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अनमोल हिरे

〰〰〰 ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ 〰〰〰
            🌙9 रबी अल-आखर 1437🌙
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             💎अनमोल हिरे💎

👑एक बादशाह अपने मुसाहिबो के साथ किस बाग के क़रीब से गुज़र रहा था की उसने देखा बाग़  में से कोई शख्स संगरेज़े (यानि छोटे छोटे पथ्थर) फेक रहा है, एक संगरेज़ा खुद इस को भी आ कर लगा। उसने खुद्दाम को दौड़ाया की जा क्र संगरेज़े फेकने वाले को पकड़ कर मेरे पास हाज़िर करो।

▪चुनान्चे खुद्दाम ने एक गवार को हाज़िर कर दिया।
▫बदशाहने कहा : ये संगरेज़े तुम ने कहा से हासिल किये ?
▪उसने डरते डरते कहा : में वीराने में सैर कर रहा था की मेरी नज़र इन खूब सूरत संगरेज़ो पर पड़ी, मेने इन को झोली में भर लिया, इसके बाद फिरता फिरता इस बाग़ में आ निकला और फल तोड़ने के लिये ये संगरेज़े इस्तिमाल कर लिये।
▫बादशाह ने कहा : तुम इन संगरेज़ो की कीमत जानते हो ?
▪उसने अर्ज़ की : नही
▫बादशाह बोला : ये पत्थर के टुकड़े दर अस्ल अनमोल हिरे थे, जिन्हें तुम नादानी के सबब ज़ाए कर चुके।
😔इस पर वो शख्स अफ़सोस करने लगा। मगर अब उस का अफ़सोस करना बेकार था की वो अनमोल हिरे उसके हाथ से निकल चुके थे।
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⏳ज़िन्दगी के लम्हात अनमोल हिरे है💎

💐मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! इसी तरह हमारी ज़िन्दगी के लम्हात भी अनमोल हीरे है, अगर इनको हम बेकार जाए कर दिया तो हसरत व नदामत के सिवा कुछ हाथ न आएगा।

☝🏽अल्लाह ﷺ ने इंसान को एक मुकर्ररा वक़्त के लिये खास मक़सद के तहत इस दुन्या में भेजा है।
☝🏽अल्लाह ﷺ क़ुरआने पाक में फ़रमाता है :
☝🏽तो क्या ये समझते हो की हम ने तुम्हे बेकार बनाया और तुम्हे हमारी तरफ फिरना नहीं।
📗पारा 18 सूरतुल मुअमीनून आयत 115

📝ख़ज़ाइनुल इरफ़ान में उस आयते मुक़द्दसा के तहत लिखा है : और क्या तुम्हे आख़िरत में जज़ा के लिये उठना नहीं, बल्कि तुम्हे इबादत के लिए पैदा किया की तुम पर इबादत लाज़िम करे और आख़िरत में तुम हमारी तरफ लौट कर आओ तो तुम्हे तुम्हारे आ'माल की जज़ा दे।

✒हवाला
📚अनमोल हिरे, सफा 2-3

📶जारी रहेगा إن شاء الله  عزوجل

💐मुज़े अपनी और सारी दुनिया के लोगो के इस्लाह की कोशिश करनी है. إن شاء الله  عزوجل

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            🌙10 रबी अल-आखर 1437🌙
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⏳ज़िन्दगी का वक़्त थोडा है⏳

🌱मौत व हयात की पैदाइश का सबब बयान करते हुए अल्लाह عزوجل फ़रमाता है :
☝🏽वो जिसने मौत और ज़िन्दगी पैदा की के तुम्हारी जाच हो तुम में किस का काम ज्यादा अच्छा है।

👆🏾इस आयत के इलावा भी क़ुरआने पाक में दीगर मक़ामात पर तखलीके इंसानी यानि इंसान की पैदाइश का मक़सद बयान किया गया है.
👉🏾इंसान को इस दुन्या में बहुत मुख़्तसर से वक़्त के लिये रहना है और इस वक्फे में इसे कब्रो हशर के तवील तरीन मुआमलात के लिये तैयारी करनी है
⏳लिहाज़ा इंसान का वक़्त बेहद कीमती है। वक़्त एक तेज़ रफ़्तार गाडी की तरह फर्राटे भरता हुवा जा रहा है न रोके रुकता है न पकड़ने से हाथ आता है, जो सांस एक बार ले लिया वो पलट कर नहीं आता।

✒हवाला
📚अनमोल हिरे, सफा 4

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            🌙11 रबी अल-आखर 1437🌙
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⏳सांस की माला⏳

🌻हज़रते हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते है :
जल्दी करो ! जल्दी करो ! तुम्हारी ज़िन्दगी क्या है ? येही सांस तो है की अगर रुक जाए तो तुम्हारे उन आ'माल का सिलसिला भी मुनक़तेअ हो जाए जिन से तुम अल्लाह عزوجل का कुर्ब हासिल करते हो।

☝🏽अल्लाह عزوجل उस शख्स पर रहम फरमाए जिसने अपना जाएजा लिया और अपने गुनाहो पर चन्द आसु बहाए।

👆🏾ये कहने के बाद आप ने पारा 16 सूरए मरयम की आयत 84 तिलावत फ़रमाई :
☝🏽और हम तो इनकी गिनती पूरी करते है।

🌟हुज्जतुल इस्लाम हज़रते इमाम मुहम्मद ग़ज़ालि अलैरहमा फ़रमाते है :
यहा गिनती से सांसो की गिनती मुराद है।
📙एहयाऊल उलूम, 4/205

🌼हज़रते इमाम बैहक़ी अलैरहमा "शु-अबुल ईमान" में नक़ल करते है : ताजदारे मदीना ﷺ का फ़रमाने इब्रत निशान है :
🌴रोज़ाना सुबह जब सूरज तुलुअ होता है तो उस वक़्त दिन ये एलान करता है : अगर आज कोई अच्छा काम करना है तो कर लो की आज के बाद में कभी पलट कर नहीं आऊंगा।

✒ हवाला
📚अनमोल हिरे, सफा 5-6

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            🌙12 रबी अल-आखर 1437🌙
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❗जनाब या मरहूम ❗

💐मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! ज़िन्दगी का जो दिन नसीब हो गया उसी को ग़नीमत जान कर जितना हो सके उसमे अच्छे अच्छे काम कर लिये जाए तो बेहतर है
की "कल" न जाने हमे लोग "जनाब" कह कर पुकारते है या "मरहूम" कह कर।

▪हमें इस बात का एहसास हो या न हो मगर ये हक़ीक़त है की हम अपनी मौत की मंज़िल की तरफ निहायत तेज़ी के साथ रवा दवा है।

🌳चुनान्चे पारा 30 सूरए इन्शिक़ाक़ की आयत 6 में इर्शाद होता है :
☝🏽ऐ आदमी ! बेशक तुझे अपने रब की तरफ ज़रूर दौड़ना है फिर उस से मिलना।

✒हवाला
📚अनमोल हिरे, सफा 6

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❗अचानक मौत आ जाती है❗

⏳अपने वक़्त को फुज़ूलियत में बर्बाद करने वालो ! गौर करो ज़िन्दगी किस क़दर तेज़ रफ्तारी के साथ गुज़रती जा रही है। बारहा आप ने देखा होगा की अच्छा भला डेलडोल वाला इंसान अचानक मौत के घाट उतर जाता है,

⭕अब कब्र में उस पर क्या बीत रही है इस का अंदाज़ा हम नहीं कर सकते अलबत्ता खुद उस पर ज़िन्दगी का हाल खुल चूका होगा।

☝🏽ऐ दुन्या के माल के मतवालो ! जमा माल ही को अपनी ज़िन्दगी का मक़्सदे वहीद समझने वालो ! जल्दी जल्दी अपनी आख़िरत की तैयारी कर लो। कही ऐसा न हो की रात भले चंगे सोने के बा वुजूद सुबह तुम्हे अँधेरी कब्र में डाल दिया जाए।

👉🏾लिल्लाह ! ग़फ़लत की नींद से बेदार हो जाओ !

☝🏽अल्लाह عزوجل पारा 17 सूरए अम्बिया की पहली आयत में इर्शाद फ़रमाता है :
☝🏽लोगो का हिसाब नज़्दीक और वो ग़फ़लत में मुह फैरे है।

✒हवाल
📚अनमोल हिरे, सफा 7

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☝🏽जन्नत में भी अफ़सोस☝🏽

💐मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमें अपने वक़्त की क़द्र पहचाननी ज़रूरी है,
👉🏾फालतू वक़्त गुज़ारना कितने बड़े नुक़्सान की बात है वो इस हदिष से समझिये

🌴चुनान्चे ताजदारे मदीना ﷺ का फ़रमाने बा क़रीना है :
👉🏾अहले जन्नत को किसी चीज़ का भी अफ़सोस नहीं होगा सिवाए उस साअत (यानि घड़ी) के जो दुन्या में अल्लाह के ज़िक्र के बिगैर गुज़र गई।

✒हवाला
📒अल मोजमुल कबीर, 20/93,94, हदिष:172
📚अनमोल हिरे, सफा 8

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🌳जन्नत में दरख़्त लगवाईये🌳

⏳वक़्त की अहमिय्यत का इस बात से अंदाज़ा लगाइये की अगर आप चाहे तो इस दुन्या में रहते हुए सिर्फ एक सेकन्ड में जन्नत के अंदर एक दरख़्त लगवाने का तरीका भी निहायत ही आसान है

👉🏾चुनान्चे इब्ने माजह शरीफ की एक हदिशे पाक के मुताबिक़ इन चारो कलिमात में से जो भी कलिमा कहे जन्नत में एक दरख़्त लगा दिया जाएगा।
☝🏽सुब्हान अल्लाह
☝🏽अल्हम्दु लिल्लाह
☝🏽ला-इलाहा इल्लल्लाहु
☝🏽अल्लाहु-अकबर
📙सुनने इब्ने माजह 4/252

🙏🏽मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! जन्नत में दरख़्त लगवाना कितना आसान है !
👉🏾अब आप ही गौर फरमाइये की वक़्त कितना कीमती है की ज़बान को मामूली सी हरकत देने से जन्नत में दरख़्त लग जाते है

👉🏾तो ऐ काश ! फालतू बातो की जगह सुब्हान अल्लाह عزوجل का विर्द कर के हम जन्नत में बे शुमार दरख़्त लगवा लिया करे।

👉🏾हम चाहे खड़े हो, चल रहे हो, बैठे हो या लेटे हो या कोई काम काज कर रहे हो, हमारी कोशिश यही होनी चाहिये की हमें ये विर्द करते रहना चाहिये।

⭕जब भी लेटे लेटे कोई विर्द करे तो पाउ समेट लेना चाहिये।

✒हवाला
📚अनमोल हिरे, सफा 9-10

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⏫60 साल की इबादत से बेहतर⏫

👉🏾अगर कुछ पढ़ने के बजाए खामोश रहने को जी चाहे तो इस में भी षवाब कमाने की सूरते है और वो ये की उलटे सीधे खयालात में पड़ने के बजाए आदमी यादे खुदा वन्दी या यादे मदीना व शाहे मदीना में गुम हो जाए।

👉🏾या इल्मे दिन में गौरों तफ़क्कुर शुरू करदे या मौत के झटको, कब्र की तन्हाइयो, इसकी वहशत और महशर की होलनाकियो की सोच में डूब जाए तो इस तरह भी वक़्त ज़ाएअ नहीं होगा बल्कि सांस इन्शा अल्लाह इबादत में शुमार होगा।

👉🏾चुनान्चे "जामेए सग़ीर" में है :
सरकारे मदीना ﷺ का फ़रमाने बा क़रीना है :
🌴(उमूरे आख़िरत के मुतअल्लिक़) घड़ी भर के लिये गैरो फ़िक्र करना 60 साल की इबादत से बेहतर है।

✒हवाला
📒अल जामिउस्सगीर लिस्सुयुती, 365
📚अनमोल हिरे, सफा 11

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✅5 को 5 से पहले✅

⏳यक़ीनन ज़िन्दगी बेहद मुख़्तसर है जो वक़्त मिल गया सो मिल गया, आइन्दा वक़्त मिलने की उम्मीद धोका है।

👉🏾क्या मालुम आइन्दा लम्हे हम मौत से हम-आगोश हो चुके हो ?

🌴रहमते आ'लम ﷺ फ़रमाते है :
👉🏾5 चीज़ों को 5 चीज़ों से पहले ग़नीमत जानो
👉🏾जवानी को बुढ़ापे से पहले।
👉🏾सिह्ह्त को बिमारी से पहले।
👉🏾मालदारी को तंगदस्ती से पहले।
👉🏾फुर्सत को मश्गुलिय्यत से पहले।
👉🏾ज़िन्दगी को मौत से पहले।

✒हवाला
📓अल मुस्तदरक, जी. 5 सफा 437 हदिष:7916
📚अनमोल हिरे, सफा 12

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✔दो नेमते✔

🌴सरकारे नामदार ﷺ का इरशादे फैज़ बुन्याद है :
👉🏾दो नेमते ऐसी है जिन के बारे में बहुत से लोग धोके में है,
✅सिह्ह्त और
✅फ़रागत

✒हवाला
📙सहीहुल बुखारी, जी.4 सफा 222 हदिष:6412

👉🏾वाक़ई सिह्ह्त की क़दर बीमार ही कर सकता है
👉🏾और वक़्त की क़दर वो लोग जानते है जो बेहद मसरूफ़ होते है
👉🏾वरना जो लोग "फुरस्ती" होते है उनको क्या मालूम की वक़्त की क्या अहमिय्यत है !
👉🏾वक़्त की क़दर पैदा कीजिये और फ़ुज़ूल बातो, फ़ुज़ूल कामो, फ़ुज़ूल दोस्तियों से गुरेज़ करने का ज़ेहन बनाइये। और अपने वक़्त को अल्लाह عزوجل के ज़िक्रो इबादत में गुज़ारे।

✒हवाला
📚अनमोल हिरे, सफा 12-13

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💚हुस्ने इस्लाम💚

👉🏾तिरमिज़ी शरीफ में है
सरकारे दो आ'लम ﷺ का फ़रमाने मुअज़्ज़म है :
👉🏾इंसान के इस्लाम की खूबियों में से एक खूबी छोड़ देना है उस अम्र का जो इसे नफा न दे।

✒हवाला
📙सुननु त्तिरमीज़ी, जी.4, स.142, हदिष:2344
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⏳अनमोल लम्हात की क़द्र⏳

👉🏾जिंदगी के अय्याम चन्द घंटो से और घंटे लम्हों से इबारत है,
👉🏾ज़िन्दगी की हर सांस अनमोल हिरा है, काश ! एक एक सांस की क़दर नसीब हो जाए की कही कोई सांस बे फाएदा न गुज़र जाए और कल बरोज़े क़यामत ज़िन्दगी का खज़ाना नेकियों से खली पा कर अश्के नदामत न बहाने पड़ जाए !

👉🏾सद करोड़ काश ! एक एक लम्हे का हिसाब करने की आदत पड़ जाए की कहा बसर हो रहा है,
ज़हे मुकद्दर ! ज़िन्दगी की हर हर साअत मुफीद कामो ही में सर्फ हो। बरोज़े क़यामत अवक़ात को फ़ुज़ूल बातो, खुश गप्पियों में गुज़रा हुवा पा कर कही कफे अफ़सोस मलते न रह जाए।

✒हवाला
📚अनमोल हिरे, सफा 13-14

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⏳वक़्त के कद्रदानों के इर्शादत व मंकुलात⏳

♻Part~01

🌻अमीरुल मुअमिनीन हज़रते मौलाए काएनात अली शेरे खुदा رضي الله تعالي عنه फ़रमाते है :
👉🏾ये अय्याम तुम्हारी ज़िन्दगी के सफहाट है इन को अच्छे आ'माल से ज़ीनत बख्शो।
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🌻हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद رضي الله تعالي عنه फ़रमाते है :
👉🏾में अपनी ज़िन्दगी के गुज़रे हुए उस दिन के मुक़ाबले में किसी चीज़ पर नादिम नहीं होता जो दिन मेरा नेक आ'माल में इज़ाफ़े से खाली हो।
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🌻हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ رضي الله تعالي عنه फ़रमाते है :
👉🏾रोज़ाना तुम्हारी उम्र मुसल्सल कम होती जा रही है तो फिर नेकियों में क्यू सुस्ती करते हो ?
👉🏾एक मर्तबा किसीने अर्ज़ की : या अमीरुल मुअमिनीन ये काम आप कल पर मुअख्खर कर दीजिये।
👉🏾इर्शाद फ़रमाया : में रोज़ाना का काम एक दिन में बी मुश्किल मुकम्मल कर पाता हु अगर आज का काम भी कल पर छोड़ दूंगा तो फिर दो दिन का काम एक दिन में क्यूकर कर सकूँगा ?

✔आज का काम कल पर मत डालो कल दुसरा काम होगा

✒हवाला
📚अनमोल हिरे, सफा 14

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⏳वक़्त के कद्रदानों के इर्शादात व मंकुलात⏳

♻Part~02

🌻हज़रते हसन बसरी रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाते है :
👉🏾ऐ आदमी ! तू अय्याम ही का मजमुआ है, जब एक रोज़ गुज़र जाए तो यु समझ की तेरी ज़िन्दगी का एक हिस्सा भी गुज़र गया।
✒हवाला
📒अत्तब्क़ातुल कुब्रा लिल मनावी, जी.6, स. 259
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🍂हज़रते इमाम शाफ़ेई رضي الله تعالي عنه फ़रमाते है :
👉🏾में एक मुद्दत तक अहलुल्लाह رضي الله تعالي عنه की सोहबत से फ़ैज़याब रहा उनकी सोहबत से मुझे दो अहम्म बाते सिखने को मिली।
✅वक़्त तलवार की तरह है तुम इसको नेक आ'माल के ज़रिए काटो वरना फुज़ूलियात में मशगूल करके ये तुम को काट देगा।
✅अपने नफ़्स की हिफाज़त करो अगर तुम ने इस को अच्छे काम में मशगूल न रखा तो ये तुम को किसी बुरे काम में मशगूल कर देगा।

✒हवाला
📚अनमोल हिरे, सफा 15

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✔निज़ामुल अवक़ात की तरकीब बना लीजिये✔

👉🏾हो सके तो अपना यौमिया निज़ामुल अवक़ात तरतीब दे लेना चाहिये। अव्वलन इशा की नमाज़ पढ़ कर हत्तल इमकान 2 घंटे के अंदर सो जाइये। रात को फ़ुज़ूल चौपाल लगाना, होटलो की रौनक बढ़ाना और दोस्तों की मजलिसों में वक़्त गवाना (जब की कोई दीनी मस्लिहत न हो) बहुत बड़ा नुक्शान है।

📖तफ्सिरे रुहुल बयान जी.4 स. 166 पर है : कौमे लूत की तबाह कारियों में से ये भी था की वो चौराहो पर बैठ कर लोगो से ठठ्ठा मसखरी करते थे।

💐प्यारे इस्लामी भाइयो ! खौफे खुदा वन्दी से लरज़ उठिये ! दोस्त ब ज़ाहिर कैसा ही नेक सूरत हो इन की दिल आज़ार और खुदाए गफ्फार से ग़ाफ़िल कर देने वाली महफ़िलो से तौबा कर लीजिये।
रात को दीनी मशागिल से फारिग हो कर जल्द सो जाइये की रात का आराम दिन में आराम के मुक़ाबले में ज्यादा सिह्ह्त बख्श है और ऐन फितरत का तक़ाज़ा भी।

👉🏾चुनान्चे पारा 20 सूरतुल क़सस आयत 73 में इर्शाद होता है :
☝🏽और उसने अपनी मेहर (रहमत) से तुम्हारे लिये रात और दिन बनाए की रात में आराम करो और दिन में उसका फ़ज़्ल ढूंढो और इस लिये की तुम हक़ मानो।

👆🏾हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस के तहत फ़रमाते है :
👉🏾इस से मालुम हुवा की कमाई के लिये दिन और आराम के लिये रात मुक़र्रर करनी बेहतर है। रात को बिला वजह न जागे, दिन में बेकार न रहे अगर मजबूरी की वजह से दिन में सोए और रात को कमाए तो हरज नहीं।

✒हवाला
📚अनमोल हिरे, सफा 17-18

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