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Thursday 31 August 2017

*83 आसान नेकियां* #42
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_किब्ला रुख बैठना_*
     बिल खुसुस तिलावत, दिनी मुतालआ, तस्नीफ व तालीफ़, दुआ व अज़कार और दुरुदो सलाम वगैरा के मवाकेअ पर और बिल उमुम जब बैठे या खड़े हों और कोई रुकावट न हो तो अपना चेहरा किब्ला रुख करने की आदत बना कर आख़िरत के लिये षवाब का ज़खीरा इकठ्ठा कीजिये। हुज़ूर صلى الله عليه وسلم उमुमन किब्ला रु हो कर बैठते थे। (किबले की दाई या बाई जानिब 45 डिग्री के ऐंगल के अंदर अंदर हो तो किब्ला रुख ही शुमार होगा)
*احياء العلوم*

*_3 फरमाने मुस्तफा_*
     मजालिस में सब से मुकर्रम (इज़्ज़त वाला) मजलिस (बैठक) वो है जिस में किबले की तरफ मुह किया जाए।
*المعجم الاوسط*

     हर शै के लिये शरफ (बुज़ुर्गी) है और मजलिस का शरफ ये है कि इस में किबले को मुह किया जाए।
*المعجم الكبير*

     हर शै के लिये सरदारी है और मजालिस की सरदारी इस में है की क़िबले को मुह करना।
*✍🏼المعجم الاوسط*
*✍🏼आसान नेकियां, 117*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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आप सभी हज़रात से गुज़ारिश है की जब भी आप किसी को लिख के सलाम करे तो सिर्फ *salam* इस तरह लिख के ही सलाम करे।

और जब जवाब देना है तो *salam* या *w. salam* इस तरह लिख के जवाब दे।

इस तरह लिख ने से आप का सलाम भी हो जायेगा और माना भी नही बदलेगा।

जब أن شاء الله लिखना है तो *in sha allah* इस तरह लिखे। इस से बेहतर ये है की आप *allah ne chaha to* ऐसा ही लिख दे।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*कबीरा गुनाह 5*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_ज़कात न देना_*
     और खराबी है शिर्क वालों को वो जो ज़कात नहीं देते और वो आख़िरत के मुनकिर है।
*حم السجدة ٧، ٦*

     और वो की जोड़ कर रखते है सोना और चांदी और उसे अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते उन्हें खुश खबरी सुनाओ दर्दनाक अज़ाब की जिस दिन वो तपाया जाएगा जहन्नम की आग में फिर उस से दागेंगे उन की पेशानियां और करवटें और पीठें ये है वो जो तुम ने अपने लिये जोड़ कर रखा था अब चखो मज़ा उस जोड़ने का।
*التوبة ٣٤، ٣٥*

*_ज़कात न देने की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा_*
     ऊंट गए और बकरियों का जो मालिक है उन की ज़कात अदा नहीं करेगा उसे क़यामत के दिन एक चटयल मैदान में लिटाया जाएगा जहाँ ये चौपाए उसे अपने सींगों से मारेंगे और अपने खुरों से रौंदेंगे जब उस पर उन में से आखरी जानवर गुज़र जाएगा तो दोबारा पहले गुज़रने वाला जानवर आ जाएगा। ये उस दिन होता रहेगा जिस की मिक़दार 50 हज़ार बरस है हत्ता की बन्दों के दरमियान फैसला कर दिया जाए तो ये अपना रास्ता जन्नत या दोज़ख की तरफ देखे।
     और जो खज़ाने का मालिक अपने खज़ाने की ज़कात अदा नहीं करेगा बरोज़े क़यामत उस के लिये उस के खज़ाने को गंजे सांप की सूरत में कर के उस पर मुसल्लत कर दिया जाएगा।
*✍🏼مسلم*

     जिन्होंने ज़कात को रोक लिया था रसूले पाक صلى الله عليه وسلم ने उन लोगों के हक़ में इर्शाद फ़रमाता : जिसने ज़कात को रोका हम उस से ज़कात भी लेंगे और उस के निस्फ़ ऊंट भी और ये हमारे रब के वाजिब करदा उमूर में से एक वाजिब है।
*✍🏼نساىٔى*

     पहले 3 अशखास जो जहन्नम में दाखिल होंगे वो ये है : (1) (जबरदस्ती) मुसल्लत होने वाला अमीर (2) मालदार शख्स जो अपने माल के बारे में अल्लाह का हक़ अदा न करता हो (3) मुतकब्बिर फ़क़ीर।
*✍🏼مصنف ابن أبى شيبة*

     हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद رضي الله عنه फ़रमाते है : तुम्हें नमाज़ और ज़कात का हुक्म दिया गया है तो जो ज़कात अदा नहीं करता उस की कोई नमाज़ नहीं है।
*✍🏼معجم الكبير*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 40*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*तकबीर तशरीक़*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

9 ज़िल हज्जा की फ़ज्र से 13 ज़िल हज्जा की अस्र तक हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद बुलन्द आवाज़ से एक मर्तबा तकबीर कहना वाजीब है [और तीन मर्तबा कहना अफ़ज़ल है] मर्द बुलन्द आवाज़ से कहें और औरतें धीरी आवाज़ से कहें ।
*✍🏼अल औसत - इब्न मंजर: 2209*

तीन मर्तबा कहना इस लिए अफ़ज़ल है के इन दिनों मे कसरत से ला इलाहा इल्लल्लाह, अल्लाहु अकबर और अल्हम्दुलिल्लाह कहने का हुक्म है ।
*✍🏼अहमद: 5445*

तकबीर तशरीक़ यह हैं: *अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्लल्लाह, वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर वलिल्लाहिल हम्द*
الله اکبر الله اکبر لا اله الا الله,
والله اکبر  الله اکبر ولله الحمد
*✍🏼अल मुसन्नफ़ - इब्न अबीशैबा: 5652*

*_जन्नत की ख़ुशख़बरी_*
जब भी कोई तकबीर कहने वाला तकबीर कहता है तो उसे ख़ुशख़बरी दी जाती है, पुछा गया जन्नत की? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: हाँ! ।
*✍🏼अल औसत - तबरानी: 7775*

ऐ अल्लाह! हमें ज़्यादा से ज़्यादा तकबीरात कहने की तौफ़ीक अता फ़रमा । आमीन

जुमुआ फज्र से लेकर मंगल की अस्र तक इस तकबीर को पढ़ना है।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*फितना बाज़ की मज़म्मत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : फितना सो रहा है, इस के जगाने वाले पर अल्लाह की लानत।
*الجامع الصغير*

     किसी दिनी फायदे के बगैर लोगों को इज़्तिराब, इख़्तिलाफ़, मुसीबत और आज़माइश में मुब्तला कर के निज़ामे ज़िन्दगी को बिगाड़ देना "फितना" कहलाता है।
*الحديقة الندية*
     लिहाज़ा हर वो चीज़ जो मुसलमानों के दरमिया फ़ितने, शर, अदावत और बुग्ज़ का बाइस बने, हमें उस से बचना चाहिए। फ़ितने को क़ुरआन में क़त्ल से ज़्यादा सख्त कहा गया है, अगर इसी बात और गौर कर लिया जाए तो फ़ितने से बचने के लिये काफी है।
_और इन का फसाद तो क़त्ल से भी सख्त है।_
*البقرة ١٩١*

     इमाम बैज़ावी عليه رحما फ़ितने के क़त्ल से ज़्यादा सख्त व बुरा होने की वजह ये बयान करते है कि चूँकि क़त्ल के मुक़ाबले में फ़ितने की तकलीफ ज़्यादा सख्त और इस का रन्जो अलम ज़्यादा देर तक क़ाइम रहता है इसी लिये इस को क़त्ल से ज़्यादा सख्त फ़रमाया गया।
*✍🏼الحديقة الندية*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 77*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Wednesday 30 August 2017

*तर्के जमाअत के आज़ार*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     मरीज, जिसे मस्जिद तक जाने में मशक़्क़त हो। अपाहज, जिसका पाउ कट गया हो, जिस पर फालिज गिरा हो.

     इतना बुढा कि मस्जिद तक जाने से आजिज़ हो, अँधा, अगर्चे अंधे के लिये कोई ऐसा हो की हाथ पकड़ कर मस्जिद तक पहुचा दे।

     सख्त बारिश और सदिद कीचड़ का हाइल होना, सख्त सर्दी, सख्त अँधेरा, आंधी।

     माल या खाने के ज़ाए होने का अंदेशा हो, क़र्ज़ ख्वाह का खौफ है और ये तंगदस्त है, ज़ालिम का खौफ।

     पखाना, पेशाब या रीह की हाजते शदीद है,
     खाना हाज़िर है और नफ़्स को इस की ख्वाहिश है।

     काफिला चले जाने का अंदेशा है।

     मरीज़ की तिमार दारी, कि जमाअत के लिये जाने से इसको तकलीफ होगी और घबराएगा।

👆🏽ये सब तर्के जमाअत के लिये उज़्र है।
*दुर्रेमुखतार मअ रद्दलमोहतर, 2/292*
*नमाज़ के अहकाम, स.203*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*कबीरा गुनाह 4* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_आमाल में सब से पहला सुवाल_*
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : क़यामत के दिन बन्दे के आमाल में सब से पहले नमाज़ के मुतअल्लिक़ सुवाल होगा। अगर ये दुरुस्त हुई तो उस ने फलाह व कामयाबी पाई और इस में कमी हुई तो वो ना मुराद हुवा और उस ने नुक़्सान उठाया।
*ترمذى*

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : मुझे हुक्म दिया गया है कि में लोगों से जिहाद करूँ यहाँ तक कि वो ये गवाही दे कि अल्लाह के इलावा कोई मअबूद नहीं और मुहम्मद (صلى الله عليه وسلم) अल्लाह के रसूल है, नमाज़ क़ाइम करें और ज़कात दे। जब ये कर लेंगे मुझ से अपने खून व माल बचा लेंगे सिवाए इस्लामी हक़ के और उन का हिसाब अल्लाह के ज़िम्मे है।
*بجارى*

     हज़रते अबू सईद رضي الله عنه बयान करते है की एक शख्स ने कहा : या रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ! अल्लाह से डरिये ! रसूले करीम صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : तेरी हलाकत हो !क्या में अहले ज़मीन में अल्लाह से सब से ज़्यादा डरने का हक़दार नहीं हूँ ? हज़रते खालिद बिन वलीद رضي الله عنه ने अर्ज़ की : या रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم  !क्या में इस शख्स की गर्दन न मार दूँ ? ये सुन कर रसूले पाक ने फ़रमाया : नहीं कि हो सकता है ये नमाज़ पढ़ता हो।
*بجارى*

*_कारुन, फ़िरऔन, हमान और उबय बिन खल्फ़ के साथ हशर_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो नमाज़ की हिफाज़त नहीं करेगा तो नमाज़ उस के लिये क़यामत के दिन नूर, दलील और नजात का बाइस नहीं होगी और वो बरोज़े क़यामत कारून, फ़िरऔन, हामान और उबय बिन खल्फ़ के साथ होगा।
*76 कबीरा गुनाह, 36*

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Tuesday 29 August 2017

*कबीरा गुनाह 4* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_नमाज़ तर्क व क़ज़ा करने की मज़म्मत में रिवायत_*
     रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया हमारे और कुफ्फार के दरमियान फ़र्क़ नमाज़ है तो जिस ने नमाज़ तर्क कर दी, बिलाशुबा उस ने कुफ़्र किया।
*✍🏼ابن ماجة*

     जिस की नमाज़े असर फौत हो गई, उस के अमल ज़ब्त हो गए।

     बन्दे और शिर्क के दरमियान (फर्क) नमाज़ छोड़ देना है।

     जिस ने जान बुझ कर नमाज़ को तर्क किया तो बिलाशुबा अल्लाह का ज़िम्मा उस से बरी है।

     हज़रते उमर फ़ारूक़ رضي الله عنه ने इर्शाद फ़रमाया जिस ने नमाज़ ज़ाएअ की उस का इस्लाम में कोई हिस्सा नहीं।

     हज़रत अबू हुरैरा رضي الله عنه से मरवी है कि सहाबा आमाल में से नमाज़ छोड़ने के इलावा किसी अमल को कुफ़्र ख़याल नहीं करते थे।

आमाल में सबसे पहला सुवाल أن شاء الله अगली पोस्ट में..
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 35*

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*साकिये कौषर का फरमान*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : क़ौम को पानी पिलाने वाला, सब से आखिर में पिता है।
*صحيح مسلم*

     क़ानून ये है कि पिलाने वाला पीछे पिये, खिलाने वाला पीछे खाए। हम है पिलाने वाले इस लिये हम तुम्हारे बाद पियेंगे। ख्याल रहे कि रब तआला की तरफ से क़ासिम हुज़ूर صلى الله عليه وسلم थे और ता क़यामत है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 8/224*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 75*

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Monday 28 August 2017

*83 आसान नेकियां* #41
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_बेचीं हुई चीज़ वापस लेना_*
     बाज़ अवक़ात एक इस्लामी भाई कोई चीज़ खरीदने के बाद किसी मजबूरी से वापस करना चाहता है हालाकिं उस शै में कोई ऐब भी नहीं होता और न ही कोई और शरई वजह होती है जिस से बेचने वाले पर उस चीज़ का वापस लेना वाजिब हो, लेकिन ऐसी सूरत में अगर वो खरीदार की परेशानी खत्म करने की निय्यत से वो चीज़ वापस ले ले तो उसे ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ेगा लेकिन फ़ज़ीलत बहुत बड़ी मिलेगी।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिसने किसी मुसलमान को बेचीं हुई चीज़ उस के वापस करने पर वापस ले ली अल्लाह क़यामत के दिन उस की परेशानी को उठा देगा।
*سنن ابن ماجة*

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 116*

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*इमामत का बयान* #04
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_*जमाअत का बयान*_
★ आकिल, बालिग़, आज़ाद  और क़ादिर पर मस्जिद की जमाअते ऊला वाजिब है बिला उज़्र एक बार भी छोड़ने वाला गुनाहगार और मुसरहिके सज़ा है। और कई बार तर्क करे तो फासिद्।मर्दुदुश्शहादह (यानी उसकी गवाही क़ाबिले क़बूल नहीं) और उसको सख्त सज़ा दी जाए, अगर पड़ोसियों ने खामोशी इख्तियार की तो वो भी गुनाहगार।
*✍🏼दुर्रे मुख्तार व रद्दलमोहतार, 2/287*

★ बाज़ फ़ुक़हाए किराम फरमाते है कि जो शख्स अज़ान सुन कर घर में इक़ामत का इंतज़ार करता है तो वो गुनाहगार होगा और उसकी गवाही क़बूल नहीं।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.203*

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*कबीरा गुनाह 4* #01
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*_नमाज़ छोड़ देना_*
     _तो उन के बाद उन की जगह वो ना खल्फ़ आए जिन्होंने नमाज़ें गवाई (जाएअ कि) और अपनी ख्वाहिशों के पीछे हुवे तो अन क़रीब वो दोज़ख में गय्य का जंगल पाएंगे मगर जो ताइब हुवे।_
*✍🏼مريم ٥٩، ٦٠*

     _तो उन नमाज़ियों की खराबी है जो अपनी नमाज़ से भूले बैठे है वो जो दिखावा करते है और बरतने की चीज़ मांगे नहीं देते।_
*✍🏼الماعون ٤ تا ٧*

     _तुम्हें क्या बात दोज़ख में ले गई ? वो बोले हम नमाज़ न पढ़ते थे और मिस्कीन को खाना न देते थे और बेहूदा फ़िक्र वालों के साथ बेहूदा फ़िक्रें करते थे और हम इंसाफ के दिन को झुटलाते रहे यहाँ तक की हमें मौत आई तो उन्हें सिफारिशियों की सिफारिश काम न देगी।_
*✍🏼المدثر ٤٢، ٤٧*

नमाज़ तर्क व क़ज़ा करने की मज़म्मत में रिवायत أن شاء الله अगली पोस्ट में..
*✍🏼76 कबीरा गुनाह ,34*

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*हया ईमान से है*
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : हया ईमान से है।
*✍🏼صحيح مسلم*

     शर्मो हया ईमान का रुकने आला है। दुन्या वालों से हया दुन्यवी बुराइयों से रोक देती है। दीन वालों से हया दीनी बुराइयों से रोक देती है। अल्लाह रसूल से शर्मो हया तमाम बद अक़ीदगियों बद अमलियों से बचा लेती है। ईमान की इमारत इसी शर्मो हया पर क़ाइम है। दरख्ते ईमान की जड़ मोमिन के दिल में रहती है (जब कि) इस की शाखें जन्नत में है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 6/641*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 72*

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Sunday 27 August 2017

*83 आसान नेकियां* #40
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_मुसलमान भाई के लिये मुस्कुराना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : अपने भाई से मुस्कुरा कर मिलना तुम्हारे लिये सदक़ा है और नेकी की दावत देना और बुराई से मना करना सदक़ा है।
*✍🏼سنن ترمزى*

*_मगफिरत करदी जाती है_*
     हज़रते नुफैअ आमी رضي الله عنه फ़रमाते है कि हज़रते बरा बिन आज़िब رضي الله عنه से मेरी मुलाक़ात हुई तो उन्हों ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझ से मुसाफहा फ़रमाया और मुस्कुराने लगे, फिर पूछा : जानते हो में ने ऐसा क्यू किया ? में ने अर्ज़ की : नहीं। तो फरमाने लगे कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने मुझे शरफे मुलाक़ात बख्शा तो मेरे साथ ऐसे ही किया फिर मुझ से पूछा : जानते हो में ने ऐसा क्यू किया ? में ने अर्ज़ की नहीं। आप صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया कि जब दो मुसलमान मुलाक़ात करते वक़्त मुसाफहा करते है और दोनों एक दूसरे के सामने अल्लाह के लिये मुस्कुराते है तो उन के जुदा होने से पहले ही उन की मगफिरत कर दी जाती है।
*✍🏼المعجم الوسيط*

     मज़कूरा हदिष में लफ्ज़ "अल्लाह के लिये" अच्छी निय्यत की सराहत करता है। बहर हाल किसी मुसलमान से हाथ मिलाना और दौराने गुफ्तगू मुस्कुराना सिर्फ इसी सूरत में बाइषे षवाबे आख़िरत व मगफिरत है जब की ये हाथ मिलाना और मुस्कुराना सिर्फ अल्लाह की रिज़ा पाने की निय्यत से हो। अपनी मिलनसारी का सिक्का जमाने, किसी मालदार या सियासी शख्शिययत की ख़ुशनूदी पाने, दुन्यवी मज़मुम मफाद परस्ती वाली जाती दोस्ती बढ़ाने और معاذ الله अम्रद के हाथों के छूने और उस की जवाबी मुस्कुराहट के ज़रीए गुनाहों भरी लज़्ज़त पाने वगैरा बुरी निय्यतो के साथ न हो।
*✍🏼नेकी की दावत, 248*

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 115*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*इमामत का बयान* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ इक़ामत के बाद इमाम साहिब एलान करे
◆ अपनी एड़िया, गर्दने और कंधे एक सीध में कर के सफ सीधी कर लीजिये।

★ दो आदमियो के बिच में जगह छोड़ना गुनाह है,

★  कंधे से कंधा मस यानि टच किया हुवा रखना वाजिब, सफ सीधी रखना वाजिब और जब तक अगली सफ कोने तक पूरी न हो जाए जानबुझ कर पीछे नमाज़ शुरू कर देना तर्के वाजिब, हराम और गुनाह है।

★ 15 साल से छोटे ना बालिग़ बच्चों को सफो में खड़ा न रखिये, इन्हें कोने में भी न भेजिये छोटे बच्चों की सफ सब से आखिर में बनाइये।
*✍🏼फतावा रज़विय्या, 7/219 ता 225*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.202*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*रज़्ज़ाक़ का करम*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : रोज़ी बन्दे को ऐसे तलाश करती है जैसे उसे उस की मौत तलाश करती है।
*✍🏼حلية الأولياء*

    मक़सद ये है की मौत को तुम तलाश करो या न करो बहर हाल तुम्हें पहुंचेगी यूँही तुम रिज़्क़ को तलाश करो या न करो ज़रूर पहुचेंगा। हाँ ! रिज़्क़ की तलाश सुन्नत है और मौत की तलाश मम्नुअ, मगर है दोनों यक़ीनी।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 7/126*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 69*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*गुनाहे कबीरा 3*
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*_जादू करना_*
     ऍन मुमकिन है की जादूगर कुफ़्र में मुब्तला हो जाए। अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_हाँ शैतान काफ़िर हुवे लोगों को जादू सिखाते है।_
*✍🏼البقرة*

     शैतान मर्दुद की इन्सानों को जादू सिखाने से गर्ज़ उन्हें शिर्क में मुब्तला करना है। अल्लाह हारुत व मारुत के मुतअल्लिक़ इर्शाद फ़रमाता है :
_और वो दोनों किसी को कुछ न सिखाते जब तक ये न कह लेते की हम तो निरी आज़माइश है तू अपना ईमान न खो तो उन से सीखते वो जिस से जुदाई डाले मर्द और उस की औरत में और उस से ज़रर नही पहुचा सकते किसी को मगर खुदा के हुक्म से और वो सीखते है  जो उन्हें नुक़्सान देगा नफा न देगा और बेशक ज़रूर उन्हें मालुम है की जिस ने ये सौदा लिया आख़िरत में उस का कुछ हिस्सा नहीं।_

*_जादूगर की सज़ा_*
     जादूगर की सज़ा क़त्ल है क्यू की उस ने अल्लाह के साथ कुफ़्र या कुफ़्र से मुशाबहत इख़्तियार की।

*_जादू की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा_*
     सात हलाक करने वाले गुनाहों से बचो। इन में आप صلى الله عليه وسلم ने जादू को भी ज़िक्र किया।
     जादूगर की सज़ा उसे तलवार से मार देना है।
     दुरुस्त ये है की ये रसूले अकरम صلى الله عليه وسلم की हदिष नहीं बल्कि हज़रते जुन्दुब رضي الله عنه का क़ौल है।
     3 शख्स जन्नत में दाखिल न होंगे : (1) शराब का आदि (2) कतए रहमी करने वाला (3) जादू की तस्दीक़ करने वाला।
इस हदिष को इमाम अहमद عليه رحما ने अपनी मुस्नद में रिवायत किया है।
     दम, तमिमा और तौला शिर्क है।
इसे इमाम अहमद व इमाम अबू दाऊद رحمه الله عليهما ने रिवायत किया है।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 29*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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Saturday 26 August 2017

*83 आसान नेकियां* #39
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुसलमान भाई को तकया पेश करना_*
     मजलिस में आने वाले मुसलमान को तकया पेश करना बाइषे मगफिरत है, हज़रते सलमान फ़ारसी رضي الله عنه अमीरुल मुअमिनिन हज़रते उमर फारूक़ رضي الله عنه के पास हाज़िर हुवे, उस वक़्त अमीरुल मुअमिनिन तकये पर टेक लगाए बैठे थे। आप ने वी तकया हज़रते सलामन رضي الله عنه को दे दिया तो उन्हों ने अर्ज़ की ! अल्लाहु अकबर ! रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ने सच फ़रमाया। अमीरुल मुअमिनिन ने फ़रमाया हमें भी बताओ की आप صلى الله عليه وسلم ने क्या फ़रमाया था ? अर्ज़ की में बारगाहे रिसालत में हाज़िर हुवा उस वक़्त हुज़ूर صلى الله عليه وسلم तकये से टेक लगाए तशरीफ़ फरमा थे तो आप ने वो तकये मुझे अता फरमा दिया और इर्शाद फ़रमाया : कोई मुसलमान औने भाई के पास जाए और वो उस की तकरिम करते हुवे अपना तकया उसे दे तो अल्लाह उस की मगफिरत फरमा देता है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 113*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*चुगलखोर की मज़म्मत* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_क्या हम चुगली से बचते है ?_*
     अफ़सोस ! अक्सर लोगों की गुफ्तगू में आज कल गीबत व चुगली का सिलसिला बहुत ज़्यादा पाया जाता है। दोस्तों की बैठक हो या मज़हबी इजत्माअ के बाद जमघट, शादी की तक़रीब हो या ताज़ियत की निशस्त, किसी से मुलाक़ात हो या फोन पर बात, चन्द मिनट भी अगर किसी से गुफ्तगू की सूरत बीने और दीनी मालूमात रखने वाला कोई हस्सास फर्द अगर उस गुफ्तगू की तशखिस करे तो शायद अक्सर मजालिस में दीगर गुनाहों भरे अलफ़ाज़ के साथ साथ वो दर्जनों चुगलिया भी साबित कर दे।
     हाए ! हाए ! हमारा क्या बनेगा !!!एक बार फिर इस हदिष पर गौर कर लीजिये : "चुगल खोर जन्नत में नहीं जाएगा।" काश !हमें हक़ीक़ी मानो में ज़बान का कुफले मदीना नसीब हो जाए, काश ! ज़रूरत के सिवा कोई लफ्ज़ ज़बान से न निकले, ज़्यादा बोलने वाले और दुन्यवी दोस्तों के झुरमट में रहने वाले का गीबत और बिल खुसुस चुगली से बचना बेहद दुश्वार है। आह ! हदिष में है : "जिस शख्स की गुफ्तगू ज़्यादा हो उसकी गलतियां भी ज़्यादा होती है और जिस की गलतियां ज़्यादा हो उस के गुनाह ज़्यादा होते है और जिस के गुनाह ज़्यादा हो वो जहन्नम के ज़्यादा लाइक है।
*✍🏼حلية الاولياء*
*✍🏼बुरे खात्मे के अस्बाब, 9*

*_चुगली से तौबा_*
     हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ رضي الله عنه के बारे में मरवी है की एक शख्स उन के पास हाज़िर हुवा और उस ने किसी दूसरे के बारे में कोई बात ज़िक्र की। आप ने फ़रमाया अगर तुम चाहो तो हम तुम्हारे मुआमले में गौर करे अगर तुम झुटे हुए तो इस आयत के मिसदाक़ हो गए : _अगर कोई फ़ासिक़ तुम्हारे पास कोई खबर लाए तो तहक़ीक़ कर लो।_
*✍🏼الحجر ٦*
     और अगर तुम सच्चे हुए तो इस आयत के मिसदाक़ हो जाओगे : _बहुत ताने देने वाला बहुत इधर की उधर लगाता फिरने वाला।_
*✍🏼القلم ١١*
     और अगर तुम चाहो तो हम तुम्हें मुआफ़ कर दें। उस ने अर्ज़ की : अमीरुल मुअमिनिन ! मुआफ़ कर दीजिये आइन्दा में ऐसा नहीं करूँगा।
*✍🏼احياء علوم الدين*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 67*

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*गुनाहे कबीरा 2*
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*_क़त्ले नाहक़_*
     अल्लाह क़त्ले नाहक़ की मज़म्मत में इर्शाद फ़रमाता है : _और जो कोई मुसलमान को जान बुझ कर क़त्ल करे तो उस का बदला जहन्नम है की मुद्दतों उस में रहे और अल्लाह ने उस पर लानत की और उस के लिये तैयार रखा बड़ा अज़ाब।_
*✍🏼النساء ٩٣*

_और वो जो अल्लाह के साथ किसी दूसरे माबूद को नहीं पूजते और उस जान को जिस की अल्लाह ने हुरमत रखी नाहक़ नहीं मारते और बदकारी नहीं करते और जो ये काम करे वो सज़ा पाएगा बढ़ाया जाएगा उस पर अज़ाब क़यामत के दिन और हमेशा उस में ज़िल्लत से रहेगा मगर जो तौबा करे और ईमान लाए।
*✍🏼الفرقان ٦٨ تا ٧٠*

_जिस ने कोई जान क़त्ल की बगैर जान के बदले या ज़मीन में फसाद के तो गोया उस ने सब लोगों को क़त्ल किया।_
*✍🏼الماىٔدة ٣٢*

_और जब ज़िन्दा दबाई हुई से पूछा जाए किस खता पर मारी गई।_
*✍🏼التكوير ٩،٨*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 21*

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Friday 25 August 2017

*83 आसान नेकियां* #38
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_नर्म गुफ्तगू करना_*
     दूसरों से नर्म अलफ़ाज़ और नर्म लबो लहजे में गुफ्तगू करने की आदत रब्बुल आलमीन की बहुत ही बड़ी नेअमत है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : क्या में तुम्हें उस शख्स के बारे में खबर न दूँ जो जहन्नम पर हराम है, (या ये फ़रमाया की) जिस पर जहन्नम हराम है ? जहन्नम हर नर्म खून, नर्म दिल और अच्छी खूं वाले शख्स पर हराम है।

     गुस्से से मगलुब हो कर सख्त अलफ़ाज़ या सख्त रवैय्या इख़्तियार कर के खुद को इस फ़ज़ीलत से महरूम न कीजिये, अगर किसी को कुछ समझना हो या इख्तिलाफे राए का इज़हार करना हो तो इस के लिये भी वो अन्दाज़ इख़्तियार किया जाए जिस में रूखे पन या सख्ती के बजाए खैर ख्वाहि और दिल सजी का पहलू नुमायां हो।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 109*

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*चुगल खोर की मज़म्मत* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : चुगल खोर जन्नत में दाखिल नहीं होगा।
*✍🏼صحيح البخاري*

     क़त्तात् वो शख्स है जो दो मुखालीफों की बातें छुप कर सुने और फिर उन्हें ज़्यादा लड़ाने के लिये एक की बात दूसरे तक पहुंचाए। अगर ये शख्स ईमान पर मरा तो जन्नत में अव्वलन न जाएगा बाद में जाए तो जाए अगर कुफ़्र पर मरा तो कभी वहाँ न जाएगा। (मुस्लिम शरीफ में नम्माम् का लफ्ज़ इस्तिमाल हुवा है)
     जो दो तरफा झूटी बातें लगा कर सुल्ह करा दे वो नम्माम् नही मुस्लेह है, नम्माम् वो है जो लड़ाई व फसाद के लिये ये हरकत करे।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 6/452*

*_चुगली किसे कहते है ?_*
     अल्लामा ऐनी رحمة الله عليه  ने इमाम नववी عليه رحما से नकल फ़रमाया की किसी की बात ज़रर (यानी नुक़्सान) पहुचाने के इरादे से दूसरों को पहुचाना चुगली है।
*✍🏼عمدة القارى*

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*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 66*

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*गुनाहे कबीरा 1*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_शिर्क करना_*
     शिर्क ये है की तू किसी को अल्लाह का हमसर क़रार दे हलांकि उस ने तुझे पैदा किया है और अल्लाह के साथ तू उस के गैर मसलन पथ्थर, इंसान, चाँद, सूरज, नबी, वली, जिन्न, सितारे या फ़रिश्ते वगैरा की इबादत करे।

*_शिर्क की मज़म्मत में 3 फरामिने बरी तआला_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : _बेशक अल्लाह उसे नहीं बख्शता की उस के साथ कुफ़्र किया जाए और कुफ़्र से निचे जो कुछ है जिसे चाहे मुआफ़ फरमा देता है।_
*✍🏼النساء ٤٨*

_बेशक जो अल्लाह का शरीक ठहराए तो अल्लाह ने उस पर जन्नत हराम कर दी और उस का ठिकाना दोज़ख है।_
*✍🏼الماىٔدة*

_बेशक शिर्क बड़ा ज़ुल्म है।_
*✍🏼لقمان ١٣*
     इस बारे में मूतअद्दिद आयाते मुबारका वारिद है। लिहाज़ा जिस शख्स ने अल्लाह के साथ शिर्क किया फिर ब हालाते शिर्क ही मर गया तो वो क़तई जहन्नमी है जैसा की वो शख्स जन्नती है तो अल्लाह पर ईमान लाया और ईमान की हालत में दुन्या स3 रुख्सत हुवा अगर्चे (किसी गुनाह के सबब) अज़ाब दिया जाए।

*_शिर्क की मज़म्मत में दो फरमाने मुस्तफा_*
     क्या में तुम्हें सब से बड़े गुनाह के बारे में न बताउं ? अल्लाह के साथ शरीक ठहराना सब से बड़ा गुनाह है।
     सात हलाक करने वाले गुनाहों से बचो। इन में एक आप صلى الله عليه وسلم ने शिर्क को भी ज़िक्र फ़रमाया।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 20*

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Thursday 24 August 2017

*83 आसान नेकियां* #37
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुसलमान के दिल में ख़ुशी दाखिल करना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो शख्स किसी मोमिन के दिल में ख़ुशी दाखिल करता है अल्लाह उस ख़ुशी से एक फ़रिश्ता पैदा फ़रमाता है जो अल्लाह की इबादत और ज़िक्र में मसरूफ़ रहता है। जब वो बन्दा अपनी क़ब्र में चला जाता है तो वो फ़रिश्ता उस के पास आ कर पूछता है : "क्या तू मुझे नहीं पहचानता ?" वो कहता है : तू कौन है ? फ़रिश्ता जवाब देता है : में वो ख़ुशी हूँ जिसे तूने फूलां के दिल में दाखिल किया था, आज में तेरी वहशत में तुझे उन्स पहुंचाउंगा और सुवालात के जवाबात में षाबित क़दम रखूंगा और तुझे रोज़े क़यामत के मनाज़िर दिखाऊंगा और तेरे लिये तेरे रब की बारगाह में सिफारिश करूँगा और तुझे जन्नत में तेरा ठिकाना दिखाऊंगा।
*✍🏼الترغيب والترهيب*

     ये फ़ज़ीलत उसी वक़्त हासिल हो सकेगी जब वो ख़ुशी एन शरीअत के मुताबिक़ हो, चुनान्चे अगर औरत ने शौहर को खुश करने के लिये बे पर्दगी की या बेटे ने बाप को खुश करने के लिये दाढ़ी मुन्डा दी या एक मुठ्ठी से घटा दी तो वो इस फ़ज़ीलत का हरगिज़ हक़दार नहीं होगा बल्कि मुब्तलाए अज़ाबे नार होगा। हम अल्लाह के गज़ब से पनाह मांगते है और उस से रहमत का सुवाल करते है।

*_किसी के दिल में ख़ुशी दाखिल करने वाले चन्द काम_*
     किसी प्यासे को पानी पिला देना, किसी भूके को खाना खिला देना, कोई दुआ के लिये कहे तो हाथों हाथ उस के लिये दुआ कर देना, किसी की बात तवज्जोह से सुन लेना, किसी का मशवरा मान लेना, किसी की जानिब से की गई इस्लाह को क़बूल कर लेना, ज़रूरत मन्द की मदद करना, हाजत मन्द को क़र्ज़ दे देना, पसन्दीदा चीज़ खिलाना, अहम मवाकेअ पर तोहफा देना, मज़लूम की मदद करना, दौराने सफर बैठने के लिये जगह दे देना।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 108*

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*इमामत का बयान* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     मर्द गैर माज़ूर के इमाम के लिये 6 शर्ते है :-
★ सहीहुल अक़ीदा मुसलमान होना
★ बालिग़ होना
★ आकिल होना
★ मर्द होना
★ किराअत सहीह होना
★ माज़ूर न होना
*✍🏼दुर्रेमुखतार मअ रद्दलमोहतार, 2/284*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.201*
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*जमाअत की फ़ज़ीलत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : बा जमाअत नमाज़ अदा करना, तन्हा नमाज़ पढ़ने से 27 दर्जे ज़्यादा फ़ज़ीलत रखती है।
*✍🏼صحيح البخاري*

     आम रिवायत में येही है की नमाज़े बा जमाअत ब निस्बत तन्हा के 25 दर्जे ज़ाइद है। मगर बाज़ रिवायतों में 27 दर्जे भी आया है। बल्कि एक रिवायत में 36 दर्जे भी वारिद है। बाज़ में 50 भी।
     उलमा ने इस की मुख़्तलिफ़ तौजिहात की हैं। सब में उम्दा तौजीह ये है की ये नमाज़ी और वक़्त और हालात के ऐतिबार से मुख़्तलिफ़ है।
*✍🏼नुज़हतुल क़ारी शर्हे सहीहुल बुखारी, 2/178*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 63*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*कबीरा गुनाह किसे कहते हैं ?*
    بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     राजेह और मुदल्लाल क़ौल ये है की जो शख्स गुनाहों में से किसी ऐसे गुनाह का इर्तिकाब करे जिस का बदला दुन्या में हद है मसलन क़त्ल, ज़िना या चोरी करे या ऐसा गुनाह करे जिस के मुतअल्लिक़ आख़िरत में अज़ाब या ग़ज़बे इलाही की वईद हो या उस गुनाह के मूर्तक़िब पर हमारे नबी صلى الله عليه وسلم की ज़बान से लानत की गई हो तो वो कबीरा गुनाह है।
     इस बात को तस्लीम करने के बा वुजूद ये ज़रूर है की बाज़ कबीरा गुनाह दूसरे बाज़ कबीरा गुनाहों के मुक़ाबले में ज़्यादा बड़े है। क्या आप ने मुलाहज़ा नहीं फ़रमाया की नबीये करीम صلى الله عليه وسلم ने अल्लाह के साथ शिर्क करने को गुनाहे कबीरा में से शुमार फ़रमाया है हालाकिं इस का मूर्तक़िब हमेशा जहन्नम में रहेगा और उस की कभी बख़्शिश न होगी।

     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : _बेशक अल्लाह उसे नहीं बख्शता की कुफ़्र से निचे जो कुछ है जिसे चाहे मुआफ़ फरमा देता है।_
*✍🏼النساء ٤٨*

     और फ़रमाता है : _बेशक जो अल्लाह का शरीक ठहराए तो अल्लाह ने उस पर जन्नत हराम कर दी।_
*✍🏼الماىٔدة ٧٢*

     जब मुआमला ऐसा है तो इन मुख़्तलिफ़ अहादिष में ततबिक़ देना ज़रूरी है।
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : क्या में तुम्हें सब से बड़े गुनाहों के बारे में खबर न दूँ ? ये बात आप ने 3 बार इर्शाद फ़रमाई। सहाबए किराम ने अर्ज़ किया क्यू नहीं ! इर्शाद फ़रमाया : अल्लाह के साथ शरीक ठहराना और वालिदैन की ना फ़रमानी करना। आप صلى الله عليه وسلم टेक लगा कर तशरीफ़ फरमा थे फिर सीधे हो कर बैठ गए और इर्शाद फ़रमाया : सुनो ! झूटी बात कहना (भी बड़ा गुनाह है)। आप इस कलिमे की तकरार फ़रमाते रहे हत्ता की हम ने (शफ़क़त के बाइस दिल में) कहा : काश ! आप सुकूत फरमाए।
*ये हदिष बुखारी व मुस्लिम दोनों में है*
     रसूले पाक ने झूटी बात और वालिदैन की ना फ़रमानी का सब से बड़े गुनाहों में से होना बयान फ़रमाया लेकिन सात हलाकत करने वाले गुनाहों में इन का ज़िक्र नहीं है (तो मालुम हुवा की गुज़श्ता हदिष में लफ्ज़ सात का ज़िक्र हस्र व हदबन्दी के लिये नहीं है)।
*76 कबीरा गुनाह, 18*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Wednesday 23 August 2017

*83 आसान नेकियां* #36
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_खामोश रहना_*
     ज़बान अल्लाह की अता करदा ऐसी अज़ीम नेअमत है जिस की हक़ीक़ी क़द्र वही शख्स जान सकता है जो कुव्वते गोयाई से महरूम हो। ज़बान के ज़रीए अपनी आख़िरत संवारने के लिये नेकियों का खजाना भी इकठ्ठा किया जा सकता है और इस के गलत इस्तिमाल की वजह से दुन्या व आख़िरत बर्बाद भी हो सकती है।
     खामोश रहना भी एक तरह की इबादत है और बाइषे षवाब है, अहादिष में ज़बान पर क़ाबू पाने के लिये खामोशी की बहुत सी फ़ज़ीलते बयान हुई है।
     4 फरमाने मुस्तफा : (1) ख़ामोशी आला दर्जे की इबादत है।
(2) जो अल्लाह और क़यामत पर ईमान रखता है उसे चाहिये की भलाई की बात करे या खामोश रहे।
(3) ख़ामोशी अख़्लाक़ की सरदार है।
(4) आदमी का ख़ामोशी पर क़ाइम रहना 60 साल की इबादत से बेहतर है।

*_मिज़ाने अमल पर बहुत भारी है_*
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने हज़रते अबू ज़र गिफ़ारी رضي الله عنه से फ़रमाया क्या में तुम्हें ऐसे दो अमल न बताउं जो करने में बहुत हल्के लेकिन मिज़ाने अमल में बहुत भारी है ? अर्ज़ की ज़रूर बताइये। इर्शाद फ़रमाया : कषरत से खामोश रहना और खुश अख़लाक़ी, फिर फ़रमाया : उस ज़ात की क़सम ! जिस के क़ब्ज़ाए कुदरत में मेरी जान है ! मख्लूक़ का कोई अमल इन दोनों जैसा नहीं है।
*✍🏼شعب الإيمان*

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 105*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*ज़ोहर के आखिरी दो नफ्ल के भी क्या कहने*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ ज़ोहर के बाद चार रकअत पढ़ना मुस्तहब है कि हदीसे पाक में फ़रमाया जिसने ज़ोहर से पहले चार और बाद में चार पर मु हाफ़ज़त की अल्लाह तआला उस पर आग हराम फ़रमा देगा।

★ अल्लामा सय्यिद तहतावी अलैरहमा फरमाते है कि सिरे से आग में दाखिल ही न होगा और उसके गुनाह मिटा दिये जाएंगे और उस पर (बन्दों की हक़ तलफियो के) जो मुतालबात है अल्लाह तआला उसके फरीक को राज़ी कर देगा या ये मतलब है कि ऐसे कामो की तौफ़ीक़ देगा जिन पर सज़ा न हो।

★ अल्लामा शामी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है कि उसके लिये बिशारत ये है कि सआदत पर उस का खातिमा होगा और दोज़ख में न जाएगा।
*✍🏼शामी 2/542*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.200*
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*मिस्वाक की फ़ज़ीलत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : मिस्वाक में मुंह की पाकीज़गी और अल्लाह की ख़ुशनूदी का सबब है।
*✍🏼سنن النسائي*

     शरीअत में मिस्वाक से मुराद वो लकड़ी है जिस से दांत साफ किये जाएं। सुन्नत ये है की ये किसी फूल या फलदार दरख्त की न हो कड़वे दरख्त की हो। मोटाई छोटी ऊँगली के बराबर हो, लंबाई बालिश्त से ज़्यादा न हो। दांतो की चौड़ाई में की जाए न की लंबाई में। बे दांत वाले मसूढ़ों पर ऊँगली फेर लिया करे।
     मिस्वाक इतने मक़ाम पर सुन्नत है : वुज़ू में, क़ुरआन पढ़ते वक़्त, दांत पिले होने पर, भूक या देर तक ख़ामोशी या बे ख्वाबी की वजह से मुंह से बदबू आने पर।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 1/275*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 62*
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*कबीरा गुनाह किसे कहते हैं ?*
    بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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     राजेह और मुदल्लाल क़ौल ये है की जो शख्स गुनाहों में से किसी ऐसे गुनाह का इर्तिकाब करे जिस का बदला दुन्या में हद है मसलन क़त्ल, ज़िना या चोरी करे या ऐसा गुनाह करे जिस के मुतअल्लिक़ आख़िरत में अज़ाब या ग़ज़बे इलाही की वईद हो या उस गुनाह के मूर्तक़िब पर हमारे नबी صلى الله عليه وسلم की ज़बान से लानत की गई हो तो वो कबीरा गुनाह है।
     इस बात को तस्लीम करने के बा वुजूद ये ज़रूर है की बाज़ कबीरा गुनाह दूसरे बाज़ कबीरा गुनाहों के मुक़ाबले में ज़्यादा बड़े है। क्या आप ने मुलाहज़ा नहीं फ़रमाया की नबीये करीम صلى الله عليه وسلم ने अल्लाह के साथ शिर्क करने को गुनाहे कबीरा में से शुमार फ़रमाया है हालाकिं इस का मूर्तक़िब हमेशा जहन्नम में रहेगा और उस की कभी बख़्शिश न होगी।

     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : _बेशक अल्लाह उसे नहीं बख्शता की कुफ़्र से निचे जो कुछ है जिसे चाहे मुआफ़ फरमा देता है।_
*✍🏼النساء ٤٨*

     और फ़रमाता है : _बेशक जो अल्लाह का शरीक ठहराए तो अल्लाह ने उस पर जहन्नम हराम कर दी।_
*✍🏼الماىٔدة ٧٢*

     जब मुआमला ऐसा है तो इन मुख़्तलिफ़ अहादिष में ततबिक़ देना ज़रूरी है।
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : क्या में तुम्हें सब से बड़े गुनाहों के बारे में खबर न दूँ ? ये बात आप ने 3 बार इर्शाद फ़रमाई। सहाबए किराम ने अर्ज़ किया क्यू नहीं ! इर्शाद फ़रमाया : अल्लाह के साथ शरीक ठहराना और वालिदैन की ना फ़रमानी करना। आप صلى الله عليه وسلم टेक लगा कर तशरीफ़ फरमा थे फिर सीधे हो कर बैठ गए और इर्शाद फ़रमाया : सुनो ! झूटी बात कहना (भी बड़ा गुनाह है)। आप इस कलिमे की तकरार फ़रमाते रहे हत्ता की हम ने (शफ़क़त के बाइस दिल में) कहा : काश ! आप सुकूत फरमाए।
*ये हदिष बुखारी व मुस्लिम दोनों में है*
     रसूले पाक ने झूटी बात और वालिदैन की ना फ़रमानी का सब से बड़े गुनाहों में से होना बयान फ़रमाया लेकिन सात हलाकत करने वाले गुनाहों में इन का ज़िक्र नहीं है (तो मालुम हुवा की गुज़श्ता हदिष में लफ्ज़ सात का ज़िक्र हस्र व हदबन्दी के लिये नहीं है)।
*76 कबीरा गुनाह, 18*
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Tuesday 22 August 2017

*83 आसान नेकियां* #
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_इषरा करना_*
     इषरा का माना है : दूसरों की ख्वाहिश और हाजत को अपनी ख्वाहिश व हाजत पर तरजीह देना। इस का भी बड़ा षवाब है, नफ़्स को दबा लिया जाए तो ज़्यादा मुश्किल भी नहीं।

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो शख्स किसी चीज़ की ख्वाहिश रखता हो, फिर उस ख्वाहिश को रोक कर अपने ऊपर (दूसरे को) तरजीह दे तो अल्लाह उसे बख्श देता है।

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*✍🏼आसान नेकियां, 101*
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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➖〰 *मसाइले क़ुरबानी* 〰➖

1.जिन लोगों पर क़ुरबानी वाजिब नहीं वो अगर ज़िल्हज्ज के 10 दिनों तक बाल नाख़ून न काटें,तो क़ुरबानी का सवाब पाएंगे
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 131_*

2. साहिबे निसाब यानि जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी या इसके बराबर की रक़म जो कि तक़रीबन 23000 बन रही है अगर क़ुर्बानी के दिनों में मौजूद है तो उसपर क़ुर्बानी वाजिब है,क़ुर्बानी वाजिब होने के लिये माल पर साल गुज़रना ज़रूरी नहीं
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 132_*

3. साहिबे निसाब औरत पर खुद उसके नाम से क़ुरबानी वाजिब है,मुसाफिर और नाबालिग पर क़ुर्बानी वाजिब नहीं
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 132_*

4. रहने का घर,पहनने के कपड़े,किताबें,सफर के लिए सवारियां,घरेलु सामान हाजते असलिया में दाखिल हैं
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 133_*
*_📕 फ़तावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 160_*

5. हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो इसतेताअत रखने के बावजूद क़ुरबानी न करे तो वो हमारी ईदगाह के क़रीब न आये
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 129_*

6. 10,11,12 ज़िल्हज्ज को अल्लाह को क़ुरबानी से ज़्यादा कोई अमल प्यारा नहीं,जानवर का खून ज़मीन पर गिरने से पहले क़ुबुल हो जाता है,और क़ुरबानी करने वाले को जानवर के हर बाल के बदले 1 नेकी मिलती है
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह _*

7. जिसपर हर साल क़ुरबानी वाजिब है उसे हर साल अपने नाम से क़ुरबानी करनी होगी,कुछ लोग 1 साल अपने नाम से क़ुरबानी करते हैं दूसरे साल अपने बीवी बच्चों के नाम से क़ुरबानी करते हैं,ये नाजायज़ है
*_📕 अनवारुल हदीस,सफ़ह 363_*

8. क़ुरबानी का वक़्त 10 ज़िल्हज्ज के सुबह सादिक़ से लेकर 12 के ग़ुरुबे आफताब तक है,मगर जानवर रात में ज़बह करना मकरूह है
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 136_*

9. जानवरों की उम्र ये होनी चाहिए ऊँट 5 साल,गाए-भैंस 2 साल,बकरा-बकरी 1 साल,भेड़ का 6 महीने का बच्चा अगर साल भर के बराबर दिखता है तो क़ुरबानी हो जाएगी
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 139_*

10.काना,लंगड़ा,लागर,बीमार,जिसकी नाक या थन कटा हो,जिसका कान या दुम तिहाई से ज्यादा कटा हो,बकरी का 1 या भैंस का 2 थन खुश्क हो,इन जानवरों की क़ुरबानी नहीं हो सकती
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 139_*

11. मय्यत की तरफ से क़ुरबानी की तो गोश्त का जो चाहे करे,लेकिन किसी ने अपनी तरफ से क़ुरबानी करने को कहा और मर गया तो उसकी तरफ से की गयी क़ुरबानी का पूरा गोश्त सदक़ा करें
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 144_*

12. क़ुरबानी अगर मन्नत की है तो उसका गोश्त न खुद खा सकता है न ग़नी को दे सकता है,बल्कि पूरा गोश्त सदक़ा करे
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 144_*

13. नबी करीम सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने 2 मेढ़ों की क़ुरबानी की,जो कि खस्सी थे
*_📕 मुसनद अहमद,अबू दाऊद,इब्ने माजा,दारमी बहवाला बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 130_*

14. क़ुरबानी का गोश्त काफिर को हरगिज़ न दे और बदमज़हब मुनाफ़िक़ तो काफ़िर से बदतर है लिहाज़ा उसको भी हरगिज़ न दें
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 144_*

15. जो जानवर को ज़बह करे बिस्मिल्लाह शरीफ वोह पढ़े किसी दुसरे के पढ़ने से जानवर हलाल न होगा
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 121_*

16. ज़बह के वक़्त जानबूझकर बिस्मिल्लाह शरीफ न पढ़ी तो जानवर हराम है,और अगर पढ़ना भूल गया तो हलाल है
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 119_*
*_📕 ज़बीहे इसालो सवाब,सफ़ह 15_*

17. ज़बह करते वक़्त जानवर की गर्दन अलग हो गई या जानबूझकर भी अलग कर दी,ऐसा करना मकरूह है मगर जानवर हलाल है
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15, सफ़ह 118_*

18. अरफा यानि 9 ज़िल्हज्ज का रोज़ा अगले व पिछले 1 साल के गुनाहों का कफ्फारा है
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफ़ह 137_*

19. बेहतर है कि गोश्त के 3 हिस्से किये जायें,1 अपने लिये 1 रिश्तेदारों के लिये और 1 अपने पड़ोसियों के लिये,लेकिन अगर परिवार बड़ा है तो पूरा का पूरा भी रख सकते हैं,मगर जितना भी हो अपने गरीब पड़ोसियों का ख्याल ज़रूर रखें
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफ़ह 144_*

20. बड़े जानवर के 7 हिस्सों मे अगर 1 वहाबी की शिरकत हुई तो किसी की क़ुरबानी नही होगी,इसका खास ख्याल रखें
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफ़ह 142_*

21. गांव मे चुंकि ईद की नमाज़ नहीं है लिहाज़ा वहां सूरज निकलने के साथ ही क़ुर्बानी हो सकती है मगर शहर मे नमाज़े ईद से पहले हर्गिज़ नहीं हो सकती
*_📕 बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफ़ह 137_*
*मस्जिद में हंसने का नुक़्सान*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : मस्जिद में हंसना क़ब्र में अँधेरा लाता है।
*✍🏼الفردوس*

    ख्याल रहे की मुस्कुराना अच्छी चीज़ है और क़हक़हा बुरी चीज़। तबस्सुम रहमते आलम صلى الله عليه وسلم की आदते करीमा थी।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 7/14*

*_क़हक़हा की मज़म्मत_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : क़हक़हा शैतान की तरफ से है और मुस्कुराना अल्लाह की तरफ से है।
*✍🏼المعجم الصغير*

     क़हक़हा से मुराद आवाज़ के साथ हंसना है। शैतान इसे पसन्द करता है और उस पर सुवार हो जाता है। जब की तबस्सुम से मुराद बगैर आवाज़ के थोड़ी मिक़दार में हंसना है।
*✍🏼فيض القرير*
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*गुनाहे कबीरा की तादाद*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     हम पर कबीरा गुनाहों से मुतअल्लिक़ मालूमात हासिल करना लाज़िम है की कबीरा गुनाह कौन कौन से हैं ? ताकि ब हैसिय्यत मुसलमान उन गुनाहों से बचा जा सके।
     गुनाहें कबीरा की तादाद के बारे में उलमाए किराम का इख़्तिलाफ़ है। बाज़ का क़ौल है की 7 हैं। इन हज़रात ने रसूले पाक صلى الله عليه وسلم के इस फरमान से दलील ली है की "सात हलाक करने वाले गुनाहों से बचो।" फिर आप صلى الله عليه وسلم ने उन सात गुनाहों का ज़िक्र फ़रमाया :
(1) शिर्क करना
(2) जादू करना
(3) (नाहक़) किसी जान को क़त्ल करना
(4) यतीम का माल (ज़ुल्मन) खाना
(5) सूद खाना
(6) जंग के दौरान मैदान से भाग जाना
(7) पाक दामन औरत को ज़ीना की तोहमत लगाना।
     ये हदिष बुखारी व मुस्लिम दोनों में है।

     हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله عنه से मन्कुल है : सात के मुक़ाबले में ये गुनाह 70 के ज़्यादा क़रीब है।
*✍🏼تفسير عبد الرزاق*

     अल्लाह की क़सम ! हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله عنه ने सच फ़रमाया क्यू की मज़कूरा हदिष में गुनाहे कबीरा की तादाद के बारे में कोई हस्र (यानी हदबन्दी) नहीं है।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 17*
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Monday 21 August 2017

*83 आसान नेकियां* #34
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_शआईरे इस्लाम की ताज़ीम करना_*
     शआइरे इस्लाम मषलन क़ुरआन शरीफ, खानाए काबा, सफा मरवा, मदिनए मुनव्वरा, बैतूल मुक़द्दस, तुरे सीना और मुख़्तलिफ़ मक़ामाते मुक़द्दसा नीज़ अम्बियाए किराम عليهم السلام व औलियाए उज़्ज़ाम के मज़ारात और आबे ज़मज़म वगैरा की ताज़ीम करना भी बहुत बड़ी नेकी है, सूरए हज की आयत 32 में इर्शाद होता है :
_और जो अल्लाह के निशानों की ताज़ीम करे तो ये दिलों की परहेज़गारी से है।_

*_क़ुरआने पाक को चूमा करते_*
     अमीरुल मुअमिनिन हज़रते उमर फारुके आज़म رضي الله عنه रोज़ाना सुबह क़ुरआने मजीद को चूम कर फ़रमाते : ये मेरे रब का अहद और उस की किताब है।
*✍🏼در مختار*

*_हाथ चेहरे पर फेर लिया करते_*
     हुज़ूरे अकरम صلى الله عليه وسلم मिम्बर शरीफ पर जिस जगह बैठते थे हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर رضي الله عنه खास उस जगह पर अपना हाथ फिरा कर अपने चेहरे पर फेर लिया करते थे।
*✍🏼الشفا*

अल्लाह की इन पर रहमत हो और इन के सदके हमारी बे हिसाब मगफिरत हो।
أمين لجان النبي الامين

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 101*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*हाफ आस्तीन में नमाज़ पढ़ना कैसा*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ आधी आस्तीन वाला कुरता या क़मीज़ पहन कर नमाज़ पढ़ना मकरुहे तन्ज़ीहि है जब कि उसके पास दूसरे कपड़े मौजूद हो।

★ मुफ़्ती अमजद अली आज़मी अलैरहमा फरमाते है : जिसमे पास कपड़े मौजूद हो और सिर्फ आधी आस्तीन या बनियान पहन कर नमाज़ पढ़ता है तो कराहते तन्ज़ीहि है और कपड़े मौजूद नहीं तो कराहत भी नहीं।
*✍🏼फतवा रज़विय्या, 1/193*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.200*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*तकब्बुर का इलाज*
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : सलाम में पहल करने वाला तकब्बुर से दूर हो जाता है।
*✍🏼شعب الإيمان*

     जो शख्स मुसलमानों को सलाम कर लिया करे वो أن شاء الله मुतकब्बिर न होगा उस के दिल में ईज्ज़ो नियाज़ होगा ये अमल मुजर्र्ब है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 6/346*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 60*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*कबीरा गुनाहों से बचने की बरकत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : _अगर बचते रहो कबीरा गुनाहों से जिन की तुम्हें मुमानअत है तो तुम्हारे और गुनाह हम बख्श देंगे और तुम्हें इज़्ज़त की जगह दाखिल करेंगे।_
*✍🏼النساء ٣١*

    इस आयत में अल्लाह ने कबीरा गुनाहों से बचने वाले शख्स को जन्नत में दाखिल फरमाने का ज़िम्मा लिया है।

     और फ़रमाता है : _और वो जो बड़े बड़े गुनाहों और बे हयाईयों से बचते है और जब गुस्सा आए मुआफ़ कर देते है।_
*✍🏼الشورى ٣٧*

     इसी तरह फ़रमाता है : _वो जो बड़े गुनाहो और बे हयाईयों से बचते हैं मगर इतना की गुनाह के पास गए और रुक गए। बेशक तुम्हारे रब की मगफिरत वसीअ है।_
*✍🏼النجم ٣٢*

*_गुनाहों का कफ़्फ़ारा_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : पाचों नमाज़ें और एक जुमुआ दूसरे जुमुआ तक दरमियान में होने वाले गुनाहों का कफ़्फ़ारा हैं जब तक गुनाहे कबीरा का इर्तिकाब न किया जाए।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 16*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Sunday 20 August 2017

*83 आसान नेकियां* #33
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_सालिहीन का ज़िक्रे खैर करना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : अच्छी बात कहना ख़ामोशी से बेहतर है और ख़ामोश रहना बुरी बात कहने से बेहतर है।
*✍🏼شعب الإيمان*

     कितने खुश नसीब है वो इस्लामी भाई और इस्लामी बहनें जो सिर्फ अच्छी बात कहने के लिये ज़बान को हरकत में लाते है, नेक लोगों का तज़किरा भी अच्छी गुफ्तगू में शामिल है और बाइषे रहमत भी।
     चुनान्चे हज़रते सुफ़यान बिन उयैना رحمة الله عليه का फरमान है : नेक लोगों के ज़िक्र के वक़्त रहमत नाज़िल होती है।
     जामेए सगीर में है : अम्बियाए किराम عليهم السلام का ज़िक्र करना इबादत है और सालिहीन का ज़िक्र (गुनाहो का) कफ़्फ़ारा है।
*✍🏼جامع صغير*

*_हमें बुजुर्गो की बातें सुनाइये_*
     मोहद्दिषे आज़म पाकिस्तान हज़रते मौलाना सरदार अहमद क़ादरी عليه رحما को बचपन ही से अपने बुज़ुर्गों से वालीहाना अक़ीदत थी, चुनान्चे, आप स्कुल की तालीम के दौरान अपने उस्ताज़ से अर्ज़ किया करते : मास्टर जी ! हमें बुज़ुर्गों की बातें सुनाइये और हुज़ूर सरवरे कायनात صلى الله عليه وسلم की हयाते तय्यिबा पर ज़रूर रौशनी डाला कीजिये।
*✍🏼हयाते मोहद्दिषे आज़म, 32*

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 100*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*नमाज़ के मकरुहाते तन्ज़िहा* #06
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★ सहरा में बिला सुतरा के जब कि आगे से लोगो के गुज़रने का इम्कान हो इन जगहों पर नमाज़ पढ़ना।
*✍🏼गुन्यातुल मुस्तमली 339*

★ बिगैर उज़्र हाथ से माखी मच्छर उड़ाना (नमाज़ में जू या मच्छर इज़ा देते हो तो पकड़ कर मार डालने में कोई हरज नही जब की अमले कसीर से न हो)
*✍🏼बहारे शरीअत*

★ हर वो अमले कलिल जो नमाज़ी के लिये मुफीद हो, जाइज़ है और जो मुफीद न हो वो मकरूह
*✍🏼आलमगिरी, 1/109*

★ उल्टा कपड़ा पहनना या ओढ़ना।
*✍🏼फतावा रज़विय्या, 7/358*
*✍🏼फतावा अहले सुन्नत गैर मतबुआ*
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.199*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*सलाम की अहमिय्यत*
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اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : सलाम गुफ्तगू से पहले है।
*✍🏼جامع الترمذي*

     सलाम तीन किस्म के है "सलामे इज़्न" ये घर में दाखिल होने से पहले इजाज़ते दाखिला हासिल करने के लिये है। "सलामे तहिय्यत" ये घर में दाखिल होने और कलाम करने से पहले है। " सलामे वदाअ" ये घर से रुख्सत होते वक़्त है। इस हदिष में सलामे तहिय्यत मुराद है, ये कलाम से पहले करनी चाहिये ताकि तहिय्यत बाक़ी रहे जेसे तहिय्यातुल मस्जिद के नफ्ल की वो बैठने से पहले पढ़े जाएं।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 6/331*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 59*
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Saturday 19 August 2017

*83 आसान नेकियां* #32
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #30

*_जुमुआ के दिन नाख़ून काटना_*
     जुमुआ के दिन नाख़ून काटना मुस्तहब है। हाँ अगर ज़्यादा बढ़ गए हो तो जुमुआ का इन्तिज़ार न कीजिये। मौलाना अमजद अली आज़मी عليه رحما फ़रमाते है : मन्कुल है : जो जुमुआ के रोज़ नाख़ून काटे अल्लाह उस को दूसरे जुमुआ तक बालाओं से महफूज़ रखेगा और तीन दिन ज़ाइद यानी दस दिन तक। एक रिवायत में ये भी है की जो जुमुआ के दिन नाख़ून काटे तो रहमत आएगी और गुनाह जाएंगे।

*_नाख़ून काटने का तरीक़ा_*
     हाथों के नाख़ून काटने के मन्कुल तऱीके का खुलासा वेश खिदमत है : पहले सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली से शुरू कर  के तरतीब वार छोटी ऊँगली समेत नाख़ून काटे जाएं मगर अंगूठा छोड़ दीजिये। अब उलटे हाथ की छोटी ऊँगली से शुरू कर के तरतीब वार अंगूठे समेत नाख़ून काट लीजिये। अब आखिर में सीधे हाथ के अंगूठे का नाख़ून काटा जाए।
     पाऊं के नाख़ून काटने की कोई तरतीब मन्कुल नही, बेहतर ये है की सीधे पाऊं की छोटी ऊँगली से शुरू कर के तरतीब वार अंगूठे समेत नाख़ून काट लीजिये फिर उलटे पाऊं के अंगूठे से शुरू कर के छोटी ऊँगली समेत नाख़ून काट लीजिये।

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*आसान नेकियां, 98*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*नमाज़ के मकरुहाते तन्ज़िहा* #05
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★ जलती आग के सामने नमाज़ पढ़ना, शमा या चराग सामने हो तो हर्ज़ नहीं।
*✍🏼आलमगिरी, 1/108*

★ ऐसी चीज़ के सामने नमाज़ पढ़ना जिससे ध्यान बटे मसलन ज़ीनत और लहवो लअब वग़ैरा।
*✍🏼रद्दलमोहतर, 1/439*

★ नमाज़ के लिए दौड़ना।
★ कूड़ा डालने की जगह।
★ मज़्बह यानी जहा जानवर जबह किये जाते हो वहा।
★ इस्तबल यानी घोड़े बंधने की जगह।
★ गुस्ल खाना, मवेशी खाना खुसुसन जहां ऊंट बांधे जाते हो।
★ इस्तिन्जा खाने की छत।
इन जगह पर नमाज़ पढ़ना मकरुहे  तन्ज़िहा है

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.199*
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कई बन्दे ऐसे है जिन्हें नमाज़ में पढ़े जाने वाले कलामे पाक नहीं आते।

ये किताब हमने नमाज़ के तअल्लुक़ से बनाई है। इस में आप को 20 सूरह, षना, अत्तहिय्यत, दुरुदे इब्राहिम, दुआएं मसुरा व दुआए क़ुनूत हासिल होंगी। इसे आप ज़बानी याद कर के नमाज़ मुकम्मल की जा सकती है।

किताब 👇🏽 इस लिंक से डाऊनलोड करे।
https://drive.google.com/file/d/0BxNzOp0x1IN_cmtWN1pzOE5nNE0/view?usp=drivesdk

दुआए खैर का तालिब....
جزاك الله خيرا
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*खुश खबरी सुनाओ*
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : खुश खबरी सुनाओ और लोगों को नफरत न दिलाओ।
*✍🏼صحيح البخاري*

     यानी लोगों को गुज़श्ता गुनाहों से तौबा करने और नेक आमाल करने पर हक़ तआला की बख़्शिश व रहमत की खुश खबरियां दो। उन गुनाहों की पकड़ पर इस तरह न डराओ की उन्हें अल्लाह की रहमत से मायूसी हो कर इस्लाम से नफरत हो जाए। बहर हाल इन्ज़ार और डराना कुछ और है और मायूस कर के बद दिल कर देना कुछ और, लिहाज़ा ये हदिष उन आयात व अहादिश के खिलाफ नहीं जिन में अल्लाह की पकड़ से डराने का हुक्म है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 5/371*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 57*
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Thursday 17 August 2017

*83 आसान नेकियां* #30
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #28

*_तमाम अमल करने वालों का षवाब मिलेगा_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो हिदायत की तरफ बुलाए उस को तमाम अमल करने वालों की तरह षवाब मिलेगा और इस से अमल करने वालों के अपने षवाब से कुछ कम न होगा। और जो गुमराही की तरफ बुलाए तो उस पर तमाम पैरवी करने वाले गुमराहों के बराबर गुनाह होगा और ये उन के गुनाहों से कुछ कम न करेगा।
*✍🏼مسلم*

     हज़रते मुफ़्ती अहमद यार खान عليه رحما फ़रमाते है : ये हुक्म (आम है यानी) नबी صلى الله عليه وسلم के सदके से तमाम सहाबा, आइम्मए मुजतहिदीन, उलमए मुतक़द्दमीन व मुतअख्खिरिन सब को शामिल है मषलन अगर किसी की तबलीग से एक लाख नमाज़ी बनें तो उस मुबल्लिग को हर वक़्त एक लाख नमाज़ों का षवाब होगा और उन नमाज़ियों को अपनी नमाज़ों का षवाब, इस से मालुम हुवा की हुज़ूर का षवाब मख्लूक़ के अन्दाज़े से वरा है।
     रब फ़रमाता है : _और ज़रूर तुम्हारे लिये बे इन्तिहा षवाब है_
ऐसे ही वो मुसन्निफिन जिन की किताबो से लोग हिदायत पा रहे है क़यामत तक लाखों का षवाब उन्हें पहुचता रहेगा, ये हदिष इस आयत के खिलाफ नही :
_आदमी न आएगा मगर अपनी कोशिश_
क्यू की ये षवाबो की ज़्यादती उस के अमले तबलीग का नतीजा है।
     मज़ीद फ़रमाते है : इस में गुमराहों के मुजिदिन मुबल्लीगिन (यानि गुमराही ईजाद करने और गुमराही दूसरों को ओहुचने वाले) सब शामिल है ता क़यामत उन को हर वक़्त लाखो गुनाह पहुचते रहेंगे।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 1/160*

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*✍🏼आसान नेकियां, 92*
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*नमाज़ के मकरुहाते तन्ज़िहा* #04
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★ नमाज़ में सना, तअव्वुज़, तस्मिया और आमीन ज़ोर से कहना।
*✍🏼आलमगिरी, 1/107*

★ बिगैर उज़्र दिवार वगैरा पर टेक लगाना

★ रूकू में गुटनो पर और सजदों में ज़मीन पर हाथ न रखना, दाए बाए झूमना। और कभी दाए पाउ पर और कभी बाए पाउ पर ज़ोर देना के सुन्नत है।
*✍🏼बहारे शरीअत, 3/202*

★ और सज्दे के लिए जाते हुए सीधी तरफ ज़ोर देना और उठते वक़्त उलटी तरफ ज़ोर देना मुस्तहब है
*✍🏼बहारे शरीअत, 3/101*

★ नमाज़ में आँखे बंद रखना। हा अगर खुशुअ आता हो तो आँखे बंद रखना अफज़ल है।
*✍🏼दुर्रेमुखतार, रद्दलमोहतार, 2/499*

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*कैदखाना*
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : दुन्या मोमिन के लिये कैदखाना है और काफ़िर के लिये जन्नत।
*✍🏼صحيح مسلم*

     यानी मोमिन दुन्या में कितना ही आराम में हो, मगर उस के लिये आख़िरत की नेअमतों के मुक़ाबले में दुन्या जेलखाना है, जिस में वो दिल नहीं लगता। जेल अगरचे A क्लास हो, फिर भी जेल है। और काफ़िर ख्वाह कितनी ही तकलीफ में हो, मगर आख़िरत के अज़ाब के मुक़ाबिल उस के लिये दुन्या बाग़ और जन्नत है। वो यहाँ दिल लगा कर रहता है। लिहाज़ा हदिष पर ये ऐतराज़ नहीं की बाज़ मोमिन दुन्या में आराम से रहते है, और बाज़ काफ़िर तकलीफ में।
*✍🏼मीरअतुल मनाजिह्, 7/4*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 50*
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Wednesday 16 August 2017

*83 आसान नेकियां* #29
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #27

*_नेकी की दावत देना_*
     किसी को नेकी की दावत देना और बुराई से रोकना अहम तरीन नेकियों में से एक है और इस के बेशुमार फ़ज़ाइल है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : अगर अल्लाह तुम्हारे ज़रीए किसी एक शख्स को हिदायत अता फरमाए तो ये तुम्हारे लिये इस से अच्छा है की तुम्हारे पास सुर्ख ऊंट हो।
*✍🏼مسلم*

     हज़रते अल्लामा यहया बिन शरफ नववी عليه رحمه इस हदिष की शर्ह में लिखते है : सुर्ख ऊंट अहले अरब का बेश क़ीमत माल समझा जाता था, इस लिये कहावत के तौर पर सुर्ख ऊँटो का ज़िक्र किया गया। उखरवि उमूर को दुनयावी चीज़ों से मिषाल देना सिर्फ समझाने के लिये है वरना हक़ीक़त येही है की हमेशा बाक़ी रहने वाली आख़िरत का एक ज़र्रा भी दुन्या और इस जैसी जितनी दुन्याए तसव्वुर की जा सकें, उन सब से बेहतर है।
*✍🏼شرح مسلم للنووى*

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*✍🏼आसान नेकियां, 92*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*नमाज़ के मकरुहाते तन्ज़िहा* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ नमाज़ में बिला उज़्र चार जानू यानी चोकड़ी मार कर बैठना।
*✍🏼गुन्यातुल मुस्तमलि, 339*

★ अंगड़ाई लेना और इरादतन खाँसना, खनकारना।
*✍🏼गुन्यातुल मुस्तमलि, 340"*
● अगर तबीअत चाहती हो तो हरज नही

★ सज्दे में जाते हुए घुटने से पहले बिला उज़्र हाथ से क़ब्ल घुटने ज़मीन से उठना।
★ रूकू में सर को पीठ से उचा निचा करना।
*✍🏼गुन्यातुल मुस्तमलि, 335,338*

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.198*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*अज़ाबे क़ब्र*
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اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : क़ब्र का अज़ाब हक़ है।
*✍🏼صحيح البخاري*

     अज़ाबे क़ब्र में मुतअल्लिक़ चन्द मसाइल याद रखने चाहिएं
(1) यहाँ क़ब्र से मुराद आलमे बरज़ख है। जिस की इब्तिदा हर शख्स की मौत से है इन्तिहा क़यामत पर, उर्फी क़ब्र मुराद नहीं लिहाज़ा जो मुर्दा दफ़्न न हुवा बल्कि जला दिया गया या डुबो दिया गया या उसे शेर खा गया उसे भी क़ब्र का हिसाब व अज़ाब है।
(2) हिसाबे क़ब्र और है अज़ाबे क़ब्र कुछ और बाज़ लोग हिसाबे क़ब्र में कामयाब होंगे मगर बाज़ गुनाहों की वजह से अज़ाब में मुब्तला, जैसे चुगल खोर और पेशाब के छीटों से न बचने वाला।
(3) काफ़िर को अज़ाबे क़ब्र दाइमी होगा गुनाहगार मोमिन को आरिज़ि।
(4) अज़ाबे क़ब्र रूह को है जिस्म इस के ताबे मगर हशर के बाद वाला अज़ाब व षवाब रूह व जिस्म दोनों को होगा।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 1/125*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Tuesday 15 August 2017

*83 आसान नेकियां* #28
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #26

*_क़ब्रस्तान वालों के लिये दुआ करना_*
     जो क़ब्रस्तान में दाखिल हो कर ये कहे :
اٙللّٰهُمّٙ رٙبّٙ الْاٙجْسٙادِ الْبٙالِيٙةِ وٙالْعِظٙامِ النّٙخِرٙةِ الّٙتِىْ خٙرٙجٙتْ مِنٙ الدُّنْيٙا وٙهِىٙ بِكٙ مُؤْمِنٙةٌ اٙدْخِلْ عٙلٙيْهٙا رٙوْحًا مِّنْ عِنْدِكٙ وٙسٙلٙامًا
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! ऐ गल जाने वाले जिस्मों और बोसीदा हड्डियों के रब ! जो दुन्या से ईमान की हालत में रुख्सत हुवे तू उन पर अपनी रहमत और मेरा सलाम पहुंचा दे।
     तो हज़रते आदम عليه السلام से ले कर इस वक़्त तक जितने मोमिन फौत हुवे सब उस (दुआ पढ़ने वाले) के लिये दुआए मगफिरत करेंगे।

*_आयत या सुन्नत सिखाना_*
     हज़रते अनस رضي الله عنه से रिवायत है की जिस शख्स ने क़ुरआन की एक आयत या दीन की कोई सुन्नत सिखाई क़यामत के दिन अल्लाह उस के लिये ऐसा षवाब तैयार फ़रमाएगा की उस से बेहतर षवाब किसी के लिये भी नही होगा। जब की हज़रते उष्मान इब्ने अफ्फान رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : जिस ने क़ुरआन की एक आयत सिखाई उस के लिये सिखने वाले से दुगना षवाब है।
*✍🏼جمع الجوامع*

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*✍🏼आसान नेकियां, 90*
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*नमाज़ के मकरुहाते तन्ज़िहा* #02
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     रूकू या सज्दे में बिला ज़रूरत 3 बार से कम तस्बीह कहना (अगर वक़्त तांग हो या ट्रेन चल पड़ने के खौफ से हो तो हरज नहीं। अगर मुक्तदि 3 तस्बीह न कहने पाया था कि इमाम ने सर उठा लिया तो इमाम का साथ दे)

     नमाज़ में पेशानी से ख़ाक या घास छुड़ाना। हा अगर इन की वजह से नमाज़ में ध्यान बटता हो तो छुड़ाने में हरज नही।
*✍🏼आलमगिरी, 1/106*

     सज्दे वग़ैरा में उंगलिया किब्ले से फेर देना।
*✍🏼आलमगिरी, 1/119*

     मर्द का सज्दे में रान को पेट से चिपका देना।
*✍🏼आलमगिरी, 1/109*

     नमाज़ में हाथ या सर के इशारे से सलाम का जवाब देना।

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.198*
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*रौज़ए अक़दस की हाज़री*
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिस ने मेरी क़ब्र की ज़ियारत की, उस के लिये मेरी शफ़ाअत लाज़िम हो गई।
*✍🏼شعب الايمان*

     क़ुरआने पाक में अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और अगर जब वो अपनी जानों पर ज़ुल्म करें तो ऐ महबूब तुम्हारे हुज़ूर हाज़िर हों और फिर अल्लाह से मुआफ़ी चाहें और रसूल उन की शफ़ाअत फरमाए तो ज़रूर अल्लाह को बहुत तौबा क़बूल करने वाला मेहरबान पाएं।_

     हज़रत नईमुद्दीन मुरादआबादी عليه رحما इस आयत के तहत लिखते है : इस से मालुम हुवा की बारगाहे इलाही में रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم का वसीला और आप की शफ़ाअत कार-बरआरी (काम बन जाने) का ज़रीआ है सैय्यिदे आलम صلى الله عليه وسلم की वफ़ात शरीफ के बाद एक देहाती शख्स रैज़ाए अक़दस पर हाज़िर हुवा और रौज़ए शरीफा की खाके पाक कपने सर पर डाली और अर्ज़ करने लगा : या रसूलुल्लाह जो आप ने फ़रमाया हम ने सुना और जो आप पर नाज़िल हुवा उस में ये आयत भी है وٙلٙوْ اٙنّٙهُمْ اِذْ ظّٙلٙمُوْا में ने बेशक अपनी जान पर ज़ुल्म किया और में आप के हुज़ूर में अल्लाह से अपने गुनाह की बख्शिश चाहने हाज़िर हुवा तो मेरे रब से मेरे गुनाह की बख्शीश कराइये। इस पर क़ब्र शरीफ से निदा आई की तेरी बख्शीश की गई।
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 46*
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Monday 14 August 2017

*83 आसान नेकियां* #27
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #25

*_दुआ करना_*
     दुन्या के बड़े से बड़े अमीर शख्स से जब बार बार कुछ माँगा जाता है तो वो उकता कर नाराज़ हो जाता है लेकिन इस दुन्या का खालीक़ो मालिक अल्लाह ऐसा जव्वाद और करीम है की उसे अपने बन्दों का मांगना बहुत पसन्द है, इन में से जो जितना ज़्यादा दुआ मांगेगा अल्लाह उस से उतना ही खुश होगा।।
     हमारे आक़ा صلى الله عليه وسلم कषरत से दुआ माँगा करते थे हत्ता की सोने जागने, खाने पिने, कपड़े पहनने उतारने, बैतूल खला जाने आने के वक़्त और वुज़ू करने के दौरान भी दुआ माँगा करते थे।
     दुकान किसी भी वक़्त किसी भी जाइज़ व मुमकिन चीज़ के लिये मांगी जा सकती है अलबत्ता दुआ के आदाब का ख़याल रखना ज़रूरी है। बहर हाल दुआ दुन्यवी मक़ासिद के लिये मांगी जाए या उखरवी, इबादत में शुमार होती है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم दुआ इबादत का मग्ज़ है।
*✍🏼خامه ترمزى*

*_दुआ मोमिन का हथियार_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : दुआ मोमिन का हथियार, दीन का सुतून और ज़मीनो आसमान का नूर है।

*_दुआ के फायदे_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो मुसलमान कोई ऐसी दुआ मांगता है जिस में कोई गुनाह या कतए रहमी न हो तो अल्लाह उसे तिन में से एक खसलते अता फ़रमाता है।
(1) या तो उस की दुआ जल्द क़बूल कर ली जाती है।
(2) या उसे आख़िरत के लिये ज़खीरा कर दिया जाता है।
(3) या फिर उस से इसी की मिष्ल कोई बुराई दूर कर दी जाती है।
सहाबए किराम ने अर्ज़ की फिर तो हम बहुत ज़्यादा दुआए माँगा करेंगे। फ़रमाया अल्लाह ज़्यादा दुआए क़बूल फरमाने वाला है।

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*✍🏼आसान नेकियां, 89*
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*नमाज़ के मकरुहाते तन्ज़ीहा* #01
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     दूसरे कपड़े मुयस्सर होने के बा वुजूद कामकाज के लिबास में नमाज़ पढ़ना।
*✍🏼गुण्यतुल मुस्तमलि, 337*

     मुह में कोई चीज़ लिये हुए होना। अगर इस की वजह से किराअत ही न हो सके या ऐसे अलफ़ाज़ निकले कि जो क़ुरआन के न हो तो नमाज़ ही फासिद हो जाएगी।
*✍🏼दुर्रेमुख्तार, रद्दलमोहतार*

     सुस्ती से नंगे सर नमाज़ पढ़ना।
*✍🏼आलमगिरी, 1/106*

     नमाज़ में टोपी या इमाम शरीफ गिर पड़े तो उठा लेना अफज़ल है जब कि अमले कसीर की हाजत न पड़े वरना नमाज़ फासिद् हो जाएगी। और बार बार उठाना पड़े तो छोड़ दे और उठाने से खुशुओ ख़ुज़ूअ मक़सूद हो तो उठाना अफज़ल है।
*✍🏼दुर्रेमुखतार, रद्दलमोहतार 2/194*

     अगर कोई नंगे सर नमाज़ पढ़ रहा हो या उसकी टोपी गिर पड़ी हो तो उसको दूसरा शख्स टोपी न पहनाए।

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.197*
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*नमाज़ की अहमिय्यत*
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : नमाज़ दीन का सुतून है।
*✍🏼شعب الايمان*

     नमाज़ दीन की अस्ल और बुन्याद है, इसे उम्मुल इबादत, मेराजुल मुअमिनिन भी कहा जाता है।
*✍🏼فيض القدير*

*_मछली अपनी जगह पर थी_*
     शैख़ अबू अब्दुल्लाह जिला رضي الله عنه की वालिदा ने एक रोज़ अपने शौहर से मछली लाने की फरमाइश की। शैख़ के वालिद बाज़ार गए और अपने फ़रज़न्द को भी हमराह ले गए। बाज़ार से मछली खरीदी, और एक मज़दूर तलाश करने लगे ताकि वो मछली घर तक पहुचा दे। एक लड़का मिला और उस ने मछली सर पर उठा ली और साथ चला, रास्ते में मुअज्ज़िन की अज़ान सुनाई दी। उस मज़दूर लड़के ने कहा : नमाज़ के लिये मुझे तहारत की हाजत है और अज़ान हो रही है, अगर आप राज़ी हो तो मेरा इन्तिज़ार कर लें, वरना अपनी मछली ले कर जाएं। इतना कह कर उस ने मछली वहीं छोड़ी और मस्जिद चला गया। शैख़ के वालिद ने कहा : इस लड़के का अल्लाह पर तवक़्क़ुल है, हमें ब दर्जए औला तवक़्क़ुल करना चाहिये। चुनान्चे मछली छोड़ कर हम लोग नमाज़ पढ़ने चके गए। हम लोग नमाज़ पढ़ कर निकले तो मछली अपनी जगह थी, लड़के ने उठा ली और हम लोग घर पहुचे।
*✍🏼روض الرياحين*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 44*
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Sunday 13 August 2017

*83 आसान नेकियां* #26
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #24

*_खन्दा पेशानी से सलाम करना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم तुम्हारा लोगो को खन्दा परशानी से सलाम करना भी सदक़ा है।
*✍🏼شعب الايمان*

*_मुसाफहा करना_*
     दो मुसलमानो का ब वक़्ते मुलाक़ात सलाम कर के दोनों हाथो से मुसाफहा करना यानी दोनों हाथ मिलाना सुन्नत है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم जब दो मुसलमान मुलाक़ात करते हुवे मुसाफहा करते है और एक दूसरे से खैरिय्यत दरयाफ़्त करते है तो अल्लाह उन के दरमियान सो रहमते नाज़िल फ़रमाता है जिन में से 99 रहमतें ज़्यादा पुर तपाक तरीके से मिलने वाले और अच्छे तरीके से अपने भाई से खैरिय्यत दरयाफ़्त करने वाले के लिये होती है।

*_गुनाह झड़ते है_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم जब कोई मुसलमान कपने भाई से मुलाक़ात करते हुवे उस हाथ पकड़ता है तो उस के गुनाह ऐसे झड़ते है जेसे तेज़ आंधी में खुश्क दरख्त के पत्ते झड़ते है और इन दोनों की मगफिरत कर दी जाती है अगर्चे इन के गुनाह समन्दर की झाग के बराबर हों।

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*आसान नेकियां, 85*
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*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #13
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*_नमाज़ और तस्वीर_*
     जानदार की तस्वीर वाला लिबास पहन कर नमाज़ पढ़ना मकरुहे तहरीमि है, नमाज़ के इलावा भी ऐसा कपड़ा पहनना जाइज़ नहीं।
*✍🏼दुर्रेमुखतार 2/502*

     नमाज़ी के सर पर यानी छत पर या सज्दे की जगह पर या आगे या दाए या बाए जानदार की तस्वीर आवेज़ा होना मकरुहे तहरीमि है और पीछे होना भी मकरूह है, मगर गुज़श्ता सूरतो से कम। अगर तस्वीर फर्श पर है और उस और सज्दा नहीं होता तो कराहत नहीं। अगर तस्वीर गैर जानदार की है जेसे दरिया पहाड़ वगैरा तो इस में कोई मुज़ायक़ा नहीं। इतनी छोटी तस्वीर हो जिसे ज़मीन पर रख कर खड़े हो कर देखे तो आज़ा की तफ़सील न दिखाई दे (जैसा के उमुमन तवाफ़े काबा के मंज़र की तस्वीरें बहुत छोटी होती है ये तसावीर) नमाज़ के लिये बाइसे कराहत नहीं है।
*✍🏼गुण्यतुल मुस्तमलि, 347*
*✍🏼दुर्रेमुखतर, 2/503*

     तवाफ़ की भीड़ में एक भी चेहरा वाज़ेह हो गया तो मुमानअत बाक़ी रहेगी। चेहरे के इलावा मसलन हाथ, पाउ, पीठ, चेहरे का पिछला हिस्सा या ऐसा चेहरा जिस की आँखे, नाक, होठ वग़ैरा सब आज़ाए मिटे हुए हो ऐसी तसावीर में कोई हर्ज़ नही।
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.196*
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Saturday 12 August 2017

*83 आसान नेकियां* #25
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #23

*_सलाम के अल्फ़ाज़ बढ़ाना_*
     अगर्चे सलाम की सुन्नत सिर्फ السلام عليكم कहने से अदा तो हो जाएगी लेकिन अगर इस के साथ ورحمة الله وبركاته बढ़ा लिया जाए तो ज़्यादा षवाब है, चुनान्चे السلام عليكم कहने से 10 नेकियां मिलती है। साथ में ورحمة الله भी कहेंगे तो 20 नेकियां हो जाएंगी और وبركاته शामिल करेंगे तो 30 नेकियां हो जाएंगी। इसी तरह जवाब में وعليكم السلام والرحمة و بركاته कह कर 30 नेकियां हासिल की जा सकती है।
     एक शख्स ने हुज़ूर صلى الله عليه وسلم की बारगाह में हाज़िर हो कर अर्ज़ की السلام عليكم आप ने सलाम का जवाब इर्शाद फ़रमाया। फिर वो शख्स बैठ गया तो नबी صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : 10 नेकियां है। फिर एक दूसरा शख्स हाज़िर हुवा और अर्ज़ की السلام عليكم و رحمه الله आप ने उसे भी जवाब दिया। फिर वो बैठ गया तो नबी صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया 20 नेकियां है। फिर एक और शख्स ने हाज़िर हो कर अर्ज़ किया السلام عليكم و رحمه الله و بركاته फिर वो बैठ गया तो रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया 30 नेकियां है।
*✍🏼سنن ابن داود*

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*✍🏼आसान नेकियां, 84*
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*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #12
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     दूसरा कपड़ा होने के बा वुजूद सिर्फ पाजामा या तहबन्द में नमाज़  पढ़ना।

     किसी आने वाले शनासा की खातिर इमाम का नमाज़ को तूल देना (आलमगिरी, 1/107) अगर उस की नमाज़ पर इआनत (मदद) के लिये एक दो तस्बीह की क़दर तूल दिया तो हरज नहीं।

     ऐसी ज़मीन जिस पर ना जाइज़ क़ब्ज़ा किया हो या पराया खेत जिस में ज़राअत मौजूद है या जूते हुए खेत में या क़ब्र के सामने जब कि क़ब्र और नमाज़ी के बिच में कोई चीज़ हाइल न हो नमाज़ पढ़ना।
*✍🏼आलमगिरी, 1/107*

     कुफ़्फ़ार के इबादत खाने में नमाज़ पढ़ना बल्कि इन में जाना भी मम्नुअ है।
*✍🏼रद्दलमोहतार, 2/53*

     कुरते वग़ैरा के बटन खुले होना जिस से सीना खुला रहे मकरुहे तहरीमि है, हा अगर निचे कोई और कपड़ा है जिस से सीना नहीं खुला तो मकरुहे तन्ज़ीहि है।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Friday 11 August 2017

*83 आसान नेकियां* #24
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #22

*_सलाम में पहल करना_*
     एक दूसरे को सलाम करने से षवाब प भी मिलता है और आपस में महब्बत बढ़ती है लेकिन सलाम में पहल करने वाला ज़्यादा फायदा पाता है। सलाम में पहल करने वाला अल्लाह का मुक़र्रब है, सलाम में पहल करने वाले पर 90 रहमतें और जवाब देने वाले पर 10 रहमतें नाज़िल होती है।
*✍🏼الخامه الصغير*

*_सिर्फ सलाम करने के लिये बाज़ार जाया करते_*
     हज़रते तुफैल बिन उबय्य बिन काब رضي الله عنه से रिवायत है की में सुबह के वक़्त हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर رضي الله عنه के पास जाता तो वो मुझे अपने साथ बाज़ार ले जाते जहाँ वो मामूली चीजें बेचने वाले, दुकानदार और मिसकीन या किसी और के सामने से गुज़रते तो सब को सलाम करते।
     एक दिन जब उन्हों ने मुझे बाज़ार चलने को कहा तो में ने पूछा : आप बाज़ार जा कर क्या करेंगे ! आप वहां खड़े होते है न सौदे के मुतअल्लिक़ कुछ दरयाफ़्त करते है, किसी चीज़ का नर्ख चुकाते है न बाज़ार की मजलिसों में बैठते है। आप यहीं बैठे बैठे हमें हदिशे सुना दिया करें। उन्हों ने फ़रमाया : हम सलाम करने के लिये ही बाज़ार जाते है कि जो मिलेगा, उसे सलाम करेंगे।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 82*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #11
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_गधे जैसा मुंह_*
     हज़रते इमाम न-ववी अलैरहमा हदिष लेने के लिये एक बड़े मशहूर शख्स के पास दिमश्क़ गए। वो पर्दा डाल कर पढ़ाते थे, मुद्दतो तक उन के पास बहुत कुछ पढ़ा मगर उन का मुंह न देखा, जब ज़मानए दराज़ गुज़रा और उन मुहद्दिस साहिब ने देखा कि इन को इल्मे हदिष की बहुत ख्वाहिश है तो एक रोज़ पर्दा हटा दिया !

     देखते क्या है कि उनका गधे जैसा मुंह है !! उन्होंने फ़रमाया, साहिब ज़ादे ! दौराने जमाअत इमाम पर सबक़त करने से डरो कि ये हदिष जब मुझ को पहुची मेने इसे मुस्तबअद जाना और मेने इमाम पर क़सदन सबक़त की तो मेरा मुह ऐसा हो गया जैसा तुम देख रहे हो।
*✍🏼बहारे शरीअत, जी.3 स.95*

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.195*
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Thursday 10 August 2017

*83 आसान नेकियां* #23
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #21

*_रोज़ा इफ्तार करवाना_*
     किसी का रोज़ा इफ्तार करवाना भी बहुत बड़ी मगर आसान नेकी है, इस के लिये समोसों, पकड़ो, फलो और तरह तरह की डिशो का होना ज़रूरी नही बल्कि सिर्फ पानी से रोज़ा इफ्तार करवा के भी षवाब कमाया जा सकता है।

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो हलाल कमाई से किसी रोज़ेदार को इफ्तार करवाए तो फ़रिश्ते पूरा रमज़ान उस के लिये दुआए मगफिरत करते रहते है और शबे क़द्र में हज़रते जिब्राइल उस से मुसाफहा फरमाएंगे और जिस शख्स से हज़रते जिब्राइल मुसाफहा फ़रमाते है उस का दिल नर्म और आसूं कषिर हो जाते है। एक शख्स ने अर्ज़ की या रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم अगर किसी के पास इतना न हो तो ? इर्शाद फ़रमाया : चाहे पानी मिला हुवा थोडा सा दूध ही हो। एक और शख्स ने अर्ज़ की अगर इतना भी न हो तो ? फ़रमाया : पानी के एक घूंट से ही इफ्तार करवा दे।
*✍🏼तिबरानी*

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*✍🏼आसान नेकियां, 81*
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*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #10
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

★ किराअत रूकू में पहुच कर खत्म करना।

★ इमाम से पहले मुक्तदि ला रूकू व सुजूद वग़ैरा में चला जाना या इससे पहले सर उठाना।
*✍🏼रद्दलमोहतार, जी.2 स.513*

★ हज़रते इमाम मालिक, हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत करते है कि नबी صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : जो इमाम से पहले सर उठाता और झुकाता है उस की पेशानी के बाल शैतान के हाथ में है।

★ हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है, नबी صلى الله عليه وسلم फरमाते है : क्या जो शख्स इमाम से पहले सर उठाता है इस से डरता नहीं की अल्लाह उसका सर गधे का सर कर दे।
*✍🏼सहीह मुस्लिम, 1/181*

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.194-195*
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*तौबा की बुन्याद* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     (2) गुनाहों के अन्जाम के तौर पर जहन्नम में दिये जाने वाले अज़ाबे इलाही की शिद्दत को पेशे नज़र रखे, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया :
     ◆ दोज़ख़ियों में सब से हल्का अज़ाब जिस को होगा उसे आग के जूते पहनाए जाएंगे जिन से उस का दिमाग खौलने लगेगा।
*✍🏼सहीह मुस्लिम*
     ◆ अगर उस ज़र्द पानी का एक डोल जो दोज़ख़ियों के ज़ख्मों से जारी होगा वो दुन्या में डाल दिया जाए तो दुन्या वाले बदबूदार हो जाएं।
*✍🏼तिर्मिज़ी*
     ◆ दोज़ख में बख्ती (बड़े ऊंट के बराबर सांप) ये सांप एक मर्तबा किसी को काटे तो उस का दर्द और ज़हर चालीस बारस तक रहेगा। और दोज़ख में पालान बंधे हुए खच्चरों के मिस्ल बिच्छु है जिन के एक मर्तबा काटने का दर्द चालीस साल तक रहेगा।
*✍🏼المسند للإمام احمد*
     ◆ तुम्हारी ये आग जिसे इब्ने आदम रोशन करता है, जहन्नम की आग से 70 दर्जे कम है। ये सुन कर सहाबए किराम ने अर्ज़ की या रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم! वो इस से 69 दर्जे ज़्यादा है, हर दर्जे में यहाँ की आग के बराबर गर्मी है।
*✍🏼صحيح مسلم*
     ★ फिर अपने आप से यूँ मुखातिब हों। अगर मुझे जहन्नम में डाल दिया गया तो मेरा ये नरम व नाजुक बदन उस के हौलनाक अज़ाबात को किस तरह बर्दाश्त कर पाएगा ? जब की जहन्नम में पहुचने वाली तकालिफ् की शिद्दत के सबब इन्सान पर न तो बेहोशी तारी होगी और न ही उसे मौत आएगी। आह ! वो वक़्त कितनी बे बसी का होगा जिस के तसव्वुर से ही दिल कांप उठता है। क्या ये रोने का मक़ाम नही ? क्या अब भी गुनाहों से वहशत महसूस नहीं होगी और दिल में नेकियों की महब्बत नहीं बढ़ेगी ? क्या अब भी बारगाहे खुदा में सच्ची तौबा पर दिल माइल नहीं होगा ?
     उम्मीद है की बार बार इस अन्दाज़ से फ़िक्रे मदीना करने की बरकत से दिल में नदामत पैदा हो जाएगी और सच्ची तौबा की तौफ़ीक़ मिल जाएगी। أن شاء الله
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 38*
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