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वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में

वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में

Part~1

आमदम बर सरे मतलब के तहत अब सुवाल चुकी वेलेन्टाइन डे के बारे में है इसलिये खुसुसंन सबसे पहले वेलेन्टाइन डे का तारीखी पस मंज़र और इन दिन होने वाली खुराफात को बयान किया जाता है ताकि मुसलमानो पर वाज़ेह हो की इन गुनाहो से भरपूर दिन की हक़ीक़त क्या है।

चुनान्चे कहा जाता है की एक पादरी जिस का नाम वेलेन्टाइन था तीसरी सदी ईस्वी में रूमी बादशाह क्लाडेस सानी के ज़ेरे हुक़ूमत रहता था

किसी ना फ़रमानी की बिना पर बादशाह ने पादरी को जेल में डाल दिया

पादरी और जेलर की लड़की के माबैन इश्क़ हो गया हत्ता की लड़की ने इस इश्क़ में अपना मज़हब छोड़ कर पादरी का मज़हब नसरानीययत क़ुबूल कर लिया।

अब लड़की रोज़ाना एक सुर्ख गुलाब ले कर पादरी से मिलने आती थी

बादशाह को जब इन बातो का इल्म हुआ तो उसने पादरी को फ़ासी देने का हुक्म सादिर कर दिया

जब पादरी को इस बात का इल्म हुआ तो उसने अपने आखरी लम्हात अपनी माशुका के साथ गुज़ारने का इरादा किया और इस के लिये एक कार्ड भेजा जिस पर ये लिखा था "मुख्लिस वेलेन्टाइन की तरफ से"

बिल आखिर 14 फरवरी को उस पादरी को फ़ासी दे दी गई। इसके बाद से हर 14 फ़रवरी को ये महब्बत का दिन उस पादरी के नाम वेलेन्टाइन डे के तौर पर मनाया जाता है।

वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में, स. 13-14
To be continue.....

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♻Part~2

🔻इस तहवार को मनाने का अन्दाज़ ये होता है की नौ जवान लड़को और लड़कियो के बे पर्दगी व बे हयाई के साथ मेल मिलाप,

🔻तोहफे तहाइफ के लेन देन से ले कर फहहाशि व उर्यानि की हर किस्म का मुजाहरा खुले आम या चोरी छुपे जिस का जितना बस चलता है आम देखा सुना जाता है

🔻इन्तिहाई दुःख और अफ़सोस की बात ये है की इस दिन को काफिरो की तरह बे हयाई के साथ मनाने वाले बहुत से मुसलमान भी अल्लाह और उसके रसूल के अता किये हुए पाकीज़ा अह्कामात को पसे पुश्त डालते हुए खुल्लम खुल्ला गुनाहो का इर्तिकाब कर के न सिर्फ ये की अपने नामए आ'माल की सियाही में इज़ाफ़ा करते है बल्कि मुस्लिम मुआशरे की पाकीज़गी को भी इन बेहुदगियो से नापाक व आलूदा करते है।

हवाला 👇🏿
📚वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में, स. 15-16

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♻Part~3

🔹बद निगाही, बे पर्दगी, फहहाशि उर्यानि, अजनबी लड़के लड़कियो का मेल मिलाप, हँसी मज़ाक, इस ना जाइज़ तअल्लुक़ को मज़बूत रखने के लिये तोहफे का लेन-देन और आगे ज़िना और दबाइये ज़िना तक की नौबते,

🔹ये सब वो बाते है जो इस रोज़े इस्या ज़ोरो शोर से जारी रहती है,

🔹 और इन सब शैतानी कामो के ना जाइज़ व हराम होने में किसी मुसलमान को ज़र्रा भर भी शुबा नहीं हो सकता,

🔹क़ुरआने करीम की आयते बय्यिनात और नबिय्ये करीम ﷺ के वाज़ेह इर्शादत से इन उमूर की हुरमत व मज़म्मत साबित है।

🔹मगर चुकी इस किस्म के सुवाल से मकसूद ये होता है की मुसलमानो को दीनी नुक़्तए नज़र से समझाया जाए और इस दिन की खुराफात के साथ इन को मनाने की शनाअत व बुराई से इन्हें आगाह करके इन दिलो में खौफे खुदा عزوجل और शर्मे मुस्तफा ﷺ पैदा की जाए ताकि वो इन ना-पाकियो से ताइब हो कर अपने अफ्कार व किरदार की इस्लाह में मशगूल हो कर बरोज़े क़ियामत सुर्ख-रु हो,

🔹लिहाज़ा तरगिब् व तरहिब के लिये चन्द बाते दिन से महब्बत करने वाले अपने इस्लामी भाइयो की खिदमत में अर्ज़ करता हु

🔹खुद भी पढ़े और इस अहम फतवे को जो मज़्मून की शक्ल में है आम करे ताकि आम्म्तुल मुस्लिमीन के दिनों दुन्या का भला हो।

♻To be continue.....

📖हवाला
📚वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में, स. 16-17

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♻Part~4

🔹अब ज़रा अपनी पाकीज़ा शरीअत के अह्कामात मुलाहजा कीजिये

🔹किसी तरह बद निगाही, बे हयाई, बे पर्दगी और हर किस्म की फहहाशि व उर्यानि की मज़म्मत क़ुरआने करीम की आयत और नबिय्ये करीम ﷺ के इर्शादात में बयान हुई है

🔹तवज्जोह के साथ पढ़ना और समझना चुकी मुसलमानो को फायदा देता है इस लिये इतनी हिम्मत ज़रूर कीजिये और आयात व अहादीस को अपने दिल में दाखिल होने का मौकअ दीजिये

☝🏼अल्लाह عزوجل ने चाहा तो तौबा की तौफ़ीक़ के साथ साथ परहेज़ गारी की दौलत और इत्तिबाए सुन्नत की तौफ़ीक़ भी मिल जाएगी।

🔹शर्मो हया का दर्स और बे हयाई की मज़म्मत आयते क़ुरआनीया से

☝🏼अल्लाह عزوجل फरमाता है :
🔹मुसलमान मर्दों को हुक्म दो अपनी निगाहें कुछ नीची रखे और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करे ये उन के लिये बहुत सुथरा है बेशक अल्लाह को उनके कामो की खबर है और अल्लाह मुस्लमान ओरतो को हुक्म दो अपनी निगाहें कुछ नीची रखे और अपनी पारसाई की हिफाज़त करे।

👉🏿सूरए नूर की इसी 31 वी आयत में ये भी इर्शाद हुआ की
🔹और जमींन पर पाउ ज़ोर से न रखे की जाना जाए उन का छुपा हुआ सिंगार।
📗पारा 18, सूरए नूर

📨To be continue....

📖हवाला
📚वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में, शफा, 17-18

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♻Part~05

☝🏼अल्लाह عزوجل का ये फरमान भी मुलाहजा कीजिये :
👉🏿ऐ नबी अपनी बीबियो और साहिब ज़ादियो और मुसलमानो की ओरतो से फरमा दो की अपनी चादरों का एक हिस्सा अपने मुह पर डाले रहे ये इस से नज़्दीक-तर है की इन की पहचान हो तो सताई न जाए। और अल्लाह बख्शने वाला महेरबान है।
📗पारा 22

👉🏿इस फरमान को भी तवज्जोह से पढ़ लीजिये :
☝🏼और किसी मुसलमान मर्द न मुसलमान ओरत को पहुचता है की जब अल्लाह व रसूल कुछ हुक्म फरमा दे तो उन्हें अपने मुआमले का कुछ इख़्तियार रहे और जो हुक्म न माने अल्लाह और उसके रसूल का वो बेशक सरिह गुमराह बहका।

👆🏿मज़कूर आयते क़ुरआनीया में अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त ने मुअमिनीन मर्दों और औरतो को निगाहें नीची रखने, अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करने का हुक्म दिया ,

🔹और परदे की अहम्मिययत किस क़दर है इसका अंदाज़ा इस बात से लगा लीजिये की औरतों को जाहिलिययते उल की बे पर्दगी से मना किया गया, यहाँ तक की ज़ेवर की आवाज़ भी गैर मर्द न सुने, इसका लिहाज़ रखने का फ़रमाया गया,

🔹और आखरी आयत जो जिक्र की गई उसमे अल्लाह عزوجل और उसके रसूल ﷺ के फैसले के बाद किसी मुसलमान मर्द व औरत के लिये इख्तियार बाक़ी नहीं रह जाता इसका वाज़ेह ऐलान फरमा दिया गया

🔹तो क्या मुसलमानो को इन अह्कामात के आगे सरे तस्लीम खम नहीं करना चाहिये ?

🔹लेकिन अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है की बहुत से मुसलमान मर्द व औरते वेलेन्टाइन डे में इन अह्कामात की ऐलानिया खुल्लम खुल्ला काफिरो की तक़लीद में खिलाफ वर्जिया करते है,

☝🏼अल्लाह عزوجل अक़्ल दे, समझ दे, अहकामे शरीअत की इत्तिबाअ में ज़िन्दगी बसर करने की तौफ़ीक़ दे।
आमीन....

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📖हवाला
📚वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में, शफा 19, 20, 21

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♻Post~6

💠शर्मो हया का दर्स और बे हया की मज़म्मत अहादिसे मुबारका से💠

⤵Part~1

📗मिशकातुल मसाबिह में है :
हसन बसरी रहमतुल्लाहि तआ'ला अलैहे से मुरसलन मरवी है : मुझे ये खबर पहोची है की रसूलल्लाह ﷺ ने फ़रमाया की देखने वाले पर और उस पर जिस की तरफ नज़र की गई अल्लाह عزوجل लानत फरमाता है
(यानी देखने वाला जब बिला उज़्र कसदन देखे और दूसरा अपने को बिला उज़्र कसदन दिखाए।

📗सुनने अबू दावूद में है :
और हाथ ज़िना करते है और इनका ज़िना (हरम को) पकड़ना है
और पाउ ज़िना करते है और इनका ज़िना (हरम की तरफ) चलना है
और मुह भी ज़िना करता है और इसका ज़िना (हरम को) चूमना है।

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📖हवाला
📚वेलेन्टाइन दे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में, शफा 21

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♻Post~07

💠शर्मो हया का दर्स और बे हया की मज़म्मत अहादिसे मुबारका से💠

⤵Part~3

🔹नबिय्ये करीम ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया :
तुम में से किसी के सर में लोहे की सुई घोप दी जाए तो ये उसके लिये इस से बेहतर है की वो ऐसी औरत को छुए जो उसके लिये हलाल नहीं।

🔹नबिय्ये करीम ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया :
औरतो क साथ तन्हाई इख़्तियार करने से बचो !
उस ज़ात की क़सम जिसके कब्ज़ए क़ुदरत में मेरी जान है ! कोई शख्स किसी औरत के साथ तन्हाई इख़्तियार नहीं करता मगर उनके दरमियान शैतान दाखिल हो जाता है
और मिटटी या सियाह बदबूदार कीचड़ में लिथड़ा हुआ खिंज़िर (सुवर) किसी शख्स से टकरा जाए तो ये उसके लिये इससे बेहतर है की उसके कन्धे ऐसी औरत से टकराए जो उसके लिए हलाल नहीं।

✒हवाला
📚वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में, साफ 22-23

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♻Post~07

💠शर्मो हया का दर्स और बे हया की मज़म्मत अहादिसे मुबारका से💠

⤵Part~4

🔹शैखुल इस्लाम शिहाबुद्दीन इमाम अहमद बिन हज़र मक्की शाफ़ेई अलैहिमुर्रहमान इर्शाद फरमाते है : बाज़ो ने अपने हाथ को किसी औरत के और हाथ रखा तो उन दोनों के हाथ चिमट गए और लोग उन्हें जुदा करने में नाकाम हो गए यहा तक की उल्माए किराम ने उनकी रहनुमाई फ़रमाई की वो अहद करे की ऐसी ना फ़रमानी का इर्तिकाब कभी नहीं करेंगे और अल्लाह की बारगाह में गिड़गिड़ा कर सिद्के दिल से तौबा करे पस उन्हों ने ऐसा किया तो अल्लाह عزوجل ने उन्हें छुटकारा अता फ़रमाया।

🔻और असाफ़ और नाइला का किस्सा मश्हूर है की उन्हों ने ज़िना किया तो अल्लाह عزوجل ने उन दोनों को चेहरा मस्ख कर के पथ्थर बना दिया। (एक रिवायत के मुताबिक असाफ़ और नाइला ने ज़िना की निय्यत से सिर्फ हाथ ही पकड़ा था)

🔻तुम ये देख कर धोका न खाओ की कोई शख्स ना फ़रमानी का मुर-तकिब होने के बा वुज़ूद अभी तक सहीहो सालिम है और उसे जल्दी सजा नहीं मिलती अक़्ल मन्द के लिये मुनासिब नहीं की वो अपने नफ़्स पर गुरुर करे,

🔻अपने नफ़्स पर गुरुर करने वाला अच्छा नहीं अगर्चे वो सलामत रहे क्यू की ऍन मुमकिन है की अल्लाह عزوجل तुम्हारे लिये सजा को जल्दी मुकर्रर करदे जब की दुसरो के लिये न करे,

🔻क्यू की उसे इस से रोकने वाला कोई नहीं की कभी बहुत शनिअ व क़बिह चीज़ के साथ जल्दी सजा हो जाती है,

🔻जेसे दिल का मस्ख हो जाना, बारगाहे हक़ में हाज़िरी से दूर, हिदायत के बाद गुमराही और बारगाहे खुदा वन्दी की तरफ मु-तवज्जेह होने के बाद ऐराज़ करना।

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✒हवाला
📚वेलेन्टाइन दे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में, सफा 23-24

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♻Post~08

🔹गाने बजे और मूसीक़ी की मज़म्मत क़ुरआनो हदिष की रौशनी में🔹

⤵Part~1

☝🏼अल्लाह عزوجل क़ुरआने पाक में इर्शाद फरमाता है :
और कुछ लोग खेल की बा त खरीदते है की अल्लाह की राह से बहका दे बे समझे और इसे हंसी बना ले उनके लिये ज़िल्लत का अज़ाब है।
📗पारा 12

👆🏿इस आयत में 'लहव-ल-हदिशि' से मुतअल्लिक़ मुफ़स्सिरन का एक क़ौल ये है की इससे मुराद गाना बजाना है।

👉🏿बुखारी शरीफ में हुज़ूर ﷺ का वाज़ेह फरमान मौजूद है : ज़रूर मेरी उम्मत में ऐसे लोग होंगे जो ज़िना, रेशम, शरब और बाजो को हलाल ठहराएंगे।

✅मशहूर शहाबी हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद फरमाते है : गाने बजे की आवाज़ दिल में इस तरह निफ़ाक़ पैदा करती है जेसे पानी नाबातात को उगाता है।

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📚वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में, सफा 29

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♻Post~09

🔻गाने बजे और मूसीक़ी की मज़म्मत क़ुरआनो हदिष की रौशनी में🔻

⤵Part~2

🔹हराम को देखने वाला और जो अपना जिस्म गैर को दिखाए दोनों पर ही अल्लाह की लानत है और दोनों ही रहमते इलाही से दूर है

🔹फिर जीना सिर्फ शर्मगाह का नहीं बल्कि हाथ का ज़िना हराम को पकड़ना
आँख का ज़िना हराम को देखना
पाउ का ज़िना हराम की तरफ चलना
मुह का ज़िना हराम बोसा देना

🔻वेलेन्टाइन डे में उमुमन ये सारे हराम काम और ज़िना की ये तमाम अक़साम पाई जाती है।

🔻हदिशे मुबारका में गेट औरतो के साथ तन्हा खल्वत इख्तियार करने की किस क़दर सख्ती से मुमानेअत् की गई और मिसाल से इस की बुराई बयान फ़रमाई की बदबूदार कीचड़ से लिथड़ा हुवा खिंज़िर किसी सख्स से टकराये ये गैर औरत से कन्धा मिलाने से बेहतर है।

🔻जब की इस दिनको मनाने वाले इन उमूर का इर्तिकाब बड़ी बेबाकी के साथ करते है। आपसमे हाथ में हाथ डाले बे हयाई व फहहाशि का मोज़ाहरा करते नज़र आते है

🔻इसी वेलेन्टाइन डे में ना जाइज़ ख़ुशी के ज़राए अपना कर रंग रलिया मनाने वालो के लिये असाफ़ व नाइला के अज़ाब में बड़ी इबरत का सामान है।

🔻कही ऐसा न हो की इस दिन बे हयाई व फहहाशि का मुज़ाहरा करने की वजह से किसी अज़ाब का शिकार हो जाए। उन्हें डरना चाहिये और अगर दुन्या में अज़ाब नाज़िल न भी हो तब भी गुनाहे अज़ीम की आख़िरत में जो सजा होगी इससे तो हर मुसलमान को डरना ही चाहिये और दुन्या में पकड़ व गिरफ्त न होने की वजह से हरगिज़ बे खौफ नहीं होना चाहिये।

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✒हवाला
📚वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में, सफा 25-26

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