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मदनी पंजसुरह




*बिस्मिल्लाह शरीफ की फ़ज़ीलत*
*ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि अमीरुल मुअमिनिन हज़रते उष्मान رضي الله تعالي عنه ने नबी ﷺ से *ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
की फ़ज़ीलत के बारे में इस्तिफ़सार किया, तो आप ﷺ ने फ़रमाया
ये अल्लाह के नामो में से एक नाम है और अल्लाह के *इसमें आज़म* और इस के दरमियान ऐसा ही कुर्ब है जैसा आँख की सियाही और सफेदी के दरमियान।
*मुस्तदरकल हाकम 2/250*
*मदनी पंजसुरह 1*
*कहत साली हो तो*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

 *بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ ارَّحِیْمِ*
61 बार आगे पीछे दुरुद शरीफ पढ़े फिर दुआ करे इन्शा अल्लाह बारिश होगी.
*शम्सुल मआरिफ 37*
*मदनी पंजसुरह 2*
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*शैतान से हिफाज़त व रिज़्क़ में बरकत*

*ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

कागज पर 35 बार
 *بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ ارَّحِیْم*ِ
आगे पीछे दुरुद शरीफ लिख कर घर में लटका दे इन्शा अल्लाह शैतान का गुजर न हो और खूब बरकत होगी. अगर दूकान में लटकाए  तो इन्शा अल्लाह कारोबार खूब चमके.
*शम्सुल मआरिफ 37*
*मदनी पंजुरह 4*
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*खूब बरकत होगी*
*ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

कारोबार में जाईज़ लेन देन के वक्त यानी जब किसी से ले तब और जब किसी को दे तब
*ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
पढ़े इन्शा अल्लाह खूब बरकत होगी.
*✍🏽सहीह बुखारी 3/591*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 5*
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*आफतें दूर होने का आसान विर्द*
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

अलियिल मुर्तज़ा शेरे खुदा رضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया :
ऐ अली ! में तुम्हे ऐसे कलिमात न बता दू जिन्हें तुम मुसीबत के वक़्त पढ़ लो। अर्ज़ किया ज़रूर इरशाद फरमाइये ! आप पर मेरी जान क़ुर्बान ! तमाम अच्छाइयां मेने आप ही से सीखी है।
इरशाद फ़रमाया जब तुम किसी मुसीबत में फस जाओ तो इस तरह पढ़ो :

*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ وَلَاحَوْل وَلَاقُوَّةَ اِلَّا بِااللّٰهِ الْعَلِىِّ  الْعَظَىْمِ*

पस अल्लाह इसकी बरकत से जिन बालाओं को चाहेगा दूर फरमा देगा।
*मदनी पंजसुरह 10*
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*सूरतुल हशर की आखिरी आयत पढने की फ़ज़ीलत*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

हज़रत माकिल बिन यसार رضي الله تعالي عنه से मरवी है नबी ﷺ ने फरमाया :
जो शख्स सुबह के वक्त 3 बार
 *اَعُوْ ذُبِاللّٰهِ السَّمِیْعِ الْعلِیْمِ مِنَ الشَّیْطٰنِ الرَّجِیْم*
कहे और सुरए हशर की आखिरी 3 आयत पढ़े तो अल्लाह उस के लिये 70000 फरिश्ते मुक़र्रर कर देता है जो शाम तक उसके लिये दुआए रहमत करते है और अगर उस दिन मरे तो शहीद होगा और शाम को पढ़े तो सुबह तक यही फज़ीलत है.

*هُوَاللّٰهُالَّذِىْ لَآ اِلٰهَ اِلَّاهَوَ, عٰلِمُ الْغَىْبِ واشَّهَادَةِ,هُوَالرَّحْمٰنُالرَّحِىْمُo  هُوَاللّٰهُالَّذِىْ لَآ اِلٰهَ اِلَّاهَوَ،  الْمَلِكُ الْقُدُّوْسُااسَّلٰمُا الْمُؤْمِنُ الْمُهَىْمِنُ الْعَزِىْزُ الْخَبَّارُ الْمُتَكَبِّرُ، سُبْحٰنَ اللّٰهِ عَمَّا ىُشْرِكُوْنَo هُوَاللّٰهُ الْخَالَقُ الْبَارِىُٔ الْمُصَوِّرُ لَهُ الْاَسْمَآءُالْحُسْنٰى، ىُسَبِّحُ لَهُ مَافِسَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ، وَهَوَالْعَزِىْزُالْحَكِىْمُo*
*पारह 28, सूरए हशर आयत 22-24*

*✍🏽सु्नन तिरमिज़ी 4/423*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 12*
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*सूरतुल बकरह की आखिरी आयात पढने के फ़ज़ाइल*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

हजरते नोमान बिन बसीरرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुजुरﷺ ने फ़रमाया :
अल्लाह ने जमीन व आसमान को पैदा करने से दो हज़ार साल पहले एक किताब लिखी फिर उस में से सुरहे बकरह की आखरी दो आयते नाजिल फरमाई. जिस घर में तीन राते इन दो आयतो को पढ़ा जाएगा शैतान उस घर के करीब न आयेंगा
*✍🏽तिर्मिज़ी 4/404*

हजरते  अबू जरرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुजुरﷺ ने फ़रमाया :
 सुरए बकरह के खातिमा की दो आयते अल्लाह के उस खजाने में से है जो अर्श के निचे है अल्लाह तआला ने मुझे ये दोनों आयते दी इन्हें सीखो और अपनी औरतो को सीखाओ की वो रहमत है अल्लाह से नजदीक और दुआ है।
*✍🏽दारमी 2/542*

हजरते मसउदرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुजुरﷺ ने फ़रमाया :
जो शख्स सुरए बकरह की आखिरी दो आयाते रात में पढेगा वो उसे किफ़ायत करेंगी.
*✍🏽सहीह बुखारी 3/405*

सुरए बकरह की दो आयते उस के  उस रात के कियाम [रात की इबादत] के काइम मक़ाम हो जाएगी  या उस रात उसे शैतान से महफूज़ रखेंगी एक कौल यह भी है की उस रात में नाजिल होने वाली आफत से बचाएगी।
*✍🏽फुतुहुल बारी 9/48*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 12*
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*आयतुल कुरसी के 4 फ़जाइल*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

1 हदीस शरीफ में है ये आयत कुरआने मजीद में बहुत ही अ-जमत वाली आयत है.
*✍🏽दुर्रेमनसुर 2/6*

2 हजरते उबय्य बिन काबرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुजुरﷺ ने फरमाया : ऐ अबू मुन्जिर क्या तुम्हे मालुम है की कुरआने पाक की जो आयते तुम्हे याद है उन में कोन सी आयत अज़ीम है ? मेने अर्ज किया फिर हुजुरﷺ ने मेरे सीने पर हाथ मारा और फरमाया ऐ अबू मुन्जिर तुम्हे इल्म मुबारक हो।
*✍🏽सहीह मुस्लिम 405*

3 मुस्तदरक की एक रिवायत में है की सुरए ब-करह  में एक आयत है जो कुराआने पाक की तमाम आयतो की सरदार है, वोह आयत जिस घर में पढ़ी जाए उस घर से शैतान निकल जाता हियो ओर वो आ-यतुल कुरसी है.
*✍🏽मुस्तदरक लिल्हाकिम 2/647*

4 अमीरुल मुअमिनिंन हजरते अलीرضي الله تعالي عنه फरमाते है की हुजुरﷺ से फरमाते हुए सुना जो सख्स हर नमाज़ के बाद आ-यतुल कुरसी पढ़े उसे जन्नत में दाखिल होनें से मौत के सिवा कोई चीज़ नहीं रोकती और जो कोई रात को सोते वक़्त इसे पढेगा अल्लाह उसे उस घर ओर आस पास के घरो को महफूज फरमा देगा।
*✍🏽शोएबुल ईमान 2/457*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 14*
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*आ-यतुल कुरसी की पांच ब-र-कते*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

जो शख्स हर नमाज़ के बाद आ-यतुल कुरसी पढ़ेगा उस को ये बरकते नसीब होगी,

1 वोह मरने के बाद जन्नत में जायेंगा।

2 वोह शैतान और जिन्न के तमाम शरारतो से महफूज रहेंगा।

3 अगर मोहताज़ होंगा तो चन्द दीनो में उस की मोहताजी और गरीबी दूर हो जाएगी।

4 जो शख्स सुब्ह व शाम ओर बिस्तर पर लेटते वक़्त आ-यतुल कुरसी और इस के बाद की दो आयते तक पढ़ा करेंगा वोह चोरी, गर्क आबी {पानी में डूबने} और जलने महफूज रहेंगा।

5 अगर सारे मकान में किसी ऊँची जगह लिख कर इसका कत्बा आवेजा कर दिया जाए तो उस घर में कभी फाका न होंगा बल्कि रोज़ी में ब-रक-त और इजाफा होगा और उस मकान में कभी चोर न आ सकेंगा।
*✍🏽जन्नती ज़ेवर 589*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 15*
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*अल्लाह दुआ क़ुबूल फ़रमाएगा*
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

हज़रते साद  से रिवायत है कि हुज़ूर ने फ़रमाया :
हज़रते युनुस عليه اسلام ने मछली के पेट में ये कलिमात कहे :
*لَااِلٰهَ اِلَّااَنْتَ سُبْحٰنَكَ ، اِنِّىْ كُنْتُ مِنَاظّٰلِمِيْنَ*
*लाइलाह इल्ला अन्त सुब्हानक इन्नी कुन्तु मिनज़्ज़ा लिमिन*
_तर्जुमह_
कोई माबूद नही सिवा तेरे पाकि है तुझको बेशक मुझ से बे जा हुवा।
*पारह 17*

लिहाज़ा जो मुसलमान इन कलिमात के साथ किसी मक़सद के लिये दुआ मांगे अल्लाह तआला उसकी दुआ क़बूल फ़रमाता है।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी 5/302*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 16*
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*सोते वक़्त पढ़े जाने वाले वज़ाइफ*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हज़रते अबू सईद खुदरीرضي الله تعالي عنه से मारवी है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया :
जो अपने बिस्तर पर आते वक़्त 3 बार ये पढ़ ले :
*اَسْتَغْفِرُ اللّٰهَ الْعَظِيْمَ الَّذِىْ لَاالٰهَ اِلَّا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّوْمُ وَاَتُوْبُ اِلَيْهِ*
*अस्तग़फिरुल्लाह-ल अज़ीम-ल्लज़ी ला इलाह अल्ला हुव-ल हैय्युल क़य्युमु वअतुबु इलैही*
_तर्जुमह_
में अल्लाह से बख्शीश चाहता हु जिस के सिवा कोई माबूद नही वो ज़िन्दा और क़ाइम रखने वाला है और में उसी की तरफ रुजूअ करता हु।
     अल्लाह उसके गुनाह बख्श देता है अगरचे समुन्दर की झाग के बराबर हो, अगरचे दरख्तो के पत्तो के बराबर हो, अगरचे टीलो की रेत के ज़र्रात के बराबर हो, अगरचे दुन्या के अय्याम के बराबर हो।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी 5/255*

हज़रते अनसرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया :
जब तुम अपना पहलु बिस्तर पर रख कर *सूरए फातिहा और कुहुवल्लाह* की सूरह पढ़ लोगे तो मौत के इलावा हर चीज़ से अमान में आ जाओगे।
*✍🏽मजमउ जवाइद 10/165*

हज़रते नौफिलرضي الله تعالي عنه फरमाते है कि हुज़ूरﷺ ने मुझ से फ़रमाया :
*कुल्या अय्युहल काफिरुन* पूरी पढ़ कर सोया करो क्यू कि ये शिर्क से बराअत है।
*✍🏽सुनन अबी दाऊद 4/407*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 16*
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*सूरए फातिहा के फ़ज़ाइल*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया सूरए फातिहा हर मरज़ की दवा है।
*✍🏽सुनन दारिमि 2/538*

     मुसन्दे दारिमि में है कि 100 मर्तबा सूरए फातिहा पढ़ कर जो दुआ मांगी जाए उसको अल्लाह क़बूल फ़रमाता है।
*✍🏽जन्नती ज़ेवर 587*

     बुज़ुर्गो ने फ़रमाया है कि फज्र की सुन्नतो और फ़र्ज़ के दरमियान में 41 बार सूरए फातिहा पढ़ कर मरीज़ पर डीएम करने से आराम हो जाता है, और आँख का दर्द बहुत जल्द अच्छा हो जाता है, और अगर इतना पढ़ कर अपना थूक आँखों में लगा दिया जाए तो बहुत मुफीद है।
*✍🏽जन्नती ज़ेवर 587*

     7 दिन तक रोज़ाना ग्यारा हज़ार मर्तबा सिर्फ इतना पढ़िये
 *اِيَّاكَ نَعْبُدُ وَاِيَّاكَ نَسْتَعِيْن*
*इय्याक नअबुदु व-इय्याक नस्तईन*
अव्वल आखिर 3-3 बार दुरुद शरीफ भी पढ़िये बीमारियो और बालाओं को दूर करने के लिये बहुत ही मुजर्र्ब अमल है।
*✍🏽जन्नती ज़ेवर 588*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 19*
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*सूरए यासीन शरीफ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते माकिल बिन यसारرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि नबीﷺ ने फ़रमाया : सूरए यासीन क़ुरआन का दिल है जो इसे अल्लाह की रिज़ा और आख़िरत की बेहतरी के लिये पढ़ेगा उसकी मग़फ़िरत कर दी जाएगी।
*✍🏽इमाम अहमद बिन हम्बल 7/282*

     हज़रते अनस से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : बेशक हर चीज़ का एक दिल है और क़ुरआन का दिल सूरए यासीन है और जो एक मर्तबा सूरए यासीन पढ़ेगा उसके लिये 10 मर्तबा क़ुरआन पढ़ने का षवाब लिखा जाएगा।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी 4/406*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 20*
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*सूरए यासीन शरीफ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हज़रते हस्सान बिन अतिय्याرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की, हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : तौरात में सूरए यासीन का नाम "मुहम्मद" है, क्यू की ये अपनी तिलावत करने वाले को दुन्या और आख़िरत की हर भलाई आता करती है,
और दुन्या व आख़िरत की बलाए इससे दूर करती है,
और दुन्या व आख़िरत की होलनाकियो से नजात बख्शती है।

और इसका नाम "मुदाफि-अतुल-क़ादियाह" भी है, क्यू कि ये अपनी तिलावत करने वाले से हर बुराई को दूर कर देती है और इस की हर हाजत पूरी करती है,

जिस शख्स ने इसकी तिलावत की ये उसके लिये 20 हज के बराबर है,

और जिसने इसको लिखा फिर इसे पिया तो उसके पेट में हज़ार दवाए, हज़ार नूर, हज़ार यक़ीन, हज़ार बरकतें और हज़ार रहमते दाखिल होगी और इस से हर धोका और हर बिमारी दूर हो जाएगी।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 7/37*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 21*
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हिस्सा-03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि नबीﷺ ने फ़रमाया : मेरी ख्वाहिश है कि सूरए यासीन मेरी उम्मत के हर इन्सान के दिल में हो।

हज़रते अनसرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जो शख्स हमेशा हर रात यासीन की तिलावत करता रहा फिर मर गया तो वो शहीद मरेगा।

हज़रते अता बिन अबू रबाह ताबेइرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की नबीﷺ ने इरशाद फ़रमाया : जो शख्स दिन की इब्तिदा में सूरए यासीन की तिलावत करेगा, उसकी तमाम हाजत पूरी कर दी जाएगी।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 38*
*✍🏽मदनी पंजुसरह 22*
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हिस्सा-04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه फरमाते है : जो शख्स ब वक़्ते सुब्ह सूरए यासीन की तिलावत करे उस दिन की आसानी उसे शाम तक अता की गई, और जिस ने रात की इब्तिदा में इस की तिलावत की उसे सुब्ह तक उस रात की आसानी दी गई।

हज़रते माकिल बिन यसारرضي الله تعالي عنه से रिवायत ही कि बेशक हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : सूरए यासीन क़ुरआन का दिल है, जो शख्स इस सूरए मुबारक की अल्लाह और आख़िरत के लिये तिलावत करेगा, उसके पहले के गुनाह बख्श दिये जाएंगे, तो तुम इसकी तिलावत अपने मरने वालो के पास करो।

हज़रते अबू दरदाرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिस मरने वाले के पास सूरए यासीन तिलावत की जाती है, अल्लाह उस पर (उसकी रूह क़ब्ज़ करने में) नरमी फ़रमाता है।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 38*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 23*
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हिस्सा-05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हज़रते अबू क़लाबाرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, जिसने सूरए यासीन की तिलावत की उस की मग्फिरत हो जाएगी,
और जिस ने खाने के वक़्त उसके कम होने की हालत में तिलावत की तो वो उसे किफायत करेगा,
और जिसने किसी मरने वाले के पास इसकी तिलावत की अल्लाह उस पर मौत के वक़्त नरमी फ़रमाएगा,
और जिसने किसी औरत के पास उसके बच्चे की विलादत की तंगी पर सूरए यासीन की तिलावत की उस पर आसानी होगी,
और जिसने इसकी तिलावत की गोया की उसने 11 मर्तबा क़ुरआने पाक की तिलावत की,
और हर चीज़ के लिये दिल है, और क़ुरआन का दिल सूरए यासीन है।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 39*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 23*
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*सूरए यासीन शरीफ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अबू जाफर मुहम्मद बिन अलीرضي الله تعالي عنه से रिवायत है फरमाते है : जो शख्स अपने दिल में सख्ती पाए तो ववेक प्याले में ज़ाफ़रान से
*يٰسٓ وَالْقُرْاٰنِ الْحَكِيْمِ*
लिखे फिर उसे पी जाए। (इन्शा अल्लाह उसका दिल नर्म होगा)
*दुर्रेमन्सूर 7/39*

     अमीरुल मुअमिनिन हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिसने हर जुमुआ को अपने वालिदैन दोनों या एक की क़ब्र की ज़ियारत की और उनके पास यासीन की तिलावत की तो अल्लाह हर हर्फ़ के बदले उस की बख्शीश व मग्फिरत फरमा देता है।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 7/40*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 24*
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*सूरए यासीन शरीफ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते सफ्वान बिन अम्रرضي الله تعالي عنه फरमाते है : मशाईखे किराम फरमाते है कि जब आप क़रीबुल मर्ग शख्स के पास सूरए यासीन की तिलावत करेंगे तो उस से मौत की सख्ती को हल्का किया जाएगा।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 39*

     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिस ने शबे जुमुआ (यानी जुमेरात की रात) सूरए यासीन की तिलावत की उस की मग्फिरत कर दी जाएगी।

     हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : क़ुरआने हकीम में एक सूरत है जिसे अल्लाह तआला के हा अज़ीम कहा जाता है, उसके पढ़ने वाले को अल्लाह तआला के हा शरीफ कहा जाता है, उस को पढ़ने वाला क़यामत के रोज़ रबिआ और मुज़िर क़बाइल से ज़ाइद अफ़राद की शफ़ाअत करेगा, वो सूरए यासीन है।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 7/40*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 24*
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*सूरए यासीन शरीफ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते सफ्वान बिन अम्रرضي الله تعالي عنه फरमाते है : मशाईखे किराम फरमाते है कि जब आप क़रीबुल मर्ग शख्स के पास सूरए यासीन की तिलावत करेंगे तो उस से मौत की सख्ती को हल्का किया जाएगा।
*दुर्रेमन्सूर 39*

     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिस ने शबे जुमुआ (यानी जुमेरात की रात) सूरए यासीन की तिलावत की उस की मग्फिरत कर दी जाएगी।

     हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : क़ुरआने हकीम में एक सूरत है जिसे अल्लाह तआला के हा अज़ीम कहा जाता है, उसके पढ़ने वाले को अल्लाह तआला के हा शरीफ कहा जाता है, उस को पढ़ने वाला क़यामत के रोज़ रबिआ और मुज़िर क़बाइल से ज़ाइद अफ़राद की शफ़ाअत करेगा, वो सूरए यासीन है।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 7/40*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 24*
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*सूरए यासीन शरीफ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     शैखुल हदिष मौलाना अब्दुल मुस्तफा आज़मी अलैरहमा ने जन्नती ज़ेवर में सूरए यासीन पढ़ने की बहुत सी बरकतें शुमार की है :
(1) भूका आदमी इसे पढ़े तो आसुदा किया जाए।
(2) प्यासा पढ़े तो सैराब किया जाए।
(3) नंगा पढ़े तो लिबास मिले।
(4) मर्द बे औरत वाला पढ़े तो जल्द उसकी शादी हो जाए।
(5) औरत बे शोहर वाली पढ़े तो जल्द शादी हो जाए।
(6) बीमार पढ़े तो शिफ़ा पाए।
(7) क़ैदी पढ़े तो रिह हो जाए।
(8) मुसाफिर पढ़े तो सफर में अल्लाह की तरफ से मदद हो।
(9) गमगीन पढ़े तो उसका रंजो गम दूर हो जाए।
(10) जिस की कोई चीज़ गम हो गई हो वो पढ़े तो जो खोया है वो मिल जाए।
(11) सूरए यासीन की एक आयत, आयत 58
*سَلٰمٌ قَوْلًامِّنْ رَّبٍّ رَّحِيْمٍ o*

को 1469 बार पढ़ो, इन्शा अल्लाह जिस मक़सद से पढोगे मुराद पूरी होगी, ख्वाजा दैरबी लिखते है : ये मुजर्र्ब है।
     और इस आयत को 5 जगह एक कागज़ पर लिख कर तावीज़ बांधो तो हवादिसात और चोर वगैरा से हिफाज़त रहेगी,
     जो शख्स सुबह को सुरए यासीन पढ़ेगा उस का पूरा दिन अच्छा गुज़रेगा और रात में इस को पढ़ेगा उसकी पूरी रात अच्छी गुज़रेगी।
     हदिष शरीफ में है कि यासीन क़ुरआन का दिल है।
*✍🏽जन्नती ज़ेवर 594*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 25*
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*सूरए कहफ़ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते बराअ बिन आज़िबرضي الله تعالي عنه फरमाते है कि एक शख्स सूरए कहफ़ की तिलावत कर रहा था, उन के घर में एक जानवर बंधा हुवा था अचानक वो जानवर बिदकने लगा। उस शख्स ने देखा कि एक बादल ने उस को ढ़ापा हुवा है उस हुज़ूरﷺ से इस वाक़ीए का ज़िक्र किया, तो आपﷺ ने फ़रमाया : ऐ फुला ! तिलावत किया करो, की ये सकीना है जो तिलावते क़ुरआन करते वक़्त नाज़िल होता है।
*✍🏽सहीह मुस्लिम 399*

     हज़रते मुआज़ बिन अनस जुहनीرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : जो सूरए कहफ़ की अव्वल और आखिर से तिलावत करेगा उसके सर ता पा नूर ही नूर होगा, और जो इसकी मुकम्मल तिलावत करेगा, उसके लिये आसमान और ज़मीन के दरमियान नूर होगा।
*✍🏽अहमद बिन हम्बल 5/311*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 37*
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*सूरए कहफ़ के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अबू सईद खुदरीرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि नबीﷺ ने फ़रमाया : जो जुमुआ के दिन सूरए कहफ़ पढ़े उसके लिये दो जुमुआ के दरमियान एक नूर रोशन कर दिया जाता है।
     एक रिवायत में है : जो शबे जुमुआ को लढ़े उसके और बैतूल अतीक़ (यानी काबा शरीफ) के दरमियान एक नूर रोशन कर दिया जाता है।
*शोएबुल ईमान 2/474*

     हज़रते अबू दरदाرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जो सूरए कहफ़ की पहली 10 आयते याद करेगा दज्जाल से महफूज़ रहेगा।
     और एक रिवायत में है, जो सूरए कहफ़ की आखरी 10 आयते याद करेगा दज्जाल से महफूज़ रहेगा।
*✍🏽सहीह मुस्लिम 8/404*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 37*

बेहतर यही है की पहली 10 और आखरी 10 आयते याद करले।
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*सूरए मुल्क के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : बेशक कुरानमें तीस आयतो पर मुश्तमिल एक सूरत है जो अपने क़ारी के लिये शफ़ाअत करती रहेगी यहां तक कि उस कि मग्फिरत कर दी जाएगी और ये सूरए मुल्क है।
*✍🏽तिर्मिज़ी 4/408*

     हज़रते अनसرضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : क़ुरआन में एक सूरत है जो अपने क़ारी के बारे में झगड़ा करेगी यहां तक कि उसे जन्नत में दाखिल करा देगी और वो सूरए मुल्क है।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 8/233*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 82*
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*सूरए मुल्क के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊदرضي الله تعالي عنه फरमाते है कि जब बन्दा क़ब्र में जाएगा तो अज़ाब उसके क़दमो की तरफ से आएगा तो उसके क़दमो की जनिबसे आवाज़ आएगी, उसके क़दम कहेंगे तेरे लिये मेरी तरफ से कोई रास्ता नही क्यू की ये रात में सूरए मुल्क पढ़ा करता था,
     फिर अज़ाब उसके सिने या पेट की तरफ से आएगा तो वो कहेगा कि तुम्हारे लिये मेरी जानिब से कोई रास्ता नही क्यू किये रात में सूरए मुल्क पढ़ा करता था,
     फिर वो उसके सर उसके सर की तरफ ऐ आएगा तो सर कहेगा कि तुम्हारे लिये मेरी तरफ से कोई रास्ता नही क्यू कि ये रात में सूरए मुल्क पढ़ा करता था।
     तो ये सूरत रोकने वाली है, अज़ाबे क़ब्र से रोकती है, तौरात में इस का नाम सूरए मुल्क है जो इसे रात में पढ़ता है बहुत ज़्यादा और अच्छा अमल करता है।
*✍🏽अल-मुस्तदरक 3/322*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 83*
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*सूरए मुल्क के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه फरमाते है कि एक सहाबी ने एक क़ब्र पर अपना खैमा लगाया मगर उन्हें इल्म न था कि यहाँ क़ब्र है लेकिन बाद में पता चला कि वहा किसी शख्स की क़ब्र है जो सूरए मुल्क पढ़ रहा है और उस ने पूरी सूरत खत्म की, वो सहाबी हुज़ूरﷺ की बारगाह में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया : या रसूलल्लाहﷺ ! में ने एक क़ब्र पर खैमा तान लिया मगर मुझे मालुम न था की वहा क़ब्र है जब की वहा एक शख्स की क़ब्र है जो रोज़ाना पूरी सूरतुल मुल्क पढ़ता है। तो रसूलल्लाहﷺ ने फ़रमाया : यही रोकने वाली है, यही नजात दिलाने वाली है जिस ने उसे अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रखा।
*✍🏽तिर्मिज़ी 4/407*

     हुज़ूरे अक़्दसﷺ का फरमाने आलिशान है कि मेरी ख्वाहिश है कि सूरए मुल्क हर मोमिन के दिल में हो।
*✍🏽कन्जुल उम्माल 1/291*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 84*
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*सूरए मुल्क के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     चाँद देख कर इस को पढ़ा जाए तो मजीने के तिस दिनों तक वो सख्तियो से इन्शा अल्लाह महफूज़ रहेगा, इस लिये कि ये तिस आयते है और तिस दिन के लिये काफी है।
*✍🏽तफ़सीर रुहुल मआनी 10/4*

     हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه फरमाते है कि हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : बेशक में क़ुरआन में 30 आयत की एक सूरत पाता हु, जो शख्स सोते वक़्त इस सूरत की तिलावत करे, उसके लिये 30 नेकिया लिखी जाएगी, और 30 गुनाह मिटाए जाएंगे, और उसके 30 दरजात बुलंद किये जाएंगे, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपने फरिश्तों में से एक फ़रिश्ता उस की तरफ भेजेगा, ताकि वो उस पर अपने पर बिछा दे और उस की हर चीज़ से जागने तक हिफाज़त करे, और ये मुजादला (यानी झगड़ा) करने वाली है, अपने पढ़ने वाले की मग्फिरत के लिये क़ब्र में झगड़ा करेगी, और ये सूरए मुल्क है।
*✍🏽दुर्रेमन्सूर 8/233*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 84*
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*सूरए वाक़ीअह के फ़ज़ाइल*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     ये सूरत बहुत ही बा बरकत है, हज़रते अनसرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि रसूलल्लाहﷺ ने फ़रमाया : सूरए वाक़ीअह तवंगरि (यानी खशहालि) की सूरत है लिहाज़ा इसे पढ़ो और अपनी औलाद को सिखाओ।
*✍🏽रुहुल बयान 7/183*

     हज़रते इब्ने मसऊदرضي الله تعالي عنه मरजुल मौत में मुब्तला थे हज़रते उष्मानرضي الله تعالي عنه उनकी इयादत के लिये तशरीफ़ ले गए और उन से फरमाने लगे की अगर में तुम्हे खज़ाने से कुछ अता कर दू तो केसा है ? उन्होंने फ़रमाया : मुझे इस की कोई ज़रूरत नही। हज़रते उष्मान ने फ़रमाया : बाद में तुम्हारी बच्चियो के काम आएगा। इब्ने मसऊदرضي الله تعالي عنه ने कहा : तुम मेरी बच्चियों के मुतअल्लिक़ फ़क़रो फ़ाक़ा से डरते हो मेने इन को हुक्म दिया है की वो हर रात सूरए वाक़ीअह पढ़ा करे, मेने रसूलल्लाहﷺ को ये फरमाते हुए सुना की जो आदमी हर रात सूरतुल वाक़ीअह पढ़ेगा वो कभी फ़क़रो फ़ाक़ा में मुब्तला नही होगा।
*✍🏽मदनी पंजसुरह 100*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*सूरतुल इख्लास के फ़ज़ाइल*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : तुममे से कोई शख्स रात में तिहाई क़ुरआन क्यू नही पढ़ता ? सहाबए किराम ने अर्ज़ किया कोई शख्स तिहाई क़ुरआन कैसे पढ़ सकता है ? इरशाद फ़रमाया : सूरए इख्लास तिहाई क़ुरआन के बराबर है।
*✍🏽सहीह मुस्लिम 405*

     हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : जो शख्स 10 मर्तबा सूरए इख्लास पढ़ेगा अल्लाह उसके लिये जन्नत में एक महल बनाएगा। हज़रते उमरرضي الله تعالي عنه ने अर्ज़ किया : या रसूलल्लाहﷺ ! फिर तो हम इसे कसरत से पढ़ा करेंगे। आपﷺ ने फ़रमाया : अल्लाह बहुत ज़्यादा अता फरमाने वाला और पाक है।
*✍🏽मस्नूद इमाम अहमद बिन हम्बल 5/308*

     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه फरमाते है की में हुज़ूरﷺ के साथ कहि जा रहा था की आप ने किसी शख्स को सूरए इख्लास पढ़ते हुए सुना तो आप ने इरशाद फ़रमाया : वाजिब हो गई। मेने अर्ज़ किया : या रसूलल्लाहﷺ ! क्या चीज़ वाजिब हो गई ? फ़रमाया जन्नत।
*✍🏽मदनी पंजसुरह 121*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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[23/7, 10:48 AM] Moin Vahora: *ईमाने मुफ़स्सल*

*اٰمَنْتُ بِاللّٰهِ وَمَلٰٓئِكَتِهِ وَكُتُبِهِ وَرُسُلِهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَالْقَدْرِ خَيْرِهِ وَشَرِّهٖ مِنَ اللّٰهِ تَعَالٰى وَالْبَعْثِ بَعْدَ الْمَوْتِ*

*तर्जमह*
में ईमान लाया अल्लाह पर और उसके फरिश्तों पर और उस कि किताबो पर और उसके रसूलो पर और क़यामत के दिन पर और इस पर की अच्छी और बुरि तक़दीर अल्लाह की तरफ से है और मौत के बाद उठाए जाने पर।

*ईमाने मुज्मल*

*اٰمَنْتُ بِاللّٰهِ كَمَاهُوَ بِاَسْمَآئِهٖ وَصِفَاتِهِ وَقَبِلْتُ جَمِيْعَ اَحْكَامِهٖ اِقْرَارٌم بُاللِّسَانِ وَتَصْدِيْقٌم بِالْقَلْبِ*
*तर्जमह*
में ईमान लाया अल्लाह पर जैसा कि वो अपने नामो और अपनी सिफतो के साथ है और में ने उस के तमाम अहकाम क़बूल किये ज़बान से इक़रार करते हुए और दिल से तस्दीक़ करते हुए।
*मदनी पंजसुरह 135*
[25/7, 4:47 PM] Moin Vahora: *अव्वल कलिमा तय्यिब*

*لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ مُحَمَّدٌرَّسُوْلُ اللّٰهِ*
*तर्जमह*
*पहला कलिमा पाकी का*
अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक़ नही मुहम्मद अल्लाह के रसूल है।

*दूसरा कलिमा शहादत*
*اَشْهَدُ اَنْ لَّآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَاشَرِيْكَلَهُ وَاَشْهَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبٍدُهُ وَرَسُوْلُهُ*

*तर्जुमह*
*दूसरा कलिमा गवाही का*
में गवाही देता हु की अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही वो अकेला है उस का कोई शरीक नही और में गवाही देता हु की बेशक मुहम्मद अल्लाह के बन्दे और रसूल है।
*मदनी पंजसुरह 135*
[26/7, 2:02 PM] Moin Vahora: *तीसरा कलिमा तम्जिद*

*سُبْحَانَ اللّٰهِ وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ وَلَآاِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَاللّٰهُ اَكْبَرُ وَلَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّابِ للّٰهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيْمِ*
*तर्जमह*
*तीसरा कलिमा बुज़ुर्गी का*
अल्लाह पाक है और सब खुबिया अल्लाह के लिये है और अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही और अल्लाह सब से बड़ा है गुनाहो से बचने की ताक़त और नेकी करने की तौफ़ीक़ अल्लाह ही की तरफ से है जो सब से बुलंद अज़मत वाला है।

*चौथा कलिमा तौहीद*
*لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَاشَرِيْكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ، يُحْىٖ وَيُمِيْتُ وَهُوَ حَيٌّ لَّا يَمُوْتُ اَبَدًا اَبَدًا، ذُوالْجَلَالِ وَالْاُكْرَامِ، بِيَدِهِ الْخَيْرُ، وَهُوَ عَلٰى كُلُّ شَىْءٍ قَدِيْرٌ*
*तर्जमह*
*चौथा कलिमा अल्लाह के नेक होने का*
अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही वो अकेला है उसका कोई शरीक नही उसी के लिये है बादशाही और उसी के लिये हम्द है वही ज़िन्दा करता और मारता है और वही ज़िन्दा है उस को हरगिज़ कभी मौत नही आएगी। बड़े जलाल और बुज़ुर्गी वाला है। उस के हाथ में भलाई है और वो हर चीज़ पर क़ादिर है।
*मदनी पंजसुरह, 137*

*गुनाह मिटा दिये जाते है*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

    हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया जो 100 मर्तबा *"سُبْحَانَ اللّٰهِ وَبِحَمْدِهِ"* पढ़ता है उसके गुनाह मिटा दिये जाते है अगर्चे समुन्दर के झाग के बराबर हो।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 5/287*

*_सोने का पहाड़ सदक़ा करने का षवाब_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिस के लिए रात में इबादत करना दुशवार हो या वो अपना माल खर्च करने में बुख्ल से काम लेता हो या दुश्मन से जिहाद करने से डरता हो तो वो कसरत से *"سُبْحَانَ اللّٰهِ وَبِحَمْدِهِ"* पढ़ा करे क्यू की ऐसा करना अल्लाह को अपनी राह में सोने का पहाड़ सदक़ा करने से ज़्यादा मसनद है।
*✍🏽मजमउ जवाइद 10/112*

*_जन्नत में खजूर का दरख्त_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जो *"سُبْحَانَ اللّٰهِ وَبِحَمْدِهِ"* पढ़ता है उस के लिये जन्नत में खजूर का एक दरख्त लगा दिया जाता है।
*✍🏽मजमउ जवाइद 10/111*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 144*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*जन्नत का दरवाज़ा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : क्या में तुम्हे जन्नत के दरवाज़े में से एक दरवाज़े के बारे में न बताऊ ? अर्ज़ की गई : वो क्या है ? इरशाद फ़रमाया : *"لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَاِلَّابِاللّٰهٍ"*

*_99 बीमारियो के लिये दवा_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिसने *"لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَاِلَّابِاللّٰهٍ"* कहा तो ये उसके लिये 99 बीमारियो की दवा है उन में सब से हल्की बीमारी रंजो अलम है।

*_नेअमत की हिफाज़त_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिसे अल्लाह ने कोई नेअमत अता फ़रमाई फिर वो बन्दा उन नेअमत को बाक़ी रखना चाहता हो तो उसे चाहये कि *"لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَاِلَّابِاللّٰهٍ"* की कसरत करे।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 145*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*बेदार होते वक़्त के अवराद*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हमारे आक़ाﷺ ने फ़रमाया कि जिस ने नींद से बेदार हो कर कहा :
*لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَاشَرِيْكَ يْكَ لَهُ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيْرٌ، اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ وَسُبْحَانَ اللّٰهِ وَلٰآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَاللّٰهُ اَكْبَرُ وَلَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللّٰهِ*
*तर्जमह :* अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही वो तन्हा है उसका कोई शरीक नही, उसी की बादशाही है और उसी की खुबिया और वो हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है, अल्लाह पाक है और अल्लाह खूबियों वाला है और अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही, और अल्लाह सबसे बड़ा है और गुनाह से बचने की क़ुव्वत और नेकी करने की ताक़त अल्लाह ही की तरफ से हासिल होती है।
     फिर *اَللّٰهُمَّ اغْفِرْلِى*  कहा या कोई दुआ मांगी तो उसे क़बूल कर लिया जाएगा, फिर अगर वुज़ू किया और नमाज़ पढ़ी तो उस की नमाज़ क़बूल कर ली जाएगी।
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/391*

     अल्लाह के महबूबﷺ ने फ़रमाया : जिसने नींद से बेदार होते वक़्त
*بِسْمِ اللّٰهِ، سُبْحَانَ اللّٰهِ، اٰمَنْتُ بِاللّٰهِ وَكَفَرْتُ بِالْجِبْتِ وَالطَّاغُوْتِ*
*तर्जमह :* अल्लाह के नाम से, अल्लाह पाक है, में अल्लाह पर ईमान लाया और बूत और शैतान से मुन्किर हुवा।
10 मर्तबा पढ़ा तो हर गुनाह से बचा लिया जाएगा जिस का उसे खौफ हो और कोई गुनाह उस तक न पहुच सकेगा।
*✍🏽मजमउल जवाइद, 10/174*

     *اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْٓ  اَحْيَانَا بَعٍدَمَآ اَمَاتَنَا وَاِلَيْهِ النُّشُوْرُ o*
*तर्जमह :* तमाम तारीफ़ अल्लाह के लिये जिसने हमे मौत (नींद) के बाद हयात (बेदारी) अता फ़रमाई और हमे उसी की तरफ लौटना है।
*✍🏽सहीह बुखारी, 4/192*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 147*
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*सुबह व शाम के अज़्कार*
हिस्सा-01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से मारवी है कि एक शख्स बारगाहे रिसालत में हाज़िर हुआ और अर्ज़ किया : या रसूलल्लाहﷺ ! मेने ऐसा बिच्छु कभी नही देखा जिसने मुझे कल रात काटा। हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : तुम ने शाम के वक़्त
*اَعُوْذُ بِكَلِمَاتِ اللّٰهِ التَّامَّاتِ مِنْ شَرِّمَاخَلَقَ*
*तर्जमह*
में अल्लाह के पुरे और कामिल कलिमात के साथ मख्लूक़ के शर से पनाह लेता हु।
क्यू न पढ़ लिया कि बिच्छु तुम्हे कोई नुकशान न पहुचता।

     हज़रते उष्मानرضي الله تعالي عنه से मरवी है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जो शख्स सुब्ह व शाम 3-3 मर्तबा ये पढ़ेगा, तो कोई चीज़ नुक़सान न पहुचा सकेगी।
*بَسْمِ اللّٓهِ الّذِىْ لَايَضَرُّ مَعَ اسْمِهٖ شَىْءٌ فِى الْاَرْضِ وَلَا فَى اسَّمَآءِ وَهُوَ السَّمِيْعُ الٍعَلِيْمُ*
*तर्जमह*
अल्लाह के नाम से जिस के नाम की बरकत से ज़मीन व आसमान की कोई चीज़ नुक़सान नही पहुचा सकती और वोही सुनता जानता है।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 5/251*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 148*
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*सुब्ह व शाम के अज़्कार*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिसने सुब्ह व शाम *سُبْحَانَ اللّٰهِ وَبِحَمْدِهٖ*  100 मर्तबा पढ़ा क़यामत के दिन उससे अफज़ल अमल ले कर आनेवाला कोई न होगा मगर वो जो उसकी मिस्ल कहे या उस से ज़्यादा पढ़े।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 1440*

     हज़रते अबू दरदाرضي الله تعالي عنه फरमाते है : की जिसने सुब्ह व शाम 7-7 मर्तबा *حَسْبِىَ اللّٰهُ لَآاِلٰهَ اِلَّاهُوَ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ*
*तर्जुमह :* मुझे अल्लाह काफी है उसके सिवा किसी की बंदगी नही में ने उसी पर भरोसा किया और वो बड़े अर्श का मालिक है।
     अल्लाह उसकी तमाम परेशानियो में किफायत करेगा।
*✍🏽सुनन इब्ने दाऊद, 4/416*

     नबीए करीमﷺ ने फ़रमाया : जो सुब्ह के वक़्त ये पढ़े
*رَضِيْتُ بِاللّٰهِ رَبًّا وَّبِالْاِسْلَامِ دِيْنًاوَّبِمُحَمَّدٍ نَبِيَّا*
*तर्जुमह :* में अल्लाह के रब होने और इस्लाम के दिन होने और हज़रत मुहम्मद के नबी होने पर राज़ी हु।
     तो में उसे अपने हाथ से पकड़ कर जन्नत में दाखिल करने की ज़मानत देता हु।
*✍🏽मजमउ जवाइद, 10/157*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 149*
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*ईमान पर खातिमा के अवराद*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     एक शख्स बारगाहे *आला हज़रत* अलैरहमा में हाज़िर हो कर ईमान पर खातिमा बिलखैर के लिये दुआ का तालिब हुवा तो आप ने उस के लिये दुआ फ़रमाई और इरशाद फ़रमाया :
     रोज़ाना 41 बार सुब्ह को *يَا حَيُّ يَا قَيُّوْمُ لَٓا اِلَٓاهَ اِلَٓا اَنْتَ* (ऐ हमेशा ज़िन्दा रहने वाले ! ऐ हमेशा क़ाइम रहने वाले ! कोई मअबूद नही मगर तू) अव्वल आखिर दुरुद शरीफ।
     नीज़ सोते वक़्त अपने सब अवराद के बाद *सूरए काफिरुन* रोज़ाना पढ़ लिया कीजिये इस के बाद कलाम वगैरा न कीजिये हा अगर हो तो कलाम के बाद फिर सूरह तिलावत कर ले कि खातिमा इसी पर हो ان شاء الله खातिमा ईमान पर होगा।

     और 3 बार सुब्ह और 3 बार शाम इस दुआ का विर्द रखे
*اَللّٰهُمَّ اِنَّا نَعُوْذُبِكَ مِنْ اَنْ نُشْرِكَ بِكَ شَيْءًا نَّعْلَمُهُ وَنَسْتَغْفِرُكَ لِمَالَا نَعْلَمُهُ*
(ऐ अल्लाह ! हम तेरी पनाह मांगते है इससे कि जान कर हम तेरे साथ किसी चीज़ को शरीक करे और हम उससे इस्तिग़फ़ार करते है जिस को नही जानते।)

     *بِسْمِ اللّٰهِ عَلٰى دِيْنِىْ بِسْمِ اللّٰهِ عَلٰى نَفْسِىْ وَوُلْدِىْ وَاَهْلِىْ وَمَالِىْ*
(अल्लाह के नाम की बरकत से मेरे दिन, जान, औलाद और अहलो माल की हिफाज़त हो) सुब्ह व शाम 3-3 बार पढ़िये, दिन, ईमान, जान, माल, बच्चे सब महफूज़ रहे।
_नॉट : गुरुबे आफताब से सुब्ह सादिक़ तक रात और अधि रात ढ़ले से सूरज की पहली किरन चमकने रक सुब्ह है_
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 153*
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*चार करोड़ नेकिया कमाए*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हमारे आक़ाﷺ ने फ़रमाया : जो शख्स ये कलिमात 10 मर्तबा कहे, ऐसे आदमी के लिये चार करोड़ नेकिया लिखी जाती है।

*اَشْهَدُ اَنْ لَّااِلٰهَ اِلَّااللّٰهُ وَحْدَهُ لَاشَرٍيْكَ لَهُ اِلٰهًا وَّاحِدًا صَمَدًا لَّمْ يَتَّخِذْ صَاحِبَةً  وَّلَاوَلَدًا وَّلَمْ يَكُنْ لَّهُ كُفُوًا اَحَدٌ o*

*✍🏽तिर्मिज़ी, 5/289*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 153*
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*गीबत से बचने का मदनी फूल*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अल्लामा मजदुद्दीन फ़िरोज़आबादी अलैरहमा से मन्कुल है : जब किसी मजलिस में (यानी लोगो में) बैठो तो कहो :
*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحْيْمِ وَصَلَّى اللّٰهُ عَلٰى مُحَمَّدٍ*
तो अल्लाह तुम पर एक फ़रिश्ता मुक़र्रर फरमा देगा जो तुम को गीबत से बाज़ रखेगा।
     और जब मजलिस से उठो तब भी यही कहो तो वो फ़रिश्ता लोगो को तुम्हारी गीबत से बाज़ रखेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 154*
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*दुन्या व आख़िरत में सआदत मंद*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अब्दुल्लाह बिन अम्र अल आसرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया : पाच आदते ऐसी है कि कोई इन्हें इख़्तियार कर ले तो दुन्या व आख़िरत में सआदत मंद हो जाए।

1 वक़्तन फ वक़्तन *لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ مُحَمَّدٌ رَّسُوٍلُ اللّٰهِ* कहता रहे।

2 जब किसी मुसीबत में मुब्तला हो (मसलन बीमार या नुक़सान हो जाए या परेशानी की खबर सुने) तो *اِنّا لِلّٰهِ وَاِنَّٓ الَيْهِ رَاجِعُوْنَ* और  *لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللّٰهِ الْعَلِىْ الْظِيْمِ* पढ़े।

3 जब भी नेमत मिले तो शुक्राने में *الْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ* कहे।

4 जब किसी जाइज़ काम का आगाज़ करे तो *بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحْيْمِ* पढ़े।

5 जब गुनाह कर बेठे तो यु कहे اَسْتَغْفِرُ اللّٰهَ الْظِيْمَ وَاَتُوْبُ اِلَيْهِ*
(में अल्लाह से मग्फिरत तलब करते हुए उसकी तरफ तौबा करता हु।)
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 155*
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*नमाज़ के बाद पढ़े जाने वाले अवराद*
हिस्सा-01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     पाचो वक़्त की नमाज़ों के बाद ये अवराद पढ़ लीजिये। हर विर्द के अव्वल आंखिर दुरिद शरीफ पढ़ लीजिये।

       (1) *आयतुल कुर्सी* एक बार पढ़ने वाला मरते ही दाखिले जन्नत हो।
*✍🏽मिश्कात, 1/197*

21) *اَللّٰهُمَّ اَعِنِّى عَلٰى ذِكْرِكَ وَشُكْرِكَ وَحُسْنِ عِبَادَتِكَ*
*तर्जुमह :* ऐ अल्लाह ! तू अपने ज़िक्र, अपने शुक्र और और अपनी इबादत करने पर मेरी मदद फरमा।
*✍🏽सुनन इब्ने दाऊद, 2/123*

(3) *اَسْتَغْفِرُ اللّٰهَ الَّذِىْ لَا اِلٰهَ اِلَّا هُوَ الْحَىُّ الْقَيُّوْمُ وَاَتُوْبُ اِلَيْهِ*
*तर्जुमह :* में अल्लाह से मुआफ़ी मांगता (मांगती) हु जिस के सिवा कोई मअबूद नही वो ज़िन्दा है क़ाइम रखने वाला है और उस की बारगाह में तौबा करता (करती) हु।
इसे 3-3 बार पढे उसके गुनाह मुआफ़ हो अगर्चे वो मैदाने जिहाद से भागा हुवा हो।
*✍🏽तिर्मिज़ी, 5/336*

     (4) तस्बिहे फातिमा :
*سُبْحَانَ اللّٰهِ* 33 बार
*الْحَمْدُ لِلّٰهِ* 33 बार
*اَللّٰهُ اَكْبَرُ* 33
बार ये 99 हुए, आखिर में
*لَا اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَاشَرِيْكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الَحَمْدُ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيْرٌ*
एक बार पढ़ कर 100 का अदद पूरा करले, तो पढ़ने वाले के गुनाह बख्श दिये जाएंगे अगर्चे समुन्दर के झाग के बराबर हो।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 158*
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*नमाज़ के बाद पढ़े जाने वाले अवराद*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हर नमाज़ के बाद पेशानी के अगले हिस्से पर हाथ रख कर पढ़े :
*بِسْمِ اَللّٰهِ الَّذِىْ لَا اِلٰهَ اِلَّا هُوَ الرَّحْمٰنُ الرَّحْيْمُ، اَللّٰهُمَّ اذْهِبْ عَنِّى الْهَمَّ وَالْحُزْنَ*
*तर्जुमह :* अल्लाह के नाम से शुरू जिसके सिवा कोई मअबूद नही वो रहमान व रहीम है। ऐ अल्लाह मुझ से गम व मलालत दूर फरमा।
(पड़ने के बाद हाथ खीच कर पेशानी तक लाए) तो हर गम व परेशानी से बचे। आला हज़रत ने इस दुआ के आखिर में मज़ीद इन अलफ़ाज़ का इज़ाफ़ा फ़रमाया है, *وَعَنْ اَهْلِ السَّبَّة*  यानी और अहले सुन्नत से।

     असर व फज्र के बाद बगैर पाउ बदले, बगैर कलाम किये
*لَا اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَاشَرِيْكَ لَهُ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الَحَمْدُ بِيَدِهِ الْخَيْرُ يُحْيِىْ وَيُمِيْتَ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيْرٌ*
*तर्जुमह :* अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही, वो तन्हा है, उसका कोई शरीक नही, उसके लिये मुल्क व हम्द है, उसी के हाथ में खैर है, वो ज़िन्दा करता है और मौत देता है और वो हर शै पर क़ादिर है।
10 बार पढ़िये
*✍🏽बहारे शरीअत, 3/107*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 159*
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*नमाज़ के बाद पढ़े जाने वाले अवराद*
#03
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     नबीए करीमﷺ ने फ़रमाया : जिसने नमाज़ के बाद ये कहा,
*سُبْحَانَ اللّٰهِ الْعَظِيْمِ وَبِحَمْدِهِ لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللّٰهِ*
*तर्जुमह :* पाक है अज़मत वाला रब और उसी की तारीफ़ हैंऔर उसी की अता से नेकी की तौफ़ीक़ और गुनाह से बचने की कुव्वत मिलती है।
तो वो मग्फिरत याफ्ता हो कर उठेगा।

     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जो हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद 10 मर्तबा *कुलहुवल्लाहु अहद* (पूरी सूरत) पढ़ेगा अल्लाह उसके लिये अपनी रिज़ा और मग्फिरत लाज़िम फरमा देगा।
*✍🏽तफ़सीरे दुर्रेमंसूर, 8/678*

     आक़ाﷺ ने फ़रमाया : जो शख्स हर नमाज़ के बाद
*سُبْحَانَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُوْنَ o وَسَلٰمٌ عَلى الْمُرْسَلِيْنَ o وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِيْنَ o*
*तर्जुमह :* पाकी है तुम्हारे रब को इज़्ज़त वाले रब को उनकी बातो से और सलाम है पैगम्बरो पर और सब खुबिया अल्लाह को जो सारे जहान का रब है।
3 बार पढ़ेगा गोया उसने अज्र का बहुत बड़ा पैमाना भर लिया।
*✍🏽तफ़सीरे दुर्रेमन्सूर, 7/141*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 160*
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*मिनटो में 4 खत्मे क़ुरआने पाक का षवाब*
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     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जो बाद फज्र 12 मर्तबा *कुलहुवल्लाहु अहद* (पूरी सूरत) पढ़ेगा गोया वो 4 बार पूरा क़ुरआन पढ़ेगा और उस दिन उसका ये अमल अहले ज़मीन से अफज़ल है जब कि वो तक़वा का पाबन्द रहे।
*✍🏽शोएबुल ईमान, 2/501*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 161*
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*दुरुद शरीफ के फ़ज़ाइल*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिसने मुझ पर एक मर्तबा दुरुदे पाक पढ़ा अल्लाह उस पर 10 रहमते नाज़िल फ़रमाएगा और उसके लिये 10 नेकिया लिखेगा और उस के 10 दरजात बुलंद फ़रमाएगा और 10 गुनाह मिटा देगा।
*✍🏽मुअजमुल कबीर, 22/190*

     नबीए अकरमﷺ ने फ़रमाया : हर जुमुआ के दिन मुझ पर दुरुदे पाक की कसरत किया करो बेशक मेरी उम्मत का दुरुदे हर जुमुआ के दिन मुझ पर पेश किया जाता है, (क़यामत के दिन) लोगो में से मेरे ज़्यादा क़रीब वही शख्स होगा जिसने दुन्या में मुझ पर ज़्यादा दुरुद पढ़ा होगा।
*✍🏽सननुल कबीर, 3/353*

     सरकारﷺ का फरमान है : ऐ लोगो ! बेशक तुम में से बरोज़े क़यामत उस की दहशतो और हिसाब किताब से जल्द नजात पाने वाला वो शख्स जोगा जिसने दुन्या में मुझ पर कसरत से दुरुद पढ़ा होगा।

     आक़ाﷺ का फरमाने रहमत निशान है : मुझ पर कसरत से दुरुद पढ़ो बेशक तुम्हारा मुझ पर दुरुद पढ़ना तुम्हारे गुनाहो के लिये मग्फिरत है।
*✍🏽अलजामि-अलसगिर, 87*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 164*
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*दुरुद शरीफ के मदनी फूल*
#01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     अल्लाह के हुक्म की तामील होती है।
     एक मर्तबा दुरुद पढ़ने वाले पर 10 रहमते नाज़िल होती है। उसके 10 दरजात बुलन्द होते है। उसके लिये 10 नेकिया लिखी जाती है। उसके 10 गुनाह मिटाए जाते है।
     दुरुद पढ़ना नबिय्ये रहमत की शफ़ाअत का सबब है।
     दुरुद पढ़ना गुनाहो की बख्शिश का बाइस है।
     दुरुद के ज़रिए अल्लाह बन्दे के गमो को दूर करता है।
     दुरुद पढ़ने के बाइस बन्दा क़यामत के दिन रसूले अकरम का कुर्ब हासिल करेगा।
     दुरुद तंगदस्ती के लिये सदक़ा के क़ाइम मक़ाम है।
     दुरुद क़ज़ाए हाजात का ज़रिया है।
     दुरुद अल्लाह की रहमत और फिरिश्तो की दुआ का बाइस है।
     दुरुद अपने पढ़ने वाले के लिये पाकीज़गी और तहारत का बाइस है।
     दुरुद से बन्दे को मौत से पहले जन्नत की खुश खबरी मिल जाती है।

बाक़ी अगली पोस्ट में... انشاء الله
*✍🏽जिलाउल अफहाम, 246*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 165*
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*दुरुद शरीफ के मदनी फूल*
#02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     दुरुद पढ़ना क़यामत के खतरात से नजात का सबब है।
     दुरुद पढ़ने से बन्दे को भूली हुई बात याद आ जाती है।
     दुरुद मजलिस की पाकीज़गी का बाइस है और क़यामत के दिन ये मजलिस बाइसे हसरत नही होगी।
     दुरुद पढ़ने से तंगदस्ती दूर होती है।
     ये अमल बन्दे को जन्नत के रस्ते पर डाल देता है।
     दुरुद पुल सिरात पर बन्दे की रौशनी में इज़ाफ़े का बाईस है।
     दुरुद के ज़रिए बन्दा ज़ुल्म व जफ़ा से निकल जाता है।
     दुरुद पढ़ने की वजह से बन्दा आसमान और ज़मीन में क़ाबिले तारीफ़ हो जाता है।
     दुरुद पढ़ने वाले को इस अमल की वजह से उस की ज़ात, अमल, उम्र और बेहतरी के अस्बाब में बरकत हासिल होती है।
     दुरुद रहमते खुदा वन्दी के हुसूल का ज़रिया है।
     दुरुद महबूबे रब्बुल इज़्ज़तﷺ से दायमी महब्बत और इसमें ज़्यादत का सबब है और ये इमानी उकुद मेसे है। जिस के बैगेर ईमान मुकम्मल नही होता।
     दुरुद पढने वाले से आपﷺ महब्बत फरमाते है।
     दुरुद पढ़ना, बन्दे की हिदायत और उसकी ज़िन्दा दिली का सबब है क्यू की जब वो आपﷺ पर कसरत से दुरुद पढता है और आपﷺ का ज़िक्र करता है तो आपﷺ की महब्बत उसके दिल पर ग़ालिब आ जाती है।
     दुरुद पढ़ने वाले का ये एज़ाज़ भी है कि हुज़ूरﷺ की बारगाह में उसका नाम पेश किया जाता है और उसका ज़िक्र होता है।
     दुरुद पुल सिरात पर साबित कदमी और सलामती के साथ गुज़रने का बाईस है।
*✍🏽जिलाउल अफहाम, 246*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 166*
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*सरकार के दीदार के तलब गार के लिये तोहफा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूर का फरमाने शफ़ाअत निशान है : जो शख्स ये दुरुदे पाक पढ़े उस को ख्वाब में मेरी ज़ियारत होगी और जिस ने ख्वाब में मुझे देखा वो मुझे क़यामत के दिन भी देखेगा और जो मुझे क़यामत के दिन देख लेगा में उस की शफ़ाअत करूँगा और में जिस की शफ़ाअत करूँगा वो हौजे कौसर से पानी पियेगा और उस के जिस्म को अल्लाह दोज़ख पर हराम कर देगा।

*اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى رُوْحِ مُحَمَّدٍ فِى الْاَرْوَاحِ وَعَلٰى جَسَدِهٖ فِى الْاَجْسَادِ وَعَلٰى قَبْرِهٖ فِى الْقُبُوْرِ*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 167*
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*_दुआ की अहमिय्यत_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     दुआ मांगना बहुत बड़ी सआदत है, क़ुरआन व अहादीस में जगह जगह दुआ मांगने की तरगिब् दिलाई गई है।
     एक हदिष में है : क्या में तुम्हे वो चीज़ न बताऊ जो तुम्हे तुम्हारे दुश्मन से नजात दे और तुम्हारा रिज़्क़ वसीअ कर दे, रात दिन अल्लाह से दुआ मांगते रहो कि दुआ मोमिन का हथियार है।

*_दुआ दाफ़ेए बला है_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : बला उतरती है फिर दुआ उस से जा मिलती है। फिर दोनों क़यामत तक झगड़ा करते रहते है।
*✍🏽अलमुस्तदरक, 2/162*

*_इबादत में दुआ का मक़ाम_*
     हज़रते अबू ज़र गिफारिرضي الله تعالي عنه इरशाद फरमाते है : इबादत में दुआ की वही हेसिय्यत है जो खाने में नमक की।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 182*
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*दुआ के 3 फायदे*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ फरमाते है : जो मुसलमान ऐसी दुआ करे जिस में गुनाह और कतए रहमी की कोई बात शामिल न हो तो अल्लाह उसे 3 चीज़ों में से कोई एक ज़रूर अता फ़रमाता है :
     या उसकी दुआ का नतीजा जल्द ही उसकी ज़िन्दगी में ज़ाहिर हो जाता है।
     या अल्लाह कोई मुसीबत उस बन्दे से दूर फरमा देता है।
     या उसके लिये आख़िरत में भलाई जमा की जाती है।

     एक और रिवायत में है कि बन्दा जब आख़िरत में अपनी दुआओ का षवाब देखेगा जो दुन्या में मक़बूल न हुई थी तो तमन्ना करेगा, काश ! दुन्या में मेरी कोई दुआ क़बूल न होती।
*✍🏽अलमुस्तदरक लीलहाकिम, 2/163*

     देखा आप ने ! दुआ राएगा तो जाती ही नही। इस का दुन्या में अगर असर ज़ाहिर न भी हो तो आख़िरत में अज़्रो षवाब मिल ही जाएगा। लिहाज़ा दुआ में सुस्ती करना मुनासिब नही।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 183*
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*दुआ के 5 मदनी फूल*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     पहला फायदा ये है कि अल्लाह के हुक्म की पैरवी होती है कि उसका हुक्म है मुझ से दुआ माँगा करो। जैसा कि क़ुरआन में इरशाद है :
*मुझ से दुआ करो में क़बूल करूँगा*
पारह, 24, अल-मोमिन, 60
     दुआ मांगना सुन्नत है कि हुज़ूर अक्सर अवक़ात दुआ मांगते।
     दुआ मांगने में इताअते रसूल भी है कि आप दुआ की अपने गुलामो को ताकीद फरमाते रहते।
     दुआ मांगने वाला आबिदो के गिरोह में दाखिल होता है कि दुआ बज़ाते खुदा एक इबादत बल्कि इबादत का भी मग्ज़ है। जैसा की हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया :
*दुआ इबादत का मग्ज़ है*
_✍🏽तिर्मिज़ी, 5/243_
     दुआ मांगने से या तो उसका गुनाह मुआफ़ किया जाता है या दुन्या ही में उसके मसाइल हल होते है या फिर वो दुआ उस के लिये आख़िरत का ज़खीरा बन जाती है।

*_नजाने कौन सा गुनाह हो गया है ?_*
     देखा आपने ! दुआ मांगने में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त और उसके हबीबﷺ की इताअत भी है, दुआ मांगना सुन्नत भी है, दुआ मांगने से इबादत का षवाब भी मिलता है नीज़ दुन्या व आख़िरत के मुतद्दद फवाइद हासिल होते है।
     बाज़ लोगो को देखा गया है कि वो दुआ की क़बूलिय्यत के लिये बहुत जल्दी मचाते बल्कि मआज़ अल्लाह ! बाते बनाते है कि हम टोइटने अरसे से दुआए मांग रहे है, बुज़ुर्गो से भी दुआए करवाते रहे है, कोई पिर फ़क़ीर नही छोड़ा, ये वज़ाइफ पढ़ते है, वो अवराद पढ़ते है, मगर अल्लाह हमारी हाजत पूरी करता ही नही। बल्कि बाज़ ये भी कहते सुने जाते है : *न जाने ऐसा कौन सा गुनाह हो गया है जिस की हमे सज़ा मिल रही है*

बाक़ी कल की पोस्ट में.. انشاء الله
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 184*
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*क़ुबूलिय्यते दुआ में ताखीर का एक सबब*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     बसा अवक़ात क़बूलिय्यते दुआ की ताखीर में काफी मसलहते भी होती है जो हमारी समझ में नही आती। हुज़ूर का फरमान है : जब अल्लाह का कोई प्यारा दुआ करता है, तो अल्लाह जिब्राईल अलैहिस्सलाम से इरशाद फ़रमाता है, ढहरो ! अभी न दो ताकि फिर मांगे कि मुझ को इस की आवाज़ पसन्द है। और जब कोई काफ़िर या फ़ासिक़ दुआ करता है, फ़रमाता है, ऐ जिब्राईल ! इस का काम जल्द कर दो, ताकि फिर न मांगे कि मुझ को इस की आवाज़ मकरूह (न पसन्द) है।
*कैरुल उम्माल 2/39, हदिष, 3261*

*_हिकायत_*
     हज़रते यहया बिन क़त्तानرضي الله تعالي عنه ने अल्लाह को ख्वाब में देखा अर्ज़ की, इलाही ! में अक्सर दुआ करता हु। और तू क़बूल नही फ़रमाता ? हुक्म हुवा, ऐ यहया ! में तेरी आवाज़ को दोस्त रखता हु। इस वासिते तेरी दुआ की क़बूलिय्यत में ताखीर करता हु।
*✍🏽अहसनुल वीआअ, 35*
     ये हादिशे पाक और हिकायत पेश की उसमे ये बताया गया है कि अल्लाह को अपने बन्दों की गीर्य व ज़ारी पसन्द है तो यु भी बसा अवक़ात क़बूलिय्यते दुआ में ताखीर होती है। अब इस मस्लहत को हम कैसे समझ सकते है !
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 188*
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआए* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_दुआए मुस्तफा_*
     अल्लाह के प्यारे हबीबﷺ अक्सर ये दुआ भी माँगा करते थे :
*يَا مُقَلِّبَ الْقُلُوْبِ ثَبِّتْ قَلْبِىْ عَلٰى دِيْنِكَ*
यानी, ऐ दिलो के फेरने वाले ! मेरे दिल को अपने दिन पर क़ाइम रख।
*मिरआत, 1/109*

*_सोते वक़्त की दुआ_*
*اَللّٰهُمَّ بِاسْمِكَ اَمُوْتُ وَاَحْيَا*
यानी, ऐ अल्लाह ! में तेरे नाम के साथ ही मरता और जीत हु (यानी सोता और जागता हु)

*_नींद से बेदार होने के बाद की दुआ_*
*اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْ  اَحْيَانَا بَعٍدَمَآ اَمَاتَنَا وَاِلَيْهِ*
तमाम तारीफे अल्लाह के लिये जिस ने हमें मौत (नींद) के बाद हयात (बेदारी) अता फ़रमाई और हमे उसी की तरह लौटना है।
*✍🏽सहीह बुखारी, 4/193*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 203*
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_बैतूल खला में दाखिल होने से पहले की दुआ_*
*اَللّٰهُمَّ اِنِّىْ اَعُوْذُ بِكَ مِنَ الْخُبُثِ وَالْخَبَآئِثِ*
ऐ अल्लाह ! में नापाक जिन्न और जिन्नीयो से तेरी पनाह मांगता हु।
*सहीह बुखारी, 4/195*
चुकी पखाने में गंदे जिन्नात रहते है। इस लिये ये दुआ पढ़नी चाहिए।

*_बैतूल खला से बाहर आने के बाद की दुआ_*
اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْ اَذْهَبَ  عَنِّى الْاَذٰى وَعَافَانِىْ*
अल्लाह का शुक्र है जिसने मुझ से अज़िय्यत दूर की और मुझे आफिय्यत दी।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 204*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_घर से निकलते वक़्त की दुआ_*
*بِسْمِ اللّٰهِ تَوَكَّلْتُ عَلَى اللّٰهِ لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللّٰهِ*
अल्लाह के नाम से, में ने अल्लाह पर भरोसा किया, गुनाह से बचने की क़ुव्वत और नेकी करने की ताक़त अल्लाह ही की तरफ से है।
*✍🏽सुनन अबी दाऊद, 4/420*

*_घर में दाखिल होते वक़्त की दुआ_*
اَللّٰهُمَّ اِنِّىْٓ اَسْئَلُكَ خَيْرَ الْمَوْلَجِ وَخَيْرَ الْمَخْرَجِ بِسْمِ اللّٰهِ وَلَجْنَا وَبِسْمِ اللّٰهِ خَرَجْنَا وَعَلَى اللّٰهِ رَبِّنَا تَوَكَّلْنَا*
ऐ अल्लाह ! में तुझसे दाखिल होने और निकलने की जगहों की भलाई तलब करता हु, अल्लाह के नाम से हम अन्दर दाखिल हुए और अल्लाह के नाम से बाहर निकले और हम ने अपने रब अल्लह पर भरोसा किया।
*✍🏽सुनन अबी दाऊद, 4/421*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 204*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_खाना खाने से पहले की दुआ_*
     खाना शुरू करने क़ब्ल ये दुआ पढ़ ली जाए, अगर खाने पिने में ज़हर भी होगा तो انشاء الله असर नही करेगा।
*بِسْمِ اللّٰهِ وَبِاللّٰهِ الَّذِىْ لَا يَضُرُّ مَعَ اسْمِهٖ شَىْءٌ فِى الْاَرْضِ وَلَا فِى اسَّمَآءِ يَا حَىُّ  يَا قَيُّوْمُ*
अल्लाह के नाम से शुरू करता हु जिस के नाम की बरकत से ज़मीन व आसमान की कोई चीज़ नुक़सान नही पंहुचा सकती, ऐ हमेशा ज़िन्दा व क़ाइम रहने वाले।

*_खाने के बाद की दुआ_*
*الْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْٓ اَطْعَمَنَا وَسَقَانَا وَجَعَلَنَا مُسْلِمِيْنَ*
अल्लाह का शुक्र है जिसने हमे खिलाया, पिलाया और हमे मुसलमान बनाया।
*✍🏽सुनन अबी दाऊद, 3/513*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 205*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #05
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*_दूध पिने के बाद की दुआ_*
*اَللّٰهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِيْهِ وَزِدْنَا مِنْهُ*
ऐ अल्लाह ! हमारे लिये इस में बरकत दे और हमे इससे ज़्यादा इनायत फरमा।
*✍🏽सुनन अबी दाऊद, 3/476*

*_आइना देखते वक़्त की दुआ_*
*اَللّٰهُمَّ اَنْتَ حَسَّنْتَ خَلْقِىْ فَحَسِّنْ خُلُقِىْ*
या अल्लाह ! तूने मेरी सूरत तो अच्छी बनाई है मेरे अख़लाक़ भी अच्छे कर दे।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 206*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #06
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*_किसी मुसलमान को मुस्कराता देख कर पढ़ने की दुआ_*
*اَضْحَكَ اللّٰهُ سِنَّكَ*
अल्लाह आप को हमेशा मुस्कराता रखे।
*✍🏽सहीह बुखारी, 2/403*

*_शुक्रिया अदा करने की दुआ_*
*جَزَاكَ اللّٰهُ خَيْرًا*
अल्लाह तुझे जज़ाए खैर दे।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 3/417*
     इस मुख़्तसर से जुमले में उस की नेमत का इक़रार भी हो गया अपने इज्ज़ का इज़हार भी हो गया और उस के हक़ में दुआए खैर भी, शुक्रिया का मक़सद भी यही होता है।
*✍🏽मिरातुल मनाजिह्, 4/257*
     हदिष में है कि जो लोगो का शुक्रिया अदा न करे वो अल्लाह का शुक्रिया भी अदा न करेगा।
*✍🏽मिशकतुल मसाइह, 2/557*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 207*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_अदाए क़र्ज़ की दुआ_*
*اَللّٰهُمَّ اكْفِنِىْ بِحَلَالِكَ عَنْ حَرَامِكَ وَاَغْنِنِىْ بِفَضْلِكَ عَمَّنْ سِوَاكَ*
ऐ अल्लाह ! मुझे हलाल रिज़्क़ अता फरमा कर हराम से बचा और अपने फ़ज़लो करम से अपने सिवा गैरो से बे नियाज़ कर दे।
*✍🏽अलमुस्तदरक लिल्हाकिम, 2/230*
     ये दुआ तीर ब हदफ़ नुस्खा है अगर हर मुसलमान हमेशा ही ये दुआ हर नमाज़ के बाद ज़रूर एक बार पढ़ लिया करे तो انشاء الله क़र्ज़ व ज़ुल्म से महफूज़ रहेगा।
*✍🏽मिरआतूल मनाजिह, 4/51*

*_गुस्सा आने के वक़्त की दुआ_*
*اَعُوْذُبِاللّٰهِ مِنَ الشَّيْطٰنِ الرَّجِيْمِ*
में शैतान मर्दुद से अल्लाह की पनाह चाहता हु।
*✍🏽सहीह बुखारी, 4/131*

*_इल्म में इज़ाफ़े की दुआ_*
*رَبِّ زِدْنِىْ عِلْمًا*
ऐ मेरे रब! मुझे इल्म ज़्यादा दे।
*✍🏽पारह, 16*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 207*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।

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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मुसीबत ज़दा को देख कर पढ़ने की दुआ_*
*اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْٓ عَافَانِىْ مِمَّا ابْتَلَاكَ بِهٖ وَفَضَّلَنِىْ عَلٰى كَثِيْرٍ مِمَّنْ خَلَقَ تَفْضِيْلًا*
अल्लाह का शुक्र है जिस ने मुझे मुसीबत से आफिय्यत दी जिस में तुझे मुब्तला किया और मुझे अपनी बहुत सी मख्लूक़ पर फ़ज़ीलत दी।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 5/272*
     जो शख्स किसी बला रसीदा को देख कर ये दुआ पढ़ लेगा انشاء الله उस बला से महफूज़ रहेगा।
     हर तरह के अमराज़ व बला में मुब्तला को देख कर ये दुआ लड़ सकते है। लेकिन 3 किस्म की बीमारियो में मुब्तला को देख कर ये दुआ न पढ़ी जाए, इस लिये की मन्कुल है की 3 बीमारियो को मकरूह न रखो।
1 ज़ुकाम की हस की वजह से बहुत सी बीमारियो की जड़ कट जाती है।
2 खुजली की इस से अमराज़े जिल्दिया और जुज़ाम वगैरा का इंसीदाद हो जाता है।
3 आशोबे चश्म न बिनाई को दफा करता है।
*✍🏽तलफुज़ाते आला हज़रत, 1/28*

     इस दुआ को पढ़ते वक़्त इस बात का ख्याल रखे की मुसीबत ज़दा तक आवाज़ न पहुचे क्यू की इससे उसकी दिल शिकनी हो सकती है।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 209*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_बारिश की ज़्यादती के वक़्त की दुआ_*
*اَللّٰهُمَّ حَوَالَيْنَا وَلَا عَلَيْنَا اَللّٰهُمَّ عَلَى الْاٰكَامِ وَالظِّرَابِ وَبَطُوْنِ الْاَوْدِيَةِ وَمَنَابِتِ الشَّجَرِ*
ऐ अल्लाह ! हमारे इर्द गिर्द बरसा और हम पर न बरसा, ऐ अल्लाह ! टीलो पर और पहाड़ियों पर और वादियो पर और दरख्त उगने के मक़ामात पर बरसा। (यानी जहां जानी व माली नुक़सान होने का अन्देशा न हो)
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/348*

*_आंधी के वक़्त की दुआ_*
اَللّٰهُمَّ اِنِّىْٓ اَسْأَلُكَ خَيْرَهَا وَخَيْرَ مَافِيْهَا وَخَيْرَ مَااُرْسِلَتُ بِهٖ وَاَعُوْذُبِكَ مِنْ شَرِّهَا وَشَرِّمَا فِيْهَا وَشَرِّمَا اُرْسِلَتُ بِهٖ*
या इलाही ! में तुझ से इस (आंधी) की और जो कुछ इसमें है और जिसके साथ ये भेजी गई है, उस की भलाई का सुवाल करता हु और में तेरी पनाह मांगता हु इस आंधी के शर से और उस चीज़ के शर से जो इसमें है और उसके शर से जिस के साथ ये भेजी गई है।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 446*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 210*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_बाज़ार में दाखिल होते वक़्त की दुआ_*
*لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَاشَرِيْكَ لَهُ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الَحَمْدُ يُحْيِىْ وَيُمِيْتَ وَهُوَ حَىُّ لَّايَمُوْتُ بِيَدِهِ الْخَيْرُ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيْرٌ*
अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नही, वो अकेला है, उसका कोई शरीक नही, उसी के लिये है बादशाही और उसी के लिए हम्द है, वही ज़िन्दा करता और मारता है वो ज़िन्दा है उसको हरगिज़ मौत नही आएगी, तमाम भलाइया उसी के दस्ते क़ुदरत में है और वो हर चीज़ पर क़ादिर है।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 5/271*

     अल्लाह इस दुआ के पड़ने वाले के लिये 10 लाख नेकिया लिखता है और उस के 10 लाख गुनाह मिटाता है और उसके 10 लाख दर्जे बुलंद करता है और उस के लिये जन्नत में घर बनाता है।
*✍🏽मिरआतुल मनाजिह, 4/39*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 211*
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आबे ज़मज़म पीते वक़्त की दुआ*

हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : आबे ज़मज़म जिस काम के लिये पिया जाए (कार आमद है) आप इसको पीते वक़्त शिफ़ा तलब करे तो अल्लाह शिफ़ा अता फ़रमाएगा, और अगर पनाह मांगे तो अल्लाह उसे पनाह अता फ़रमाएगा।

*اَللّٰهُمَّ اَسْاَلُكَ عِلْمًا نَّافِعًا وَّرِزْقًا وَّاسِعًا وَّشِفَآءً مَّنْ كُلَّ دَآءٍ*
ऐ अल्लाह ! में तुझसे इल्मे नाफ़ेअ का और रिज़्क़ की कुशादगी का और हर बिमारी से शिफयाबि का सुवाल करता हु।
*✍🏽अलमुस्तदरक लिल्हाकिम, 2/132*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 214*

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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #12
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नया लिबास पहनते वक़्त की दो दुआए_*

*اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْ كَسَانِىْ مَآ اُوَارِىْ بِهٖ عَوْرَتِىْ وَاَتَجَمَّلُ فِىْ حَيَاتِىْ*
अल्लाह का शुक्र है जिस ने मुझे वो कपड़ा पहनाया जिस से में अपना सित्र छुपता हु और ज़िन्दगी में इस से ज़ीनत हासिल करता हु।
*✍🏽सुनन तिरमिजी, 5/327*

*اَللّٰهُمَّ لَكَ اَلْحَمْدُ اَنْتَ كَسَوْ تَنِيْهِ اَسْاَلُكَ خَيْرَهُ وَخَيْرَ مَاصُنِعَ اَهُ وَاَعُوْذُبِكَ مِنْ شَرِّهٖ وَشَرِّ مَا صُنِعَ لَهُ*
ऐ अल्लाह ! तेरा शुक्र है तूने मिझे ये कपड़ा पहनाया में तुजसे इसकी भलाई और जिस गरज़ के लिये ये बनाया गया है उस की भलाई मांगता हु और इसकी बुराई और जिस गरज़ के लिए ये बनाया गया है उस की बुराई से तेरी पनाह तलब करता हु।
*✍🏽सुनन तिर्मिज़ी, 3/297*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 215*

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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #13
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सुवारी पर इत्मीनान से बैठ जाने पर दुआ_*

*اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ سُبْحٰنَ الَّذِىْ سَخَّرَلَنَا هٰذَا وَمَاكُنَّا لَهُ مُقْرِنِيْنَ وَاِنَّآ اِلٰى رَبِّنَا لَمُنْقَلِبُوْنَ*
अल्लाह का शुक्र है, पाकी है उस जिस ने इस सुवारी को हमारे बस में कर दिया और ये हमारे बुते (ताक़त) की न थी और बेशक हमे अपने रब की तरफ पलटना है।

*✍🏽सुनन अबिदाउद, 3/49*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 217*

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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #14
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_नज़रे बद लगने पर पढ़े_*
*وَاِنْ يَّكَادُ الَّذِيٍنَ كَفَرُوْا لَيُزْلِقُوْنَكَ بِاَبْصَارِهِمْ لَمَّا سَمِعُواالذِّكْرَ وَيَقُوْلُوْنَ اِنَّهُ لَمَجْنُوْنٌ o*
और ज़रूर काफ़िर तो ऐसे मालुम होते है की गोया अपनी बद नज़र लगा कर तुम्हे गिरा देंगे, जब क़ुरआन सुनते है और कहते है ये ज़रूर अक़्ल से दूर है।
*पारह 29*
    ये आयत नज़रे बद से बचने के लिये इक्सिर है।
*✍🏽नुरुल इरफ़ान, 971*
     हज़रते हसनرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया : जिस को नज़र लगे उस पर ये आयत पढ़ कर दम कर दी जाए।
*✍🏽खज़ाइनुल इरफ़ान, 1019*

*اَللَّهُمَّ اَذْهِبْ عَنْهُ حَرَّهَا وَبَرْدَهَا وَوَصَبَهَا*
ऐ अल्लाह ! इस (नज़रे बद) की गर्मी, सर्दी और मुसीबत इस से दूर कर दे।
*✍🏽अलमुस्तदरक लिल्हाकिम, 5/305*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 219*

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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* # 15
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_किसी क़ौम से खतरे के वक़्त की दुआ_*

*اَللّٰهُمَّ اِنَّا نَجْعَلُكَ فِىْ نُحُوْرِهِمْ وَنَعُوْذُ بِكَ مِنْ شُرُوْرِهِمْ*बी
ऐ अल्लाह !हम तुझे दुश्मनो के मुक़ाबिल करते है और उन की शरारतो से तेरी पनाह चाहते है।

*✍🏽सुनन इब्ने दाउद, 2/127*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 220*
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #16
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सख्त खतरे के वक़्त की दुआ_*

*اَللّٰهُمَّ اسْتُرْ عَوْرَاتِنَا وَاٰمِنْ رَوْعَاتِنَا*
इलाही ! हमारी पर्दादारी फरमा और हमारी घबराहट को बे खौफ व इत्मिनान से बदल दे.

*✍🏽इमाम अहमद बिन हम्बल, 4/7, हदिष, 10996*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 221*
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #17
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_ज़बान की नुकनत की दुआ_*

*رَبِّ اشْرَحْ لِىْ صَدٍرِىْ o وَيَسِّرْ لِىْٓ اَمْرِىْ o وَاحْلُلْ عُقْدَةًمِّنْ لِّسَانِىْ o يَفْقَهُوْا قَوْلِىْ o*

ऐ मेरे रब ! मेरे लिये मेरा सीना खोल दे और मेरे लिये मेरा काम आसान कर और मेरी ज़बान की गिरह खोल दे की वो मेरी बात समझे।

*✍🏽पारह 16, ताहा, 25-28*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 21*
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #18
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*_कुफ़्र व फक्र से पनाह की दुआ_*

*اَللّٰهُمَّ اِنِّىْٓ اَعُوْذُبِكَ مِنَ الْكُفْرِ وَالْفَقْرِ وَعَذَابِ الْقَبْرِ*

ऐ अल्लाह ! में कुफ़्र, फक्र और अज़ाबे क़ब्र से तेरी पनाह चाहता हु।

*सुनन नसाई, 132*
*मदनी पंजसुरह, 222*

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*_इयादत करते वक़्त की दो दुआए_*

*لَا بَاْسَ طَهُوْرٌ اِنْ شَآءَ اللّٰهُ*
कोई हरज की बात नही انشاء الله ये मरज़ गुनाहो से पाक करने वाला है।
*✍🏽सहीह बुखारी, 2/505*

*اَسْأَلُ اللّٰهَ الْعَظِيْمَ رَبَّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ اَنْ يَّشْفِيَكَ*
में अज़मत वाले से सुवाल करता हु जो अर्हसि अज़ीम का मालिक है की वो तुझे शिफ़ा दे।
*✍🏽सुनन अबी दाऊद, 3251*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 222*

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*_मुसीबत के वक़्त की दुआ_*

*اِنَّالِلّٰهِ وَاِنَّآ اِلَيْهِ رَاجِعُوْنَ o اَللّٰهُمَّ اَجِرْنِىْ فِىْ مُصِيْبَتِىْ وَاَخْلِفْ لِىْ خَيْرًا مَّنْهَا*

बेशक हम अल्लाह के है और बेशक हम उसी की तरफ लौटने वाले है, ऐ अल्लाह ! मेरी मुसबित में मुझे अज्र दे और मुझे इस से बेहतर अता फरमा।
*सहीह मुस्लिम, 457*
*मदनी पंजसुरह, 222*

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*_ताज़िय्यत करते वक़्त की दुआ_*

*اِنَّ لِلّٰهِ مَآ اَخَذَ وَلَهُ مَآ اَعْطٰى وَكُلٌّ عِنْدَهُ بِاَجَلٍ مُسَمًّى فَلْتَصْبِرْ وَلْتَحْتَسِبْ*

बेशक अल्लाह ही का है जो उस ने ले लिया और जो कुछ उसने दिया है हर चीज़ की उस बारगाह में मीआद मुक़र्रर है पस चाहिये कि तू सब्र करे और षवाब की उम्मीद रखे।

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*✍🏽सहीह बुखारी, 1/434*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 223*
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*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #22
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*_दुआए बराए रोशनिये चश्म_*
     आयतुल कुरसी हर नमाज़ के बाद एक बार पढ़ी जाए और नमाज़े पन्जगाना की पाबन्दी करे, और जब इस कलिमे पर पहुचे
*وَلَاَيَءُوْدُهُ حِفْظُهُمَا*
तो दोनों हाथ की उंगलियो के पोरे आँखों पर रख कर इस कलिमे को 11 बार पढ़े फिर आयतुल कुर्सी पूरी करले और दोनों हाथो की उंगलियो पर डीएम कर के आँखों पर फेर ले।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 224*

*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*फ़र्ज़ नमाज़ के बाद की दुआ* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर नमाज़ के बाद पेशानी यानी सर के अगले हिस्से पर हाथ रख कर पढ़े :

*بِسْمِ اللّٰهِ الَّذِىْ لَآاِلٰهَ اِلَّاهُوَ الرَّحْمٰنُ الرَّحِيْمُ اَللّٰهُمَّ اَذْهِبْ عَنِّى الْهَمَّ وَالْحُزْنَ*

अल्लाह के नाम से जिस के सिवा कोई मअबूद नही, वो रहमान व रहीम है, ऐ अल्लाह मिझ से गम व रन्ज को दूर कर दे।

और हाथ खीच कर माथे तक ले जाए।
*✍🏽मजमउ ज़्ज़वाइद, 10/144*
*✍🏽बहारे शरीअत, जी। अव्वल, हिस्सा सीवुम, 539*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 225*

*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*फ़र्ज़ नमाज़ के बाद की दुआ* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*اَللّٰهُمَّ اَعِنِّى عَلٰى ذِكْرِكَ وَشُكْرِكَ وَحُسْنِ عِبَادَتِكَ*

ऐ अल्लाह तू अपने ज़िक्र व शुक्र और हुस्ने इबादत पर मेरी मदद फरमा।

*✍🏽सुनन इब्नइ दाऊद, 2/123*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 225*

*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*फ़र्ज़ नमाज़ के बाद की दुआ* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*اَللّٰهُمَّ اَنْتَ السَّلَامُ وَمِنْكَ السَّلَامُ تَبَارَكْتَ يَاذَاالْجَلَالِ وَالْاِكْرَامِ*

ऐ अल्लाह ! तू सलामती देने वाला है और तेरी ही तरफ से सलामती है तू बरकत वाला है ऐ जलाल व बुज़ुर्गी वाले।

*✍🏽सहीह मुस्लिम, 298*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 225*

*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*अहद नामा की फ़ज़ीलत*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     जो हर नमाज़ के बाद अहद नामा पढ़े, फ़रिश्ते उसे लिख कर मोहर लगा कर क़यामत के लिये उठा रखे, जब अल्लाह उस बन्दे को क़ब्र से उठाए, फ़रिश्ता वो दस्तावेज़ साथ लाए और निदा की जाए अहद वाले कहा है, उन्हें वो अहद नामा दिया जाए।
     इमाम हकीम तिरमिजी रहमतुल्लाह अलैह ने इसे रिवायत कर के फ़रमाया, इमाम ताऊस रहमतुल्लाह अलैह की वसिय्यत से ये अहद नामा उन के कफ़न में लिखा गया।

*✍🏽दुर्रुल मंशुर, 5/542*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 226*
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*डरावने ख्वाबो से नजात*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*يَامُتَكَبِّرُ*
21 बार पढ़े, अव्वल आखिर एक एक बार दुरुद शरीफ सोते वक़्त पढ़ लेंगे तो انشاء الله डरावने ख्वाब नही आएँगे।

*✍🏽फैज़ाने सुन्नत, 1/242*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 228*
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*जानवर के काटे का अमल*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

ये आयत हर जानवर के काटे के लिये अक्सिर है, 11 बार पढ़ कर काटने की जगह पर दम करे।

*اَمْ اَبْرَ مُوْٓااَمْرًا فَاِنَّا مُبْرِ مُوْنَ o*
*✍🏽पारह 25*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 228*
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*फालिज व लक़्वा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     लक़्वा व फालिज में *सुरए ज़िलज़ाल* लोहे के बर्तन पर लिख कर धो कर पिलाई जाए।

     दीगर तरकीब : *सूरए ज़िलज़ाल* लोहे के बर्तन में लिख कर दे की मरीज़ उस पर देखे انشاء الله सिहहत होगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 229*
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*बराए क़ुव्वते हाफीजा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

दीनी किताब या इस्लामी सबक़ पढ़ने से क़ब्ल ये दुआ अव्वल आखिर दुरुद पढ़ के पढ़ लीजिये انشاء الله जो कुछ पढ़ेंगे याद रहेगा

*اَللّٰهُمَّ افْتَحْ عَلَيْنَا حِكْمَتَكَ وَانْشُرْ عَلَيْنَا رَحْمَتَكَ يَاذَالْجَلَالِ وَالْاِكْرَام*
ऐ अल्लाह ! हम पर इल्मो हिक़मत के दरवाज़े खोल दे और हम पर अपनी रहमत नाज़िल फरमा ! ऐ अज़मत और बुज़ुर्गी वाले !

*✍🏽अलमुस्तरफ, 1/40*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 229*

*नॉट :* जिन हजरात को अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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*बराए क़ज़ाए हाजात*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हुज़ूरﷺ फरमाते है की मुझे एक ऐसी आयत मालुम है कि अगर लोग उस पर आमिल हो तो उन की हाजतो को काफी है, फिर ये आयते करीमा इरशाद फ़रमाई।
(अदाए क़र्ज़ और रोज़ी व रोज़गार के लिये इस की कसरत मुफीद व मुजर्र्ब है)

*وَمَنْ يَّتَّقِاللّٰهَ يَجْعَلْ لَّهُ مَخْرَجًا o وَّيَرْزُقْهُ مِنْ حَيْثُ لَايَيَحْتَسِبُ، وَمَنْ يَّتَوَكَّلْ عَلَى اللّٰهِ فَهُوَ حَسْبُهُ، اِنَّ اللّٰهَ بَالِغُ اَمْرِهٖ، قَدْ جَعَلَ اللّٰهُ لِكُلِّ شَىْءٍقَدْرًا o*

*✍🏽पारह 28, अल-तलाक़, 2,3*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 232*
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*बुखार से शिफ़ा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

जिस को बुखार हो सात बार ये दुआ पढ़े :

*بِسْمِ اللّٰهِ الْكَبِيْرِ اَعُوْذُ بِاللّٰهِ الْعَظِيْمِ مِنْ شَرِّ كُلِّ عِرْقٍ نَّعَّارٍ وَّمِنْ شَرِّ النَّارِ*

अगर मरीज़ खुद न पढ़ सके तो दूसरा नमाज़ी आदमी सात बार पढ़ कर दम कर दे या पानी पर दम कर के पिला दे انشاء الله बुखार उतर जाएगा। एक मर्तबा में बुखार न उतरे तो बार बार ये अम्ल करे।

*✍🏽जन्नती ज़ेवर, 580*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 234*
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*क़ुव्वते हाफीजा के लिये*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

पाचो नमाज़ों के बाद सर पर दाहिना हाथ रख कर 11 मर्तबा *يَاقَوِىُّ* पढ़े।

*✍🏽जन्नती ज़ेवर, 605*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 237*
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*दुआए डेंग्यू-ए शिफ़ा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*وَاِنْ يَّمْسَسْكَ اللّٰهُ بِضُرٍّ فَلَا كَاشِفَ لَهُٓ اِلَّا هُوَ، وَاِنْ يَّمْسَسْكَ بِجَيْرٍ فَهُوَ عَلٰى كُلِّ شَىْءٍ قَدِيْرٌ o*

डेंग्यू के मरीज़ इस दुआ की कसरत करते रहे انشاء الله शिफ़ा मिलेगी।
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*बिनाई की हिफाज़त के लिये*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

पाचो नमाज़ों के बाद 11 मर्तबा *يَا نُوْرُ* पढ़ कर दोनों हाथो के पोरो पर दम कर के आँखों पर फेर लीजिये।

*✍🏽जन्नती ज़ेवर, 606*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 238*

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*बांझ पन*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

40 लेंगे (लविंग) ले कर हर एक पर 7 बार इस आयत को पढ़े और जिस दिन औरत हैज़ से पाक हो कर गुस्ल करे उस दिन से एक लोंग रोज़ सोते वक़्त खाना शुरू करे करे और उस पर पानी न पिये और इस दरमियान में ज़रूर शोहर के साथ तखलिया करे।
ان شاء الله औलाद मिलेगी

*بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ o*
*اَوْكَظُلُمٰتٍ فِىْ بَحْرٍ لُّجِّىٍّ يَّغْشٰهُ مَوْ جٌ مِّنْ فَوْقِهٖ مَوْجٌ مِّنْ فَوْقِهٖ سَحَابٌ، ظُلُمٰتٌ بَعْضُهَا فَوْقَ بَعْضٍ، اِذَآاَخْرَجَ يَدَهُ لَمْ يَكَدْ يَرٰهَا، وَمَنْ لَّمْ يَجْعَلِ اللّٰهُ لَهُ نُوْرًا فَمَالَهُ مِنْ نُّوْرً o*

*✍🏽पारह 18*
*✍🏽जन्नती ज़ेवर, 607*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 241*
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*शुगर का इलाज*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

ये क़ुरआनी आयत रोज़ाना सुब्ह व शाम 3-3 बार अव्वल आखिर दुरुद शरीफ पढ़ कर पानी पर दम कर के पिये।

*رَبِّ اَدْخِلْنِىْ مُدْخَلَ صِدْقٍ وَّاَخْرِجْنِىْ مُخْرَجَ صِدْقٍ وَّاجْعَلٍ لُّىْ مِنْ لَّدُنْكَ سُلْطٰنًا نَّصِيْرًا o*

तर्जमह : ऐ मेरे रब मुझे सच्ची तरह दाखिल कर और सच्ची तरह बाहर ले जा और मुझे अपनी तरफ से मददगार गल्बा दे।

*✍🏽पारह 15, बनी इस्राइल, 80*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 244*
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*कर्ज़ा उतार ने का वज़ीफ़ा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

मरवी हुवा की एक मुकातब (मुकातब उस गुलाम को कहते है जिसने अपने आक़ा से माल की अदाएगी के बदले आज़ादी का मुआह्दा किया हो) ने हज़रते मुश्किल कुशाكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم की बारगाह में अर्ज़ की : में अपनी आज़ादी की कीमत अदा करने से आजिज़ हु मेरी मदद फरमाइये। आपكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم ने फ़रमाया : में तुम्हे चन्द कलिमात न सिखाऊँ जो रसूलल्लाहﷺ ने मुझे सिखाए है, अगर तुम पर जबले सैर (सैर एक पहाड़ का नाम है) जितना क़र्ज़ होगा तो अल्लाह तुम्हारी तरफ से अदा कर देगा तुम यु कहा को :

*اَللّٰهُمَّ اكْفِكِىْ بِحَلَالِكَ عَنْ حَرَامِكَ وَاَغَنِِىْ بِفَضْلِكَ عَمَّنْ سِوَاكَ*

तरजमा : या अल्लाह मुझे हलाल रिज़्क़ अता फरमा कर हराम से बचा और अपने फ़ज़लो करम से अपने सिवा गैरो से बे नियाज़ कर दे।

ता हुसूले मुराद हर नमाज़ के बाद 11 और सुब्ह शाम 100 बार रोज़ाना आगे पीछे दुरुद शरीफ पढ़े।

*सुनन तिर्मिज़ी, 5/329*
*मदनी पंजसुरह, 245*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़सज़ाइल* #
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَااَللّٰهُ*
जो हर नमाज़ के बाद 100 बार पढ़े ان شاء الله उसका बातिन कुशादा हो जाएगा।

*✍🏽मदनी पंजदूसर, 246*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़सज़ाइल* #02
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*هُوَا اللّٰهُ الرَّ حِيْمُ*
जो हर नमाज़ के बाद 7 बार पढ़ लिया करेगा ان شاء الله शैतान के शर से बचा रहेगा और उस का ईमान पर खातिमा होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 246*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا قُدُّوْسُ*
जो कोई दौराने सफर विर्द करता रहे ان شاء الله थकन से महफूज़ रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 267*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا رَحْمٰنُ*
जो कोई भी सुब्ह की नमाज़ के बाद 298 बार पढ़ेगा अल्लाह उस पर बहुत रहम करेगा, ان شاء الله

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 246*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا رَحِيْمُ*
जो कोई हर रोज़ 500 बार पढ़ेगा ان شاء الله दौलत पाएगा और मख्लूक़ उस पर महेरबान और शफ़ीक़ होगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 246*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़सज़ाइल* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مَلِكُ*
गरीब व नादार रोज़ाना 90 बार पढ़ा करे ان شاء الله गुर्बत से नजात पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 246*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़सज़ाइल* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا سَلَامُ*
111 बार पढ़ कर बीमार पर दम करने से ان شاء الله शिफ़ा हासिल होगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 247*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़सज़ाइल* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُؤْمِنُ*
जो 115 बार पढ़ कर अपने ऊपर दम करेगा, أن شاء الله तंदुरस्ती पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 247*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़सज़ाइल* #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُهَيْمِنُ*
29 बार रोज़ाना पढ़ने वाला ان شاء الله हर आफत व बला से महफूज़ रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 247*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़सज़ाइल* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا عَزِيْزُ*
हाकिम या अफसर वगैरा के पास जाने से क़ब्ल 41 बार पढ़ लीजिये ان شاء الله वो हाकिम या अफसर महेरबान हो जाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 247*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़सज़ाइल* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا جبَّارُ*
जो कोई मुसलसल विर्द रखेगा अपनी गीबत से ان شاء الله बचा रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 247*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُتَكَبِّرُ*
21 बार रोज़ाना पढ़ लीजिये, डरावने ख्वाब आते होंगे तो ان شاء الله ख्वाब में नही डरेंगे।

ज़ौजा से मिलाप से क़ब्ल 10 बार पढ़ लेने वाला ان شاء الله नेक बेटे का बाप बनेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 247*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا خَالِقُ*

जो 300 बार पढ़े ان شاء الله उसका दुश्मन मगलूब होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 247*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا بَارِىُٔ*

हर जुमुआ 10 बार पढ़ लिया करे ان شاء الله उस को बेटा अता होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 248*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُصَوِّرُ*

जो बाँझ औरत रोज़े रखे और इफ्तार के वक़्त 21 बार *اَلْمُصَوِّرُ* पढ़ कर पानी पर दम करके पी लिया करे, अल्लाह उसे नेक बेटा अता करेगा ان شاء الله

*✍🏽मदनु पंजसुरह, 248*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا غَفَّارُ*

जो हमेशा पढ़ा करेगा ان شاء الله नफ़्स की बुरी ख्वाहिशात से छुटकारा पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 248*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا قَهَّارُ*

अगर कोई मुसीबत आ पड़े तो 100 बार पढ़िये, ان شاء الله मुश्किल आसान होगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 248*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا وَهَّابُ*

जो रोज़ाना 7 बार पढ़ा करेगा ان شاء الله मुस्तजाबुद्दा'वात होगा। (यानी हर दुआ क़बूल हुवा करेगी)

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 248*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا رَزَّاقُ*

जो फज्र के फ़र्ज़ व सुन्नत के दरमियान 41 दिन तक 550 बार पढ़ेगा ان شاء الله दौलत मन्द होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 248*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا فَتَّاحُ*

जो रोज़ाना बाद नमाज़े फज्र 70 बार दोनों हाथ सीने पर रखकर पढ़ा करेगा ان شاء الله उसके दिल का जंग व मेल दूर होगा।

रोज़ाना 7 बार किस भी वक़्त पढ़ा करेगा ان شاء الله उस का दिल रोशन होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 249*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا عَلِيْمُ*

जो कोई इस इस्म को बहुत पढ़ेगा अल्लाह उसको दिन व दुन्या की मारिफ़त अता फ़रमाएगा ان شاء الله.

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 249*
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*يَا قَابِضُ*

30 बार जो रोज़ पढा करे أن شاء الله वो दुश्मन पर फ़त्ह पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 249*
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*يَا بَاسِطُ*
जो 40 बार पढ़े ان شاء الله ख़ल्क़ से बे परवाह होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 249*
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*يَا خَافِضُ*
जो कोई इसे 500 बार पढ़ ले ان شاء الله दुश्मन से अमान में रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 249*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا رَافِعُ*
20 बार रोज़ाना पढ़ा करेगा ان شاء الله उसकी मुराद पूरी होगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 249*
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*يَا مُعِزُّ*

जो कोई इसे बाद नमाज़े ईशा शबे जुमुआ 140 बार पढ़े मख्लूक़ की नज़र में उस की इज़्ज़त व हुरमत और हैबत बढ़ेगी ان شاء الله.

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 249*
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*يَا حَكَمُ*
जो पाचो वक़्त हर नमाज़ बाद 80 बार पढ़ लिया करे, किसी का मोहताज न रहेगा, ان شاء الله

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 250*
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*يَا بَصِيْرُ*
7 बार जो कोई रोज़ाना ब वक़्ते असर पढ़ लिया करेगा ان شاء الله अचानक मौत से महफूज़ रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 250*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا سَمِيْعُ*
100 बार रोज़ाना पढ़े और इस दौरान गुफ्तगू न करे और पढ़ कर दुआ मांगे ان شاء الله जो (जाइज़ दुआ) मांगेगा पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 250*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُذِلُّ*
जो कोई 75 बार पढ़ कर सज्दा करे और कहे *या इलाही फुला ज़ालिम के शर से मुझे महफूज़ रख,* अल्लाह उसे अमान देगा और अपनी हिफाज़त में रखेगा, ان شاء الله

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 250*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़ज़ाइल* #31
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا عَدْلُ*
जो कोई मगरिब की नमाज़ के बाद 1000 बार पढ़ेगा ان شاء الله आस्मानि बालाओं से नजात पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 250*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا لَطِيْفُ*
*बेटियो के नसीब खुलने और अमराज़ से सिहहत और मुश्किलात से नजात के लिये हर रोज़ तहिय्यतुल वुज़ू के बाद 100 बार पढ़ लिया करे।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 250*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا خَبِيْرُ*
जो कोई नफ़्से अम्मारा के हाथ गिरफ्तार हो तो हर रोज़ वज़ीफ़ा कर लिया करे ان شاء الله नजात पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 250*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا حَلِيْمُ*
जो कोई इस को कागज़ पर लिख कर फिर इस को धो दे और अपनी खेती पर छिड़क दे, ان شاء الله ज़राअत  हर आफत से हिफाज़त में रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 251*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا عَظِيْمُ*
जो 7 बार पढ़ कर पानी पर दम करके पानी पी ले ان شاء الله उसके पेट में दर्द न हो।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 251*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا غَفُوْرُ*
जिसको दर्दे सर या कोई बीमारी या गम पेश आ जाए 3 बार लिख कर (यानि इस इसमें पाक को कागज़ पर लिख कर इस की गीली सियाही पर रोटी का टुकड़ा लगा कर वो नक़्श रोटी में जज़्ब कर ले और) खा ले, ان شاء الله शिफ़ा पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 251*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا شَكُوْرُ*
जो कोई 5000 बार रोज़ पढ़ा करे ان شاء الله क़यामत के दिन बुलन्द मर्तबा होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 251*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا عَلِىُّ*
जो वरम (यानी सूजन) पर 3 बार पढ़ कर दम करे ان شاء الله सिहहत पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 251*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا كَبِيْرُ*
जो 9 मर्तबा किसी बीमार पर पढ़ कर दम करे ان شاء الله सिहहत याब जो जाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 251*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا حَفِيْظُ*
जो 16 बार हर रोज़ पढ़े ان شاء الله हर तरह बहादुर रहे।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 251*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُقِيْتُ*
जिस की आँख सुर्ख हो और दर्द करे तो 10 बार पढ़ कर दम कर ले।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 252*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا حَسِيْبُ*
जो हर रोज़ 70 बार पढ़ेगा أن شاء الله हर आफत से महफूज़ रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 252*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا جَلِيْـلُ*
10 बार पढ़ कर जो अपने माल व अस्बाब और रक़म वगैरा पर दम करदे, أن شاء الله चोरी से महफूज़ रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 252*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا كَرِيْمُ*
अगर अपने बिस्तर में इस को पढ़ते पढ़ते सो जाए तो फ़रिश्ते उसके लिये दुआ करेंगे أن شاء الله

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 252*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُجِيْبُ*
जो कोई 3 बार पढ़ कर दम करेगा أن شاء الله दर्दे सर दूर होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 252*
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*يَا حَكِيْـمُ*
80 बार रोज़ाना पाचो नमाज़ों के बाद पढ़ लिया करे, ان شاء الله किसी का मोहताज न हो।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 252*
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*يَا مَجِيْـدُ*
जो कोई गर्मियों में इसे पढ़ेगा ان شاء الله प्यास से मामून रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 253*
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*يَا بَاعِثُ*
जो कोई 7 बार पढ़ कर अपने ऊपर फुके और हाकिम के रु बरु जाए ان شاء الله हाकिम महेरबान हो।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 253*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا شَهِيـدُ*
21 बार सुब्ह (तुलुए आफताब से पहले) ना फरमान बच्चे ग बच्ची की पेशानी पर हाथ रख कर आसमान की तरफ मुह कर के जो पढ़े ان شاء الله उस का वो बच्चा या बच्ची नेक बने।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 253*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا حَقُّ*
अगर क़ैदी आधी रात को नंगे सर 108 बार पढ़ेगा, ان شاء الله क़ैद से रिहाई पाएगा।

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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا وَكِيـْلُ*
7 बार जो रोज़ाना असर के वक़्त पढ़ लिया करे أن شاء الله आफत से पनाह पाए।

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*يَا مَتِيـْنُ*
जिस बच्चे का दूध छुड़ा दिया गया हो उसे कागज़ पर लिख कर पिला दे, तसकीन होगी और माँ का दूध कम हो तो इसी इसमें पाक को लिख कर माँ को पिला दे दूध ज़्यादा होगा।

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*يَا وَلِىُّ*
जो कोई इस इस इसमें पाक को बहुत पढ़ेगा ان شاء الله
 उस की ज़ौजा उस की फरमा बरदार हो जाएगी।

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*يَا مُحْيِـى*
7 बार पढ़ कर अपने ऊपर दम कर लीजिये, गैस हो या पेट या किसी भी जगह दर्द हो या किसी उज़्व के ज़ाएअ हो जाने का खौफ हो, ان شاء الله फाएदा होगा। (मुद्दते इलाज : ता हुसूले शिफ़ा, रोज़ाना कम अज़ कम एक बार)

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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़ज़ाइल* #60
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُمِيْـتُ*
7 बार रोज़ाना पढ़ कर अपने ऊपर दम कर लिया कीजिये ان شاء الله जादू असर नही करेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 253*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़ज़ाइल* #61
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا حَيُّ*
जो कोई बीमार हो इस इस्म को 1000 बार पढ़े, ان شاء الله सिहहत पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 253*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़ज़ाइल* #62
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا قَيـُّوْمُ*
सुब्ह के वक़्त जो कोई इस को कसरत से पढ़ेगा ان شاء الله उस का तसर्रुफ़ दिलो में ज़ाहिर होगा, यानी लोग उस को दोस्त रखेगे।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 253*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़ज़ाइल* #63
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا وَاجِدُ*
जो कोई खाना खाते वक़्त हर निवाले पर पढ़ा करेगा ان شاء الله वो खाना उस के पेट में नूर होगा और बिमारी दूर होगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 255*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مَاجِدُ*
10 बार पढ़ कर शरबत वगैरा पर दम कर के जो पि लिया करे ان شاء الله बीमार न होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 255*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا وَاحِدُ*
जिसको अकेले में डर लगता हो, 1001 बार तन्हाई में पढ़ ले ان شاء الله उस के दिल से खौफ जाता रहा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 255*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا اَحَدُ*
जो कोई इस इस्म को 9 मर्तबा पढ़ कर हाकिम के आगे जाए, ان شاء الله इज़्ज़त और सर्फराज़ी पाएगा।
जो तन्हा इसे 1000 बार पढ़ेगा ان شاء الله नेक बन जाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 255*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا صَـمَـدُ*
जो कोई इसे 1000 बार पढ़ेगा ان شاء الله दुश्मन पर फ़त्ह पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 255*
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا قَادِرُ*
वुज़ू के दौरान हर उज़्व धोते हुए पढ़ने का मामूल बना ले ان شاء الله दुश्मन उस को इग्वा नही कर सकेगा।

41 बार मुश्किल आ पड़े तो पढ़ लीजिये ان شاء الله आसानी हो जाएगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 255*
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*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُقْتَدِرُ*
20 बार जो रोज़ाना पढ़ लिया करेगा ان شاء الله रहमतो के साए में रहेगा।

20 बार जो नींद से बेदार हो कर पढ़ लिया करेगा उस के हर काम में मददे इलाही शामिल रहेगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 255*
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*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُقَدِّمُ*
जो जंग या किसी खौफ की जगह पर बेचैनी की हालत में हो तो वो इस इस्मे मुबारक की कसरत करे।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 256*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُؤَخّـِرُ*
100 बार हर रोज़ पढ़ने वाले के सब काम पुरे होंगे ان شاء الله

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 256*
*____________________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*____________________________________________*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا مُؤَخّـِرُ*
100 बार हर रोज़ पढ़ने वाले के सब काम पुरे होंगे ان شاء الله

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 256*
*____________________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا اَوَّلُ*
100 बार रोज़ाना पढ़ लिया करे ان شاء الله उसकी ज़ैजा उस से महब्बत करेगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 256*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا آخِرُ*
जो किसी जगह जाए और इस इस्मे पाक को पढ़ ले ان شاء الله वहा इज़्ज़त व तौकीर पाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 256*
*____________________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*يَا ظَاهِرُ*
घर की दिवार पर लिख लीजिये ان شاء الله दिवार सलामत रहेगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 256*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا بَاطِنُ*
जो किसी को अमानत सोपे या ज़मीन में दफ़्न करे तो *اَلْبَاطِنُ* लिख कर उसे शै के साथ रख दे, ان شاء الله कोई उस में खियानत न कर सकेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 256*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا وَالِى*
जो कोई कोरे प्याले पर लिख कर उस में पानी भर कर घर के दरो दिवार पर डाले तो ان شاء الله वो घर आफतों से महफूज़ रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 256*
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गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*يَا مُتَعَالِِى*
मुश्किल तरीन कामो के लिये इस की कसरत बेहद मुफीद है।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 256*
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गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يَا بَرُّ*
जो शख्स 7 मर्तबा पढ़ कर बच्चे पर दम कर के अल्लाह तआला की सुपुर्दगी में दे दे बालिग़ होने तक ان شاء الله वो बच्चा बालाओं से महफूज़ रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 256*
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يٙا تٙوّٙابُ*
जो कोई चाश्त की नमाज़ के बाद 360 बार इस को पढ़ेगा अल्लाह उसको तौबतुन्नसुह नसीब फ़रमाएगा ان شاء الله

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 257*
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गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*يٙا مُـنْتٙقِمُ*
दुश्मन को दोस्त बनाने के लिए तिन जुमुआ तक इस को कसरत से पढ़िये।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 257*
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गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يٙا عٙـفُوُّ*
जिस के गुनाह बहुत हो वो इस इस्मे पाक की कसरत करे अल्लाह अपने फ़ज़ल से उस के तमाम गुनाह बख्श देगा ان شاء الله

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 257*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*99 अस्माए हुस्ना और इन के फ़ज़ाइल* #82
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*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يٙا رٙءُوْفُ*
जो किसी मज़लूम का किसी ज़ालिम से पीछा छुड़ाना चाहे, 10 बार पढ़े फिर उस ज़ालिम से बात करे ان شاء الله वो ज़ालिम उस की सिफारिश क़बूल कर लेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 257*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يٙا مٙالِكٙ الْمُـلْكىِ*
जो इसकी कसरत करेगा ان شاء الله खुशहाल होगा

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 257*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يٙا ذٙاالْجٙلٙالِ وٙالْاِكْرٙام*
इस की कसरत से खुशहाली नसीब होगी। इस के साथ दुआ करने से दुआ मक़बूल होगी ان شاء الله

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 257*
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गर होजाये यक़ीन के.....
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*يٙا مُـقْسِطُ*
शैतानी वसवसों से बचने के लिये 100 मर्तबा पढ़ना बहुत मुफीद है, ان شاء الله

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 257*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يٙا جٙامِعُ*
जिसके अज़ीज़ व अक़ारिब जुदा हो गए हो, चाश्त के वक़्त गुस्ल कर के आसमान की तरफ मिह करके 10 बार इस इसमें पाक को पढ़े और हर बार में एक ऊँगली बन्द करता जाए दिर अपने मुह पर हाथ फेरे ان شاء الله थोड़े अरसे में सब जमा हो जाएंगे।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 258*
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*يٙا غٙنِىُّ*
रिठ की हड्डी, घुटनो, जोड़ो या जिस्म में कही भी दर्द हो, चलते फिरते उठते बैठते पढ़ते रहिये ان شاء الله दर्द जाता रहेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 258*
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*يٙا مُغْنِىْ*
एक बार पढ़ कर हाथो पर दम कर दर्द की जगह पर मलने से ان شاء الله सुकून मिलेगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 258*
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*يٙا مٙا نِعُ*
बीवी अगर नाराज़ हो तो शौहर, और शौहर नाराज़ हो तो बीवी सोने से पहले बिछोने पर बेथ कर 20 बार पढ़े ان شاء الله सुलह हो जाएगी।
(मुद्दत : ता हुसुले मुराद)

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 258*
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*يٙا ضٙآرُّ*
जिसे कोई मनसब मिले और वो उस पर क़ाइम रहना चाहे तो वो हर शबे जुमुआ और अय्यामे बिज़ (यानि हर इस्लामी माह की 13, 14, 15 तारीख) में 100 बार पढ़े।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 258*
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*يٙا نٙافِعُ*
जो किसी काम को शुरू करने से क़ब्ल 20 बार पढ़ ले ان شاء الله वो काम उसकी मर्ज़ी के मुताबिक़ पूरा होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 258*
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*يٙا نُوْرُ*
जो 7 मर्तबा सूरए नूर और 1001 बार يٙا نُور पढ़े ان شاء الله उस का दिल रोशन हो जाएगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 259*
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*يٙا بٙدِيْعُ*
जिस को कोई सख्त मुहीम दरपेश हो 70,000 बार पढ़े, ان شاء الله कामयाब होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 259*
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*يٙا وٙارِثُ*
जो कोई इसका विर्द करेगा ان شاء الله उसकी उम्र दराज़ होगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 259*
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*يٙا رٙشِـيْدُ*
जो शख्स किसी काम की तदबीर न जनता हो वो मगरिब और ईशा के दरमियान 1000 बार पढ़े ان شاء الله सहीह तदबीर उस के दिल में आ जाएगी।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 259*
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*يٙا صٙـبُـوْرُ*
जिस को दर्द या रन्ज या मुसीबत पेश आए 33 बार पढ़े ان شاء الله सुकून हासिल होगा।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 259*
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हर विर्द के अव्वल व आखिर एक बार दुरुद शरीफ पढ़ लीजिये, फाएदा ज़ाहिर न होने की सूरत में शिकवा करने के बजाए अपनी कोताहियो की शामत तसव्वुर कीजिये और अल्लाह की मस्लहत पर नज़र रखिये।

*يٙا مُؤٙخِّرُ*
जो कोई इस नाम को किसी नमाज़ के बाद 100 बार पढ़ेगा ان شاء الله उसका दिल अल्लाह की महब्बत और उसकी याद में रहे।

*✍🏽मदनी पंजसुरह, 259*
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*फैजाने नवाफ़िल* #01
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*_अल्लाह का प्यारा बनने का नुस्खा_*
     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से मरवी है, हुज़ूरﷺ फरमाते है की अल्लाह ने फ़रमाया : जो मेरे किसी वली से दुश्मनी करे, उसे में ने लड़ाई का एलान दे दिया और मेरा बन्दा जिन चीज़ों के ज़रिए मेरा कुर्ब चाहता है उन में मुझे सब से ज़्यादा फराइज़ महबूब है, और नवाफ़िल के ज़रिए कुर्ब हासिल करता है यहाँ तक की में उसे अपना महबूब बना लेता हु अगर वो मुझ से सुवाल करे तो उसे ज़रूर दूंगा और पनाह मांगे तो उसे ज़रूर मनाही दूंगा।

*✍🏽सहीह बुखारी, 4/248, हदिष:6502*
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*फैजाने नवाफ़िल* #02
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*_सलातुललैल_*
     रात में बाद नमाज़े ईशा जो नवाफ़िल पढ़े जाए उन को स्लातुललैल कहते है और रात के नवाफ़िल दिन के नवाफ़िल से अफज़ल है की सहीह मुस्लिम में है : हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : फर्ज़ो के बाद अफज़ल नमाज़ रात की नमाज़ है।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 591, हदिष:1163*

*_तहज्जुद और रात में नमाज़ पढ़ने का षवाब_*
     अल्लाह पारह 21 सुरतुस्सज्दा आयत 16, 17 में इरशाद फ़रमाता है :
     इन की करवटे जुदा होती है ख्वाब गाहों से और अपने रब को पुकारते है डरते और उम्मीद करते और हमारे दिये हुए से कुछ खैरात करते है तो किसी जी को नही मालुम जो आँख की ठंडक इन के लिये छुपा रखी है सिला इन के कामो का।
     सलातुल्लैल की एक किस्म तहज्जुद है की ईशा के बाद रात में सो कर उठे और नवाफ़िल पढ़े, सोने से क़ब्ल जो कुछ पढ़े वो तहज्जुद नही। कम से कम तहज्जुद की दो रकअते है और हुज़ूर से 8 तक साबित है।
*✍🏽बहारे शरीअत, 4/26*
     इसमें किराअत का इख़्तियार है की जो चाहे पढ़े, बेहतर ये है की जितना क़ुरआन याद है वो तमाम पढ़ लीजिये वरना ये भी हो सकता है की हर रकअत में सूरए फातिहा के बाद 3 बार सूरतुल इखलास पढ़ लीजिये की इस तरह हर रकअत में क़ुरआने करीम खत्म करने का षवाब मिलेगा, ऐसा करना बेहतर है, बहर हाल सूरए फातिहा के बाद कोई भी सूरत पढ़ सकते है।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 7/447*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 270*
*___________________________________*
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*फैजाने नवाफ़िल* #03
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*_नमाज़े इशराक़_*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : जो नमाज़े फज्र बा जमाअत अदा करके ज़िकरुल्लाह करता रहे यहाँ तक की आफताब बुलंद हो गया फिर 2 रकअत पढ़ी तो उसे पुरे हज व उम्रा का षवाब मिलेगा।
*✍🏽तिर्मिज़ी, 2/100*

     फरमाने मुस्तफा ﷺ : जो शख्स नमाज़े फज्र से फारिग होने के बाद अपने मुसल्ले में (यानि जहा नमाज़ पढ़ी वही) बेठा रहा हत्ता की इशराक़ के नफ्ल पढ़ ले सिर्फ खैर ही बोले तो उस के गुनाह बख्श दिये जाएंगे अगर्चे समुन्दर के झाग से भी ज़्यादा हो।
*✍🏽अबी दाऊद, 2/41*
     हदिष के इस हिस्से "अपने मुसल्ले में बेठा रहे" की वजाहत करते हुए हज़रते मुल्ला अली कारी अलैरहमा फरमाते है : मस्जिद या घर में इस हाल में रहे की ज़िक्र या गौरो फ़िक्र करने या इल्मे दिन सिखने सिखाने या बैतुल्लाह के तवाफ़ में मशगूल रहे, नीज़ "सिर्फ खैर ही बोले" के बारे में फरमाते है : फज्र और इशराक़ के दरमियान खैर यानी भलाई के सिवा कोई गुफ्तगू न करे क्यू की ये वो बात है जिस पर षवाब मुरत्तब होता है।
*✍🏽मिरक़ात, 3/396*

*नमाज़े इशराक़ का वक़्त :* सूरज तुलुअ होने के कम अज़ कम 20 या 25 मिनट बाद से ले कर ज़हवाए कुब्रा तक नमाज़े इशराक़ का वक़्त रहता है।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 277*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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