بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
*पहाड़ और परिंदे दाऊद عليه السلام के ताबे*
अल्लाह ने पहाड़ो को आपके साथ मुसख्खर कर दिया यानी पहाड़ आपके ताबे थे आप जहां चलते पहाड़ आपके साथ चलते या आप जिस जगह पहाड़ो को आपके साथ ले जाने का इरादा फरमाते पहाड़ वहां चले जाते। आप का मोजिज़ा अल्लाह की कामिल हिकमत व क़ुदरत पर दलालत करता है। आप की आवाज़ बहुत हसीन थी, आवाज़ में रॉब और दबदबा भी था। जब आप अच्छी आवाज़ से ज़बूर शरीफ पढा करते तो पहाड़ों से भी तस्बिहात की हसीन व जमील गुनगुनाहट सुनाई देती।
इसमें अल्लाह की क़ुदरत के कई कारनामे मौजूद है। यानी पहाड़ों के जिस्म में ज़िन्दगी पैदा फरमाता है फिर उन्हें शऊर अता फरमाता है फिर उन्हें क़ुदरत से नवाजता है फिर उन्हें बोलने की ताक़त देता है कि वो अल्लाह की तस्बीहात पढ़ते है, इसकी मिसाल क़ुरआन में एक और भी है: "जब उस (मूसा) के रब ने अपनी तजल्लियात का ज़हूर पहाड़ पर फ़रमाया।
यानी अल्लाह ने पहाड़ में अक़्ल व फ़हद पैदा किये, फिर उसे अपने सिफ़ाती नूर के देखने के लिये ताक़त व समझ अता किये और देखने पर वो पहाड़ बर्दाश्त न कर सका।
हज़रत दाऊद عليه السلام के खुश आवाजी से ज़बूर पढ़ने और तसबिहात पढ़ते तो परिंदे आप के करीब आ कर कान लगाकर सुनते थे इतने क़रीब हो जाते थे कि आप परिंदों को गर्दन से पकड़कर उनसे प्यार करते।
बाज़ हज़रात ने बयान किया है कि दाऊद عليه السلام की आवाज़ में रब ने ऐसा अजीब असर रखा था कि आप ज़बूर पढ़ते तो चलता पानी रुक जाता दरख्तों पर ये असर होता कि गोया वो भी ज़बाने हाल से आपके साथ तसबिहात पढ़ रहे है और उनके पत्ते झड़ने शुरू हो जाते।
*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 204
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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