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Monday 13 June 2016

नमाज़ के अहकाम

*मुसाफिर की नमाज़*
*بسم الله الرحمن الرحيم*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

अल्लाह तआला सुरतुन्निसाअ की आयत 101 में इरशाद फ़रमाता है :
*और जब तुम ज़मीन में सफर करो तो तुम पर गुनाह नही कि बाज़ नमाज़े कसर से पढ़ो। अगर तुम्हे अंदेशा हो कि काफ़िर तुम्हे इज़ा देंगे, बेशक कुफ्फार तुम्हारे खुले दुश्मन है*

हज़रत मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैरहमा फरमाते है :
खौफे कुफ्फार कसर के लिये शर्ट नही, हज़रत याला बिन उमय्या ने हज़रत उमर رضي الله تعالي عنه से अर्ज़ की, कि हमतो अमन में है, फिर हम क्यू क़सर करते है ? फ़रमाया : इसका मुझे भी तअज्जुब हुवा था तो मेने हुज़ूर ﷺ से दरयाफ़्त किया। हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : तुम्हारे लिए ये अल्लाह की तरफसे सदक़ा है तुम उसका सदक़ा क़बूल करो।
*सहीह मुस्लिम 1/231*

हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर से रिवायत है, अल्लाह के रसूल ﷺ ने सफर की दो रकअते मुक़र्रर फ़रमाई और ये पूरी है कम नही यानी अगर्चे बी ज़ाहिर दो रकअत कम हो गई मगर षवाब में चार के बराबर है।
*सुनन इब्ने माजह 2/59*
*नमाज़ के अहकाम 222*
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