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Sunday 30 September 2018

क़ुरआन का चेलेंज नबी का मोजिज़ा*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     अल्लाह ने आने फ़ज़लों करम से छोटी बड़ी कमो बेस 104 कितबे मुक़द्दस रसूलों पर नाज़िल फ़रमाई, ताकि उसके बन्दों को हक़ राह मिल सके। हक़ राह को पाने में कोई शक न रहे, जन्नत से निकालके आने वाला इंसान फिर जन्नत में जाने लायक बन सके, शैतान जो उसका दुश्मन है वो उसे गलत राहपे ले जाके उसे दोज़खी न बनादे। इंसान, इंसान बनके ज़िन्दगी बसर करे, अख़लाक़, आदाब से हट के जानवर न बने। बल्कि अपने अख़लाक़ से फरिश्तों से बन के दिखाये। अल्लाह की हक़ीक़ी पहचान मिले और शिर्क और बूत परस्ती से महफूज़ रहे। अल गरज़ अल्लाह के बन्दे उसकी नाज़िल करदा किताबों से उस अल्लाह का हक़ीक़ी बन्दा बनके रहे।


*नबी की ज़रूरत*

     अगर सिर्फ किताबे नाज़िल कर दी जाती तो उसे समझने में लोगो को शको सूबा हो सकता था और शैतान गलत माना समझा के लोगो को गलत राह पे ले जा सकता था। तो अल्लाह ने किताबे अपने मुक़द्दस और प्यारे रसूलों पे नाज़िल फ़रमाई और उनको मख़लूक़ से ज़्यादा इल्म अता किया और उन्हें गुनाहों से पाक व मासूम रखा। शैतान से उनकी हिफाज़त की। जिस रसूल पे जो किताब नाज़िल की उस किताब का सच्चा इल्म भी उस नबी को अता फ़रमाया। हबीब रसूलों ने अपने अख़लाक़ व अमलो से लोगोको अल्लाह की मुक़द्दस किताब का इल्म दिया। अल्फ़ाज़ से अगर शक होता तो उनके अमल से उनको जवाब मिल जाता।

*✍️क़ुरआन एक ज़िंदा मोजिज़ा* 14

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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