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Tuesday 25 September 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-11, आयत, ⑨①*

سْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और जब उनसे कहा जाए कि अल्लाह के उतारे पर ईमान लाओ (16) तो कहते है वह जो हम पर उतरा उसपर ईमान लाते हैं (17) और बाक़ी से इन्कार करते हैं हालांकि वह सत्य है उनके पास वाली की तस्दीक़  (पुष्टि) फ़रमाता हुआ (18) तुम फ़रमाओ कि फिर अगले नबियों को क्यों शहीद किया अगर तुम्हें अपनी किताब पर ईमान था (19)


*तफ़सीर*

     (16) इससे क़ुरआने पाक और वो तमाम किताबें मुराद हैं जो अल्लाह तआला ने उतारीं, यानी सब पर ईमान लाओ.

     (17) इससे उनकी मुराद तौरात है.

     (18) यानी तौरात पर ईमान लाने का दावा ग़लत है. चूंकि क़ुरआने पाक जो तौरात की तस्दीक़ (पुष्टि) करने वाला है, उसका इन्कार तौरात का इन्कार हो गया.

     (19) इसमें भी उनकी तकज़ीब है कि अगर तौरात पर ईमान रखते तो नबियों को हरगिज़ शहीद न करते.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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