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Saturday 2 February 2019

*तज़किरतुल अम्बिया* #380


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*सामरी की सज़ा*

     सामरी की दुन्या में सजा यह मुकर्रर हुई कि जो शख्स उसके क़रीब आकर उसे हाथ लगाता वो शख्स और सामरी शदीद बुखार में मुब्तला हो जाते इस लिए यह दूर से आते हुए शख्स को देखकर कहता मुझसे मुसाफ़ह न करन मुझे छूना नहीं इसका नतीजा यह निकला कि यह लोगों के दर्मियान वहशी जानवर की हैसियत में हो गया लोगों ने उससे मेल मुलाक़ात उसके साथ मिलकर खाना उसके साथ खरीद व फरोख्त और उसके साथ कलाम करना छोड़ दिया यानी हर किस्म के मामलात जो लोगों के दर्मियान होते हैं वह उससे मुनक्त कर दिये गये और उखरवी सज़ा जिसको ज़रूर वाके होना है जिसको  माफ भी नहीं होना वही सजा होगी जो मुशरिक की होगी बल्कि और लोगों को मुश्रिक व गुमराह बनाने की वजह से इस सजा में शिद्दत होगी। 

     अल्लाह तआला ने फ़रमायाः अल्लाह तआल उसे नहीं बख्शता कि उसका कोई शरीक ठहराया जाये और उससे नीचे जो कुछ है शिर्क के बगैर हर किस्म के गुनाह जिसे चाहे माफ़ फ़रमा देता है और जो अल्लाह तआला का शरीक ठहराए वह बहुत बड़ी गुमराही में मुब्तला है। 

     मूसा अलैहिस्सलाम को चालीस दिनों के बाद तौरात अता की गई कि आप चालीस दिन दुन्या वालों से अलग थलग होकर अल्लाह तआला की याद में मशगूल रहे इस तरह उसके जिक्र व फिक्र से आपके कल्ब व रूह को एक खास किस्म की कुव्वत हासिल हो जाये जो इस अज़ीम बोझ को उठाने के काबिल हो जाये। 

     बेशक चालीस को एक खुसूसियत हसिल है इसी वजह से अंबियाए किराम को चालीस साल की उम्र में नबुव्वत के ऐलान का हुक्म दिया जाता रहा उनसे रब तआला का कलाम बज़रिये वही इसी उम्र में हुआ फिर औलिगाए एज़ाम का भी यह मामुल है कि वह चिल्ला कशी करते है यानी चालीस रोज तके दुनिया से अलग होकर फ़क़त रब तआला की याद में मश्गूल होते हैं तो उनके दिलों पर हिकमत के चश्मे फूट पड़ते हैं। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद गिरामी हैं कि जो शख्स चालीस सुबह खलूस से दुनिया से अलग थलग होकर अल्लाह तआला को याद करता हैं उसके दिल से उसकी ज़बान पर हिकमत के चश्मे नमूदार हो जाते हैं। 


*बनी इस्राईल को तौबा का हुक्म* अगली पिस्ट में ان شاء الله.

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 316

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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