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Saturday 31 December 2016

*नमाज़ के 7 फराइज़*​ #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_​​6 क़ादए आखिरह​​_*
     नमाज़ की रकअते पूरी करने के बाद इतनी देर तक बैठना की पूरी अत्तहिय्यात पढ़ ली जाए फ़र्ज़ है।
*​✍🏽आलमगिरी, 1/70​*
     4 रकअत वाले फ़र्ज़ में चौथी रकअत के बाद क़ादह न किया तो जब तक पांचवी का सज्दा न किया हो बैठ जाए, और अगर पाचवी का सज्दा कर लिया या फ़ज्र में दूसरी पर नहीं बैठा तीसरी का सज्दा कर लिया या मगरिब में तीसरी पर नहीं बैठा और चौथी का सज्दा कर लिया, इन सब सूरतो में फ़र्ज़ बातिल हो गए। मगरिब के इलावा और नमाज़ों में एक रकअत मज़ीद मिला ले।

*_7 खुरूजे बिसुन्ईही_*
     यानी कायदाए आख़िरा के बाद सलाम या बातचीत वगैरा कोई ऐसा फेल इरादतन करना जो नमाज़ से बाहर कर दे। मगर सलाम के इलावा कोई फेल इरादतन पाया गया तो नमाज़ वाजीबुल इआदा होगी। और अगर बिला क़स्द कोई इस तरह फेल पाया गया तो नमाज़ बातिल।
*​✍🏽नमाज़ के अहकाम, 176-170​*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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