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Friday 6 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 15* #01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_तकब्बुर करना, फख्र करना, शेखी मारना और खुद पसन्दी में मुब्तला होना_* #01
   
*गुरुर व तकब्बुर की मज़म्मत में तीन फरमाने बारी तआला*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और मूसा ने कहा में तुम्हारे और अपने रब की पनाह लेता हु हर मुतकब्बिर से कि हिसाब के दिन पर यक़ीन नही लाता।_
*✍🏼المؤمن ٢٧*

_बेशक वो मगरूरों को पसन्द नहीं फ़रमाता।_
*✍🏼النحل ٢٣*

_वो जो अल्लाह की आयतों में झगड़ा करते है बे किसी सनद के जो उन्हें मिली हो उन के दिलों में नहीं मगर एक बड़ाई की हवस जिसे न पहुंचेंगे तो तुम अल्लाह की पनाह मांगो।_
*✍🏼المؤمن ٥٢*

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 71

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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