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रमज़ान की बहारे



🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~01

☝🏽माहे रमज़ान की पहली रात☝🏽

👉🏽हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया :
👉🏽जब रमज़ान शरीफ की पहली तारीख आती है तो अर्शे अज़ीम के निचे से मसीरा नामी हवा चलती है, जो जन्नत के दरख्तो के पत्तो को हिलाती है। इस हवाक चलने से ऐसी दिलकश आवाज़ बुलंद होती है कि इस से बेहतर आवाज़ आज तक मिसी ने नहीं सुनी।
👉🏽इस आवाज़ को सुनकर बड़ी बड़ी आंखो वाली हुरे ज़ाहिर होती है यहां तक कि जन्नत के जन्नत के बुलन्द महल्लो पर खड़ी हो जाती है और कहती है : है कोई जो हम को अल्लाह से मांग ले कि हमारा निकाह उससे हो ?
👉🏽फिर वो हुरे दरोग़ाए जन्नत हज़रते रिज़वान अलैहिस्सलाम से पूछती है : आज ये केसी रात है ? हज़रते रिज़वान जवाब देते है : ये माहे रमज़ान की पहली रात है, जन्नत के दरवाज़े उम्मते मुहम्मदिय्या ﷺ के रोजेदारों के लिये खोल दिये गए है।
📗अल-तरगिब् वल-तरहिब, जी.2 स.60 हदिष:23
📔फैज़ाने सुन्नत, स.871

💐मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! देखा आपने ? खुदाई रहमान रोज़ादारो पर किस दरजा मेहरबान है कि माहे रमज़ान में उन के लिये जन्नत के दरवाज़े को खोल देता है और माहे रमज़ान के भी क्या कहने कि इस के इस्तिक़बाल के लिये सारा साल जन्नत को सजाया जाता है।

👉🏽मरहबा ! बहुत जल्द रमज़ान का खूब सूरत महीना अपने दामन में रहमतो और मगफिरतो के ख़ज़ीने लिए हुए हमारे दरमियान जलवा गर होने वाला है। रमज़ान की अज़मत और फ़ज़ीलत का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जेसे ये मुक़द्दस और मुबारक माह अपनी रहमतो के साथ साया फिगन होता तो हमारे आक़ा अपने सहाबए किराम को इस की आमद पर मुबारक बाद देते और खुश खबरी सुनाते।

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.4-5
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💐मुज़े अपनी और सारी दुनिया के लोगो की इस्लाह की कोशिश करनी है. إن شاء الله  عزوجل
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~02

🌹रमज़ान की मुबारक बाद🌹

👉🏽हज़रते अबू हुरैरा رضي الله تعالي عنه फरमाते है कि हुज़ूर ﷺ अपने सहाबए किराम को खुश खबरी सुनाते हुवे इरशाद फ़रमाया करते कि तुम्हारे पास रमज़ान का महीना आया है जो निहायत बा बरकत है, अल्लाह ने तुम पर इस के रोज़े फ़र्ज़ फरमाए है। इसमें जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते और दोज़ख के दरवाज़े बन्द कर दिये जाते है, नीज़ शैतानो को बांध दिया जाता है। इसमें एक ऐसी रात है जो हज़ार महीनो से बेहतर है जो इस की खैर से महरूम रहा वो बिलकुल ही महरूम रहा।
📘मस्नद इमाम हम्बल, मस्नद अबू हुरैरा, 3/331 हदिष:9001

👉🏽मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस हदिष के तहत फरमाते है : चुकी माहे रमज़ान में महसूस होने वाली बरकतें भी है और गैबी बरकतें भी, इस लिये इस महीने का नाम माहे मुबारक भी है, रमज़ान में कुदरती तौर पर मोमिनो के रिज़्क़ में बरकत होती है और हर नेकी का षवाब 70 गुना या इससे भी ज़्यादा है।
👉🏽इस हदिष से मालुम हुवा कि रमज़ान की आमद पर ख़ुश होना चाहिये, उसके जाने पर गम भी होना चाहिये। इसी लिये अक्सर मुसलमान जुमुअतुल वदाअ को मगमुम और चश्मे पुर नम होते है और ख़ुत्बा इस दिन में कुछ वदाईय्या कलिमात कहते है ताकि मुसलमान बाक़ी घड़ियों को गमगीन जान कर नेकियों में और ज़्यादा कोशिश करे इन सब का माखुज़ ये हदिष है।
📔मीरआतुल मनाजीह, 3,137

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.4-5
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~03

✔हर शब 60,000 की बख्शिश

👉🏽हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद से रिवायत है कि हुज़ूर ने फ़रमाया :
👉🏽रमज़ान की हर शब आसमानों में सुब्हे सादिक़ तक एक मुनादी ये निदा करता है :
👉🏽ऐ अच्छाई मांगने वाले ! मुकम्मल कर (यानी अल्लाह की इताअत की तरफ आगे बढ़) और खुश हो जा।
👉🏽और ऐ शरीर ! शर से बाज़ आ जा और इब्रत हासिल कर।
👉🏽है कोई मग्फिरत का ताकिब ! कि उसकी तलब पूरी की जाए।
👉🏽है कोई तौबा करने वाला ! कि उस की तौबा क़बूल की जाए।
👉🏽है कोई तौबा करने वाला ! कि उसकी तौबा क़बूल की जाए।
👉🏽है कोई दुआ मांगने वाला ! कि उसकी दुआ क़बूल की जाए।
👉🏽है कोई साइल ! कि उसका सुवाल पूरा किया जाए।

👉🏽अल्लाह रमज़ानुल मुबारक की हर शब में इफ्तार के वक़्त 60,000 गुनाहगारो को दोज़ख से आज़ाद फ़रमा देता है। और ईद के दिन सारे महीने के बराबर गुनाहगारो की बख्शिश की जाती है।

👉🏽मीठे और प्यारे इस्लामी भाइयो ! माहे रमज़ान की साअते कितनी बा बरकत है कि हर लम्हा बन्दों में रहमत व मग्फिरते इलाही तक़्सीम हो रही है। ये वो माह है जिस के दिन रोज़ो में और राते तिलावते कलाम पाक में सर्फ होती है और येही दोनों चीज़े  रोज़े महशर मुसलमान के लिये शफ़ाअत का सामान भी फ़राहम करेंगे।

🖊हवाला
📕अद्दूरेमनसुर, जी.1 स.146
📚रमज़ान की बहारे, स.6-7
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~04

☝🏽रोज़ा व कुरआन शफ़ाअत करेंगे☝🏽

🌴रहमते आलम ﷺ फरमाते है :
👉🏽रोज़ा और क़ुरआन बन्दे के लिये क़यामत के दिन शफ़ाअत करेंगे।

👉🏽रोज़ा अर्ज़ करेगा : ऐ रब्बे करीम मेने खाने और ख्वाहिशो से दिन में इसे रोक रोक दिया, मेरी शफ़ाअत इसके हक़ में क़ुबूल फ़रमा।

👉🏽क़ुरआन कहेगा : मेने इसे रात में सोने से बाज़ रखा, मेरी शफ़ाअत इस के लिये क़बूल कर।

👉🏽पस दोनों की शफ़ाअते कबुलु होंगी।
📗मुस्नद इमाम अहमद, जी.2 स.586 हदिष:6637
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☝🏽बख्शिश का बहाना☝🏽

👉🏽अमीरुल मोअमिनीन हज़रते मौलाए क़ायनात फरमाते है :
👉🏽अगर अल्लाह को उम्मते मुहम्मदी पर अज़ाब करना मक़सूद होता तो इन को रमज़ान और सूरए इखलास हरगिज़ इनायत न फ़रमाता।
📕नुज़हतुल मजालिस, 1/216
📔फैज़ाने सुन्नत, 874

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.7
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~05

🌴आक़ा इबादत पर कमर बस्ता हो जाते🌴

👉🏽बिल खुसुस माहे रमज़ान में हमे अल्लाह की खूब खूब इबादत करनी चाहिये और हर वो काम करना चाहिये कि जिस में अल्लाह और उसके हबीब टी रिज़ा हो। अगर इस पाकीज़ा महीने में भी कोई अपनी बख्शिश न करवा सका तो फिर कब करवाएगा ?

🌴हमारे प्यारे आक़ा ﷺ इस मुबारक महीने की आमद के साथ ही इबादतें इलाही में बहुत ज़्यादा मगन हो जाया करते थे।
👉🏽चुनान्चे उम्मुल मोअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु अन्हा फरमाती है : जब माहे रमज़ान आता तो मेरे सरताज ﷺ अल्लाह की इबादत के लिये कमर बस्ता जो जाते और सारा महीना अपने बिस्तरे मुनव्वर पर तशरीफ़ न लाते।
📕अद्दुरु मन्सूर, 1/449
📔फैज़ाने सुन्नत, 876

📨बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.8
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~06

👉🏽हमें भी चाहिये कि पूरा माहे रमज़ान अपने रब को राज़ी करने और उस की इबादत में सर्फ़ कर दे। यक़ीनन जिसे रब की रिज़ा हासिल हो जाए दुन्या व आख़िरत में उस का बेडा पार हो जाता है, माहे रमज़ान अल्लाह की रिज़ा हासिल करने का बेहतरीन ज़रीआ है। ये बड़ी शानो अज़मत वाला महीना है इस की बे शुमार खुसुसिय्यात है जिन में से एक खुसुसिय्यत ये भी है कि अल्लाह ने इसी माहे मुबारक में क़ुरआने पाक नाज़िल फ़रमाया।

👉🏽चुनान्चे पारह 2 सूरतुल बक़रह की आयत 185 में इरशादे खुदा वन्दी है :
☝🏽रमज़ान का महीना जिस में क़ुरआन उतारा, लोगो के लिये हिदायत और रहनुमाई और फैसले की रोशन बाते, तो तुम में जो कोई ये महीना पाए ज़रूर इसके रोज़े रखे और जो बीमार या सफर में हो, तो उतने रोज़े और दिनों में। अल्लाह तुम पर आसानी चाहता है और तुम पर दुशवारी नहीं चाहता और इस लिये कि तुम गिनती पूरी करो और अल्लाह की बड़ाई बोलो इस पर कि उसने तुम्हे हिदायत की और कही तुम हक़ गुज़ार हो।

👉🏽इस आयत के अंदर अल्लाह तआला ने माहे रमज़ान में रोज़े रखने का हुक्म भी फ़रमाया है। याद रहे कि तौहीद व रिसालत का इक़रार करने और तमाम ज़रूरीयाते दीन पर ईमान लाने के बाद जिस तरह हर मुसलमान पर नमाज़ फ़र्ज़ क़रार दी गई है, इसी तरह रमज़ान के रोज़े भी आकिल व बालिग़ पर फ़र्ज़ है।

👉🏽दुर्रे मुख्तार में है : रोज़े 10 शाबानुल मुअज़्ज़्म सिने 2 हिजरी को फ़र्ज़ हुवे।

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स. 8
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~07

✅रोज़े फ़र्ज़ होने की वजह

👉🏽इस्लाम में अक्सर आमाल किसी न किसी रूह परवर वाकिए की याद ताज़ा करने के लिये मुक़र्रर किये गए है। मसलन सफा और मरवा के दरमियान हाजियो की सई हज़रते हाजिरा की यादगार है। आप अपने लखते जिगर हज़रते इस्माइल ज़बीहुल्लाह के लिये पानी तलाश करने के लिये इन दोनों पहाड़ो के दरमियान सात बार चली और दौड़ी थी।अल्लाह को उनकी ये अदा पसंद आ गई, लिहाज़ा इसी सुन्नते हाजिरा को अल्लाह ने बाक़ी रखते हुवे हाजियो और उमराह करने वालो के लिये सफा व मरवा की सई को वाजिब कर दिया।

👉🏽इसी तरह माहे रमज़ान में से कुछ दिन हमारे आक़ा ﷺ ने गारे हिरा में गुज़ारे थे। इस दौरान आप दिन को खाने से परहेज़ करते और रातो को ज़िकरुल्लाह में मशगूल रहते थे। तो अल्लाह ने इन दिनों की याद ताज़ा करने के लिये रोज़े फ़र्ज़ किये ताकि उसके महबूब ﷺ की सुन्नत क़ाइम रहे।

🖊हवाला
📔फैज़ाने सुन्नत, 935
📚रमज़ान की बहारे, स.9
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~08

☝🏽रोज़ादार का ईमान कितना पुख्ता है❗

👉🏽सख्त गर्मी है, प्यास से हल्क सुख रहा है, होंट खुश्क है, पानी मौजूद है पगर रोज़ादार उसकी तरफ देखता तक नही,
👉🏽खाना मौजूद है भूक की शिद्दत से हालत दीगर गूं है, मगर वो खाने की तरफ हाथ तक नहीं बढ़ाता।

👉🏽आप अंदाज़ा फरमाइये, उस शख्स का खुदाए रहमान पर कितना पुख्ता ईमान है क्यूकी वो जानता है कि उसकी हरकत सारी दुन्या से तो छुप सकती है मगर अल्लाह से पोशीदा नहीं रह सकती।

☝🏽अल्लाह पर उसका ये यक़ीने कामिल रोज़े का अमली नतीजा है। क्यूकि दूसरी इबादतें किसी न किसी ज़ाहिरी हरकत से अदा की जाती है मगर रोज़े का तअल्लुक़ बातिन से है। इसका हाल अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता, अगर वो छुप कर खा-पी ले तब भी लोग तो येही समझते रहेंगे कि ये रोज़ादार है। मगर वो महज़ खौफे खुदा के बाइस खाने पिने से अपने आप को बचा रहा है।

👉🏽येही वजह है कि रोज़ादारो को ढेरो इनआमात और अज्रो षवाब से नवाज़ा जाएगा।

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.10
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~09

✔साबिक़ा गुनाहो का कफ़्फ़ारा

👉🏽हज़रते अबू सईद खुदरी رضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि नबी ﷺ फरमाते है :
जिसने रमज़ान का रोज़ा रखा और इस की हुदूद को पहचाना और जिस चीज़ से बचना चाहिये, उससे बचा तो जो कुछ गुनाह पहले कर चूका है उसका कफ़्फ़ारा हो गया।
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✅रोज़े की जज़ा

👉🏽हज़रते अबू हुरैरा رضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि नबी ﷺ फरमाते है :
आदमी के हर नेक काम का बदला 10 से 700 गुना तक दिया जाता है।
☝🏽अल्लाह ने फ़रमाया : सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है और इसकी जज़ा में खुद दूंगा। मज़ीद इरशाद है : बन्दा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। रोज़ादार के लिये 2 खुशिया है एक इफ्तार के वक़्त और एक अपने रब से मुलाक़ात के वक़्त। रोज़ादार के मुह की बू अल्लाह के नज़्दीक मुश्क से ज़्यादा पाकीज़ा है।
📔सहीह मुस्लिम, 580 हदिष :1151

👉🏽मज़ीद इरशाद है : रोज़ा ढाल है और जब किसी के रोज़े का दिन हो तो न बे हुदा बके और न ही चीखे। फिर अगर कोई और शख्स इससे गलम गलोच करे या लड़ने पर आमादा हो, तो कह दे, में रोज़ादार हु।
📕सहीह बुखारी, 1/624 हदिष 1894

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🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, 10,11
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~10

✅रोज़े का खुसूसी इनआम

👉🏽कितनी प्यारी बिशारत है उस रोज़ादार के लिये जिसने इस तरह रोज़ा रखा जिस तरह रोज़ा रखने का हक़ है। यानी खाने पिने और जिमाअ से बचने के साथ साथ अपने तमाम आज़ा को भी गुनाहो से बाज़ रखा तो वो रोज़ा अल्लाह के फ़ज़लो कर्म से उसके लिये तमाम पिछले गुनाहो का कफ़्फ़ारा हो गया और हदीशे मुबारका का ये फरमान तो खास तौर पर क़ाबिले तवज्जोह है जैसा कि नबी अपने परवर दिगार का फरमान सुनाते है :

☝🏽रोज़ा मेरे लिये है और इसकी जज़ा में खुद ही दूंगा।

👉🏽हदीसे कुदसी के इस इरशादे पाक को बाज़ मुहद्दीसिने किराम ने भी पढ़ा है, जैसा कि तफ़सीरे नईमी वग़ैरा में है तो फिर माना ये होंगे :
रोज़े की जज़ा में खुद ही हु। 👉🏽सुब्हान अल्लाह यानी रोज़ा रख कर रोज़ादार ब जाते खुद अल्लाह तबारक व तआला ही को पा लेता है।

🖊हवाला
📔फैज़ाने सुन्नत, 945
📚रमज़ान की बहारे, स.11
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♻हिस्सा~11

✔सोना भी इबादत है

👉🏽हज़रते अब्दुल्लाह बिन अबी ऑफ رضي الله تعالي عنه से रिवायत है, मदीने के ताजदार ﷺ का फरमान है :
🔹रोज़ादार का सोना इबादत और उस की खामोशी तस्बीह करना और उसकी दुआ क़बूल और उसका अमल मक़बूल होता है।
📘शोएबुल ईमान,3/415 हदीस 3938

👉🏽सुब्हान अल्लाह रोज़ादार किस क़दर बख्तवर है कि उसका सोना बन्दगी, ख़ामोशी तस्बिहे खुदावन्दि दुआए और आमाल हसना मक़्बुले बारगाहे इलाही है।

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.12
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~12

📿आज़ा का तस्बीह करना

👉🏽उम्मुल मोअमिनीन हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु अन्हा फरमाती है :
👉🏽मेरे सरताज ﷺ का फरमान है : जो बन्दा रोज़े की हालत में सुबह करता है, उसके लिये आसमान के दरवाज़े खोल दिये जाते है और उसके आज़ा तस्बीह करते है और अस्माने दुन्या पर रहने वाले फ़रिश्ते उसके लिये सूरज डूबने तक मग्फिरत की दुआ करते रहते है। अगर वो एक या दो रकअते पढता है तो ये आस्मानो में उसके लिये नूर बन जाती है और हुरे ऐन में से उसकी बिविया कहती है : ऐ अल्लाह तू इस को हमारे पास भेज दे, हम इस के दीदार की बहुत ज़्यादा मुश्ताक़ है और अगर वो लाइलाहा इल्लल्ला या सुब्हान अल्लाह या अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ता है तो 70000 फ़रिश्ते उसका षवाब सूरज डूबने तक लिखते रहते है।

👉🏽मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! दुन्या में तो रोज़ादारो पर रहमते इलाही की छमा छम बारिश होंगी ही, आख़िरत में भी इनको अज़ीमुश्शान मक़ामो मर्तबा हासिल होगा।

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.12
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♻हिस्सा~13

✅सोने का दस्तर ख्वान

👉🏽हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास رضي الله تعالي عنه से मरवी है, हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया :
👉🏽क़यामत वाले दिन रिज़ादारो के लिये एक सोने का दस्तर ख्वान रखा जाएगा, हालांकि लोग (हिसाब किताब के) मुंतज़िर होंगे।
📔मंजुल उम्माल, 8/214 हदीस 23640
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✅जन्नती फल

👉🏽अमीरुल मोअमिनीन हज़रते अलिय्युल मुर्तज़ा رضي الله تعالي عنه से मरवी है : नबी ने फ़रमाया :
👉🏽जिसको रोज़े ने खाने या पिने से रोक दिया कि जिस की उसे ख्वाहिश थी, तो अल्लाह उसे जन्नती फ्लो में से खिलाएगा और जन्नती शराब से सैराब करेगा।
📘शोएबुल ईमान, 3/410 हदीस 3917

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.14
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~14

♐बे हिसाब अज्र

👉🏽हज़रते काबुल अहबार رضي الله تعالي عنه से मरवी है,
👉🏽बरोज़े क़यामत एक मुनादी इस तरह निदा करेगा हर अमल करने वाले को उस के अमल के बराबर अज़र दिया जाएगा, सिवा क़ुरआन वालो (यानी आलिमे क़ुरआन) और रोज़दारो के कि इन्हें बेहद व बे हिसाब अज्र दिया जाएगा।
📘शोएबुल ईमान, 3/413 हदिष:3928

👉🏽दुन्या में जैसा बोएंगे वैसा काटेंगे उलमए किराम और रोज़ादार बहुत ही नसीब दार है, कि बरोज़े क़यामत उन को बे हिसाब षवाब से नवाज़ा जाएगा।
जब रिज़ादार जन्नत में दाखिल होने लगेंगे तो उस वक़्त भी उन्हें खुसूसी एज़ाज से नवाज़ा जाएगा।

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.14
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💐मुज़े अपनी और सारी दुनिया के लोगो की इस्लाह की कोशिश करनी है. إن شاء الله  عزوجل
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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~15

✔जन्नती दरवाज़ा

👉🏽हज़रते सहल बिन अब्दुल्लाह رضي الله تعالي عنه से रिवायत है, नबी ﷺ ने फ़रमाया :
बेशक जन्नत में एक दरवाज़ा है जिस को रय्यान कहा जाता है, इससे क़यामत के दिन रोज़ादार दाखिल होंगे इनके इलावा कोई और दाखिल न होगा।
👉🏽कहा जाएगा : रोज़ेदार कहा है ? पस ये लोग खड़े होंगे, इनके इलावा कोई और इस दरवाज़े से दाखिल न होगा। जब ये दाखिल हो जाएंगे तो दरवाज़ा बंद कर दिया जाएगा।
📒सहीह बुखारी

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🌾रमज़ान की बहारे🌾
♻हिस्सा~16

♨एक रोज़ा छोड़ने का नुक़सान♨

👉🏽रमज़ान का एक रोज़ा जो बिला किसी उज़्रे शरई जान बुझ कर ज़ाए करदे तो अब उम्र भर भी अगर रोज़े रखता रहे, तब भी इस छोड़े हुवे एक रोज़े की फ़ज़ीलत को नहीं पा सकता।

👉🏽हज़रते सबू हुरैरा رضي الله تعالي عنه से रिवायत है, नबी ﷺ फरमाते है :
जिसने रमज़ान के एक दिन का रोज़ा बिगैर रुखसते मरज़ न रखा तो ज़माने भर का रोज़ा भी इस की क़ज़ा नहीं हो सकता, अगर्चे बाद में रख भी ले।
📘सहीह बुखारी, 1/638 हदिष:1934

👉🏽यानी वो फ़ज़ीलत जो रमज़ान में रोज़ा रखने की थी अब किसी तरह नहीं पा सकता। लिहाज़ा हमे हरगिज़ हरगिज़ गफलत का शिकार हो कर रोज़ए रमज़ान जेसी अज़ीमुश्शान नेमत नहीं छोड़नी चाहिये।

👉🏽नीज़ इस माहे मुबारक को अच्छी तरह अदा करना चाहिये, कही ऐसा न हो कि रमज़ान के हक़ में कोताही के सबब हम मग्फिरत से महरूम हो जाए। यद् रखिये ! जो इस माह भी मग्फिरत से महरूम रहा, वो बहुत बड़े खसारे में है।

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.15
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♻हिस्सा~17

*नाक मिटटी में मिल जाए*

👉🏽हज़रते अबू हुरैरा رضي الله تعالي عنه से मरवी है, नबी ﷺ ने फ़रमाया :
👉🏽उस शख्स की नाक मिटटी में मिल जाए कि जिस के पास मेरा ज़िक्र किया गया तो उसने मेरे ऊपर दुरुद नहीं पढ़ा
👉🏽और उस शख्स की नाक मिटटी में मिल जाए जिस पर रमज़ान का महीना दाखिल हुवा, फिर उसकी मग्फिरत होने से क़ब्ल गुज़र गया
👉🏽और उस आदमी की नाक मिटटी में मिल जाए कि जिस के पास उसके वालिदैन ने बुढ़ापे को पा लिया और उसके वालिदैन ने उसको जन्नत में दाखिल नहीं किया। (यानी बुढ्ढे माँ बाप की खिदमत करके जन्नत हासिल न कर स्का)

👉🏽हमें भी चाहिये कि इस माहे मुबारक की बरकतें और रहमते समेटने नीज़ रब्बे गफ्फार की बारगाह से मग्फिरत का इनआम हासिल करने के लिये माहे रमज़ान में खूब इबादत करे और नेकियों के लिये कमर बस्ता हो जाए।
👉🏽ज़िन्दगी बेहद मुख़्तसर है, लिहाज़ा इन लम्हात को गनीमत जानिये और माहे रमज़ान की मुक़द्दस घडिओ को फुज़ूलिययत व खुराफात में बर्बाद करनेके बजाए, तिलावते क़ुरआन, ज़िकरो दुरुद और दीगर ने कामो में गुज़ारने की कोशिश कीजिये।

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.16
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♐हिस्सा~18

*एतिकाफ की बहारे लूटिये*

👉🏽एहतिराम माहे रमज़ान का दिल में जज़्बा बढ़ाने, इसकी खूब बरकतें पाने, ढेरो ढेर नेकिया कमाने और खुद को गुनाहो से बचाने के लिये पुरे माह रमज़ान या आखरी अशरे के एतिकाफ की सआदत हासिल कीजिये। एतिकाफ की भी क्या खूब फ़ज़ीलत है। चुनान्चे...

👉🏽हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया :
➡जिस शख्स ने ईमान के साथ षवाब हासिल करने की निय्यत से एतिकाफ किया, उसके तमाम पिछले गुनाह बख्श दिये जाएंगे।
📒जामीअसगिर, स.516 हदिष:8480

🖊हवाला
📚रमज़ान की बहारे, स.17
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