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Saturday 4 June 2016

सिरते मुस्तफा ﷺ


जंगे उहुद

हुज़ूर ने यहूद की इमदाद को ठुकरा दिया
हिस्सा~02

अब्दुल्लाह बिन उबय्य की बात सुन कर क़बिलए खज़रज में से "बनू सलमह" के और क़बीलए औस में से "बनू हारिष" के लोगो ने भी वापस लौट जाने का इरादा कर लिया मगर अल्लाह तआला ने इन लोगो के दिल में अचानक महब्बते इस्लाम का ऐसा जज़्बा पैदा फ़रमा दिया कि इन लोगो के क़दम जम गए।

चुनान्चे अल्लाह तआला ने क़ुरआन में इन लोगो का तज़किरा फरमाते हुए इरशाद फ़रमाया :
*जब तुम् में के दो गुरौहो का इरादा हुवा की न मर्दि कर जाए और _अल्लाह_ इन का संभालने वाला है और मुसलमानो को _अल्लाह_ ही पर भरोसा होना चाहिये*

जब हुज़ूर ﷺ के लश्कर में कुल 700 सहाबा रह गए जिन में 100 ज़िरह पोश थे और कुफ़्फ़ार की फ़ौज में 3000 अशरार का लश्कर था जिन में 700 ज़िहर पोश जवान, 200 घोड़े, 3000 ऊंट और 15 औरते थी।

शहर से बहार निकल कर हुज़ुर ﷺ ने अपनी फ़ौज का मुआयना फ़रमाया और जो लोग कम उम्र थे, उनको वापस लौटा दिया कि जंग के हौलनाक मौके पर बच्चों का क्या काम ?

सिरते मुस्तफा स.255

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