हिस्सा~14
*सूरए बक़रह, पारह-01*
*ﺑِﺴْـــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ*
*الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*आयत ①ⓞ _तर्जुमह*
उनके दिलोमे बिमारी है। तो बढ़ने दिया उन्हें अल्लाह ने बिमारी में। और उन्ही के लिये अज़ाब है दुखवाला, के वो जूठ बोलते थे।
*तफ़सीर*
बात ये है के उनके दिलो में कुफ़्र व निफाक की बिमारी है जन्मसे। तो बढ़ने दिया उन्हें अल्लाह ने उनके जी भर बिमारी में, के बीमार रहना ही चाहते है, तो खूब बीमार रहे। और उन्ही जेसो के लिये खुदा का अज़ाब है, कैसा ? के दुखवाला दर्दनाक। ये सज़ा बिलकुल ठीक है। क्यों के वो जूठ बोलते रहते थे और बिलकुल गलत अपने की मुसलमान कहते थे।
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