*तज़किरतुल अम्बिया* #46
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत आदम स्फीउल्लाह عليه السلام*
#40
*हजरत आदम व हव्वा का ज़मीन में तशरीफ़ लाना*
फ़रमाया: और जहाँ रहते थे वहां से उन्हें अलग करदिया।
यानी जन्नत में हज़रत व हव्वा दोनों को रहने की इजाज़त दी गई और हर किस्म के जन्नत के फल और नेमतें खाने की इजाज़त दी गई अलबत्ता एक दरख्त से मना किया गया जब शैतान खैर ख्वाह बनकर क़समें उठाकर नसीहत देने वाले की शक्ल में आप को वस्वसे में डालने में कामयाब हो गया तो आपको जन्नत और जन्नत की नेमतों से अलग होना पड़ा। और अल्लाह ने हुक्म दे दिया: और हमने कहा तुम तमाम उतर जाओ बाज़ तुम्हारे बाज़ के दुश्मन है।
और दूसरे मक़ाम पर फ़रमाया: रब ने फ़रमाया तुम दोनों मिल कर जन्नत से उतरो।
दोनों आयतो का मक़सद यह है कि हज़रत आदम व हव्वा को बमअ उनकी औलाद के जो ता क़यामत वजूद में आनी थी ज़मीन पर उतरने का हुक्म दिया और फ़रमाया तुम्हारी औलाद बाज़ दूसरे बाज़ की दुश्मन होगी।
ख्याल रहे कि शैतान को उन दोनों के उतारने से पहले ही मर्दुद करके रुए ज़मीन पर भेज दिया गया था यहाँ उसके उतरने का ज़िक्र नहीं। हज़रत आदम عليه السلام सरांदीप में उतारे गये और हज़रत हव्वा को जद्दा में और शैतान को पहले ही इला में उतार दिया गया था।
हज़रत आदम عليه السلام जब ज़मीन पर तशरीफ़ लाये तो आपका लिबास उतार लिया गया था और जन्नत के दरख्तों के पत्ते अपने जिस्म पर ढांप कर तशरीफ़ लाये।
हज़रत अली كَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم फ़रमाते है: हिन्दुस्तान की ज़मीन इसलिये उम्दा और हरी भरी है और उदे करणफल वगैरा खुश्बुयें इसलिये वहां पर पैदा होती है कि आदम عليه السلام जब उस ज़मीन पर आये तो उनके जिस्म पर जन्नती देखत के पत्ते थे वह पत्ते हवा से उड़कर जिस दरख्त पर पहुँचे वह हमेशा के लिये खुशबूदार हो गया।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 54
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Wednesday 7 February 2018
तज़किरतुल अम्बिया* #46
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