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Sunday 8 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 15* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_तकब्बुर करना, फख्र करना, शेखी मारना और खुद पसन्दी में मुब्तला होना_* #03

*बदतरीन मुतकब्बिर*
     बदतरीन मुतकब्बिर वो है जो अपने इल्म के सबब लोगों पर तकब्बुर करे और इल्मी फ़ज़ीलत के सबब अपने आप को दिल में बड़ा जाने। बिलाशुबा ऐसे शख्स को उस का इल्म नफा नहीं देता और जो शख्स आख़िरत के लिये इल्म हासिल करता है तो उस का इल्म उस की सफसकुशि करता है, उस के दिल को इन्किसारी करने वाला और नफ़्स को आजिज़ी करने वाला बना देता है। ऐसा शख्स हर वक़्त अपने नफ़्स की ताक में रहता है, नफ़्स से धोका नहीं खाता बल्कि हर आन नफ़्स का मुहासबा करता और उस को उयुब से पाक करने में लगा रहता है और अगर बन्दा नफ़्स की चालों से गाफिल हो जाए तो ये नफ़्स उसे सिरते मुस्तक़ीम से हटा देगा और हलाकत में मुब्तला कर देगा।
   
     जो शख्स इज़हारे फख्र और लोगों पर बड़ाई जताने के लिये इल्म सीखे नीज़ इल्मी फ़ज़ीलत की वजह से दीगर मुसलमानों को ब नज़रे हक़ारत देखे और उन से अहमक़ाना सुलूक करे और उन्हें अदना तसव्वुर करे तो ऐसा शख्स अज़ीम तरीन तकब्बुर का शिकार है और जिस शख्स के दिल में ज़र्रा बराबर भी तकब्बुर होगा वो जन्नत में दाखिल नहीं होगा।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 76

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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