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Friday 21 December 2018

फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा* #31

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*तवाज़ोअ अफ्ज़ल इबादत*

     शैख शहाबुद्दीन इमाम अहमद बिन हजर मक्की शाफेई رحمة الله عليه आइशा सिद्दीका رضي الله عنها का फरमान नक्ल करते हैं : तवाज़ोअ अफ्ज़ल इबादत है । 

     एक जगह आग ने इशाद फ़रमाया : तुम इबादत में शक्लें मत बिगाड़ो, तुम पर तवाज़ोअ इख्तियार करना नाजिम हैं क्यूं कि तवाज़ोअ अफ्जल इबादत है। 


     एक और मकाम पर आप से मरवी है तुम ज़रूर अफ्ज़ल इबादत यानी तवाज़ोअ से गाफ़िल हो। 

     एक मकाम पर फ़रमाया : बेशक तुम ज़रूर अफ्ज़ल इबादत यानी तवाज़ोअ को तर्क करते हो।

     देखो! दो दो ताकीदों के साथ हमारी अम्मीजान, हबीबए हबीबे खुदा رضي الله عنها इर्शाद फरमा रही हैं कि "बेशक तुम जरूर अज़ल इबादत यानी तवाज़ोअ को तर्क करते हो, एक ताकीद "बेशक" और दूसरी "ज़रूर"। 


*तवाज़ोअ की तारीफ़* 

     प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो! हुज्जतुल इस्लाम हज़रते इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन मुहम्मद गज़ली رحمة الله عليه मिन्हाजुल आबिदीन में तवाज़ोअ की तारीफ़ बयान करते हुए इर्शाद फ़गाते हैं : अपने आप को हकीर और कमतर समझने को तवाज़ोअ कहते हैं। 


*तवाज़ोअ का इन्आम*

     हजरते अब्दुल्लाह बिन अब्बास رضي الله عنه फ़रमाते हैं : जब हज़रते मूसा कलीमुल्लाह عليه السلام ने अल्वाह (यानी तख्तियों) को पकड़ कर उन पर नज़र डाली तो अर्ज़ किया : “या इलाही! तूने मुझे ऐसी बुज़ुर्गी से सरफ़राज़ फरमाया है जिस से मुझ से पहले किसी को सरफ़राज़ न फ़रमाया था। तो अल्लाह ने उन की तरफ़ वही फ़रमाई : "क्या तुम जानते हो कि मैं ने तुम्हारे साथ ऐसा क्यूं कया है? "अर्ज किया : मैं नहीं जानता।" फ़रमाया : "इस लिये कि मैं ने अपने बन्दों के दिलों पर नज़र फ़रमाई तो तुम्हारे दिल से ज़्यादा किसी को तवाज़ोअ करने वाला नहीं पाया, लिहाज़ा जो मेरी अज़मत के सामने झुक जाए, मेरी मख़लूक़ पर बड़ाई न चाहे, अपने दिल पर मेरे खौफ को लाज़िम कर ले, अपना दिन मेरे ज़िक्र में गुज़ारे और मेरी खातिर अपनी ज़बान को नफ़सानी ख्वाहिशात से रोक ले तो में भी उस की तरफ तवज्जोह फरमाता हु।

*✍️फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा* 71

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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