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Thursday 13 September 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #247


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*क़ौमे यूनुस की तौबा की क़बूलिय्यत का दिन*

     वो दिन आशूरा का था। यानी 10 मुहर्रम और जुमुआ का दिन था। वो अपने एक बुजुर्ग आलिम के पास जाकर पूछ रहे थे कि हम पर अज़ाब आने वाला है हम क्या करें? उसने उन्हें मशवरा दिया था कि तुम अल्लाह के हुजूर ये दुआ करो...

     ए उस वक़्त भी जिंदा रहने वाले जब कोई ज़िंदा नहीं रहेगा, ए हमेशा ज़िंदा रहने वाले, ए मुर्दो को ज़िंदा करने वाले, ए हमेशा ज़िंदा रहने वाले तेरे बगैर कोई मअबूद नहीं। ए अल्लाह! बेशक हमारे गुनाह बहुत बड़े है हद से बढ़ चुके है, तू अज़ीम है और जलीलुल कद्र है, हमारे साथ वो सलूक कर जो तेरी शान के लायक हो। (क्योंकि तू रहीम व करीम है लिहाजा शाने करीमी के मुताबिक़ हमारे साथ मामला फरमा) और आरे साथ वो सलूक न फरमा जिसके हम हक़दार है।

     *एतराज़* : फ़िरऔन अज़ाब को देखकर ईमान लाया और तौबा की लेकिन उसके ईमान लाने और तौबा करने को क़बूल नहीं किया गया और यूनुस عليه السلام की क़ौम के ईमान और उनकी तौबा को क्यों क़बूल किया गया?

     *जवाब* : फ़िरऔन ने अज़ाब को देखकर तौबा की थी क्योंकि जब वो गर्क होने लगा था तो उसने कहा था में ईमान लाता हु लेकिन यूनुस عليه السلام की क़ौम ने अज़ाब का मुशाहिदा करने से पहले सिर्फ अलामते अज़ाब को देखकर ईमान क़बूल कर लिया था और तौबा कर ली थी। अब फर्क वाज़ेह हो गया कि फ़िरऔन का ईमान अज़ाब के मुशाहिदा करने पर और उनका ईमान अज़ाब का मुशाहिदा करने से पहले था।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 198

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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