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फातिहा और इसाले षवाब का तरीका

🌴मकबूल हज का सवाब🌴

👉जो ब निय्यते सवाब अपने वालिदैन या किसी एक की कब्र की ज़ियारत करे, हज्जे मकबूल के बराबर सवाब पाये और जो ब कसरत इनकी कब्र की ज़ियारत करता रहे, फ़रिश्ते उसकी कब्र की (यानी जब वो फौत होगा) ज़ियारत को आएंगे।

📚फातिहा और इसाले सवाब का तरीका-3

💫दस हज का षवाब💫

👪जो अपनी माँ या बाप की तरफ से हज करे और उनकी तरफ से हज अदा हो जाएं, तो उस हज करने वाले को मजीद दस हज का षवाब मिलेगा।
सुब्हान अल्लाह....

⭕जब कभी नफ्ल हज की सआदत हासिल हो तो फौत शुदा माँ या बाप की निय्यत कर लीजिये ताके उनको भी हज का षवाब मिले आप का भी हज हो जाए बल्कि माजिद 10 हज का षवाब हाथ आए।

☝🏽अल्लाह हमें उसके और उसके हबीब के दर की ज़ियारत बार बार नसीब फरमाए।
और नफ्लि हज में अपने वालीदेन की और से हज का सर्फ़ हासिल फरमाए
आमीन.....
📚फातिहा और इसाले सवाब का तरीका-4


♻दुसरो के लिए दुआए मगफिरत की फ़ज़ीलत

🌴हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया
जो कोई तमाम मोमिन मर्द और औरत के लिये दुआए मगफिरत करता है, अल्लाह उसेके लिए हर मोमिन मर्द व औरत के एवज़ एक नेकी लिख देता है।
☝🏽माशा अल्लाह
अरबो खरबो नेकिया कमाने का नुस्खा हाथ आ गया।
अव्वल आखिर दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये और ये दुआ करते रहिये इंशा अल्लाह ढेरो नेकिया हाथ आएगी।

☝🏽ऐ अल्लाह ! मेरी और हर मोमिन व मोमिना की मगफिरत फरमा।
अमिन


📚फातिहा और इसाले षवाब का तरीका-8


💐सब कब्र वालो को सिफारिशी बनाने का अमल

🌴हुज़ूर ﷺ का फरमान :
जो शख्स कब्रस्तान में दाखिल हुआ और उसने सूरतुल फातिहा, सूरतुल इखलास और सूरतुल सुरतुत्तकासुर पढ़ी फिर ये दुआ मांगी
👉या अल्लाह ! मेने जो कुछ भी क़ुरआन पढ़ा उसका षवाब इस कब्रस्तान के मोमिन और मोमिना को पोहचा।
तो वो सब के सब क़यामत के रोज़ इसाले षवाब करने वाले की सिफारशी होंगे।

💐मुर्दो की तादाद के बराबर अज्र
🌴हुज़ूर ﷺ ने फरमाया
जो कब्रस्तान में 11 बार सूरतुल इखलाश पढ़ कर मुर्दो को इसाले षवाब करे तो मुर्दो की तादाद के बराबर इसका अज्र मिलेगा।

💐सूरए इखलास के इसाले षवाब की हिकायत
🌴हुज़ूर ﷺ फरमाते है
में एक रात मक्कए मुकर्रमा के कब्रस्तान में सो गया। क्या देखता हु के कब्र वाले हल्का दर हल्का खड़े है, मेने उनसे पूछा क्या क़यामत काइम हो गई ? उन्होंने कहा नहीं, बात ये है की एक शख्स ने सूरतुल इखलास पढ़ कर हमको इसाले षवाब किया तो वो षवाब हम एक साल से तकसीम कर रहे है।

📚फातिहा और इसाले षवाब का तरीका, स. 10,11


🌹इसाले षवाब का तरीका🌹

👉इसाले षवाब के लाफ़ज़ी माना है "षवाब पोहचना" इसको "षवाब बख्शना" भी कहते है, मगर बुज़ुर्गो के लिए षवाब बख्शना कहना मुनासिब नहीं, "षवाब नज़र करना" कहना अदब के ज़ियादा करीब है।
👳🏼अहमद राजा खान फरमाते है :
हुज़ूर ﷺ और नबी या वली को "षवाब बख्शना" कहना बे अदबी है बख्शना बड़े की तरफ से छोटे को होता है, तो नज़र करना या हदिया करना कहे।

📗फतावा रज़वीय्या, जी. 26, स. 609
📚फातिहा और इसाले षवाब का तरीका, स. 12

To be continue......
🌹इसाले षवाब का तरीका🌹

👉11 वी शरीफ और रजबी शरीफ (यानि 22 रजबुल मुराज्ज्म) के कुंडे वगेरा जाइज़् है। कुंडे ही में खीर खिलाना ज़रूरी नहीं दूसरे बर्तनमे भी खिला सकते है, इसको घर से बहार भी ले जा सकते है, इस मौका पर जो कहानी पढ़ी जाती है वो बे अस्ल है, यासीन शरीफ पढ़ कर 10 क़ुरआने करीम ख़त्म करने का षवाब कमाइए और कुंडे के साथ इसे भी इसाले षवाब कर दीजिये।
👉ऑलियाए किराम की फातिहा के खाने को ताज़िमन "नज़रो नियाज़" कहते है और ये तबर्रुक है, इसे अमीर व गरीब सब खा सकते है।
👉नियाज़ के खाने पर फातिहा पढ़ने के लिए किसी को बुलवाना या बहार के मेहमान को खिलाना शर्ट नहीं, घर के अफ़राद खुद ही फातिहा पढ़ कर खाले जब भी कोई हर्ज़ नहीं।

📚फातिहा और इसाले षवाब का तरीका, 15
To be continue.......
🌹इसाले षवाब का तरीका🌹

👉🏿इसाले षवाब (यानि षवाब पोहचाने) के लिए दिल में निय्यत करलेना काफी है, मसलन आप ने किसी को एक रुपया खैरात दिया या एक बार दुरुद शरीफ पढ़ा या किसी को एक सुन्नत बताई, अल गरज कोई भी नेक काम किया आप दिल ही दिल में इस तरह निय्यत करले "अभी मेने जो सिनन्त बताई इसका षवाब सरकारे मदीना ﷺ को पहोंचे". इंशा अल्लाह षवाब पहोच जायेगा।। माजिद जिन जिन की निय्यत करोगे उनको भी पहोचेगा। दिल में निय्यत होने के साथ साथ ज़बान से कहलना भी अच्छा है की ये सहाबी से साबित है।

📚फातिहा और इसाले षवाब का तरीका, 17

👉🏽हम सोने से पहले इस तरह भी इसाले षवाब कर शकते है।
👉"आज के दिन में मेने जो भी नेकी की उसका षवाब हमारे आक़ा ﷺ पोहचे और आप जिसे पोहचना चाहते है उनको भी पोहचा दे।
👉जितने ज्यादा लोगो को पोहचाओगए उतना षवाब ज्यादा पाओगे।
👉🏽आखिर में ये कहदे....
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर क़यामत तक जितने भी मोमिन मोमिना थे, है, होंगे उनको उसका षवाब पोहचाता हु।

☝🏽अल्लाह हमें नेकिया करनेकी तौफीक दे और गुनाहो से नफरत अता करे......
आमीन...

🌹इसाले सवाब का तरीका🌹

☝🏽दुआ का तरीका
👉या अल्लाह ! जो कुछ पढ़ा गया (अगर खाना वगैरा है तो इस तरह भी कहिये) और जो कुछ खाना वगैरा पेश किया गया है उस का षवाब हमारे नाकिस अमल के लायक नहीं बल्कि अपने करम के शायाने शाह मर्हमत फरमा। और इसे हमारी जानिब से अपने महबूब ﷺ की बारगाह में नज़र पोहचा। सरकारे मदीना ﷺ के तवस्सुत से तमाम अम्बियाए किराम, तमाम सहबाए किराम, तमाम औलियाऐ इज़ाम की जनाब में नज़र पोहचा। सरकारे मदीना ﷺ के तवस्सुत से आदम सफिय्युल्लाह से ले कर अब तक जितने इंसान व जिन्नात मुसलमान हुए या क़यामत तक होंगे सब को पोहचा।
👉🏽इस दौरान बेहतर है की जिन बुज़ुर्गो को खुसुसंन इसाले षवाब करना है उनका भी नाम लेते जाइये। अपने माँ बाप और दीगर रिश्तेदारो और अपने पिरो मुर्शिद को भी नाम बी नाम इसाले षवाब कीजिये।
👉🏿फौत शुदागान में से जिन जिन का नाम लेते है उन को ख़ुशी हासिल होती है अगर नाम न ले सिर्फ इतना कहले की या अल्लाह ! इसका षवाब आज तक जितने भी अहले ईमान हुए उन सब को पोहचा, तब भी हर एक को पहच जाएगा। इंशा अल्लाह

📚फातिहा और इसाले षवाब का तरीका, 25
🌹मज़ार पर हाज़री का तरीका🌹

👳🏼बुज़ुर्गो की ज़ाहिरी ज़िन्दगी में भी कदमो की तरफ से यानी चेहरे के सामने से हाज़िर होना चाहिए, पीछे से आने की सूरत में उन्हें मुड़ कर देखने की ज़हमत होती है। 👉🏿लिहाज़ा बुज़ुर्गाने दिन के मज़रात पर भी कदमो की तरफ से हाज़िर हो कर किब्ले को पीठ और साहिबे मज़ार के चेहरे की तरफ रुख कर के कम अज़ कम चार हाथ यानि दो गज़ दूर खड़े हो और इस तरह सलाम अर्ज़ करे :
💐अस्सलामु अलैक या-सैयदि व-रहमतुल्लाहि व-बरकतुहु
💐1 बार सूरए फातिहा और 11 बार सूरए इखलास अव्वल आखिर 1 या 3 बार दुरुद शरीफ पढ़ के साहिबे मज़ार का नाम लेकर इसाले  षवाब करे और दुआ मांगे। 👉अहसनूल वीआअ में है वाली के मज़ार के पास दुआ क़ुबूल होती है।

👉🏿दुआ का तरीका ये है की हम कहे की आप हमारे लिए दुआ करे, ये न कहे की आप ये कर दीजिये, वो कर दिजिये।
☝🏽जोभी मांगे अल्लाह से मांगे और वाली को वसीला बना के मांगे।
इंशा अल्लाह हाजत ज़रूर पूरी होगी।

📚फातिहा और इसाले षवाब का तरीका, स. 27

🚫कुछ लोग मज़ार का तवाफ़ करते है और सजदह भी करते है, ये हराम और जहन्नम में लेजाने वाला काम है। लिहाजा ऐसी बातो से खुद भी बचे और दुसरो को भी इससे बचाये।

DEEN-E-NABI ﷺ📚

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Mazar Pe Haazri Ka Tariqa:

Ala hazrat farmate hain
"Paainti (Qadmon) Ki Taraf Se Jaaye,
Kam Az Kam Chaar (4) Haath Ke Faasley Par Mawajeh Pr Khara Ho,
Ba Adab Salam Arz Karey.
3 Baar Alhamd Sharif,
1 Martaba Ayat ul Kursi,
7 Martaba Sura e Ikhlas Tilawat Karey.
(Fatawa Razawiya 9/522)

Mazaar Pr Dua Ka Tariqa:
Ala Hazrat farmate hain
"Fatiha Ke Bad Zaair Sahib e Mazaar Ke Wasiley Se Dua Karey Aur Apna Jaaiz Matlab Pesh Karey.
Phir Salam Krta Hua Wapis Aye.
Mazaar Ko Na Hath Lgaye Na Bosa Dey.
Tawaf Bil Ittefaq Na Jaaiz He Aur Sajda Haraam He.
(Fatawa Razawiya 9/522)

Mazar ya qabr Par Phoolon Ki Chaadar Daalne Me Shar'an Harj Nahi Bulke Niyyat e Hasan Se Hasan He
Jese
Quboor Par Phool Daalna Ke Jb Tak Wo Tarr Rahen Ge Tasbih Karen Ge Is Se Mayyit Ka Dil Behalta He Aur Rehmat Utarti He.
Fatawa Alamgiri Me Hai:
Qabro Par Phoolo Ka Rakhna Acha He"
(Fatawa Hindiya 5/351)
Deegar Hawala Jaat:
(Fatawa Imam Qazi Khan)
(Imdadul Miftah)
(Raddul Mukhtar 1/606)
(Fatawa Razawiya 9/105)

Mazaarat Par Chaadar Chadhana:
Ala hazrat farmate hain
"Mazaar Par Jab Chaadar Mojud Ho,
Kharab Na Hui Ho Badalne Ki Haajat Nahi Tu Chaadar Charhana Fuzul Hai,
Bulkey Jo Daam Is Me Sarf Karen, ALLAH Ke Wali Ko Esaal e Sawab Karne K Lye Kisi Mohtaj Ko Den"
(Ahkaam e Shariyat 1/42)

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