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Sunday 2 September 2018

सवानहे कर्बला​* #16


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_शहादत के वाक़ीआत_*


*_​​कूफा को हज़रते मुस्लिम की रवानगी​​​​​​​​​​​​​​​​_* #08

     चुनांचे ये लोग हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه को और उनके दोनों बेटो को इब्ने ज़ियाद के पास ले कर रवाना हुए। उस बद बख्त ने पहले ही से दरवाज़े के दोनों पहलुओ में अंदर की जानिब तेग ज़न छुपा कर खड़े कर दिये थे और उन्हें हुक्म दे दिया था की हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه दरवाज़े में दाखिल हो तो एक दम दोनों तरफ से इन पर वार किया जाए।

     हज़रते मुस्लिमرضي الله تعالي عنه को इस की क्या खबर थी और आप इस मक्कारी क्र कय्यादि से क्या वाकिफ थे, आप आयते करीम *ऐ रब हमारे हम में और हमारी क़ौम में हक़ फैसला कर* (पारह 9) पढ़ते हुए दरवाज़े में दाखिल हुए। दाखिल होना था की अश्किया ने दोनों तरफ से तलवारो के वार किये और बनी हाशिम का मज़लूम मुसाफिर आदाए दिन की बे रहमी से शहीद हुवा।

     दोनों साहबज़ादे आप के साथ थे। उन्हों ने इस बे कसी की हालत में औने शफ़ीक़ वालिद का सर उन के मुबारक तन से जुदा होते देखा। छोटे छोटे बच्चों के दिल गम से फट गए और इस सदमे में वो बैद की तरह लराजने और काम्पने लगे। एक भाई दूसरे भाई को देखता था और उन की आँखों से अश्क जारी थे, लेकिन इस सितम में कोई इन नादानों पर रहम करने वाला न था, सितमगरो ने इन नौनिहालो को भी तेगे सितम से शहीद किया और हानि को क़त्ल करके सूली चढ़ाया।

     इन तमाम शहीदों के सर नेजो पर चढ़ा कर कूफा के गली कुचो में फिराए गए और बे हयाई के साथ कुफियो ने अपनी संग दिली और मेहमान कुशी का अमली तौर पर ऐलान किया।

     ये वाक़या 3 ज़िल हिज्जा सी. 60 ही. का है। इसी रोज़ मक्का से हज़रते इमामे हुसैन कूफा की तरफ रवाना हुए।

*✍🏽सवानहे कर्बला, 125*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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