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Tuesday 11 September 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #245


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*क़ौमे इलयास का बूत*

     उनके बूत का नाम बअल था, यमन की लुगत में बअल का मायने रब है।

     वो कहते थे: इस घर का मालिक कौन है? इसी वजह से खाविंद को भी बअल कहा गया है।

     क़ुरआन में है: और ज़िक्र किया गया है।

      इन दोनों मक़ामो में बअल का मायने खाविंद है, चुकी वो उस बूत को अपना रब मानते थे उसका नाम ही उन्होंने बअल रखा हुआ था। उस बूत की लंबाई 30 फिट थी वो सोने का बना हुआ था, उसके चार मुह थे वो उसकी बहुत ज़्यादा ताज़ीम करते थे। उसकी खिदमत के लिये 409 खादिम रखे हुए थे। वो खुद्दाम चुकी उनके मअबूद के खिदमत गुज़ार थे इसलिये वो उनको अपने बेटों की तरह समझते थे। बाज़ मुफ़स्सिरिन ने अबनाइहीम की जगह अम्बिया तहरीर किया है, कि वो उन खादिमों को अपने खुदा का नबी समझते थे।


*शहर बअलबक*

     बअलबक शहर का नाम इसलिये बअलबक रखा गया है कि उस वक़्त के हाकिम का नाम बक था और उसके मअबूद का नाम बअल था। उसने एक शहर आबाद किया जिसका नाम उसने अपने और उसके मअबूद के नाम से मुरककब करके बअलबक रखा। नहव कि तमाम किताब में ऐसा ही ज़िक्र किया गया है।

     तफसीरें ख़ज़ाइनुल इरफान में है कि बक उस जगह का नाम था जहां उन्होंने अपने बूत बअल को रखा हुआ था। इस तरह बूत और उसके मंदिर के नाम से शहर का नाम बअलबक रखा गया।


     दुन्या में क़ौमे इल्यास की तबाही और आप पर ईमान लेन वालों की नजात का ज़िक्र मुअतबर तफासिर में नज़र नहीं आ सका। आला हजरत  رحمة الله عليه का तर्जमा भी यही ज़ाहिर कर रहा है। सलामुन आला इल्यासीन का तर्जमा आला हजरत رحمة الله عليه ने किया है सलाम हो इल्यास عليه السلام पर। इसमें एक क़ौल ये है कि आपके साथ ईमान लेन वालों पर सलाम हो। एक क़राअत में आल या सीन में चूंकि इल्यास عليه السلام बिन या सीन है यानी सीन की आल पर सलाम हो इससे मुराद इल्यास عليه السلام है।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 196

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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