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Thursday 12 October 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 19*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_माले गनीमत बैतूल माल और ज़कात के माल में खियानत करना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है :
_और किसी नबी पर ये गुमान नहीं हो सकता कि वो कुछ छुपा रखे और जो छुपा रखे वो क़यामत के दिन अपनी छुपाई चीज़ ले कर आएगा।_
*✍🏼ال عمران ١٦١*

*_ज़ुल्म की अक़्साम_*
     ज़ुल्म की तीन किस्मे है : (1) बातिल तरीके से लोगों का माल खा लेना। (2) लोगों को क़त्ल, मार पिट, हड्डियां तोड़ कर और ज़ख़्मी कर के उन पर ज़ुल्म करना। (3) लोगों को गालियां दे कर, लान तान, बुरा भला कह कर और ज़िना की तोहमत लगा कर उन पर ज़ुल्म ढाना।
     रसूले पाक صلى الله عليه وسلم ने मिना में ख़ुत्बा देते हुवे इर्शाद फ़रमाया : बिलाशुबा तुम्हारे खून, तुम्हारे अमवाल और तुम्हारी इज़्ज़ते तुम (में एक दूसरे) पर ऐसे हराम है जेसे आज के दिन की तुम्हारे इस महीने और तुम्हारे इस शहर की हुरमत है।
*✍🏼بجارى*
     अल्लाह बगैर तहारत के नमाज़ क़बूल नहीं फ़रमाता और खियानत के माल से सदक़ा क़बूल नहीं करता।
*✍🏼مسلم*
     हज़रते ज़ैद बिन खालिद जुहनी رضي الله عنه बयान करते है : एक शख्स ने ग्ज़वऐ खैबर में खियानत की थी, हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने उस की नमाज़े जनाज़ा नहीं पढ़ी और फ़रमाया : तुम्हारे साथी ने राहे खुदा में खियानत की है। ये खबर सुन कर हम ने उस के सामान की तलाशी ली तो उस में एक मोती पाया जिस की क़ीमत दो दिरहम के बराबर थी।
*✍🏼أبو داود*
     इमाम अहमद बिन हम्बल عليه رحما फ़रमाते है : हम नहीं जानते कि खाइन और ख़ुदकुशी करने वाले के इलावा आप صلى الله عليه وسلم ने किसी शख्स की नमाज़े जनाज़ा पढ़ना तर्क की हो।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 88

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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