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Saturday 8 September 2018

सवानहे कर्बला​* #30


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_शहादत के वाक़ीआत_* 


*10 मुहर्रम के दिलदोज वाक़ीआत* #08

     वहब के बाद और सआदत मन्द जां निषार, दादे जान निषारि देते और जाने फ़िदा करते रहे। इस ज़िमरे में हूर बिन यज़ीद रियाही क़ाबिले ज़िक्र है। जंग के वक़्त हूर का दिल बहुत मुज़तरिब था और उस की सीमाब वार बेक़रारी उस को एक जगह न ठहरने देती थी, कभी वो अम्र बिन साद से जा कर कहते थे की तुम इमामرضي الله تعالي عنه के साथ जंग करोगे तो रसूलल्लाहﷺ को क्या जवाब दोगे ? अम्र बिन साद को इस का जवाब न बन आता था। वहा से हट कर फिर मैदान में आते है, बदन कांप रहा है, चेहरा ज़र्द है, परेशानी के आशार नुमाया है, उनके भाई मुसअब् बिन यज़ीद ने उन का ये हाल देख  कर पूछा की आप मशहूर जंग आज़मा और दिलावर है, आप के लिये ये पहला ही मरका नहीं बारहा जंग के खुनी मनाज़िर आप ने देखे है। आप का ये क्या हाल है और आप पर इस क़दर खौफो हिरास क्यू ग़ालिब है ?

     हूर ने कहा की ये मुस्तफा के फ़रज़न्द से जंग है, अपनी आकिबत से लड़ाई है, में बहिश्त व दोज़ख के दरमियान खड़ा हु, दुन्या पूरी क़ुव्वत के साथ मुझ को जहन्नम की तरफ खीच रही है और मेरा दिल उसकी हैबत से काप रहा है। इसी आशना में हज़रते इमामرضي الله تعالي عنه की आवाज़ आई, कोई है जो आज आले रसूल पर जान निषार करे और हुज़ूर की हुज़ूरी में सुर्ख रुई पाए।


बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله

*✍🏽सवानहे कर्बला, 147*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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