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Monday 2 October 2017

*83 आसान नेकियां* #48
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*मरीज़ की इयादत करना* #02

*_इयादत के मदनी फूल_*
     मरीज़ की इयादत करना सुन्नत है। अगर मालुम है कि इयादत को जाएगा तो उस बीमार पर गिरां गुज़रेगा ऐसी हालत में इयादत न करे। इयादत को जाए और मरज़ की सख्ती देखे तो मरीज़ के सामने ये ज़ाहिर न करे की तुम्हारी हालत खराब है और न सर हिलाए जिस से हालत का खराब होना समझा जाता है। उस के सामने ऐसी बाते करनी चाहिये जो उस के दिल को भली मालुम हो। उसकी मिज़ाज पुर्सी करे। उस के सर पर हाथ न रखे मगर जबकि वो खुद इस की ख्वाहिश करे। फ़ासिक़ की इयादत भी जाइज़ है क्यू की इयादत हुकुके इस्लाम से है और फ़ासिक़ भी मुसलमान है।
*✍🏼बहारे शरीअत* 3/505

*_मरीज़ के लिये एक दुआ_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जिस ने किसी ऐसे मरीज़ की इयादत की जिस की मौत का वक़्त करीब न आया हो और सात मर्तबा ये अलफ़ाज़ कहे तो अल्लाह उसे उस मरज़ से शिफ़ा अता फ़रमाएगा :
اٙسْىٔٙلُ اللّٰهٙ الْعٙظِيْمٙ رٙبّٙ الْعٙرْشِ الْعٙظِيْمِ اٙنْ يّٙشْغِيٙكٙ
तर्जमा : में अज़मत वाले, अर्शे अज़ीम के मालिक यानी अल्लाह से तेरे लिये शिफ़ा का सुवाल करता हूँ।
*✍🏼سنن أبى داود*
*✍🏼आसान नेकियां* 131

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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