➡हज़रते आइशा और उम्मी सलमा रदिअल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ कभी बीवियों की मकारबत की वजह से सुबह तक जनाबत की हालत में रहते फिर गुस्ल करते और रोज़ा रख लेते।
हदिष की सरह
➡जुनूबी आदमी रोज़ा रखने के बाद गुस्ल कर सकता है, लेकिन अफज़ल ये है, रोज़ा से पहले गुस्ल करे।
➡तंगी वक़्त के पेशे नज़र गुस्ल मुअख्खर करना जाइज़ है।
✍🏽मुख़्तसर सही बुखारी जी.2 स.716
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