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Wednesday 28 February 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #67

*तज़किरतुल अम्बिया* #67
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*इदरीस عليه السلام का आसमानों पर उठाया जाना* #02
     हज़रत कअब अहबार वगैरा से मरवी है कि हज़रत इदरीस عليه السلام ने मलकुल मौत जिब्राइल عليه السلام से फ़रमाया कि में मौत का मज़ा चखना चाहता हूँ केसा होता है? तुम मेरी रूह क़ब्ज़ कर के दिखाओ उन्होंने आप के हुक्म की तामील की, रूह क़ब्ज़ करके फिर उसी वक़्त लौटा दी आप ज़िन्दा हो गये।
     फिर आप ने फ़रमाया मुझे जहन्नम दिखा दो ताकि खौफे इलाही ज़्यादा हो आप के इर्शाद की तामील करते हुए आप को जहन्नम के दरवाज़े पर ले जाया गया। आपने मालिक नामी फ़रिश्ता जो जहन्नम का दरोगा है, उससे फ़रमाया खोलो में इससे गुज़रना चाहता हूँ चुनान्चे ऐसा ही किया गया और आप उस पर से गुज़रे। फिर आप ने मलकुल मौत से फ़रमाया मुझे जन्नत दिखाओ वह आपके हुक्म के मुताबिक़ आपको जन्नत के पास ले गये आप ने जन्नत के दरवाज़े खोलने को इर्शाद फ़रमाया तो आपके लिये जन्नत के दरवाज़े खोल दिये गये आप जन्नत में तशरीफ़ ले गये।
     मलकुल मौत ने कुछ देर इंतज़ार करने के बाद फ़रमाया, कि अब आप चले ज़मीन में अपने मक़ाम पर तशरीफ़ ले चले आप ने फ़रमाया कि में तो यहाँ से कहीं नहीं जाऊंगा क्योंकि अल्लाह ने फ़रमाया: कुल्लू नफसीन ज़ाइक़तुल मौत, हर नफ़्स को मौत का मज़ा चखना है।
     में मौत का ज़ायक़ा चख चूका हूँ फिर अल्लाह ने जन्नत में दाखिल होने की यह शर्त लगाई है कि हर शख्स को जहन्नम पर गुज़रना है में जहन्नम से भी गुज़र कर आ चूका हूँ। अब में जन्नत में दाखिल हो चूका हूँ, जो लोग जन्नत में दाखिल हो जाते है उन्हें वहां से निकाला नहीं जा सकता क्योंकि अल्लाह का अपना इरशादे गिरामी है जन्नत वालों को जन्नत से नहीं निकाला जायेगा। अल्लाह के अपने इर्शादात के मुताबिक़ मुझे यहीं रहना है यहाँ से मुझे नहीं निकाला जा सकता।
     हज़रत इदरीस عليه السلام के इस कलाम के बाद अल्लाह ने मलकुल मौत को फ़रमाया: ऐ इज़राइल मेरे बन्दे इदरीस ने सब काम मेरी मर्ज़ी से किया इन्हें यहाँ रहने दो। आप عليه السلام अभी तक आसमानों में ज़िन्दा है।
     *तंबीह* : हज़रत इदरीस عليه السلام के दलायल में क़ुरआन के अलफ़ाज़ मुबारका ज़िक्र है जो उस वक़्त नाज़िल अगर्चे नहीं हुआ था लेकिन अल्लाह का कलाम क़दीम है लौहे महफूज़ पर उस वक़्त भी तहरीर था, नबी चुकीं ग़ैब का इल्म अल्लाह की अता से रखते है इसीलिये हज़रत इदरीस عليه السلام की नज़र लौहे महफूज़ पर थी लिहाज़ा क़ुरआन से आप का इस्तिदलाल दुरुस्त है।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 64
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*एक हज़ार दीन की नेकियां*

*एक हज़ार दीन की नेकियां*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     फरमाने मुस्तफा ﷺ: इसको पढ़ने वाले के लिये सत्तर फ़रिश्ते एक हज़ार दीन तक नेकियां लिखते है।
جٙزٙى اللّٰهُ عٙنّٙا مُحٙمّٙدًا مٙاهُوٙاٙهْلُهُ
*✍🏽مجمع الزوائد*

*हर रात इबादत में गुज़ारने का आसान नुस्खा*
     गराइबुल क़ुरआन पर एक तिवायत नक़्ल की गई है कि जो शख्स रात में इसे 3 मर्तबा पढ़ लेगा तो गोया उसने शबे क़द्र पा लिया।
لٙآاِلٰهٙ اِلّٙااللّٰهُ الْحٙلِيْمُ الْكٙرِيْمٙ، سُبٙحٰنٙ اللّٰهِ رٙبِّ السّٙمٰوٰتِ السّٙبْعِ وٙرٙبِّ الْعٙرْشِ الْعٙظِيْم
*तर्जमा* : खुदाए हलीम व करीम के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं। अल्लाह पाक है जो सातों आसमानों और अर्शे अज़ीम का परवर दगार है।
*✍🏽फ़ैज़ाने सुन्नत*
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गर होजाए यक़ीन के.....
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दिल की दुन्या बदल गई​ #01

दिल की दुन्या बदल गई​ #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हज़रते हसन बिन हज़र رحمة الله عليه फ़रमाते है: मुझे बगदाद में एक शख्स ने बताया कि हज़रते अबू हाशिम رحمة الله عليه ने बयान फ़रमाया: एक मर्तबा में ने बसरा जाने का इरादा किया। चुनान्चे, में साहिल पर आया ताकि किसी कश्ती में सुवार हो कर जानिबे मन्ज़िल रवाना हो जाऊं, जब वहाँ पंहुचा तो देखा की एक कश्ती मौजूद है और उसमे एक कनीज़ और उसका मालिक सुवार है। मेने भी कश्ती में सुवार होना चाहा तो कनीज़ के मालिक ने कहा: इस कश्ती में हमारे सिवा किसी और के लिये जगह नहीं, हम ने ये सारी कश्ती किराये पर ले ली है, लिहाज़ा तुम किसी और कश्ती में बैठ जाओ। कनीज़ ने जब ये बात सुनी तो उसने अपने आक़ा से कहा: इस मिस्कीन को बिठा लीजिये।
     चुनान्चे उस ने मुझे बैठने की इजाज़त देदी और कश्ती झूमती झूमती बसरा की जानिब चलने लगी, मौसम बड़ा खुश गवार था। में उन दोनों से अलग एक कोने में बैठा हुवा था। वो दोनों खुश गप्पियों में मश्गुल खुश गवार मौसम से खूब लुत्फ़ अन्दोज़ हो रहे थे।
     फिर उस शख्स ने खाना मंगवाया और दस्तरख्वान बिछा दिया गया। जब वो दोनों खाने के लिए बैठे तो उन्होंने मुझे आवाज़ दी: ऐ मिस्कीन! तुम भी आ जाओ और हमारे साथ खाना खाओ। मुझे बहुत ज़्यादा भूख लगी थी और मेरे पास खाने को कुछ न था चुनांचे, में उनकी दावत पर उनसे साथ खाने लगा। जब हम खा चुके तो उस शख्स ने अपनी कनीज़ से कहा: अब हमे शराब पिलाओ। कनीज़ ने फौरन शराब पेश कि और वो शराब पिने लगा, फिर उसने हुक्म दिया कि इस शख्स को भी शराब पिलाओ।
     मेने कहा अल्लाह तुझ पर रहम करे, में तुम्हारा मेहमान हूँ और तुम्हारे साथ खाना खा चुका हूँ, अब में शराब हरगिज़ न पिऊंगा। उसने कहा ठीक है जेसी तुम्हारी मर्ज़ी।
     जब वो शराब के नशे में मस्त हो गया तो कनीज़ से कहा: सारंगी लाओ और हमे गाना सुनाओ। कनीज़ सारंगी ले आई और गाना गाने लगी, उसका मालिक गाने सुनता रहा और झूमता रहा।

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​अच्छे माहोल की बरकतें​ 3
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*वाकिआए में'राज* #07

*वाकिआए में'राज* #07
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*अम्बियाए किराम عليه السلام के ख़ुत्बे* #01
     बैतूल मुक़द्दस की इन नूरानी और रहमत भरी फ़ज़ाओं में बाज़ अम्बियाए किराम ने ख़ुत्बे भी फरमाए जिस में अल्लाह की हम्द और अपने ऊपर उस की बे पायां रहमतों और नेमतों का तज़किरा फ़रमाया।
     सबसे पहले हज़रते इब्राहिम عليه السلام ने कहा: तमाम तारीफ अल्लाह के लिये जिस ने मुझे खलील बनाया, मुझे अज़ीम बादशाहत अता फ़रमाई, मुझे इमाम और अपना फरमा बरदार बनाया, मेरी इक़्तिदा व पैरवी की जाती है, मुझे आग से नजात अता फ़रमाई और इसे मुझ पर ठंडी और सलामती वाली कर दिया।

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*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 22
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नमाज़ का तरीक़ा* #57

*नमाज़ का तरीक़ा* #57
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*नमाज़ तोड़नेवाली बाते* #08

*_दौराने नमाज़ किब्ले से इन्हीराफ_*
     ★ बिला उज़्र सीने को सम्ते काबा से 45 दर्जा यानी इस से ज़्यादा फेरना मुफ़्सीदे नमाज़ है, अगर उज़्र से हो तो मुफ्सिद् नहीं।

     ★ मसलन हदस (वुज़ू टूट जाने) का गुमान हुवा और मुह फेरा ही था की गुमान की गलती ज़ाहिर हुई तो अगर मस्जिद से खारिज न हुवा हो नमाज़ फासिद् न होगी।
*✍🏼दुर्रेमुख्तार मअ रद्दलमोहतार, जी.2 स. 468*

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स. 188*
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ताज़िमे इरशादे रसूलﷺ      

ताज़िमे इरशादे रसूलﷺ        
#28
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

       1) हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदिअल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने एक शख्स के हाथ मे सोने की अंगूठी देखी। आप ﷺ ने उस को निकाल कर फेंक दिया और फ़रमाया: क्या तुम में से कोई चाहता है कि आग का अंगारा अपने हाथ में डाले।
      रसूलुल्लाह ﷺ के तशरीफ ले जाने के बाद किसी ने उस शख्स से कहा: तू अपनी अंगूठी उठा और बेच कर उस से फाएदा उठा, उस ने जवाब दिया: नहीं, अल्लाह की कसम मैं उसे कभी नहीं लूंगा, जब रसूले खुदा ﷺ ने उसे फेंक दिया है तो मैं उसे कैसे ले सकता हूं??   
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*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 60
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आज का चाँद* -​ 11

*आज का चाँद* -​ 11
*​माह 6* -​ जमादीउल आखिर
*​हिजरी* -​ 1439

*विसाल*
हज़रत अब्दुलाह बिन उमर
सैयद आफताब अशरफ (यु.पी.)

*उर्स*
हज़रत गैबनशाह पीर (वांकानेर)
हज़रत बालापीर शहीद (मोडासा)
सूफी सैयद नवाबअली (दाहोद)
हज़रत बादशाह बावा (हलोल)
हज़रत आले मुस्तफा (मारेहरा)
मखदूम हज़रत अब्दुलहक़ (रुदौली)
सैयद नज़रअली ईमानअली क़ादरी (जामनगर)

*नॉट :*
3 बार कुल्हुवल्लाह, एक बार सूरए फातिहा आगे पीछे दुरुद शरीफ पढ़ के हुज़ूर ﷺ की व इन बुज़ुर्गाने दिन की बारगाह में और हज़रत आदम ता क़यामत तक के तमाम मोमिनो की रूह को नज़र करदीजिये।
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Tuesday 27 February 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #66

*तज़किरतुल अम्बिया* #66
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*इदरीस عليه السلام का आसमानों पर उठाया जाना* #01
     अल्लाह ने इर्शाद फ़रमाया: और किताब में इदरीस को याद करो वह सिद्दीक़ था ग़ैब की खबरे देता और हम ने उसे बुलन्द मक़ाम की तरफ उठाया।
     इस आयत में बुलन्द मक़ाम की तरफ उठाने का एक मतलब यह है आपको नबुव्वत के मनसब से मुशर्रफ फ़रमाकर और अल्लाह ने अपना ख़ास कुर्ब अता फरमा कर आप को रिफअत व बुलन्दी अता फ़रमाई।
     *दुसरा मायने* : दुसरा मायने बुलन्दी का यह है कि आप को बुलन्द मकान की तरफ उठाया गया यह मायने लेना ज़्यादा मुनासिब है क्योंकि अल्लाह ने व र फअना म कान अलय्या ज़िक़्र फ़रमाया जहाँ मकान का ज़िक्र हो इस से मुराद मकान की बुलन्दी ही होती है दरजात की बुलन्दी मुराद नहीं होती।
     बुलन्दी मकान की तफ़सील यह है कि आपको आसमान पर उठा लिया और यही सही तर है। बुखारी व मुस्लिम की हदीस में है कि हुज़ूर ﷺ ने मेराज की रात हज़रत इदरीस عليه السلام को आसमाने चिहारुम पर देखा।

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*तज़किरतुल अम्बिया* 63
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*दुरुदे शफ़ाअत*

*दुरुदे शफ़ाअत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     फरमाने मुस्तफा ﷺ: जो शख्स यूँ दुरुदे पाक पढ़े उसके लिये मेरी शफ़ाअत वाजिब हो जाती है।
اٙللّٰهُمّٙ صٙلِّ عٙلٰى مُحٙمّٙدٍ وّٙاٙنْزِلْهُ الْمُقْعٙدٙ الْمُقّٙرّٙبٙ عِنْدٙكٙ يٙوْمٙ الْقِيٙامٙةِ
*✍🏽الترغيب والترهيب*

*हर रात इबादत में गुज़ारने का आसान नुस्खा*
     गराइबुल क़ुरआन पर एक तिवायत नक़्ल की गई है कि जो शख्स रात में इसे 3 मर्तबा पढ़ लेगा तो गोया उसने शबे क़द्र पा लिया।
لٙآاِلٰهٙ اِلّٙااللّٰهُ الْحٙلِيْمُ الْكٙرِيْمٙ، سُبٙحٰنٙ اللّٰهِ رٙبِّ السّٙمٰوٰتِ السّٙبْعِ وٙرٙبِّ الْعٙرْشِ الْعٙظِيْم
*तर्जमा* : खुदाए हलीम व करीम के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं। अल्लाह पाक है जो सातों आसमानों और अर्शे अज़ीम का परवर दगार है।
*✍🏽फ़ैज़ाने सुन्नत*
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मंगनी

*मंगनी असल मे निकाह का वादा है! अगर यह न भी हो तो तब भी कोई हर्ज नही! लिहाजा बेहतर तो यही है के मंगनी की रस्म (Engagement) के नाम पर होनेवाली कुरापात को  बिल्कुल ही खत्म कर दीया जाए, उसकी कोई जरुरत नही है! आजकल उसे एक जरुरी रस्म बना लिया गया है!और उसे शादी की तरह निभाते है, शादी की तरह उसमे खर्च करते है! इस रस्म मे रुपयो की बरबादी के सिवा कुछ नही! लिहाजा इस रिवाज को छोडना ही बेहतर है!*

*वाकिआए में'राज* #06

*वाकिआए में'राज* #06
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*अम्बियाए किराम عليه السلام की इमामत*
     प्यारे आक़ा ﷺ की शाने आली के इज़हार के लिये बैतूल मुक़द्दस में तमाम अम्बियाए किराम को जमा किया गया था। जब आप ﷺ यहाँ तशरीफ़ लाए तो इन सब हज़रात ने आप ﷺ को देख कर खुश आमदीद कहा और नमाज़ के वक़्त वेब ने आप को इमामत के लिये आगे किया। फिर जिब्राइल ने दस्ते मुबारक पकड़ कर आगे बढ़ा दिया और आप ﷺ ने तमाम अम्बियाए किराम की इमामत फ़रमाई।
     क्या खूब नमाज़ है कि तमाम अम्बियाए और रसूल मुक्तदि है, इमामूल अम्बिया ﷺ इमाम है और पहला किब्ला जाए नमाज़ है, यक़ीनन कायनात में ऐसी नमाज़ कभी नहीं हुई, फ़लक़ ने ऐसा नज़ारा कभी नहीं देखा।
     बहर हाल आज शबे असरा के दूल्हा ﷺ के अव्वल और आखिर होने का उक़दा भी खुल गया, इस के राज़ से भी पर्दा उठ गया और माना रोज़े रोशन की तरह वाज़ेह हो गए क्योंकि आज आप ﷺ जो कि सबसे आखरी रसूल है, पहले के अम्बिया और रसूलों की इमामत फरमा रहे है। इसी राज़ को बयान करते हवे आला हज़रत फ़रमाते है:
     *नमाज़े अक़सा में था येही सिर्र,*
          *इयां हों मानिये अव्वल आखिर*
     *कि दस्त बस्ता है पीछे हाज़िर,*
          *जो सल्तनत आगे कर गए थे*

*दूध और शराब के पियाले*
     बुखारी शरीफ की रिवायत के मुताबिक़ यहाँ आप ﷺ के पास दूध और शराब के दो पियाले लाए गए, आप ने उन्हें मुलाहज़ा फ़रमाया फिर दूध का पियाला क़बूल फरमा लिया। इस पर जिब्राइल कहने लगे: तमाम तारीफें अल्लाह के लिये जिस ने आप की फितरत की जानिब रहनुमाई फ़रमाई, अगर आप शराब का पियाला क़बूल फ़रमाते तो आप की उम्मत गुमराह हो जाती।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 21
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ईमान की हिफाज़त*

*ईमान की हिफाज़त*
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اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हम मुसलमान है الحمد لله और मुसलमान की सबसे क़ीमती चीज़ ईमान है। आला हज़रत رحمة الله عليه का इर्शाद है: जिसको ज़िन्दगी में सल्बे ईमान का खौफ नहीं होता, नज़ा के वक़्त उसका ईमान सल्ब हो जाने का शदीद खतरा है। "ईमान की हिफाज़त का एक ज़रीआ किसी मुर्शिदे कामिल से मुराद होना भी है।"
     अल्लाह फ़रमाता है: जिस दिन हम हर जमाअत को उस के इमाम के साथ बुलाएंगे।
     नुरुल इरफ़ान की तफसीरुल क़ुरआन में मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله عليه इस आयत की शर्ह करते हुए फ़रमाते है: इस से मालुम हुवा कि दुन्या में किसी सालेह को अपना इमाम बना लेना चाहिए शरीअत में तक़लीद करके और तरीकत में बैअत करके, ताकि हशर अच्छों के साथ हो। अगर सालेह इमाम न होगा तो उस का इमाम शैतान होगा। "इस आयत में तक़लीद, बैअत और मुरीदी सब का सुबूत है."
*✍🏼तंगदस्ती के अस्बाब और उनका हल* 33
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नमाज़ का तरीक़ा* #56

*नमाज़ का तरीक़ा* #56
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*नमाज़ तोड़ने वाली बाते* #07

*_नमाज़ में कुछ निगलना_*
     ★ मामुलिसा भी खाना या पीना मसलन तिल बगैर चबाए निगल लिया। या क़तरा मुह में गिरा और निगल लिया।
     ★ नमाज़ शुरू करने से पहले ही कोई चीज़ दातो में मौजूद थी उसे निगल लिया तो अगर वो चने के बराबर या इस से ज्यादा थी तो नमाज़ फासिद् हो गई और अगर चने से कम थी तो मकरूह।
      ★ नमाज़ से क़ब्ल कोई मीठी चीज़ खाई थी अब उस के अजज़ा मुह में बाकी नहीं सिर्फ लुआबे दहन में कुछ असर रह गया है उस के निगलने से नमाज़ फासिद् न होगी।
     ★ मुह में शकर वगैरा हो की घुल कर हलक मर पहुचती है नमाज़ फासिद् हो गई।
     ★ दातो में खून निकला अगर थूक ग़ालिब है तो निगलने से फासिद् न होगी वरना हो जाएगी।
      ◆ (ग़ालबे की लआमत ये है की अगर हलक में मज़ा महसूस हुवा तो नमाज़ फासिद् हो गई, नमाज़ तोड़ने में ज़ायके का एतिबार है और वुज़ू टूटने में रंग का, लिहाज़ा वुज़ू उस वक़्त टूटता है जब थूक सुर्ख हो जाए और अगर थूक ज़र्द है तो वुज़ू बाक़ी है)

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 187*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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आज का चाँद* -​ 10

*आज का चाँद* -​ 10
*​माह 6* -​ जमादीउल आखिर
*​हिजरी* -​ 1439

*उर्स*
हज़रत क़ादरअली गंजसवाई (नागोर, चैन्नई)
हज़रत सय्यदुलउलमा (मारेहरा)
हज़रत मस्तान शाह बावा (जम्बुसर)
सैयद आले मुस्तफामियां क़ादरी (बड़ौदा)

*संदल*
हज़रत शाह राना शहीद (मोडासा)
हज़रत चाँदपीर बावा (दरियापुर, अहमदाबाद)

*विसाल*
ख्वाजा मुहम्मद बाबा सम्मासी (बुखारा)

*नॉट :*
3 बार कुल्हुवल्लाह, एक बार सूरए फातिहा आगे पीछे दुरुद शरीफ पढ़ के हुज़ूर ﷺ की व इन बुज़ुर्गाने दिन की बारगाह में और हज़रत आदम ता क़यामत तक के तमाम मोमिनो की रूह को नज़र करदीजिये।
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गर होजाए यक़ीन के.....
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Monday 26 February 2018

तंगदस्ती का इलाज*

*तंगदस्ती का इलाज*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     ज़बर दस्त मोहद्दिस हज़रत हूदबा बिन खालिद رضي الله عنه को खलीफए बगदाद मामून रशीद ने अपने हां मदऊ किया, तआम के आखिर में खाने के जो दाने वगैरा गिर गए थे, हूदबा बिन खालिद رضي الله عنه चुन चुन कर तनावुल फरमाने लगे। मामून ने हैरान हो कर कहा, ऐ शैख़ क्या आप का अभी तक पेट नहीं भरा? फ़रमाया: क्यूं नहीं! दरअस्ल बात ये है कि मुझ से हज़रत हम्माद बिन सलाम رضي الله عنه ने एक हदिष बयान फ़रमाई है, जो शख्स दस्तरख्वान के नीचे गिरे हुए टुकड़ों को चुन चुन कर खाएगा वो तंगदस्ती से बे खौफ हो जाएगा।
     में इसी हदीस पर अमल कर रहा हूँ। ये सुन कर मामून बेहद मुतअस्सिर हुवा और अपने एक खादिम की तरफ इशारा किया तो वो एक हज़ार दिनार रुमाल में बांध कर लाया। मामून ने उस को हज़रत की खिदमत में बतौरे नज़राना पेश कर दिया। आप ने फरमाया: हदीसे मुबारका पर अमल की हाथो हाथ बेकत ज़ाहिर हो गई।
*✍🏼तंगदस्ती के अस्बाब और उनका हल* 25
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नमाज़ का तरीक़ा* #55

*नमाज़ का तरीक़ा* #55
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*नमाज़ तोड़ने वाली बाते* #06

*_दौराने नमाज़ लिबास पहनना_*
     ★ दौराने नमाज़ कुरता या पाजामा पहनना या तहबंद बांधना.
*✍🏼रद्दल मोहतार, जी.2 स. 465*

     ★ दौराने नमाज़ सीत्र खुल जाना और इसी हालत में कोई रुक्न अदा करना या तीन बार सुब्हान अल्लाह कहने की मिक़दार वक़्फ़ा गुज़र जाना.
*✍🏼दुर्रे मुख्तार मअ रद्दल मोहतार, जी. 2 स. 467*

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स. 187*
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*बेनज़ीर ज़ियाफत* #27

*बेनज़ीर ज़ियाफत*  #27
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

      एक मरतबा हज़रते उषमाने गनी रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने हुजूर ﷺ की ज़ियाफत की और अर्ज़ किया: या रसूलुल्लाह ﷺ ! मेरे ग़रीब खाने पर अपने दोस्तों समेत तशरीफ़ लाए और मा हज़र तनावुल फ़रमाए। हुजूर ﷺ ने यह दावत कबूल फ़रमा ली और वक्त पर मअ सहाबए किराम अलैहिमु रीज़वान के हज़रत उषमाने ग़नी के घर तशरीफ़ ले चले, हज़रते उषमान रदिअल्लाहो तआला अन्हो हुज़ूर ﷺ के पीछे चलने लगे और हुज़ूर ﷺ का एक एक कदम मुबारक जो उनके घर की तरफ चलते हुवे ज़मीन पर पड़ रहा था गिनने लगे।
      हुज़ूर ﷺ ने दरयाफ्त फ़रमाया: ऐ उषमान! यह मेरे कदम क्यूं गिन रहे हो ? हज़रते उषमान रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने अर्ज़ किया: या रसूलुल्लाह  ﷺ मेरे मां बाप आप पर कुरबान हो, मैं चाहता हूं कि हुज़ूर ﷺ के एक एक कदम के इवज़ मैं आप ﷺ की ताज़ीम व तौक़ीर की खातिर एक एक गुलाम आज़ाद करुं।
      चुनान्चे हज़रते उषमाने ग़नी रदिअल्लाहो तआला अन्हो के घर तक हुज़ूर ﷺ के जिस क़दर क़दम पड़े उसी क़दर गुलाम हज़रते उषमान रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने आज़ाद किये।    
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*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 53
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