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मुर्दे की बेबसी




*मुर्दे की बेबसी*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मुर्दा और गस्साल_*
ज़बर दस्त आलिम व मुहद्दिस और मशहूर ताबेइ बुज़ुर्ग सुफ़यान सौरी अलैरहमा से मारवी है कि मरने वाला हर चीज़ को जानता है, हत्ता कि गस्साल से कहता है : तुझे खुदा की क़सम तू गुस्ल में मेरे साथ नरमी कर, और जब वो अपने जनाज़े की चारपाई पर होता है, उससे कहा जाता है : अपने बारे में लोगो की बाते सुन।
*✍🏽शरहु स्सुदुर 95*

*_मुर्दा क्या कहता है_*
अमीरुल मुअमिनिन हज़रते उमर फरुके आज़मرضي الله تعالي عنه रिवायत करते है, नबीﷺ का फरमान है : मुर्दा जब तख्त पर रखा जाता है और उसे ले कर अभी 3 क़दम ही चले होते है कि वो बोलता है और उसके कलाम को इन्सान और जिन्नों के इलावा अल्लाह जिसे चाहे सुनवाता है।
मुर्दा कहता है : ऐ मेरे भाइयो ! और ऐ मेरा जनाज़ा उठाने वालो ! तुम्हे दुन्या धोके में न डालदे जैसा की मुझे डाले रखा और ज़माना तुम्हारे साथ न खेले जैसा की मेरे साथ खेल, मेने जो कुछ कमाया वो अपने वुरसा के लिये छोड़ा, अल्लाह क़यामत के दिन मुझसे हसाब लेगा और मेरी गिरफ्त फ़रमाएगा, हाला कि तुम लोग मुझे रुखसत करते और मुझे पुकारते (यानी मेरे लिये रोते) हो।
*✍🏽शरहु स्सुदुर 96*
*✍🏽मुर्दे की बे बसी 1*
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*_उम्र भर की भागदौड़_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     उस वक़्त केसी बेबसी होगी जब रूह जिस्म से जुदा हो चुकी होगी, वो आलम किस क़दर बेबसी का आलम होगा जिस वक़्त बेश क़ीमती पकड़े उतारे जा रहे होंगे, गस्साल नहला रहा होगा, लठ्ठे का कफ़न पहनाया जा रहा होगा, केसी हसरत की घड़ी होगी जब जनाज़ा उठाया जा रहा होगा, हाए ! हाए ! वो दुन्या जिसे सवारने के लिये उम्र भर भागदौड़ की थी, जिसकी खातिर रातो की नींदे उड़ाई थी, तरह तरह के खतरे मोल लिये थे, हासिदिन के रुकावटे खड़ी करने के बा वुजूद भी जान लड़ा कर दुन्या का मॉल कमाते रहे थे, खूब खूब दौलत बढ़ाते रहे थे, जिस मकान को मज़बूत तामीर किया था फिर उसको तरह तरह के फर्नीचर से आरास्ता किया था, वो सभी कुछ छोड़ कर रुखसत होना पड़ रहा होगा।
     आह ! क़ीमती लिबास खुटी पर टंगा रह जाएगा, कार हुइ तो गेरेज में खड़ी रह जाएगी, ऐसो तरब के अस्बाब और हर तरह का माल सामान धरा का धरा रह जाएगा।
     उस वक़्त *मुर्दे की बेबसी* इन्तिहा को पहुचेगी जब उसको रोशनियों से जग मगाती आरिजि खुशियो से मुस्कुराती दुन्याए ना पाएदार के फानी घर से निकाल कर अँधेरी क़ब्र में मुन्तकिल करने के लिये उस के नाज़ उठाने वाले उसको कन्धों पर लाद कर सूए क़ब्रिस्तान चल पड़ेंगे।
*मुर्दे की बेबसी 2*
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*क़ब्र की दिल हिला देने वाली कहानी*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते उमर बिन अब्दुल अज़ीज़رضي الله تعالي عنه एक जनाज़े के साथ कब्रस्तान तशरीफ़ ले गए, वहा एक क़ब्र के पास बैठ कर गौरो फ़िक्र में दुब गए, किसी ने अर्ज़ की : या अमीरुल मुअमिनिन ! आप यहाँ तन्हा कैसे तशरीफ़ फरमा है ? फ़रमाया : अभी अभी एक क़ब्र ने मुझे पुकार कर बुलाया और बोली : ऐ उमरرضي الله تعالي عنه ! मुझ से क्यू नही पूछते कि में अपने अंदर आने वालो के साथ क्या बर्ताव करती हु ? मेने कहा मुझे ज़रूर बता। वो कहने लगी...
     जब कोइ मेरे अन्दर आता है तो में उसका कफ़न फाड़ कर जिस्म के टुकड़े टुकड़े कर डालती और उसका गोश्त खा जाती हु।
     फिर उसने कहा, क्या आप मुझसे ये नही पूछेंगे में उस के जोड़ो के साथ क्या करती हु ? मेने कहा ये भी बता। तो कहने लगी...
     हथेलियो को कलाइयों से, घुटनो को पिंडलियों से और पिंडलियों को क़दमो से जुदा कर देती हु।
     इतना कहने के बाद हज़रत उमरرضي الله تعالي عنه हिचकियां ले कर रोने लगे, जब कुछ इफ़ाक़ा हुवा तो कुछ इस तरह फ़रमाया :
ऐ इस्लामी भाइयो ! इस दुन्या में हमे बहुत थोडा अर्सा रहना है, जो इस दुन्या में साहिबे इकतिदार है वो आख़िरत में इन्तिहाई ज़लिलो ख्वार होगा, जो मालदार है वो आख़िरत में फ़क़ीर होगा। दुन्या का तुम्हारी तरफ आना तुम्हे धोके में न दाल दे, क्यू की तुम जानते हो ये बहुत जल्द रुखसत हो जाती है।
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 4*
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*दुन्या में आमद का मक़सद*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हक़ीक़त ये है कि इस दुन्या में आ कर हम सख्त आज़माइश में मुब्तला हो गए है, हमारी आमद का मक़सद कुछ और था और शायद समझ कुछ और बेठे है !
     हमारा अंदाज़े ज़िन्दगी ये बता रहा है कि मआज़ल्लाह गोया हमे कभी मारना ही नही, याद रखिये ! हमे यहाँ हमेशा नही रहना, इस दुन्या में आने का मक़सद सिर्फ मॉल कमाना या फ़क़त दुन्या के उलूमो फुनुन की डिग्रिया पाना और सिर्फ दुनयावी तरक्किया हासिल किये जाना नहीं है।
     पारह 18 सूरतुल मुअमिनिन की आयत 115 में इरशाद होता है :
तो क्या ये समझते हो कि हमने तुम्हे बेकार बनाया और तुम्हे हमारी तरफ फिरना नहीं।
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 7*
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*वज़ारते काम नही आएगी*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     अल्लाह ने इन्सान को अपनी इबादत के लिये पैदा किया है, अगर इस ने अपनी ज़िन्दगी के मक़सद में काम्याबी हासिल नही की और बरोज़े महशर गुनाहो का अम्बार ले कर अपने परवरदिगार के दरबार में पेश हुवा तो रब तआला की नाराज़ी की सूरत में इसकी दुन्या की बे शुमार दौलत भी इसे अपने रब्बे क़ह्हार के क़हरो गज़ब से नही बचा सकेगी।
     इकतिदार के नशे में मस्त हो कर एक दूसरे के ऐबो को उछालने वालो, दहशत गर्दीयो का बाज़ार गर्म करने वालो और मुसलमानो के हुक़ूक़ पामाल करने वालो के लिये लमहाए फ़िक्रिया है, अगर मासियत के सबब अल्लाह तआला नाराज़ हो गया, उस के प्यारे हबीबﷺ रूठ गए और ईमान बर्बाद हो गया तो वो वो मुश्किलात दरपेश होगी जो कभी भी हल नही होगी।
     रब्बुल इबाद पारह 30 सूरए हुमज़ह में इरशाद फ़रमाता है :
अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत महेरबान रहम वाला। खराबी है उस उसके लिये जो लोगो के मुह पर ऐब करे पीठ पीछे बदी करे, जिसने माल जोड़ा और गिन गिन कर रखा, क्या ये समझता है कि उसका माल उसे दुन्या में हमेशा रखेगा, हरगिज़ नही ज़रूर वो रौंदने वाली में फेका जाएगा और तू ने क्या जाना क्या रौंदने वाली, अल्लाह की आग की भड़क रही है, वो जो दिलो पर चढ़ जाएगी, बेशक वो उन पर बन्द कर दी जाएगी लम्बे लम्बे सुतुनो में।
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 8*
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*चार बे बुनयादी दावे*
हीस्सा-01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते शक़ीक़ बल्कि अलैरहमा फरमाते है : लोग चार चीज़ों माँ दावा करते है मगर उनका अमल उन के दावे के खिलाफ है,
(1) उनका ज़बानी क़ौल तो ये है कि हम अल्लाह के बन्दे है मगर उन के अमल आज़ादो जैसे है।
(2) कहते है कि अल्लाह तआला ही हमारी रोज़ी का कफ़ील है मगर वो बहुत कुछ मालो दौलत जमा कर लेने के बाद भी मुतमइन नही होते।
(3) कहते है कि दुन्या से आख़िरत बेहतर है मगर वो सिर्फ दुन्या ही की बेहतरी के लिये कोशा है।
(4) कहा करते है कि हमे एक दिन ज़रूर मरना पड़ेगा मगर ज़िन्दगी का अंदाज़ ऐसा है कि गोया कभी मारना ही नही।
*✍🏽उयुनुल हिकायत 70*

इन चारो की तफ़सीर इन्शा अल्लाह अगली पोस्ट में....
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 9*
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*चार बे बुन्याद दावे*
हिस्सा-02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_पहला दावा "में अल्लाह का बन्दा हु"_*
     वाक़ई मक़ामे गौर है यक़ीनन हर मुसलमान ये इक़रार करता है कि में अल्लाह का बन्दा हु, और ज़ाहिर है बन्दा "पाबन्द" होता है, मगर आज कल अक्सर मुसलमानो के काम आज़ादो वाले है।
     देखिये ! जो किसी का मुलाज़िम होता है वो उस की मर्ज़ी के मुताबिक़ ही काम करता है, यक़ीनन हम अल्लाह के बन्दे है और उसी का रिज़्क़ खा रहे है, मगर अफ़सोस हमारे काम कामिल बन्दों वाले नही,
     उसका हुक्म है नमाज़ पढ़ो, मगर सुस्ती कर जाते है, रमज़ान के रोज़े का हुक्म है, लेकिन हमारी एक तादाद है जो नही रखती। इसी तरह दीगर अहकामाते खुदा वन्दी की बजा आवरी में सख्त कोताहिया है।
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 9*
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*चार बे बुन्याद दावे*
हिस्सा-03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_दूसरा दावा अल्लाह ही रोज़ी देने वाला है_*
     बेशक अल्लाह ही रोज़ी का काफिल है मगर फिर भी हुसूले रिज़्क़ का अंदाज़ा निहायत अज़ीबो गरीब है। अल्लाह को रज़्ज़ाक मानने और रोज़ी देने वाला तस्लीम करने के बा वुजूद न जाने क्यू लोग सूद का लेन देंन करते, सुदी क़र्ज़े ले कर फैक्टरियां चलाते और इमारते बनवाते है ! जब अल्लाह को रोज़ी देने वाला तस्लीम कर लिया तो अब कोनसी बात रिशवत लेने पर मजबूर करती है? क्या वजह है की मिलावट वाला माल फरेब कारी के साथ बेचना पड़ रहा है ? क्यू चोरियों और लूटमार का सिलसिला है ? रोज़ी के ये हराम ज़राएअ आखिर क्यू अपना रखे है ?

*_तीसरा दावा दुन्या से आख़िरत बेहतर है_*
     यक़ीनन दुन्या से आख़िरत बेहतर है ये दावा करने के बावुजूद सद करोड़ अफ़सोस ! अंदाज़ सिर्फ और सिर्फ दुन्या को बेहतर बनाने वाला है, फ़क़त दुन्या की दौलत समेटने ही की मसरूफियत है, बन्दा का तर्ज़ ये बताता है गोया दुन्या से कभी जाना ही नही।

बाक़ी अगली पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*✍🏽मुर्दे की बेबसी, 10*
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*चार बे बुन्याद दावे*
हिस्सा-04
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_चौथा दावा एक दिन मरना पड़ेगा_*
     यक़ीनन हमे एक दिन मरना पड़ेगा ये तस्लीम करने के बा वुजुद अफ़सोस सद करोड़ अफ़सोस ! ज़िन्दगी का अंदाज़ ऐसा है गोया कभी मरना ही नही। देखिये !
     हज़रते हसन बसरी अलैरहमा "हमे एक दिन मरना पड़ेगा" के दावे की अमली तस्वीर थे, इनकी ज़िन्दगी का अंदाज़ ये था कि हर वक़्त इस तरह सहमे रहते थे जैसे इन्हें सज़ाए मौत सूना दी गई हो।
*अहयाउल उलूम 4/231*
     जिसको आज कल ब्लेक वॉरंट कहते है। हाला की इन मानो में हर एक के लिये ब्लेक वॉरंट जारी  हो चूका है कि जो भी पैदा हुवा है उसे मरना ही पड़ेगा, हर जानदार पैदा होने से क़ब्ल ही गोया "हिट लिस्ट" पर आ चूका है, यानी पैदा होने से पहले ही, उसकी रोज़ी और उम्र का तअय्युन हो गया बल्कि इसके दफ़्न होने की जगह भी मुक़र्रर हो चुकी।
     रेहमे मादर में इन्सान का पुतला बनाने के लिये फ़रिश्ता ज़मीन के उस हिस्से से मिट्टी लाता है जहा ये बन्दा उम्र गुज़ारने में बाद मर कर दफ़्न होगा।
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 10*
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*जनाज़े का ऐलान*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
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     सुनो ! बन्दा अपने हिस्से की रोज़ी खा कर, ज़िन्दगी गुज़ार कर लोगो के कंधो पर जनाज़े के पिंजरे में सुवार हो कर जब जानिबे क़ब्रस्तान सिधारता है।
     हुज़ूरﷺ ने इरशाद फ़रमाया : उस जात की क़सम जिसके क़ब्ज़ए क़ुदरत में मेरी जान है अगर लोग उसका (यानी मरने वाले का) ठिकाना देख ले और उसका कलाम सुनले तो मुर्दे को भूल जाए और अपनी जानो पर रोए।
     जब मुर्दे को तख्त पर रख कर उठाया जाता है उसकी रूह फड़फडा कर तख्त पर बैठ कर निदा करती है : ऐ मेरे अहलो इयाल ! दुन्या तुम्हारे साथ इस तरह न खेले जैसा की इसने मेरे साथ खेला, में ने हलाल और गैर हलाल माल जमा किया और फिर वो माल दुसरो के लिये छोड़ आया। उसका नफा उनके लिये है और उसका नुक़सान मेरे लिये, पस जो कुछ मुझ पर गुज़री है उस से डरो। (यानी इब्रत हासिल करो)

      मक़ामे गौर है ! वाक़ई हर जनाज़ा ज़बर दस्त मुबल्लिग है, गोया हमे पुकार पुकार कर कह रहा है की ऐ पीछे रह जाने वालो ! जिस तरह आज में दुन्या से जा रहा हु अनक़रीब तुम्हे भी मेरे पीछे पीछे आना है। यानी जनाज़ा गोया हमारी रहनुमाई कर रहा है।
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 11*
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*मुर्दे से गुफ्त-गू*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     "शरहुस्सुदुर" में है, हज़रते सईद बिन मुसय्यबرضي الله تعالي عنه फरमाते है : एक बार हज़रते अलिय्युल मुर्तज़ा शेरे खुदाكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم के हमराह मदिने के क़ब्रस्तान में गए। हज़रते मौला अलीكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم ने क़ब्र वालो को सलाम किया और फ़रमाया : ऐ क़ब्रवालो ! तुम अपनी खबर बताते हो, या हम बताए ?
     हज़रते सईद बिन मुसय्यबرضي الله تعالي عنه फरमाते है कि हमने क़ब्र से वालेकुम सलाम व-रहमतुल्लाहे व-बरकातुहु की आवाज़ सुनी और कोई कहने वाला कह रहा था : या अमीरुल मुअमिनिन ! आप ही खबर दीजिये की हमारे मरने के बाद क्या हुवा ?
     हज़रते मौला अलीكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم ने फ़रमाया : सुन लो ! तुम्हारे माल तक़सीम हो गए, तुम्हारी बीवियों ने दूसरे निकाह कर लिये, तुम्हारी औलाद यतिमो में शामिल हो गई, जिस मकान को तुम ने बहुत मज़बूत बनाया था उसमे तुम्हारे दुश्मन आबाद हो गए। अब तुम अपना हाल सुनाओ।
     ये सुन कर एक क़ब्र से आवाज़ आने लगी : या अमीरुल मुअमिनिन ! कफ़न तार तार हो गए, बाल झड़ कर मुन्तशिर हो गए, हमारी खाले टुकड़े टुकड़े हो गई, आँखे बह कर रुखसारों पर आ गई और हमारे नथनों से पिप जारी है और हम ने जो कुछ आगे भेजा (यानी जैसे अमल किये) उसी को पाया, जो कुछ छोड़ा उस में नुक़सान उठाया।
*✍🏽शरहुसुदुर 27/395*
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 12*
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*खौफ नाक वादी*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     जहन्नम में गय्य नामी एक खौफनाक वादी है जिस की गर्मी से जहन्नम की दीगर वादीया पनाह मांगती है, ये वादी जानियो, शराबियो, सूदखोरों, झुटे गवाहों, माँ बाप के ना फरमानो और बे नमाज़ियों के लिये है।
*✍🏽रुहुल बयान 5/345*

*_गन्जा अज़्दहा_*
     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : जिसको अल्लाह ने माल अता फ़रमाया और उस ने उस की ज़कात अदा न की तो क़यामत के दिन उसका माल एक गन्जे अज़्दहे की सूरत में बना दिया जाएगा की उस अज़्दहे की दो चित्तिया होगी (जो उसके बहुत ही ज़हरीले होने की निशानी है) और वो अज़्दहा उस के गले का हार बना दिया जाएगा जो अपने जबड़ो से उस को पकड़ेगा और कहेगा : में हु तेरा माल, तेरा खज़ाना।
*✍🏽बुखारी 1/474*
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 17*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*ज़ालिम वालिदैन की भी इताअत*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     माँ बाप की ना फ़रमानी करने वालो को घबरा कर तौबा कर लेनी और वालिदैन से मुआफ़ी मांग कर उन को राज़ी कर लेना चाहिए। वरना कहिके न रहोगे।
     हुज़ूरﷺ का फरमान है : जिसने इस हाल में सुबह की, कि अपने माँ बाप का फरमा बरदार है, उसके लिए सुब्ह ही को जन्नत के दो दरवाज़े खुल जाते है और माँ बाप में से एक ही हो तो एक दरवाज़ा खुलता है
     और जिसने इस हाल में शाम की, कि माँ बाप के बारे में अल्लाह عزوجل  की ना फ़रमानी करता है उसके लिये सुबह ही को जहन्नम के दो दरवाज़े खुल जाते है और और माँ बाप में से एक हो तो एक दरवाज़ा खुलता है।
     एक शख्स ने अर्ज़ की : अगर्चे माँ बाप उस पर ज़ुल्म करे। फ़रमाया : अगर्चे ज़ुल्म करे, अगर्चे ज़ुल्म करे, अगर्चे ज़ुल्म करे।
*✍🏽शोएबुल ईमान 6/206*

     अगर वालिदैन ख़िलाफे शरीअत हुक्म दे तो इस बात में उनकी फरमा बरदारी न की जाए। मसलन हराम रोज़ी कमा कर लाने या दाढ़ी मुंडाने का हुक्म दे तो ये बाते न मानी जाए, गुनाह की बातो में माँ बाप की फरमा बरदारी करने वाला गुनाहगार और जहन्नम का हक़दार होगा।
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 19*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*वादा खिलाफी का वबाल*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     जो लोग बात बात पर वादा कर लेते है मगर बिला उज़्रे शरई पुरन्हि करते उन के लिये मक़ामे गौर है।
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : को किसी मुसलमान से वादा खिलाफी करे उस पर अल्लाह और फरिश्तों और तमाम इंसानो की लानत है और उस का कोई फ़र्ज़ क़बूल न होगा और न ही नफ्ल।
*✍🏽बुखारी 1/616*

*_पेट में सांप_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : मेराज की रात मुझे एक ऐसी क़ौम के पास सेर कराई गई  की उनके पेट कोढ़रियो के मिस्ल थे जिन में सांप भरे थे, जो पेट के बाहर से नज़र आ रहे थे। मेने पूछा ऐ जिब्राईल ! ये कौन लोग है ? उन्हों ने कहा ये सूद खाने वाले है।
*✍🏽इब्ने माजह 3/71*

*_36 बार ज़िना से बुरा_*
     हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : सूद का एक दिरहम जान बुझ कर खाना 36 मर्तबा ज़िना करने से भी ज़्यादा सख्त और बड़ा गुनाह है।
*✍🏽सुनन दाऊद 3/19*
*✍🏽मुर्दे की बेबसी 20*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*जहन्नम का तोशा*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने मसऊदرضي الله تعالي عنه से रिवायत है कि बन्दा जो हराम माल कमाएगा अगर खर्च करेगा तो उस में बरकत न होगी और अगर सदक़ा करेगा तो वो मक़बूल नही होगा और अगर उसको पीठ के पीछे छोड़ कर मर जाएगा तो वो उस के लिये जहन्नम का तोशा बन जाएगा।
*✍🏽मसनद इमाम अहमद 2/34*

*_सुन्नत की बहारे_*
     मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! होश में आइये ! गफलत से बेदार हो जाइए ! झटपट गुनाहो से तौबा कर लीजिये, फिरंगी तहज़ीब से पीछा छुडाइये, मुस्तफा की सुन्नते अपनाइए, अपनी इस्लाह के साथ साथ दुसरो की इस्लाह का भी ज़ेहन बनाइये, नेकी की दावत की खातिर मर मिटने का जज़्बा पैदा कीजये, जान व माल और वक़्त सब कुछ सुन्नत के लिये क़ुरबान करने माँ ज़ौक़ बढाइये और नियत फरमाइये कि
*मुझे अपनी और सारी दुन्या के लोगो की इस्लाह की कोशिश करनी है, انشاء اللّه عزوجل*

*✍🏽मुर्दे की बेबसी 21*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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