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शाने खातुने जन्नत






*शाने खातुने जन्नत* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_फरिस्ते की बशारत बराए खातून ए जन्नत_*
     हज़रते सय्यिदुना हुज़ैफा बिन यमानرضي الله تعالي عنه  फरमाते है मेने अपनी वालिदा ए माजिदा से अर्ज़ कि:आप मुझे इज़ाज़त फरमाए की में नबीय्ये रहमतﷺ  की खिदमत में हाज़िर हो कर आपﷺ की इक्तिदा में नमाज़े मगरिब अदा करू और अर्ज़ करू की आपﷺ मेरे और तुम्हारे लिए दुआ ए मगफिरत फरमाए |
     हज़रते हुजैफाرضي الله تعالي عنه फरमाते है : "में नाबिए करीमﷺ की खिदमाते बा बरकत में हाज़िर हुआ और आप की इक्तिदा में नमाज़े मगरिब पढ़ी, जब आपﷺ इशा की अदायगी से भी फारिग हो गए और तशरीफ़ ले जाने लगे तो में आप के पीछे पीछे चल पडे।
     नाबिए ग़ैब दाﷺ ने मेरी आवाज़ सुनी तो फ़रमाया: कोन? क्या हुजैफा? अर्ज़ की जी हा, इरशाद फ़रमाया : तुम्हारी क्या हाजत है? अल्लाह तआला तुम्हारी और तुम्हारी माँ की मगफिरत फरमाए।
     फिर फ़रमाया: ये एक फरिश्ता है जो इस रात से पेहले कभी ज़मीन परनहीं  उतरा, इसने अपने रब से इज़ाज़त मांगी की मुझे सलाम करे और मुझे बशारत दे  की
     फातिमाرضي الله تعالي عنها जन्नती औरतो की सरदार है और हसन व हुसैनرضي الله تعالي عنهم जन्नती नौ जवानो के सरदार है।
*✍🏽तिर्मिज़ी, 857*

     आपने मुलाहजा फ़रमाया की मुस्तफा जाने रहमतﷺ ने हज़रते हुजैफाرضي الله تعالي عنه को पहचान भी  लिया और उन की दिली हाजत भी मालुम कर ली की ये क्यों आ रहे है ? और बिगैर उनके कहे उनके लिये और उनकी वालिदा के लिए दुआ ए मगफिरत भी फरमा दी।
     हमारे आकाﷺ पर कुछ पोशीदा नहीं आप पर पत्थरो की हालत भी ज़ाहिर है चुनांचे "बुखारी शरीफ " में है , सरकारे मदनीﷺ ने फ़रमाया: उहुद पहाड़ हम से मोहब्बत करता और हम इससे मोहब्बत करते है ।'"
*शाने खातुने जन्नत, 14,15*
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*शाने खातुने जन्नत* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_सैय्यदा फातिमा का मूख्तसर तआरूफ़_*
     शैखुल हदिष हज़रते अलामा मौलाना अब्दुल मुस्तफा आ'ज़मीرضي الله تعالي عنها फरमाते है : हज़रते सय्यिदुना फातिमातुज़्ज़हरा शहंशाहे कौनैन ﷺ की सब से छोटी मगर सब से ज़्यादा प्यारी और लाडली शाहज़ादि है
     आपرضي الله تعالي عنها का नाम "फातिमा" और याद रहे की हमारे आका ﷺ  के 3 शहज़ादे और 4 शहज़ादीयां थी शहज़ादों के नाम हज़रते सय्यिदुना कासिम, हज़रते सय्यिदुना इब्राहिम, हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाहرضي الله تعالي عنهم और शहजादियों के नाम हज़रते सय्यिदूना ज़ैनब, हज़रते सय्यिदुना रुकय्या, हज़रते सय्यिदुना उम्मे कुलशुम, हज़रते सय्यिदुना फातिमाرضي الله تعالي عنها हज़रते सय्यिदुना ज़ैनब शाहज़ादयो में सब से बड़ी थी।
     लक़ब "ज़ाहिरा" और "बतुल" है ।
इमाम अब्दुलरहमान बिन अली ज़ोज़ीرضي الله تعالي عنه  फरमाते है: एलाने नुबुव्वत से 5 साल क़ब्ल हज़रते सय्यिदुना फातिमातुज़्ज़हरा की पैदाइश हुई ।

*_अलकाबात_*
     हज़रते सय्यिदुना फातिमातुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها के बेशुमार अल्काबात है जैसे उम्मुस्सादात, मखदूम ए काइनात, दुख्तरे  मुस्तफा, बानूए मुर्तज़ा, सरदारे ख़वातीन ए जहां व् जीना, हज़रते सैय्यदा, तय्यिबा, ताहिरा, फातिमा ज़हरा और बतुल, ज़ाकिया, राज़िया मरज़िया, आबिदा, ज़ाहिदा, मोहदिषा, मुबारका, ज़ाकिय्या, अज़रा, सय्यिदतुन्निसा, खैरुन्निसा, खातून ए जन्नत, मुअज़्ज़मा, उम्मुल हाद-उम्मुल हसनैन वगैरा     
     जैसी अज़ीम कुन्यते और कषिर अल्काबात आप की शख्शियत को ही मौज़ू हो सकते है ।
     आपرضي الله تعالي عنها की एक खास कुन्यत "उम्मे अबिहा" भी है ।
*✍🏽शाने खातुने जन्नत, 18*
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*शाने खातुने जन्नत* #03
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*_फातिमा की वजहे तसमिया_*
     खतूने जन्नत के बाबाजान, रहमते अल्मिय्यान्न , महबूबे रहमान ﷺ का फरमाने आलिशान है : इस ( यानी मेरी बेटी) का नाम फातिमा इस लिए रखा गया क्योंकि अल्लाह तआला ने इस को और इस के मुहिब्बीन को दोज़ख़ से आज़ाद किया है।
*✍🏽कन्ज़ुल उम्माल, 12/50*

     हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मसऊदرضي الله تعالي عنه फार्मते है की हुज़ूर ﷺ ने फरमाया: बेशक फातिमा ने पाक दामनी  इख्तियार कि और अल्लाह तआला ने इस की अवलाद को दोज़ख़ पर हराम फरमा दिया है।
*✍🏽अलमुस्तदरक लिल्हाकिम, 4/135*

     हज़रते सय्यिदुना अनस बिन मालिकرضي الله تعالي عنه फरमाते है में अपनी वालिदा से फातिमातुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها के मुतअल्लिक़ पूछा तो फ़रमाया: सय्यिदि चौदहवीं रात के चाँद की तरह हसिनो जमील थी।
*✍🏽अलमुस्तदरक लिल्हाकिम, 4/149*
*✍🏽शाने खातुने जन्नत, 19*
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*शाने खातुने जन्नत फतिमातुज़्ज़हरा* #04
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*_अल्काबात की वजहे तस्मिया_*

*_ज़हरा यानि जन्नत की कली_*
     शारेहे मिश्कात, हकीमूल उम्मत मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी अलैरहमा आपرضي الله تعالي عنها के नाम और लक़ब की वजह बयान करते हुए फरमाते है : अल्लाह तआला ने जनाबे फातिमाرضي الله تعالي عنها, आप की अवलाद, आप के मुहिब्बीन को दोज़ख़ की आग से दूर किया है इस लिए आप का नाम "फातिमा" हुआ। चुंकि आप दुनिया में रहते हुए भी दुनिया से अलग थी लिहाज़ा "बतुल" लक़ब हुआ, "ज़हरा" ब मा'ना कली, आपرضي الله تعالي عنها जन्नत की कली थी हत्ता की आप की कभी ऐसी कैफ़ियत न हुई जिससे ख़वातीन दो चार होती है और आप के जिस्म से जन्नत की खुश्बू आती थी जिसे हुज़ूरﷺ सुंघा करते थे। इस लिए आपرضي الله تعالي عنها का लक़ब "ज़हरा"हुआ।"
*✍🏽मिरातुल मनाजिह, 8/542*

*_ताहिरा व ज़ाकिया_*
     इस का मतलब है: "पाको साफ़"। चूंकि आपرضي الله تعالي عنها बचपन ही से अपने बाबाजान रहमते आलमﷺ की नज़रे रहमत और फैजान से ज़ाहिरी और बातिनी तहारत व् पाकी हासिल कर चूँकि थी हत्ता की आप हैज़ व निफ़ास से भी मुनज़्ज़ा व मुबर्रा (यानि पाक साफ) थी जैसा की हज़रते सय्यिदुना अल्लामा अलाउद्दीन अली मुत्तक़ी हिन्दी अलैरहमा खतूने जन्नत की शाने अज़मत निशान में हदिष ए पाक नक़्ल करते है कि : मक्की मदनी आका, वालीदे माजीदे ज़हराﷺ ने इरशाद फ़रमाया : "मेरी बेटी फातिमा इंसानी शक्ल में हूरों की तरह हैज़ व निफ़ास से पाक है।
*✍🏽कन्ज़ुल उम्माल, 6/12*
*✍🏽शाने खातुने जन्नत, 22*
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*शाने खातुने जन्नत फतिमातुज़्ज़हरा* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_फ़ज़ाइले बतुल ब ज़बानें रसूल_*
*_जो कुछ तेरी ख़ुशी है खुदा को  वोही  अज़ीज़_*
     खातामुल मुरसलीनﷺ ने हज़रते सय्यिदुना फातिमाرضي الله تعالي عنها से फ़रमाया : "तुम्हारे गज़ब से ग़ज़बे इलाही होता है और तुम्हारी रिज़ा से रिज़ाए इलाही।"
*✍🏽अलमुस्तदरक लिल्हाकिम, 4/137*
*_हम को है वोह पसंद जिसे आए तू पसंद_*
     दिलबरे आमिनाﷺ ने इरशाद फ़रमाया : "फातिमाرضي الله تعالي عنها मेरे जिस्म का हिस्सा (टुकड़ा) है जो इसे ना गवार वोह मुझे ना गवार, जो इसे पसन्द वह मुझे पसन्द। रोज़े क़ियामत सिवाए मेरे नसब, मेरे सबब और मेरे अज़्दवाज़ी रिश्तो के तमाम नसब मुनकतेअ(यानि ख़त्म) हो जाएंगे।"
*✍🏽अलमुस्तदरक लिल्हाकिम, 4/144*
*_जिगर गौशए रसूल_*
     अल्लाह के मेहबूबﷺ का इरशाद है : फातिमाرضي الله تعالي عنها तमाम जहानों की औरतों और सब जन्नती औरतो की सरदार है। माजिद फ़रमाया : फातिमाرضي الله تعالي عنها मेरा टुकड़ा है जिस ने इसे नाराज़ किया उसने मुझे नाराज़ किया।" और एक रिवायत में है : इनकी परेशानी मेरी परेशानी और इन की तकलीफ मेरी तकलीफ है।
*✍🏽मिस्कातुल मसाबिह, 2/436*

     ज़िक्र कर्दा रिवायत से पता चला की अल्लाह ने हज़रते सय्यिदतुना फातिमतुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها की जाते मुक़द्दसा को फ़ज़ाइले हमीदा व कमालाते कषिरा से सरफ़राज़ फ़रमाया हत्ता की आप की ख़ुशी को अपनी खुशी और आप की नाराज़ी को अपनी नाराज़ी करार दिया. यहां उन बद नसीबो के लिए मक़ामे गौर है जो सैय्यदाए कायनातﷺ या आपﷺ की अवलादे पाक की गुस्ताखियां करते और आपﷺ की नाराज़ी मौल ले कर उखरवी तबाही का सामान करते है।
     अहले बैत की तारीफ़ व तौसीफ करने वालों के लिये जन्नत के बागात है और ए अहले बैत के दुश्मनों ! तुम्हारे लिए दोज़ख़ की बिशारत है।
     खुश नसीब है वोह लोग जो अहले बैत किराम से मह्ब्बत करते है और अल्लाह व रसूलﷺ की रिज़ा पाते है क्यूंकि वालिदे फातिमातुज़्ज़हरा व आले फातिमा से महब्बत व अकीदत है और जिसे खुश किस्मती से रसूले पाक की रिज़ा हासिल हो गई उसे रब्ब ता'अला की रिज़ा मिल गई।

     दोनों जहां दुनिया व आख़िरत खुदा की ख़ुशनूदी के ख़्वाहा है और रब्ब त'आला हुज़ूरﷺ को खुश रखना चाहता है जैसा कि इरशाद फरमाता है :
और बेशक करीब है कि तुम्हारा रब्ब तुम्हे इतना देगा की तुम राज़ी हो जाओगे।
*✍🏽पारह 30*
*✍🏽शाने खातुने जन्नत, 26*
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*शाने खातुने जन्नत फतिमातुज़्ज़हरा*​ #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_तस्वीरें मुस्तफ़ा_*

     उम्मुल मोअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना आयशा सिद्दीका ,तय्यिबा ,ताहिरा رضي الله تعالي عنها फरमाती है कि मै ने चाल ढाल, शक्लो शबाहत ( रंग-रूप) और बात चित में फातिमा अफ़ीफा से बढ़ कर किसी को हुज़ूर नाबिए अकरमﷺ से मुशाबेह नहीं देखा और जब हज़रत फातिमाرضي الله تعالي عنها आपﷺ की बारगाह में हाज़िर होती तो हुज़ूरﷺ आप के इस्तिकबाल के लिए खड़े हो जाते, आप के हाथ थाम कर उन को बोसा देते और अपनी जगह पर बिठाते।

     और जब हुज़ूर पुरनूर,शाफेए यौमुन्नूशुरﷺ आपرضي الله تعالي عنها के पास तशरीफ़ ले जाते तो आपرضي الله تعالي عنها हुज़ूरﷺ की ता'ज़ीम के लिये क़ियाम फरमाती, आप के मुबारक हाथो को थाम कर बोसा देती और अपनी जगह बिठाती।

*✍🏽सुनन इब्ने दाऊद, 812*
*✍🏽शाने खातुने जन्नत, 26*
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*शाने खातुने जन्नत* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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_*सय्यिदा फातिमा रोई  फिर हंस पड़ी*_
     उम्मुल मोअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना आइशा सिद्दीकाرضي الله تعالي عنها फरमाती है: आकाﷺ की शहज़ादी, खतूने जन्नत हज़रते फातिमाرضي الله تعالي عنها सरवरे काइनातﷺ की खिदमत बा बरकत में हैजिर हुई। उन का चलना हूबहू (यानि बिलकुल ) रसूलूल्लाह के मुशाबेह था, जब महबूबे रब्ब, शाहेनशाहे अरबो अज़मﷺ ने उन को देखा तो फ़रमाया: ऐ मेरी बेटी ! मरहबा ! फिर उन को बिठाया, फिर उन से सरगोशी की (यानि कोई बात कही) जिस को सुनकर शाहज़ादि बहुत रोई। जब महबूबे रब्ब, शहेंशाहे अरबो अज़्मﷺ ने उन की बे करारी देखि तो दोबारा सरगोशी की जिस से आप हंस पड़ी.
     हज़रते सय्यिदतुना आइशा सिद्दीकाرضي الله تعالي عنها फरमाती है : जब हुज़ूर पुरनूरﷺ खड़े हो गए तो में ने खतूने जन्नत से पूछा : आप से रसूले खुदाﷺ ने क्या सरगोशी की थी? खतूने जन्नत ने कहा :में रसूलुल्लाहﷺ का राज़ इफशा (यानि ज़ाहिर) नहीं करुँगी, उम्मुल मोअमिनीन हज़रते सय्यिदतुना आइशा सिद्दिकाرضي الله تعالي عنها फरमाती है: जब अल्लाह के रसूलﷺ राफिके आ'ला से जा मिले (यानि महबूबे रब्बे जुल जलाल का विसाल हो गाया) तो में ने कहा: मेरा आप पर जो हक़ है में आप को उस हक़ की कसम दे कर सुवाल करती हूं, मुझे बताइये: रसूलुल्लाहﷺ ने आप से क्या फ़रमाया था?
     खातूने जन्नतرضي الله تعالي عنها ने कहा: हां! अब में बताती हु, पहली बार हबिबे परवार दगारﷺ ने सरगोशि की तो मुझे यह खबर दी की हर साल जिब्रईल मुझ से एक बार कुराने पाक का दौर किया करते थे इस मर्तबा उन्होंने 2 बार दौर किया है, अब मेरा येही गुमान है कि मेरा वक़्त करीब आ गया है, तुम अल्लाह ताअला से डरना और सब्र करना, बेशक में तुम्हारा अच्छा पेशवा हु, खतूने जन्नत ने कहा:येह सुन कर मुझ पर गिर्या तारी हुआ (यानि में रोने लगी) जब बाबाजान, महबूबे रहमानﷺ ने मेरी बे करारी देखि तो मुझ से दोबरा सरगोशी की और फ़रमाया: ऐ फातिमा! क्या तुम इस बात से राज़ी नही हो की तुम तमाम जन्नतियों की बीवियों या मोमिनों की बीवियों की सरदार हो! खातूने जन्नत ने फ़रमाया:फिर मुजे हंसी आ गई।
*✍🏽शाने खातुने जन्नत, 29*
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*शाने खातुने जन्नत* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*_10 फ़ज़ाइले फातिमा_*
     1.खतूने जन्नत हज़रते फातिमाرضي الله تعالي عنها सर से पाऊ तक हम शक़्ले मुस्तफाﷺ थी।
     2.आपرضي الله تعالي عنها की चाल ढाल हर वजअ-कतअ हुज़ूरﷺ के मुशाबेह थी ।
     3.अल्लाह ने इन्हें रसूलﷺ कि जिति जागती तस्वीर बनाया था।
     4.मुफ़्ती अहमद यार खान उम्मुल हसनैन शाहज़ादि ए कौनैन की शान में अर्ज़ करते है :
          रसूलुल्लाह की जीती जागती तस्वीर को देखा
          किया नज़ारा जिन आँखों ने तफ़सीरे नुबुव्वत का
     5.हुज़ूरﷺ जब खतूने जन्नत फातिमातुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها को आता देखते तो ख़ुशी से खड़े हो जाते और अपनी जगह बिठा लेते।
     6.जब खतूने जन्नत फातिमातुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها बारगाहे रिसालतﷺ में हाज़िर हुई तो तमाम उम्महातुल मअमिनीन मौजूद थी मगर शाहे बहरो बर, रसूले अनवरﷺ ने राज़ की बात सिर्फ अपनी लाडली शाहज़ादि से की ।
     7.माहे रमजान में कुरआन का दौर करना सुन्नते रसूली भी है और सुन्नते जिब्रिलि भी। (कुरआन पाक का दौर करने का मतलब यह है की एक पढ़े और दूसरा सुने ,फिर दूसरा पढ़े और पहला सुने, मालूम हुआ हबीबे खुदाﷺ को अपने विसाले मुबारक का पहले से ही इल्म था कि अगले रमजान से पहले ही हमारी वफाते ज़ाहिरी हो जाएगी)
     8.ऐ फातिमा जैसे तुम हमारी हयात शरीफ में तय्यिबा, ताहिरा, मुत्तकिया,साबिरा रही हो ऐसे ही हमारी वफात के बाद भी रहना, तुम्हारे पाए इस्तिक्लाल (यानि मुस्तक़िल मिज़ाजी) में जुम्बिश (यानि हरकत) न आने पाए, खातूने जन्नतرضي الله تعالي عنها ने इस पर अमल कर के दिखा दिया, रोना सब्र के खिलाफ नहीं, नौहा, पीटना वगैरा सब्र के खिलाफ है येह आप ने कभी नहीं कहा।
     9.ताजदारे रिसालतﷺ ने अपनी शाहज़ादि को जन्नती लोगो की बीवियों या मोमिनों की बीवियों की सरदार होने की बिशारत दी।
     10.हज़रते सय्यिदुना मलिक बिन अनसرضي الله تعالي عنه फरमाते है : तहाराते नफ़्स और शरफे नसब में खतूने जन्नत हज़रते सय्यिदुना फातिमातुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها के बराबर कोई नहीं हो सकता।
*✍🏽शाने खातुने जन्नत, 30*
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*शाने खातुने जन्नत* #09
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*_तसबिहे फातिमा की फ़ज़ीलत_*
     सय्यिदे कौनेन की प्यारी लाडली शाहज़ादि, खतूने जन्नत ,बीबी फातिमाرضي الله تعالي عنها खुद तन्दूर में रोटिया लगाया करती ,घर में झाड़ू देती और चक्की पिसती थी जिस से आप के हाथों में छाले पड गए थे ,रंग मुबारक मुतगय्यर और कपडे गर्द आलूद हो गए थे। एक दफा खादिम की तलब में बारगाहे मुस्तफ़ाﷺ में हाज़िर हुई तो तसबिहे फातिमा का तोहफा मिला.
     चुनांचे हज़रते सय्यिदूना अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه फरमाते हे की हज़रते सय्यिदुना फातिमातुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها आकाए नामदार, दो आलम के मालिकों मुख़्तारﷺ की बारगाह में हाज़िर हुई और आपﷺ से खादिम का सुवाल किया: हुज़ूरﷺ ने इरशाद  फ़रमाया: तुम्हे हमारे पास खादिम तो नहीं मिलेगा, क्या में तुम्हे ऐसी चीज़ न बताऊ जो खादिम से बेहतर है? तुम जब बिस्तर पर जाओ तो 33 बारسبحان الله 33 बारالحمد لله और 34 बारالله اكبر पढ़ लिया करो।

*_इस्लामी बहनो के लिये सिरते सालिहाते उम्मत_*
     हज़रते फातिमाرضي الله تعالي عنه के ज़िक्र करदा वाक़ीए से पता चलता है की ताजदारे मदीनाﷺ अपनी लाड़ली शहज़ादी के लिये येही पसंद फरमाते है की वो घर के काम-काज खुद ही करे, इससे इस्लामी बहनो के लिये एक राहे अमल मुतअय्यन होती ही।

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽शाने खातुने जन्नत, 33*
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*शाने खातुने जन्नत* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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*इस्लामी बहनो के लिये सिरते सालिहाते उम्मत*
     हज़रत मुफ़्ती अब्दुल मुस्तफा आज़मी अलैरहमा फरमाते है : औरत के फराइज़ में ये भी है की अगर शोहर गरीब हो और घरेलू काम-काज के लिये नोकरानी रखने की ताक़त न हो तो अपने घर का काम-काज खुद कर लिया करे इस में हरगिज़ हरगिज़ न औरत की कोई ज़िल्लत है न शर्म।
     बुखारी शरीफ की बहुत सी रिवायतों से पता चलता है की खुद रसूलुल्लाहﷺ की मुक़द्दस साहबज़ादी हज़रते फातिमाرضي الله تعالي عنها का भी येही मामूल था की वो अपने घर का सारा काम-काज खुद अपने हाथो से किया करती थी, कुवे से पानी भर कर और अपनी मुक़द्दस पीठ पर मशक लाद कर पानी लाया करती थी, खुद ही चक्की चला कर आटा भी पीस लेती थी इसी वजह से इनके मुबारक हाथो में कभी कभी छाले पड़ जाते थे।
     इसी तरह अमीरुल मुअमिनिन अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه की सहाबज़ादि हज़रते अस्माرضي الله تعالي عنها के मुतअल्लिक़ भी रिवायत है की वो अपने गरीब शोहर हज़रते ज़ुबैरرضي الله تعالي عنه के यहाँ अपने घर का सारा काम-काज अपने हाथो से कर लिया करती थी यहाँ तक की ऊंट को खिलाने के लिये बागो में से खजूरों की गुठलियां चुन चुन कर अपने सर पर लाती थी और घोड़े के लिये घास-चारा भी लाती थी और घोड़े की मालिश भी करती थी।
     मजीद फरमाते है : हर बीवी का ये भी फ़र्ज़ है की वो अपने शोहर की आमदनी और घर के अखराजात को हमेशा नज़र के सामने रखे और घर का खर्च इस तरह चलाए की इज़्ज़त व आबरू से ज़िन्दगी बसर होती रहे। अगर शोहर की आमदनी कम हो तो हरगिज़ शोहर पर बे जा फरमाइशों का बोझ न डाले इस लिये की अगर औरत ने शोहर को मजबूर किया और शोहर ने बीवी की महब्बत में क़र्ज़ का बोझ अपने सर पर उठा लिया और खुदा न करे इस क़र्ज़ का अदा करना दुश्वार हो गया तो घरेलू ज़िन्दगी में परेशानियो का सामना हो जाएगा और मिया बीवी की ज़िन्दगी तंग हो जाएगी इस लिये हर औरत को लाज़िम है की सब्रो क़नाअत के साथ जो कुछ भी मिले खुदा का शुक्र अदा करे और शोहर की जितनी आमदनी हो उसी के मुताबिक़ खर्च करे और घर के अखराजात को हरगिज़ आमदनी से बढ़ने न दे।
*✍🏽जन्नती ज़ेवर, 60*
*✍🏽शाने खातुने जन्नत, 37*
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*शाने खातुने जन्नत* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_इबादत हो तो ऐसी..._*
     हज़रते इमामे हसनرضي الله تعالي عنه फरमाते है को मेने अपनी वालिदा फातिमातुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها को देखा की रात को नमाज़ पढ़ती रहती यहाँ तक की नमाज़े फज्र का वक़्त हो जाता, मेने आप को मुसलमान मर्दों और औरतो के लिये बहुत ज़्यादा दुआए करते सुना, आप अपनी ज़ात के लिये कोई दुआ न करती। मेने अर्ज़ की : प्यारी अम्मी जान क्या वजह है की आपرضي الله تعالي عنها अपने लिये कोई दुआ नही करती, फ़रमाया : पहले पड़ोस है फिर घर।

     इस वाक़ये में उन इस्लामी बहनो के लिये कई नसीहत के मदनी फूल है जो नवाफ़िल तो दर कनार फराइज़ से भी गफलत बरतती है। दो जहां के ताजदार की साहिबज़ादी खातुन जन्नतرضي الله تعالي عنها ने तो राते इबादतें इलाही में गुज़ारी मगर इन की, मगर इनकी राते गफलत में गुज़रती है, कभी गुनाहो भरे चेनल्ज़ के सामने फिल्मो ड्रामे देखते, कभी कभी शादी के मौके पर खूब ढोल पीटने, बाजे बजाते और डांस करते गुज़रती है। बे हयाई को आर समझती है न बे पर्दगी से खार खाती है। हालांकि फातिमा का पर्दे का इस क़दर मदनी ज़ेहन की जीते जी ही नही बल्कि सफरे आख़िरत पर गामज़न होते वक़्त भी इस के बारे में मुतफक्किर थी और इस की पाबंदी की ताकीद फ़रमाई।

*_बीबी फ़ातेमा के जनाज़े का भी पर्दा_*
     हज़रते अलियुल मुर्तज़ाكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم फरमाते है : हज़रते फातिमतुज़्ज़हराرضي الله تعالي عنها ने मौत के वक़्त वसिय्यत फ़रमाई थी की जब में दुन्या से रुखसत हो जाउ तो रात में दफन करना ताकि किसी गैर मर्द की नज़र मेरे जनाज़े पर न पड़े।
*✍🏽मदारिजु नुबूव्वत, 2/624*
*✍🏽शाने खातुन जन्नत, 41*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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