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Wednesday 15 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 50*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_मुसलमान को आज़िय्यत देना और बुरा भला कहना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और जो ईमान वाले मर्दों और ओरतो को बे किये सताते है उन्हों ने बोहतान और खुला गुनाह अपने सर लिया।_
*✍🏼الاحزاب ٥٨*
_खराबी है उस के लिये जो लोगो के मुह पर ऐब करे पीठ पीछे बदी करे।_
*✍🏼الهمزة ١*

*_फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم_*
     बेशक अल्लाह के नज़दीक लोगो में से सब से बुरा मर्तबा उस का है जिसे लोग उस की फोहश कलामी के डर से छोड़ दे।
*✍🏼مسلم*
     हर मुसलमान की इज़्ज़त उस का खून और उस का माल दूसरे मुसलमान पर हराम है। (आप ने अपने दिल की तरफ इशारा कर के फ़रमाया) तक़्वा यहाँ है, आदमी के बुरे होने के लिये यही काफी है कि वो अपने मुसलमान भाई को हक़ीर जाने।
*✍🏼ترمذى*
     वो शख्स जन्नत में दाखिल न होगा जिस की शरारतों से उस का पड़ोसी अम्न में न हो।
*✍🏼مسلم*
     जिस ने किसी को काफ़िर या दुश्मने खुदा कहा हालांकि वो ऐसा नहीं था तो वो बात कहने वाले पर लौट आएगी।
*✍🏼مسلم*
     कबीरा गुनाहों में से एक आदमी का अपने वालिदैन को गाली देना है। सहाबा ने अर्ज़ की : या रसूलल्लाह صلى الله عليه وسلم ! क्या कोई शख्स औने वालिदैन को गाली दे सकता है ? इर्शाद फ़रमाया ये दूसरे के बाप को गाली देगा तो वो इस के बाप को गाली देगा और ये दूसरे की माँ को गाली देगा तो वो इस की माँ को गाली देगा।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 169

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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