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Sunday 1 October 2017

*कबीरा गुनाह नंबर 12* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_ज़िना करना_*

*ज़िना की मज़म्मत में फरमाने मुस्तफा* #01
     रसूले अकरम صلى الله عليه وسلم से सवाल किया गया कौन सा गुनाह सब से बड़ा है ? इर्शाद फ़रमाया तू किसी को अल्लाह का हमसर क़रार दे हालाकिं उस ने तुझे पैदा किया है। अर्ज़ की गई : फिर कौन सा ? फ़रमाया : तेरा अपनी औलाद को इस खौफ से क़त्ल कर देना कि वो तेरे साथ खाएगी। अर्ज़ की गई फिर कौन सा ? फ़रमाया : तेरे अपने पड़ोसी की बीवी से ज़िना करना।
*✍🏼مسلم*

     ज़ानी जिस वक़्त ज़िना करता है मोमिन नहीं होता और चोर जिस वक़्त चोरी करता है मोमिन नही होता और शराबी जिस वक़्त शराब पिता है मोमिन नही होता।
*✍🏼مسلم*
(इन तमाम मक़ामात में या तो कमाले ईमान मुराद है या नुरे ईमान, यानी इन गुनाहों के वक़्त मुजरिम से नुरे ईमान निकल जाता है वरना ये गुनाह कुफ़्र नहीं न इन का मूर्तक़िब मुर्तद, अगर इसी हालत में मारा जाए तो वो काफ़िर न मरेगा।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह* 1/75

     जब बन्दा ज़िना करता है तो ईमान उस से निकल जाता है पस वो (उस के सर पर) साइबान की तरह होता है फिर जब बन्दा ज़िना से फारिग होता है तो ईमान उस की तरफ लौट आता है।
*✍🏼ابو داود*

     जो शख्स ज़िना करता या शराब पिता है तो अल्लाह उस से ईमान (कमाल ईमान) यूँ निकालता है जेसे इंसान अपने सर से किमस उतारे।
*✍🏼مستدرك حاكم*

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 56

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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