक़ात का शरफ भी हासिल हुवा --- इस बात का ज़िक्र खुद हज़रत मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि ने फ़रमाया 📜 बहवाला - लताइफे अशरफी जिल्द 1 सफा 378 )

📚इस लिहाज़ से आप (मखदूम पाक) ""ताबई"" हुवे और इस इमतियाज़ी वस्फ ने हज़रत मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि की मुबारक ज़ात को तमाम मशाइख के दरमियान बे मिसाल बना दिया ----

👉🏿हज़रत हाजी रतन रदी अल्लाहु अन्हु के तफसिलि हालात के लिए मुलाहिज़ा हो 👇🏿

🍃अल्लामा इब्ने हजर अस्कलानी की किताब """📚 अलइसाबतो फि तमीज़ीस्सहाबा """ सफा 225 से 232 में और ज़्यादा मालूमात के लिए """अज़कारे अबरार"" सफा 26 , 27

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Part➖🔟

                  🌹विसाल मुबारक🌹

📚हज़रत सैयद अशरफ जहांगीर सिमनानि ने अपनी ज़िन्दगी सियाहत व दिन की तबलीग में गुजारी और सियाहत के दौरान कईं बुज़ुर्गाने दिन से फ़ैज़ हासिल किया --- सं 808 हिजरी में हिंदुस्तान में हिंदुओं के मक़ाम ""अयोध्या"" के क़रीब पहोंचे --- और किछौछा शरीफ में अपनी खानकाह काइम की ---

📝 मुहर्रमुल हराम का चाँद देख कर आपने बड़े दुःख का इज़हार किया और फ़रमाया """ 👉🏿काश जद्दे मुकर्रम हज़रत सैयदना इमामे हुसैन रदी अल्लाहु अन्हु की मुवाफ़िक़त जल्द नसीब होती👈🏿 उसके बाद आपकी तबियत ना-साज़ हो गई और आप ने अपने मुरीदीन को बुला कर फ़रमाया""👉🏿 में चाहता हूँ के मेरी कब्र मेरी ज़िन्दगी में तैयार हो जाए --- आप के हुक्म पर कब्र मुबारक तैयार हो गई और उस वक़्त आधा माहे मुहर्रम गुज़र चूका था---

📚आप एक क़लम और कागज़ ले कर कब्र में तशरीफ़ ले गए और वहां बेठ कर मुरीदीन के लिए हिदायत नामा लिखा जिसमे अपने अक़ीदे और मसलक की वज़ाहत फरमाई और मुरीदीन को राहे सुलूक तय करने ,,दिन के एहकाम पर पुरी इस्तेक़ामत के साथ अमल करने और शरीअत और तरीकत पर अमल करने की सख्त ताकीद फरमाई ---ये हिदायत नामा ""रिसालाए कब्रिया "" के नाम से मशहूर हे ---

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Part➖1⃣1⃣

🌹हज़रत सैयद अब्दुर्रज़्ज़ाक नुरुलऐन को अपना जानशीन बनाना🌹

📚आपने अपने खास हुजरे में मुरीदीन और खुल्फा की मौजूदगी में हज़रत सैयद अब्दुर्रज़्ज़ाक नुरुलऐन को बुलाया और उनको खिरका मुबारक "" ताजे अशरफी "" और खानदानी तबर्रुकात अता फारमाँ कर अपना जानशीन मुक़र्रर फ़रमाया --- ज़ोहर के वक़्त आपने हज़रत नुरुलऐन को इमामत का हुक्म दिया और खुद उनके पीछे नमाज़ पढ़ी -- नमाज़ के बाद आप खानकाह में रौनक अफ़रोज़ हुवे और शेख सादी के अशआर सुनाए ' एक शेर पर आपको कैफियत तारी हो गई और उसी वज्द की कैफियत में ख़ालिक़े हक़ीक़ी के दरबार में पहोंच गए --- आपका मज़ार शरीफ किछौछा शरीफ ज़िला फैज़ाबाद यूपी में हे --

📝हज़रत शेख अब्दुल हकक मुहद्दिस दहेल्वि रहमतुल्लाहि अलैह अपनी किताब "" अल अखबारुल अख्यार ""में फरमाते हैं के ""👉🏿आपका मज़ार शरीफ किछौछा शरीफ में हे ये बड़ा ही फ़ैज़ का मक़ाम हे उस इलाके में जिन्नात को दूर करने के लिए आपका नाम लेना ही काफी हे ----

✒आपका मज़ार शरीफ किछौछा शरीफ में आज भी मर्जए खलाइक हे अगरचे हज़रत मखदूम सिमनानि के विसाल मुबारक को 600 साल से ज़्यादा गुज़र चूका हे लेकिन आज भी आपकी याद दिलों के दिलों में मौजूद हे आपका उर्स मुबारक हर साल 26 से 28 मुहर्रामुल हराम को किछौछा शरीफ में निहायत शानो शौकत से मनाया जाता हे --- जिसमे हिंदुस्तान " पाकिस्तान " बांग्लादेश " और नेपाल के इलावा दूसरे मुल्कों से भी लोग वहां जाकर शिरकत करते हैं----

👉🏿ज़रूरी बात👇🏿

👉🏿ये जितनी भी पोस्टे तैयार की गई वो सब एक ही किताब से लिया गया हे 👇🏿

           हवाला

📚तारिकुससल्तनत गौसुल आलम महबूबे यजदानी सुल्तान औहदुद्दीन सैयद मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानि रदी अल्लाहु तआला अन्हु

              DEEN-E-NABI ﷺ📚

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