*नमाज़ी के आगे से गुज़रने के अहकाम*
हिस्सा~01
मैदान और बड़ी मस्जिद में नमाज़ी के क़दम से मौज़ए सुजूद तक गुज़रना ना जाइज़ है। *मौज़ए सुजूद* से मुराद ये है कि क़याम की हालत में सज्दे की जगह नज़र जमाए तो जितनी दूर तक निगाह फेले वो मौज़ए सुजूद है। उस के दरमियान से गुज़रना जाइज़ नहीं।
_मौज़ए सुजूद का फ़ासिला अंदाज़न क़दम से ले कर 3 गज़ तक है_
लिहाज़ा मैदान में नमाज़ी के क़दम के 3 गज़ के बाद से गुज़रने में हरज नही।
मकान और छोटी मस्जिद में नमाज़ी के आगे अगर सुतरा (आड़) न हो तो क़दम से दीवारे किबला तक कही से गुज़रना जाइज़ नही।
नमाज़ी के आगे कोई आड़ हो तो उस आड़ के बाद से गुज़रने में कोई हरज नही।
आड़ कम अज़ कम एक हाथ (तकरीबन आधा गज़) उचा और ऊँगली बराबर मोटा होना चाहिये।
इमाम की आड़ मुक्तदि के लिये भी आड़ है। यानी इमाम के आगे आड़ हो तो अगर कोई मुक्तदि के आगे से गुज़र जाए तो गुनाहगार न होगा।
बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*#नमाज़ के अहकाम 215*
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
📮Posted by:-
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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लिहाज़ा मैदान में नमाज़ी के क़दम के 3 गज़ के बाद से गुज़रने में हरज नही।
मकान और छोटी मस्जिद में नमाज़ी के आगे अगर सुतरा (आड़) न हो तो क़दम से दीवारे किबला तक कही से गुज़रना जाइज़ नही।
नमाज़ी के आगे कोई आड़ हो तो उस आड़ के बाद से गुज़रने में कोई हरज नही।
आड़ कम अज़ कम एक हाथ (तकरीबन आधा गज़) उचा और ऊँगली बराबर मोटा होना चाहिये।
इमाम की आड़ मुक्तदि के लिये भी आड़ है। यानी इमाम के आगे आड़ हो तो अगर कोई मुक्तदि के आगे से गुज़र जाए तो गुनाहगार न होगा।
बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
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