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Sunday 30 September 2018

*दिलचस्प मालूमात* #09


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सवाल* : जो शख्स खत्मे नबुव्वत को न माने उसके मुतअल्लिक़ क्या हुक्म है?

     *जवाब* : जो शख्स हुज़ूर ﷺ के ज़माने में या आप के बाद किसी को नबुव्वत मिलने का अक़ीदा रखे या किसी नए नबी के आने को मुमकिन माने वो काफ़िर है।


     *सवाल* : अम्बियाए किराम की हयाते तैय्यबा के मुतअल्लिक़ हमारा अक़ीदा क्या है*

     *जवाब* : अम्बियाए किराम की हयाते तैय्यबा के मुतअल्लिक़ हमारा अक़ीदा ये है कि वो अपनी क़ब्रो में उसी तरह ब हयाते हक़ीक़ी ज़िन्दा है जैसे दुन्या में थे, खाते पीते है और जहां चाहें आते जाते है।

*✍️बहारे शरीअत*

*✍️दिलचस्प मालूमात* 14

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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