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Tuesday 6 February 2018

*ना गुफ्तह बेह हालात*

*ना गुफ्तह बेह हालात*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     अफ़सोस! आज का मुसलमान अपने मसाइल के हल के लिये मुश्किल तरीन दुन्यवी ज़राए इस्तिमाल करने को तो तैयार है मगर अल्लाह और उसके प्यारे हबीब ﷺ के अता कर्दा रोज़ी में बरकत के आसान ज़राए की तरफ उसकी तवज्जोह नहीं। आज कल बे रोजगारी व तंगदस्ती के गम्भीर मसाइल ने लोगों को बेहाल कर दिया है। शायद ही कोई घर ऐसा हो जो तंगदस्ती का शिकार न हो।
     याद रखिये! रिज़्क़ में बरकत के तालिब के लिये ज़रूरी है कि वो पहले रिज़्क़ में बे बरकती के अस्बाब से आगाही हासिल कर के उन से छुटकारा हासिल करे, ताकि रिज़्क़ में बरकत के ज़राए हासिल होने पर कोई रुकावट पेश न आए।
     इस सिलसिले में अहादिसे मुबारका की रौशनी में तंगदस्ती के अस्बाब और आखिर में इनका हल भी पेश करने की कोशिश की जाएगी। बागौर मुतालआ फरमाए और अपने रोज़ मर्रा के मामुलात में इस का निफ़ाज़ कर के रिज़्क़ में बरकत के अस्बाब कीजिये।

*मदनी फूल*
     अमीरे अहले सुन्नत फ़रमाते है कि रिज़्क़ में बरकत का सिर्फ ये माना न समझें कि दौलत का अम्बार लग जाए बल्कि कम रिज़्क़ में गुज़ारा हो जाना और जो मिल जाए उस पर क़नाअत की सआदत पाना भी बहुत बड़ी बरकत है।
*✍🏼तंगदस्ती के अस्बाब और उन का हल* 5
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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