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बरकाते ज़कात


💰बरकाते ज़कात💰
♻हिस्सा~01

❗क़ारून की हलाकत❗
♻हिस्सा~01

👉🏽क़ारून हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम के चचा यसहर का बीटा था। अल्लाह ने उस को बे पनाह दौलत से नवाज़ा था। हत्ता कि उस के खज़ानों की चाबियां ऐसे 40 अफ़राद उठाते थे, जो आम मर्दों से ज़्यादा ताक़तवर थे।
जैसा कि पारह 20 सूरतुल क़सस की आयत 76 में इरशादे बारी तआला है :

☝🏽और हमने उस को इतने खज़ाने दिये जिन की कुंजियां एक ज़ोर आवर जमाअत पर भारी थी।

👉🏽जब अल्लाह ने बनी इसराइल पर ज़कात का हुक्म नाज़िल फ़रमाया तो क़ारून हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम के पास आया और आप से ये तै किया कि 1000 दिनार पर एक दिनार, 1000 दिरहमो पर एक दिरहम जब कि 1000 बकरियो पर एक बकरी और इसी तरह दीगर चीज़ों में से भी हज़ारो हिस्से ज़कात देना।

👉🏽चुनान्चे जब उस ने घर जा कर अपने माल की ज़कात का हिसाब किया तो वो बहुत ज़्यादा माल बन रहा था, उस के नफ़्स ने इतना ढेर सारा माल देने की हिम्मत न की,

👉🏽लिहाज़ा उसने बानी इसराइल को जमा करके कहा कि तुमने मूसा की हर बात में इताअत की, अब वो तुम्हारे माल लेना चाहते है, क्या कहते हो ?
👉🏽उन्होंने कहा तुम हमारे बड़े हो जो चाहे हुक्म दो।

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह...

🖊हवाला
📚बरकाते ज़कात, स.3-4
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💰बरकाते ज़कात💰
♻हिस्सा~02

❗क़ारून की हलाकत❗
♻हिस्सा~02

👉🏽क़ारून ने कहा की फुला बद चलन औरत के पास जाओ और उससे एक मुआवज़ा मुक़र्रर करो कि वो हज़रते मूसा पर तोहमत लगाए, जब ऐसा होगा तो बनी इसराइल हज़रते मूसा को छोड़ देंगे।

👉🏽चुनान्चे क़ारून ने उस औरत को 1000 दिरहम और 1000 दिनार दे कर इस बात पर राज़ी किया कि वो हज़रते मूसा पर तोहमत लगाए।

👉🏽अगले दिन  क़ारून ने बनी इसराइल को जमा किया और हज़रते मूसा के पास आ कर कहने लगा कि बनी इसराइल आप का इन्तिज़ार कर रहे है, आप उन्हें वाअज व नसीहत फरमाए।

👉🏽हज़रते मूसा तशरीफ़ लाए और बनी इसराइल को नसीहत करते हुवे मुख़्तलिफ़ गुनाहो की सज़ाए बयान फ़रमाई। क़ारून कहने लगा : क्या ये हुक्म सब के लिये है, ख्वाह आप ही हो ?
👉🏽आप ने फ़रमाया : ख्वाह में ही क्यू न होऊ। कहने लगा बनी इसराइल का ख्याल है कि आप ने फुला औरत के साथ बदकारी की है।

👉🏽हज़रते मूसा ने कहा उसे बुलाओ।

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📚बरकाते ज़कात, स.4
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💰बरकाते ज़कात💰
♻हिस्सा~03

❗क़ारून की हलाकत❗
♻हिस्सा~03

👉🏽हज़रते मूसा अलैहीस्सलाम ने फ़रमाया उसे बुलाओ। वो आई तो हज़रते मूसा ने फ़रमाया तुझे उस ज़ात की क़सम ! जिस ने बनी इसराइल के लिये दरिया फाड़ा और उसमे रस्ते बनाए और तौरेत नाज़िल की, सच बात कहो।

👉🏽वो औरत डर गई और उसे अल्लाह के रसूल पर बोहतान लगा कर उन्हें इज़ा देने की जुरअत न हुई, उसने अपने डी में कहा कि इस से तौबा करना बेहतर है। चुनान्चे उसने हज़रते मूसा से अर्ज़ की, कि अल्लाह की क़सम ! जो कुछ क़ारून कहलवाना चाहता है वो झूट है, सच तो ये है की इसने मुझे कसीर माल का लालच दिया ताकि में आप पर तोहमत लगाऊ।

👆🏽ये सुन कर हज़रते मूसा अपने रब के हुज़ूर रोते हुए सज्दे में गिरे और ये अर्ज़ करने लगे : या रब ! अगर में तेरा रसूल हु तो मेरी खातिर क़ारून पर अपना गज़ब फ़रमा।

👉🏽अल्लाह ने आप की तरफ वही फ़रमाई कि मेने ज़मीन को आप की फ़रमा बरदारी करने का हुक्म दिया है, आप इस को जो चाहे हुक्म दे।

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

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📚बरकाते ज़कात, स.5
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💰बरकतें ज़कात💰
♻हिस्सा~04

❗क़ारून की हलाकत❗
♻हिस्सा~04

👉🏽अल्लाह की वही आने के बाद हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम ने बनी इसराइल से फ़रमाया :
👉🏽ऐ बनी इसराइल अल्लाह ने मुझे क़ारून की तरफ भेजा है जेसे फिरऔन की तरफ भेजा था, जो क़ारून का साथी हो, उसके साथ उसकी जगह ठहरा रहे और जो मेरा साथी हो वो अलग हो जाए।

👉🏽सब लोग क़ारून से जुदा हो गए और दो अफ़राद के सिवा कोई उसके साथ न रहा। तब हज़रते मूसा ने ज़मीन को हुक्म दिया :
ऐ ज़मीन इन्हें पकड़ ले ! तो वो घुटनो तक ज़मीन में धस गए। आप ने दोबारा येही फ़रमाया तो कमर तक धस गए, आप येही फरमाते रहे हत्ता कि वो लोग गर्दन तक धस गए, अब वो गिड़ गिडाने लगे और क़ारून आप को अल्लाह की कस्मे और रिश्ता व क़राबत के वास्ते देने लगा, आप ने शिद्दत जलाल के सबब तवज्जोह न फ़रमाई, यहां तक कि वो बिलकुल धस गए और ज़मीन बराबर हो गई।

👉🏽हज़रते क़तादा رضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया कि वो क़यामत तक ज़मीन में धंसते ही क्ले जाएंगे।

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

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📚बरकाते ज़कात, स. 5
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💰बरकाते ज़कात💰
♻हिस्सा~05

👉🏽बनी इसराइल ने कहा कि हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम ने क़ारून के मकान और उस के खज़ाइन व अमवाल की वजह से उस के लिये बद दुआ की। ये सुन कर आप ने दुआ की तो उस का मकान और उस के खज़ाने व अम्वाल् सब ज़मीन में धस गए।

👉🏽अल्लाह ने क़ुरआन में क़ारून के अंजाम को कुछ इस तरह बयान फ़रमाया है..चुनान्चे पारह 20 सूरतुल क़सस, आयत 81 में इरशाद होता है :
☝🏽तो हमने हुसे और उस के घर को ज़मीन में धसा दिया तो उसके पास कोई जमाअत न थी कि अल्लाह से बचाने में उस की मदद करती और न वो बदला ले सका।

👉🏽मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! देखा आपने कि दुन्यवि माल की महब्बत में ज़कात देने से इनकार करने और अल्लाह के रसूल से दुश्मनी मोल लेने वाले बद बख्त क़ारून का अंजाम केसा भयानक हुवा, न उसे माल काम आया न उस के खज़ाने, बल्कि वो अपने खज़ानों समेत ही अज़ाब की लपेट में आ गया।
👉🏽सूरतुल क़सस में बयान करदा इस वाकिए से जहां माले दुन्या से महब्बत का भयानक अंजाम पता चलता है, वही ज़कात की अहमिय्यत भी ब खूबी वाजेह हो रही है।

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📚बरकाते ज़कात, स.6
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♻हिस्सा~06

✅फर्ज़िय्यते ज़कात

👉🏽याद रहे कि उम्मते मुहम्मदिय्या ﷺ पर भी ज़कात की अदाएगी फ़र्ज़ की गई है। चुनान्चे पारह 1 सूरतुल बक़रह आयत 43 में इरशाद होता है :
☝🏽और नमाज़ क़ाइम रखो और ज़कात दो।

👉🏽हज़रते नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैरहमा खज़ाइनुल इरफ़ान में इस आयत के तहत लिखते है : इस आयत में नमाज़ व ज़कात की फरज़िय्यत का बयान है।

👉🏽ज़कात अरकाने इस्लाम में से एक रुकन है। अल्लाह के महबूब ﷺ का फरमाने अज़मत निशान है : इस्लाम की बुन्याद 5 बातो पर है, इस बात की गवाही देना कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद उसके रसूल है, नमाज़ क़ाइम करना, ज़कात अदा करना, हज करना और रमज़ान के रोज़े रखना।

👉🏽ज़कात की अहमिय्यत का अंदाज़ इस बात से लगाया जा सकता है कि कुरआन में नमाज़ और ज़कात का एक साथ 3⃣2⃣ मर्तबा ज़िक्र आया है।

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📚बरकाते ज़कात, स.7
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♻हिस्सा~07

✅अहमिय्यते ज़कात

👉🏽कोई भी मुल्क ख्वाह मआशी तौर पर कितना ही तरक़्क़ी यकता क्यू न हो, लेकिन उसमे लोगो का एक ऐसा तबक़ा ज़रूर होता है जो मुख़्तलिफ़ वुजुहात के बाइस गुरबत व अफ्लास का शिकार होता है। ऐसे लोगो की कफालत की जिम्मेदारी अल्लाह ने साहिबे हेसिय्यत अफ़राद के सुपुर्द की है।
चुनान्चे अल्लाह ने मालदारों पर ज़कात फ़र्ज़ की ताकि वो अपनी ज़कात के ज़रिए मुआशरे के कमज़ोर और नाडार तबके की मदद करे और दौलत चन्द लोगो की मुठ्ठियों में क़ैद होने के बजाए जरूरियात मन्द अफ़राद तक भी पहुचती रहे और यु मआशरे में मआशी तवाज़ुन की फ़ज़ा क़ाइम रहे।
👉🏽याद रहे कि अगर अल्लाह चाहता तो सब को दौलत मन्द बना देता और कोई शख्स गरीब न होता, लेकिन उसने अपनी मशिय्यत से किसी को अमीर बनाया तो किसी को गरीब, ताकि अमीर को उस की दौलत और गरीब को उसकी गुर्बत के सबब आज़माए। चुनान्चे पारह 8 सूरतुल अनआम आयत 165 में इरशाद होता है :
☝🏽 वोही है जिसने ज़मीन में तुम्हे नायब किया और तुममे एक को दूसरे पर दरजो बुलंदी दी कि तुम्हे आज़माए उस चीज़ में जो तुम्हे अता की।

👉🏽 यानी आज़माइश में डाले कि तुम नेमत व जाहो माल पा कर कैसे शुक्र गुज़ार रहते हो और बाहम एक दूसरे के साथ किस किस्म के सुलूक करते हो।

👉🏽मालुम हुआ की दुन्या दारुल इम्तिहान है, लिहाज़ा हमे चाहिये कि हर हुक्म खुदावन्दि को अपने लिये अज्रो षवाब का ज़खीरा इकठ्ठा करे। फिर ज़कात तो एक ऐसी इबादत है, जिसमे हमारे लिये दुन्या व आख़िरत में ढेरो फवाइद और फ़ज़ाइल रखे गए है।

🖊हवाला
📚बरकाते ज़कात, स.7
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♻हिस्सा~08

✔ज़कात देने के फवाइद
♻हिस्सा~01

☝🏽तकमील ईमान का ज़रीआ

👉🏽ज़कात अदा करने वाले को पहली सआदत मन्दी ये हासिल होती है कि ज़कात देना, उसके ईमान की तकमील का सबब बनता है।

👉🏽आइये ! इस ज़िम्न में 2 फरमाने मुस्तफा ﷺ मुलाहिज़ा कीजिये :

1⃣तुम्हारे इस्लाम का पूरा होना ये है कि तुम अपने मालो की ज़कात अदा करो।

2⃣जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखता हो, उसे लाज़िम है कि अपने माल की ज़कात अदा करे।

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह..

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📚बरकाते ज़कात, स.8
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♻हिस्सा~09

✔ज़कात देने के फवाइद
♻हिस्सा~02

☝🏽रहमते इलाही की बरसात

👉🏽ज़कात देने वाले को दूसरी सआदत ये मिलती है कि उस पर रहमते इलाही की छमा छम बारिश होती है।

👉🏽चुनान्चे पारह 9 सूरतुल आराफ़ आयत 156 में है :
☝🏽और मेरी रहमत हर चीज़ को घेरे है तो अन क़रीब में नेमतों को उन के लिये लिख दूंगा जो डरते और ज़कात देते है।
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☝🏽तक़वा व परहेज़गारी का हुसूल

👉🏽ज़कात देने का तीसरा फ़ायदा ये है कि इस से तक़वा हासिल होता है।

👉🏽चुनान्चे पारह 1 सूरतुल बक़रह आयत 3 में मुत्तक़ीन की अलामात में से एक अलामत ये भी बयान की गई है :
☝🏽और हमारी दी हुई रोज़ी में से हमारी राह में उठाए।

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

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📚बरकाते ज़कात, स.9
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♻हिस्सा~10

✅ज़कात देने के फवाइद
हिस्सा~03

♐कामयाबी का रास्ता

👉🏽ज़कात का चौथा फायदा ये है कि इससे बन्दा कामयाब लोगो की फेहरिस्त में शामिल हो जाता है। जैसा कि क़ुरआन में फलाह को पहुचने वालो का एक काम ज़कात भी बयान किया गया है,
👉🏽पारह 18 सूरतुल मुअमीनून आयत 1 से 4 में इरशाद होता है :
☝🏽बेशक मुराद को पहुचे ईमान वाले जो अपनी नमाज़ में गिड़ गिड़ाते है और वो जो किसी बेहूदा बात को तरफ इलतिफ़ात नहीं करते और वो कि ज़कात देने का काम करते है।
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✅नुसरते इलाही का मुस्तहिक़

👉🏽पाचवी फ़ज़ीलत ये है कि अल्लाह ज़कात अदा करने वाले की मदद फ़रमाता है।
👉🏽चुनान्चे पारह 17 सूरतुल हज आयत 40-41 में इरशाद होता है :
☝🏽और बेशक अल्लाह ज़रूर मदद फ़रमाएगा उसकी जो उस के दिन की मदद करेगा, बेशक ज़रूर अल्लाह कुदरत वाला ग़ालिब है, वो लोग कि अगर हम उन्हें ज़मीन में क़ाबू दे तो नमाज़ बरपा रखे और ज़कात दे और भलाई का हुक्म करे और बुराई से रोके और अल्लाह ही के लिये सब कामो का अंजाम।

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📚बरकाते ज़कात, स.10
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♻हिस्सा~11

✔ज़कात देने के फवाइद
♻हिस्सा~04

💚मुसलमान के दिल में ख़ुशी दाखिल करना

👉🏽छटा फायदा ये है कि ज़कात की अदाएगी से गरीबो की ज़रूरत पूरी हो जाती और उन के दिल में ख़ुशी दाखिल होती है। याद रहे कि मुसलमान के दिल में ख़ुशी दाखिल करने का भी बड़ा सवाब है।
🌴हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : अल्लाह के नज़्दीक फराइज़ की अदाएगी के बाद सबसे अफज़ल अमल मुसलमान के दिल में ख़ुशी दाखिल करना है।
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✅इस्लामी मुआशरे का हुस्न

👉🏽सातवी फ़ज़ीलत ये है कि ज़कात देने का अमल इस्लामी मुआशरे का हुस्न है कि एक गनी मुसलमान गरीब मुसलमानो को ज़कात दे कर उसे मुआशरे में सर उठा कर जीने का हौसला मुहय्या करता है। नीज़ फ्रिब का दिल किना व हसद की शिकार गाह बनने से महफूज़ रहता है, क्यूकी वो जनता है कि उसके गनी मुसलमान के माल में उस का भी हक़ है, चुनान्चे वो अपने भाई के जान, माल और अवलाद में बरकत के लिये दुआ गो रहता है,
🌴नबी ﷺ ने फ़रमाया : बेशक मोमिन के लिये मोमिन मिस्ले इमारत के है, बाज़ बाज़ को तक़्वीययत पहुचाता है।

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♻हिस्सा~12

✔ज़कात देने के फवाइद
♻हिस्सा~05

♐मज़बूत भाई चारा

👉🏽8वा फायदा ये है कि ज़कात मुसलमानो के दरमियान भाई चारा मज़बूत बनाने में निहायत अहम किरदार अदा करती है, जिस से इस्लामी मुआशरे में इजतिमाइय्यत को फरोग मिलता है और इमदादे बाहमी की बुन्याद पर मुसलमान अपने प्यारे आक़ा के इस फरमाने अज़ीम का मिसदाक़ बन जाते है की:
👉🏽मुसलमानो की आपस में दोस्ती और रहमत व शफ़क़त की मिसाल जिसम्बकी तरह है, जब जिस्म का कोई उज़्व बीमार होता है तो बुखार और बे ख्वाबी में सारा जिस्म उस का शरीक होता है।
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♐माल पाक हो जाता है

👉🏽ज़कात देने वाले को 9वा फायदा ये हासिल होता है कि उसका माल पाक हो जाता है, जैसा कि हज़रते अनस बिन मालिक से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया :
👉🏽अपने माल की ज़कात निकाल कि वो पाक करने वाली है, तुझे पाक कर देगी।

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✔ज़कात देने के फवाइद
♻हिस्सा~06

✅बुरी सिफ़ात से छुटकारा

👉🏽10वा फायदा ये है कि ज़कात न सिर्फ माल को पाकीज़ा बनाती है बल्कि नफ़्स को भी पाकीज़गी बख्शती है कि नफ़्स को लालच और बुख्ल जेसी बुरी सिफ़ात से नजात दिलाती है।

📗क़ुरआने पाक में पारह 4 सूरए आले इमरान आयत 180 में बुख्ल की मज़म्मत इन अलफ़ाज़ में बयान की गई है :
☝🏽और जो बुख्ल करते है उस चीज़ में जो अल्लाह ने उन्हें अपने फ़ज़्ल से दी हरगिज़ उसे अपने लिये अच्छा न समजे बल्कि वो उनके लिये बुरा है अन क़रीब वो जिसमे बुख्ल किया था क़यामत के दिन उनके गले का तौक़ होगा।

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📚बरकाते ज़कात, स.12
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♻हिस्सा~13

✔ज़कात देने के फवाइद
♻हिस्सा~07

♐माल की बरकत

👉🏽ज़कात का 11वा फायदा ये है कि ज़कात देने वाले का माल कम नहीं होता, बल्कि दुन्या व आख़िरत में बढ़ता है। अल्लाह तआला पारह 22 सूरए सबा आयत 39 में फ़रमाता है :
☝🏽और जो चीज़ तुम अल्लाह की राह में खर्च करो वो इसके बदले और देगा और वो सब से बेहतर रिज़्क़ देने वाला है।

👉🏽एक और मक़ाम पर पारह 3 सूरतुल बक़रह आयत 261-262 में इरशाद फ़रमाता है :
☝🏽उनकी कहावत जो अपने माल अल्लाह की राह में खर्च करते है उस दोनों की तरह जिस ने उगाई सात बाली, हर बाल में सो दाने और अल्लाह इस से भी ज़्यादा बढ़ाए जिस के लिये चाहे और अल्लाह वुसअत वाला इल्म वाला है, वो जो अपने माल अल्लाह की राह में खर्च करते है, फिर दिये पीछे न एहसान रखे न तकलीफ दे उनका नेग (इनआम) उन के रब के पास है और उन्हें न कुछ अंदेशा हो न कुछ गम।

👉🏽मालुम हुवा कि ज़कात देने वाले को ये यक़ीन रखते हुवे खुश दिली से ज़कात देनी चाहिए कि अल्लाह तआला उसको बेहतर बदला अता फ़रमाएगा।
🌴हुज़ूर ﷺ का फरमाने अज़मत निशान है : सदके से माल कम नहीं होता।

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📚बरकाते ज़कात, स.13
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💰बरकाते ज़कात💰
♻हिस्सा~14

✔ज़कात देने के फवाइद
♻हिस्सा~08

♐माल के शर से हिफाज़त

👉🏽12वा फायदा ये है कि ज़कात देने वाला माल के शर से महफूज़ हो जाता है।
🌴हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया :जिस ने अपने मालकी ज़कात अदा करदी, बेशक उससे माल का शर दूर हो गया।
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♐हीफाज़ते माल का सबब

👉🏽13वा फायदा ये है कि ज़कात देना हीफाज़ते माल का सबब है, जिस की फरमाने मुस्तफा ﷺ है :
👉🏽अपने मालो को ज़कात दे कर मज़बूत किल्लो में कर लो और अपने बीमारो का इलाज खैरात से करो।

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

🖊हवाला
📚बरकाते ज़कात, स.14
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💰बरकाते ज़कात💰
♻हिस्सा~15

✔ज़कात देने के फवाइद
♻हिस्सा~09

♐हाजत रवाई

👉🏽14वी फ़ज़ीलत ये है कि अल्लाह तआला ज़कात देने वालो की हाजत रवाई फ़रमाएगा। इस ज़िम्न में दो फरमाने मुस्तफा ﷺ मुलाहज़ा कीजिये :
👉🏽जिसने किसी तंगदस्त के लिये आसानी की, अल्लाह तआला उसके लिये दुन्या और आख़िरत में आसानी कर देगा।

👉🏽जो किसी मुसलमान को दुन्यवि रक्लिफ़ से रिहाई दे तो अल्लाह तआला उससे क़यामत के दिन की मुसीबत दूर फ़रमाएगा।
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☝🏽दुआए मिलती है

👉🏽15वा फायदा ये है कि ज़कात से गरीबो की दुआए मिलती है, जिससे रहमते खुदावन्दि और मददे इलाही हासिल होती है। जैसा कि हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया :
👉🏽तुम को अल्लाह तआला की मदद और रिज़्क़ जईफ़ो की बरकत और उनकी दुआओ के सबब पहुचता है।

🖊हवाला
📚बरकाते ज़कात, स.15
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♻हिस्सा~16

*ज़कात की अदाएगी की हिकमते*
♻हिस्सा~01

👉🏽सखावत इंसान का कमाल है और बुख्ल ऐब है। इस्लाम ने ज़कात की अदाएगी जैसा प्यारा अमल मुसलमानो को अता फ़रमाया ताकि इंसान में सखावत जैसा कमाल पैदा हो और बुख्ल जैसा बद तरीन ऐब उसकी ज़ात से खत्म हो।

👉🏽जैसे एक मुल्की निज़ाम होता है कि हमारी कमाई में हुकूमत का भी हिस्सा होता है, जिसे वो टेक्स के तौर पर वसूल करती है और फिर वोही टेक्स हमारे ही मफाद में यानी मुल्की इन्तिज़ाम पर खर्च होता है, बिला तशबीह हमे मालो दौलत और दीगर तमाम नेमतों से नवाजने वाली हमारे रब की ही प्यारी जाते पाक है और ज़कात अल्लाह का हक़ है, जो हमारे ही गुरबा पर खर्च किया जाता है।

👉🏽रब चाहता तो सब को मालो दौलत अता फ़रमा कर गनी कर देता, लेकिन उसकी मशिय्यत है कि उसने अपने बन्दों में बाज़ो को आमिर और दौलत मन्द किया और बाज़ो को गरीब रखा और अमीरो यानी साहिबे निसाब पर ज़कात की अदाएगी लाज़िम कर दी ताकि इससे अमीरो और गरीबो में प्यार, महब्बत और बाहमी इमदाद का जज़्बा पैदा हो और अल्लाह की नेमत को सब मिल बाट कर खाए और उस का शुक्र अदा करे।

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

🖊हवाला
📚बरकाते ज़कात, स.19
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♐हिस्सा~17

*ज़कात की अदाएगी की हिकमते*
♐हिस्सा~02

➡शरीअत ने ज़कात फ़र्ज़ करके कोई अनहोनी चीज़ नहीं की बल्कि अगर हम अपने अतराफ़ में गौरो फ़िक़्र करे तो ज़कात की हिक्मत हर जगह मौजूद है। जेसे कि फलो का गुदा इंसान के लिये है मगर छिलका जानवरो का हक़ है। गन्दुम में फल (यानी बिज) हमारा हिस्सा मगर भूसा जानवरो का। हमारे जिस्म में बाल और नाख़ून वग़ैरा का हद्दे शरई से बढ़ने की सूरत में अलाहदा करना ज़रूरी है की ये सब जिस्म की ज़कात यानी इज़ाफ़ी चीज़ मेल है। बिमारी तंदुरस्ती की ज़कात, मुसीबत राहत की ज़कात, नमाज़े दुन्यवि कारोबार की गोया की ज़कात है।

➡अगर हर चीज़ वो शख्स जिस पर ज़कात फ़र्ज़ है, ज़कात की अदाएगी का अपने ऊपर लाज़िम करले तो मुसलमान कभी दुसरो के मोहताज न होंगे। मुसलमानो की ज़रूरते मुसलमानो से ही पूरी हो जाएगी और किसी को भी मांगने की भी हाजत न होगी।

➡बहर हाल दौलत को तिजोरियों में बंद करने के बजाए ज़कात व सदक़ात की सूरत में राहे खुदा में खर्च करे, वरना यक़ीन कीजिये कि ज़कात अदा न करना, आख़िरत के दर्दनाक अज़ाब और दुन्या में मआशी बद हाली का सबब बन सकता है।

🖊हवाला
📚बरकाते ज़कात, स.20
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⤵हिस्सा~18

~*माल की बर्बादी*~

➡ज़कात न देना माल की बर्बादी का सबब है। इस ज़िम्न में दो फरमाने मुस्तफा ﷺ समआत फरमाइये :

1⃣खुश्की व तरी में जो माल ज़ाए हुवा है, वो ज़कात न देने की वजह से तलफ हुवा है।

2⃣ज़कात का माल जिस में मिला होगा, उसे तबाह व बर्बाद कर देगा।

➡सदरूश्शरीअ मुफ़्ती अमजद अली आज़मी अलैरहमा इस हदिष की वज़ाहत करते हुवे लिखते है :
बाज़ अईम्मा ने इस हदिष के ये माना बयान किये कि ज़कात वाजिब हुई और अदा न की और अपने माल में मिलाए रहा तो ये हराम उस हलाल को हलाक कर देगा और इमाम अहमद अलैरहमा ने फ़रमाया कि माना ये है कि मालदार शख्स माले ज़कात ले तो ये माले ज़कात उसके माल को हलाक कर देगा कि ज़कात तो फ़क़ीरों के लिये है और दोनों माना सहीह है।

✍🏽 *हवाला*
📕 *बहारे शरीअत* 1/5/871
📚 *बरकतें ज़कात* स.21
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⤵हिस्सा~19

_*इज्तिमाई नुक़सान*_

➡ज़कात अदा न करने वाली क़ौम को इज्तिमाई नुक़सान का सामना करना पड़ता है। फरमाने मुस्तफा ﷺ है :
*⃣जो क़ौम ज़कात न देगी अल्लाह उसे कहत में मुब्तला फ़रमाएगा।

➡जब लोग ज़कात की अदाएगी छोड़ देते है तो अल्लाह बारिश को रोक देता है, अगर ज़मीन और चोपाई मौजूद न होते तो आसमान से पानी का एक क़तरा भी न गिराता।

✍🏽 _*हवाला*_
📚 *बरकाते ज़कात* स.21
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⤵हिस्सा~20

~*माल वबाल बन जाएगा*~

➡ज़कात न देने वाले के लिये बरोज़े क़यामत येही माल, वबाले जान बन जाएगा।
🌴हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया :
जिसको अल्लाह तआला ने माल दिया और वो उस की ज़कात अदा न करे तो क़यामत के दिन वो माल गंजे सांप की सूरत में कर फिया जाएगा, जिस के सर पर दो सियाही निशाँ होंगे, वो सांप उसके गले में तौक़ बना कर दाल दिया जाएगा। फिर उस की बाछे पकड़ेगा और कहेगा : में तेरा माल हु, में तेरा खजाना हु।

*✍🏽सहीह बुखारी* 1/474 हदिष 1403
*✍🏽बरकाते ज़कात* स.22
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⤵हिस्सा~21

*अज़ाबात का नक्शा*

➡ज़कात अदा करने के जहा बे शुमार षवाब है, न देने के लिये वहा खौफनाक अज़ाबात भी है,

➡आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैरहमा क़ुरआनो हदिष में बयान कर्दा अज़ाबात का नक्शा खीचते हुए फरमाते है :
जिस सोने चांदी की ज़कात न दी जाए, रोज़े क़यामत जहन्नम की आग में तपा कर इससे उनकी पेशानिया, करवटें, पीढ़े दागी जाएगी।
➡उनके सर पिस्तान पर जहन्नम का गर्म पथ्थर रखेंगे कि छाती तोड़ता शाने से निकल जाएगा, पीठ तोड़ कर करवट से निकलेगा, गुद्दी तोड़ कर पेशानी से उभरेगा।

➡जिस माल की ज़कात न दी जाएगी रोज़े क़यामत पुराना खबीस खू खार अज़हदा बन कर उसके पीछे दौड़ेगा, ये हाथ से रोकेगा, वो हाथ चबालेग, फिर गले में तोक बन कर पड़ेगा, इसका मुह अपने मुह में ले कर चबाएगा कि में हु तेरा माल, में हु तेरा खज़ाना।
फिर उसका सारा बदन चबा डालेगा।

📮बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

*✍🏽फतावा रज़विय्या* 10/153
*✍🏽बरकाते ज़कात* 22
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हिस्सा~21

*अज़ाबात का नक्शा*
हिस्सा~02

➡आला हज़रत रहमतुल्लाह अलैह ज़कात न देने वाले को क़यामत के अज़ाब से डरा कर समझते हुवे फरमाते है :

*⃣ऐ अज़ीज़ ! क्या खुदा व रसूल के फरमान को युही हँसी ठठ्ठा समझता है या (क़यामत के दिन यानी) 50,000 बरस की मुद्दत में ये ज़ाकाह मुसीबते झेलनी सहल जानता है, ज़रा यही की आग में एक आध रूपया गर्म करके बदन पर रख कर देख, फिर कहा ये हलकी सी गर्मी, कहा वो क़हर आग, कहा ये एक ही रूपया कहा वो सारी उम्र का जोड़ा हिवा माल, कहा ये मिनट भर की देर, कहा वो हज़ार दिन बरस की आफत, कहा ये मामुलिसा दाग कहा वो हड्डिया तोड़ कर पार होने वाला गज़ब।
अल्लाह तआला मुसलमान को हिदायत बख्शे।

*✍🏽फतावा रज़विय्या* 10/175
*✍🏽बरकाते ज़कात* स.23
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