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अश्को की बरसात



🎋इमामे आज़म अबू हनीफा🎋
♻part~01

☝🏽चारो इमाम बरहक़ है☝🏽

👉🏽स्य्यिदुन इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله تعالي عنه का नाम नामी नोमान, वालीदे गिरामी का नाम साबित और कून्यत अबू हनीफा है.
आप सि.70 हि. में इराक़ के मशहूर शहर कूफ़े में पैदा हुए और 80 साल की उम्र में 2 शाबानुल मुअज़्ज़्म सि. 150 हि. में वफ़ात पाई.
📕नुजहतुल कारी, जी. 1, स. 169, 219
👉🏽आज भी बगदाद शरीफ में आप का मज़ारे फैजुल अन्वार मरजए खलाइक़ है.

👉🏽अइम्मए अरबआ यानि चारो इमाम (इमामे अबू हनीफा, इमामे शाफ़ेई, इमामे मालिक और इमामे अहमद बिन हम्बल) बरहक़ है और उन चारो के खुश अक़ीदा मुक़ल्लिदिन आपस में भाई भाई है, इन में आपस में तअस्सुब (यानि हठधर्मी) की कोई वजह नहीं.
इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله تعالي عنه चारो इमामो में बुलंद मर्तबा है, इस की एक वजह ये भी है कि इन चोरो में सिर्फ आप ताबेई है.

👉🏽इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه ने मुख़्तलिफ़ रिवायत के तहत चन्द सहाबाए किराम से मुलाक़ात का सर्फ हासिल किया है और बाज़ सहाबा से रास्ते सरवरे काएनात के इर्शादात भी सुने है.

👉🏽चुनान्चे हज़रते वासिला बिन अस्कअ رضي الله تعالي عنه से सुन कर इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله تعالي عنه ने ये रिवायत बयान फ़रमाई है कि अल्लाह के प्यारे हबीब ﷺ का फरमाने इबरत निशान है :
👉🏽अपने भाई की शुमातत न कर (यानि उस की मुसीबत पर इजहारे मुसर्रत न कर) कि अल्लाह उस पर रहम करेगा और तुझे उस में मुब्तला कर देगा.
📙सुनने तिर्मिज़ी, जी.4 स. 227 हदिष : 2514

📨continue...

🖊हवाला
📚अश्को की बरात, स.2-3
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🌻इमामे आज़म अबू हनीफा🌻
♻part~02

✔हनफिय्यो के लिये मग्फिरत की बिशारत✔

🌻इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه ने अपनी ज़िन्दगी में 55 हज किये. जब आखिरी बार हज की सआदत हासिल की तो खुद्दामे काबए मुशरर्फा ने आप की ख्वाहिश पर बाबुल काबा खोल दिया, आप बसद इज्ज़ो नियाज़ अंदर दाखिल हुए और बैतुल्लाह के दो सुतुनो के दरमियान खड़े हो कर दो रकअत में पूरा क़ुरआने पाक खत्म किया, फिर देर तक रो रो कर मुनाजात करते रहे,

👉🏽आप मशगूल दुआ थे कि बैतुल्लाह के एक गोशे से आवाज़ आई : तुम ने अच्छी तरह हमारी मारिफ़त (पहचान) हासिल की और ख़ुलूस के साथ खिदमत की, हम ने तुम को बख्शा और क़यामत तक जो तुम्हारे मज़हब पर होगा (यानि तुम्हारी तक़लीद करेगा) उस को भी बख्श दिया
📕दुर्रे मुख्तार, जी.1 स. 126,127

☝🏽अल्हम्दु लिल्लाह हम किस क़दर खुश नसीब है कि हज़रते इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله تعالي عنه का दामने करम हमारे हाथो में आया.

🖊हवाला
📚अश्को की बरसात, स. 4
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🎋इमामे आज़म अबू हनीफा🎋
♻part~03

🌴रौज़ए शाहे अनाम से जवाबे सलाम🌴

👉🏽हमारे ईमामें आज़म رضي الله تعالي عنه पर शहनशाहे उमम का बेहद लुत्फ़ो करम था.
👉🏽मदिनए मुनव्वरह में जब आप ने सरकार नामदार ﷺ के रौज़ए पुर अन्वार पर इस तरह सलाम अर्ज़ किया :
👉🏽अस्सलामु अलाइक या सय्यिदल मुरसलीन
👉🏽तो रौज़ए अनवर ﷺ से जवाब की आवाज़ आई :
👉🏽वालेकुम सलाम या इमामूल मुस्लिमीन

🖊हवाला
📒तज़्किरतुल औलिया, स. 186
📚अश्को की बरसात, स. 4-5
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🎋इमामे आज़म अबू हनीफा🎋
♻part~04

🌴ताजदारे रिसालत की बिशारत🌴

👉🏽इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله تعالي عنه ने जब तहसीले इल्म से फरागत हासिल कर ली तो गोशा नशीन की निय्यत फ़रमाई.

👉🏽एक रात जनाबे रिसालत ﷺ की ख्वाब में ज़ियारत हुई. मीठे मीठे मुस्तफा ﷺ ने इरशाद फ़रमाया :
👉🏽ऐ अबू हनीफा ! अल्लाह ने आप को मेरी सुन्नत ज़िंदा करने के लिए पैदा फ़रमाया है, आप गोशा नशीनी का हरगिज़ क़स्द (इरादा) न करे.

📨continue...

🖊हवाला
📒तज़्किरतुल औलिया, स. 186
📚अश्को की बरसात, स. 5
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♻part~04

🌴ताजदारे रिसालत की बिशारत🌴

👉🏽इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله تعالي عنه ने जब तहसीले इल्म से फरागत हासिल कर ली तो गोशा नशीन की निय्यत फ़रमाई.

👉🏽एक रात जनाबे रिसालत ﷺ की ख्वाब में ज़ियारत हुई. मीठे मीठे मुस्तफा ﷺ ने इरशाद फ़रमाया :
👉🏽ऐ अबू हनीफा ! अल्लाह ने आप को मेरी सुन्नत ज़िंदा करने के लिए पैदा फ़रमाया है, आप गोशा नशीनी का हरगिज़ क़स्द (इरादा) न करे.

📨continue...

🖊हवाला
📒तज़्किरतुल औलिया, स. 186
📚अश्को की बरसात, स. 5
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♻Part~05

🌅दिन रात के मामुलात🌃

👉🏽हज़रते मिसअर बिन किदाम अलैरहमा फरमाते है :
में इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله تعالي عنه की मस्जिद में हाज़िर हुवा, देखा कि नमाज़े फ़ज्र अदा करने के बाद आप लोगो को सारा दिन इल्मे दिन पढ़ाते रहते, इस दौरान सिर्फ नमाज़ों के वक्फे हुए।
👉🏽बाद नमाज़े ईशा आप अपने मकान आलिशान पर तशरीफ़ ले गए। थोड़ी ही देर के बाद सादा लिबास में मलबूस खूब इत्र लगा कर फ़ज़ाए महकाते, अपना नूरानी चेहरा चमकाते हुए फिर मस्जिद के कोने में नवाफ़िल में मशगूल हो गए यहाँ तक कि सुब्हे सादिक़ हो गई, अब अपने मकान पर तशरीफ़ ले गए और लिबास तब्दील कर के वापस आए और नमाज़े फ़ज्र बा जमाअत अदा करने के बाद गुज़श्ता कल की तरह ईशा तक सिलसिलए दरसो तदरिस जारी रहा।
👉🏽मेने सोचा आप बहुत थक गए होंगे, आज रात तो ज़रूर आराम फरमाएंगे, मगर दूसरी रात भी वोही मामूल रहा। फिर तीसरा दिन और रात भी इसी तरह गुज़रा।
में बेहद मुतअस्सिर हुवा और मेने फैसला कर लिया कि उम्र भर इन की खिदमत में रहूंगा। चुनान्चे में उनकी मस्जिद में मुस्तकिल क़याम इख़्तियार कर लिया। मेने अपनी मुद्दते क़याम में इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه को दिन में कभी बे रोज़ा और रात को कभी इबादत व नवाफ़िल से गाफिल नहीं देखा। अलबत्ता ज़ोहर से क़ब्ल आप थोडा सा आराम फ़रमा लिया करते थे।

👉🏽हज़रते इब्ने अबी मुआज़ रहमतुल्लाह अलैह की रिवायत है, मिसअर बिन किदाम अलैरहमा बेहद खुश नसीब थे की वफ़ात इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه की मस्जिद में सज्दे की हालत में हुई।

📨Continue...

🖊हवाला
📚अश्को की बरसात, सफा 6-7
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♻Part~06

✔30 साल मुसलसल रोज़े✔

👉🏽"अल खैरातुल हिसान" में है, आप ने मुसलसल 30 साल रोज़े रखे, 30 साल तक एक रकअत में क़ुरआने पाक खत्म करते रहे, 40 या 45 साल तक ईशा के वुज़ू से फ़ज्र की नमाज़ अदा की,
जिस मक़ाम पर आप की वफ़ात हुई उस मक़ाम पर आप ने सात हज़ार बार क़ुरआने पाक खत्म किये।

👉🏽हज़रते अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहमतुल्लाह अलैह के सामने इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه पर किसी ने एतिराज़ किया तो आप ने फ़रमाया :
👉🏽क्या तुम ऐसे शख्स पर एतिराज़ करते हो जिस ने 45 साल तक पाचो नमाज़े एक ही वुज़ू से अदा की और वो एक रकअत में पूरा कुरआन खत्म कर लेते थे और मेरे पास जो कुछ फिक़्ह है वो उन्ही से सीखा है।

👉🏽रिवायत में है : शुरू में आप सारी रात इबादत नहीं करते थे। आप ने एक बार किसी को ये कहते हुए सुन लिया कि "अबू हनीफा رضي الله تعالي عنه सारी रात सोते नहीं है" चुनान्चे उस के हुस्ने ज़न की लाज रखते हुए आप ने तमाम रात इबादत शुरू करदी।

🖊हवाला
📒अल खैरातुल हिसान, स.50
📚अश्को की बरसात, स. 7
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♻Part~07

✔माहे रमज़ान में 62 खत्मे कुरआन

👉🏽इमाम अबू युसूफ रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है :
👉🏽इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه रमज़ानुल मुबारक में मअ ईदुल फ़ित्र 62 क़ुरआने पाक खत्म करते,
👉🏽(दिन को एक, रात को एक, तरावीह के अंदर सारे माह में एक और ईद के रोज़ एक)

👉🏽और माल में सखावत करने वाले थे,

👉🏽इल्म सिखाने में साबिर थे,
अपने हक़ में किये जाने वाले एतिराजात को सुनते थे,
गुस्से से कोसो दूर थे।

🖊हवाला
📒अल खैरातुल हिसान, स.50
📚अश्को की बरसात, स.8
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♻Part~08

❗कभी नंगे सर न देखा❗

👉🏽"तज़किरतुल औलिया" में है, दाऊद ताई रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है :
👉🏽में इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه की खिदमत में 20 साल हाज़िर रहा। खल्वत हो या जल्वत (लोगो के दरमियान हो या अकेले) कभी आप को नंगे सर नहीं देखा, न कभी पाउ फेलाए देखा।

👉🏽एक बार अर्ज़ की : हुज़ूर ! तन्हाई में तो पाउ फेला लिया करे।
फ़रमाया : मजमा में तो लोगो का एहतिराम करू और तन्हाई में अल्लाह का एहतिराम न करू, ये मुझसे नहीं हो सकता।

🖊हवाला
📒तज़किरतुल औलिया, स.188
📚अश्को की बरसात, स.9
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♻Part~09

🌹उस्ताद के मकान की तरफ पाउ न फेलाते🌹

👉🏽"अल खैरातुल हिसान" में है
आप رضي الله تعالي عنه ज़िन्दगी भर अपने उस्ताज़े मोहतरम इमाम हम्माद अलैरहमा के मकाने अज़मत निशान की तरफ पाउ फेला कर नहीं लेटे हाला कि आप के मकाने आलिशान और उस्ताज़े मोहतरम के मकाने अज़ीमुश्शान के दरमियान तक़रीबन 7 गालिया पड़ती थी।

🖊हवाला
📒अल खैरातुल हिसान, स.82
📚अश्को की बरसात, स.9
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♻Part~10

🌹दिवार की कीचड़🌹

👉🏽हज़रते इमाम फखरुद्दीन राज़ी अलैरहमा फरमाते है :
👉🏽इमामे आज़म अपने एक मक़रुज़ मजूसी के यहाँ कर्ज़ा वुसुल करने के लिये तशरीफ़ ले गए। इत्तिफ़ाक़ से उसके मकान के क़रीब आप की जूती मुबारक में कीचड़ लग गई, कीचड़ छुड़ाने के लिये जूती को झाड़ा तो कुछ कीचड़ उड़ कर मजूसी की दिवार से लग गई, परेशान हो गए कि अब क्या करू ! कीचड़ साफ़ करता हु तो दिवार की मिटटी भी उखड़ेगी और साफ़ नहीं करता तो दिवार खराब हो रही है।

👉🏽इसी शशो पंज में दरवाजे पर दस्तक दी, मजूसी ने बाहर निकल कर जब इमामे आज़म को देखा तो उस ने क़र्ज़ की अदाएगी के सिलसिले में टालम टोल शुरू कर दी। आप ने क़र्ज़ का मुतालबा करने के बजाए दिवार पर कीचड़ लग जाने की बात बता कर निहायत ही आजिज़ी के साथ मुआफ़ी मांगते हुए इरशाद फरमाया : मुझे ये बताइये कि आप की दिवार किस तरह साफ़ करू ?

👉🏽इमामे आज़म की हुकुकुल इबाद के मुआमले में बे क़रारी और खौफे खुदा वन्दी देख कर मजूसी बेहफ मूतअस्सिर हुवा और कुछ इस तरह बोला : ऐ मुसलमानो के इमाम ! दिवार की कीचड़ तो बाद में साफ होती रहेगी, पहले मेरे दिल की कीचड़ साफ़ करके मुझे मुसलमान बना दीजिये। चुनान्चे वो मजूसी इमामे आज़म का तक़वा देख कर हल्क़ा बगोशे इस्लाम हो गया।

🖊हवाला
📕तफ़सीरे कबीर, जी.1 स.204
📚अश्को की बरसात, स.14-15
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♻पार्ट~11

☝🏽क़यामत का खौफ दिलाने पर बेहोश हो गए

👉🏽मिसअर बिन किदाम अलैरहमा से रिवायत है : एक रोज़ हम इमामे आज़म के साथ कहिसे गुजर रहे थे कि बे खयाली में इमामे आज़म का मुबारक पाउ एक लड़के के पैर पर पद गया, लड़के की चीख निकल गई और उस के मुह से बे साख्ता निकला :
👉🏽जनाब ! क्या आप क़यामत के रोज़ लिये जाने वाले इन्तिक़ामे खुदा वन्दी से नहीं डरते ?
ये सुनते ही इमामे आज़म पर लरज़ा तारी हो गया और गश खा कर ज़मीन पर तशरीफ़ लाए,

👉🏽जब कुछ देर बाद होश में आए तो मेने अर्ज़ की, कि एक लड़के की बात से आप इस क़दर क्यू घबरा गए ?
👉🏽फ़रमाया : क्या मालूम उस की आवाज़ गैबी हिदायत हो।

🖊हवाला
📙अलमनाकिब लिलमुवफक, जी.2 स.148
📚अश्को की बरसात, स.17
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♻हिस्सा~12

❗फ़ुज़ूल बातो से नफ़रत❗

👉🏽एक बार खलीफा हारुंरशिद ने इमाम अबू युसूफ से अर्ज़ की :
हज़रते इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله تعالي عنه के खुबिया बयान कीजिये।

👉🏽फरमाया : इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه निहायत परहेज़गार थे, ममनुआते शरई से बचते थे, अहले दुन्या से परहेज़ फरमाते, फ़ुज़ूल बातो से नफरत करते, अक्सर खामोश रह कर (दिन और आख़ेरत के बारे में)सोचते रहते, जब कोई मसअला पूछता तो मालुम होने पर जवाब दे देते वरना खामोश रहते, हर तरह से अपने दिन व ईमान की हिफाज़त फरमाते, हर एक मुसलमान का ज़िक्र भलाई के साथ हि करते (यानि किसी की एबचिनि और गीबत न फरमाते),

👉🏽खलीफा हारुंनरशिद ने ये सुन कर कहा :सालिहिं के अख़लाक़ ऐसे ही होते है।

🖊हवाला
📒अल खैरातुल हिसान, स.82
📚अश्को के बरसात, स.18
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♻हिस्सा~13

❗इमामे आज़म गुफ्तगू में पहल करने से बचते❗

👉🏽हज़रते फ़ज़ल बिन दुकैन रहमतुल्लाह अलैह कहते है :
इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه निहायत बा रॉब थे (बात शुरू करने में पहल न फरमाते बल्कि) जब भी गुफ्तगू फरमाते तो किसी के जवाब ही के लिये फरमाते और बेकार बाते सुनते ही न थे नीज़ ऐसी बातो पर तवज्जोह न फरमाते।

🖊हवाला
📒अलखैरातुल हिसान, स.55
📚अश्को की बरसात, 20
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♻हिस्सा~14

✔दुश्मनो के लिये दुआ

👉🏽हमारे इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه के साथ कोई कितनी ही बुराई करता, आप उस की खैर ख्वाही ही फरमाते।

👉🏽चुनान्चे एक बार किसी हासिद ने इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه को सख्त बुरा भला कहा, गन्दी गालिया भी दी और गुमराह बल्कि मआजअल्लाह बे दिन तक कह दिया।
👉🏽इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه ने जवाब में इरशाद फरमाया : अल्लाह आप को मुआफ़ फरमाए, अल्लाह जानता है कि आप जो कुछ मेरे बारे में कह रहे है में ऐसा नहीं हु।
इतना फरमाने के बाद आप का दिल भर आया और आँखों से आसु जारी हो गए और फरमाने लगे :
👉🏽में अल्लाह से उम्मीद करता हु कि वो मुझे मुआफ़ी अता फरमाएगा, आह! मुझे अज़ाब का खौफ रुलाता है। अज़ाब का तसव्वुर आते ही गिर्या बढ़ गया और रोते रोते बेहोश हो कर ज़मीन पर तशरीफ़ ले आए।

👉🏽जब होश आया तो दुआ मांगी : या अल्लाह ! जिस ने मेरी बुराई बयान की उस को मुआफ़ फ़रमा दे।

👉🏽वो शख्स आप के ये अखलाके करीमा देख कर बहुत मूतअस्सिर हुवा और मुआफ़ी मांगने लगा, फ़रमाया : जिस ने ला इल्मी के सबब मेरे बारे में कुछ कहा उस को मुआफ़ है, हा जो अहले इल्म होने के बा वुजूद जान बुझ कर मेरी तरफ गलत ऐब मनसूब करता है क़ो कुसूर वार है। क्यू कि उलमा की गीबत करना उन के बाद भी बाक़ी रहता है।

🖊हवाला
📔अल खैरातुल हिसान, स.55
📚अश्को की बरसात, स.22
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🌀हिस्सा~15

👋🏽तमाचा मारने वाले को अनोखा इनआम🎁

👉🏽अपने मुखालिफ पर इमामे आज़मرضي الله تعالي عنه के फ़ज़लो करम का एक और अछूता वाक़ीआ सुनीये और झुमिये और अपने जाती दुश्मनो पर लाख गुस्सा आए दर गुज़र की आदत डाल कर अमली तौर पर इमामे आज़म رضي الله تعالي عنهकी महब्बत का सुबूत फरामह कीजिये।

👉🏽चुनान्चे एक बार किसी हासिद ने करोड़ो मुसलमानो के बेताज बादशाह और इमाम व पेशवा इमामे आज़म को मआजअल्लाह ज़ोरदार तमाचा रसीद कर दिया, इस पर सब्रो तहम्मुल के पैकर इमामे आज़म رضي الله تعالي عنهने इंतिहाई आजिज़ी के साथ फरमाया :
👉🏽"भाईजान ! में भी आप को तमाचा मार सकता हु मगर नहीं मारूँगा, अदालत में आप के खिलाफ दावा दिईर कर सकता हु मगर नहीं करूँगा, अल्लाह की बारगाह में आप के ज़ुल्म की फरियाद कर सकता हु लेकिन नहीं करता और बरोज़े क़यामत इस जुल्म का बदला हासिल कर सकता हु मगर ये भी नहीं करूँगा, अगर बरोज़े क़यामत अल्लाह ने मुझ पर खुसूसी करम फ़रमाया और मेरी सिफारिश आप के हक़ में कबूल कर ली तो में आप के बगैर जन्नत में क़दम न रखूँगा।

🖊हवाला
📚अश्को की बरसात, स.23
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💐मुज़े अपनी और सारी दुनिया के लोगो की इस्लाह की कोशिश करनी है. إن شاء الله  عزوجل
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🎋इमामे आज़म अबू हनीफा🎋
♻हिस्सा~16

✔मुआफ़ करने वाले बरोज़े क़यामत बे हिसाब दाखिले जन्नत होंगे

👉🏽वाक़ई हमारे इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه सब्र के पहाड़ थे और वो अब्र के फ़ज़ाइल से आगाह थे। काश ! हम भी अपने ऊपर जुल्म करने वालो पर गुस्से से बे क़ाबू हो कर लड़ाई भिड़ाई पर उतर आने के बजाए उन को मुआफ़ करके षवाब का खज़ाना लूटना सिख ले।

🌴दो फरमाने मुस्तफा ﷺ
👉🏽जिसे ये पसंद हो कि उस के लिये जन्नत में महल बनाया जाए और उस के दरजात बुलंद किये जाए, उसे चाहिये कि जो इस पर ज़ुल्म करे ये उसे मुआफ़ करे और जो इसे महरूम करे ये उसे अता करे और जो इस से कतए तअल्लुक़ करे ये उस से नाता जोड़े।
📘अलमुस्तदरक लिलहाकिम, जी.3 स.12 हदिष:3215

👉🏽क़यामत के रोज़ एलान किया जाएगा : जिस का अज्र अल्लाह के जिम्मए करम पर है, वो उठे और जन्नत में दाखिल हो जाए। पूछा जाएगा : किस के लिये अज्र है ? वो एलान करने वाला कहेगा : उन लोगो के लिये जो मुआफ़ करने वाले है।
📕अल्मुअज्जमु वुसत, जी.1 स.542 हदिष:1998

🖊हवाला
📚अश्को की बरसात, 24
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♻हिस्सा~17

✔अहले ज़माना में सब से ज़ाइद अक़्ल मन्द

👉🏽इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه के पास इल्मे दीन का ज़बर दस्त ज़खीरा था और आप बहुत ज़्यादा अक़्ल मन्द थे।
हज़रते इमामे शाफ़ेई फरमाते है : इमामे आज़म अबू हनीफा से ज़ाइद अक़्ल मन्द किसी औरत ने नहीं जना।

👉🏽बक्र बिन जैश फरमाते है : अगर इमामे आज़म अबू हनीफा رضي الله تعالي عنه और इन के अहले ज़माना की अक़्लो को जमा किया जाए, तो इमामे आज़म अबू हनीफा की अक़्ल सब पर ग़ालिब आ जाए।

🖊हवाला
📒अल खैरातुल हिसान, स.62
📚अश्को की बरसात, स.24
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♻हिस्सा~18

🌹जान दे दी मगर हुकुमती ओहदा क़बूल न किया

👉🏽अब्बासी खलीफा मन्सूर ने इमामे आज़म رضي الله تعالي عنه से अर्ज़ की, कि आप मेरी मम्लकत के चीफ जज बन जाइये।
👉🏽फ़रमाया : में इस ओहदे के क़ाबिल नहीं।
👉🏽मन्सूर बोला :आप झूट कहते है।
👉🏽फ़रमाया :अगर में झूट बोलता हु तो आप ने खुद ही फैसला कर दिया ! झुटा शख्स क़ाज़ी बनने के लाइक ही नहीं होता।

👉🏽खलीफा मन्सूर ने इस बात को अपनी तौहीन तसव्वुर करते हुए आप को जेल भिजवा दिया। रोज़ाना आप के सरे मुबारक पर 10 कोड़े मारे जाते जिस से खून सरे अक़दस से बह कर टखनों तक आ जाता, इस तरह मजबूर किया जाता रहा कि क़ाज़ी बनने के लिये हामी भर ले, मगर आप हुकुमती ओहदा क़बूल करने के लिये राज़ी न हुए।

👉🏽इसी तरह आप को 110 कोड़े मारे गए। लोगो की हमदर्दिया इमामे आज़म के साथ थी। बिल आखिर धोके से ज़हर का प्याला पेश किया गया, मगर आप मोमिनाना फिरासत से ज़हर को पहचान गए और पिने से इनकार कर दिया, इस पर आप को लिटा कर ज़बर दस्ती हल्क में ज़हर उंडेल दिया गया,
👉🏽ज़हर ने जब अपना असर दिखाना शुरू  किया तो आप बारगाहे खुदा वन्दी में सज्दा रेज़ हो गए और सज्दे ही की हालत में 2 शबानुल मुअज़्ज़्म सी.150 ही. में आप ने जामे शहादत नोश किया।
👉🏽उस वक़्त आप की उम्र शरीफ 80 बरस थी।

✔मुकम्मल

🖊हवाला
📔अल खैरातुल हिसान, स.88,92
📚अश्को की बरसात, स.27
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