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Saturday 1 September 2018

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-6, आयत, ⑤⑨*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

तो ज़ालिमों ने और बात बदल दी जो फ़रमाई गई थी उसके सिवा(19) तो हमने आसमान से उनपर अज़ाब उतारा(20) बदला उनकी बे हुकमी का.


*तफ़सीर*

     (19) बुख़ारी और मुस्लिम की हदीस में है कि बनी इस्राइल को हुक्म हुआ था कि दर्वाज़े में सज्दा करते हुए दाख़िल हों और ज़बान से “हित्ततुन” यानी तौबह और माफ़ी का शब्द कहते जाएं. उन्होंने इन दोनों आदेशों के विरूद्ध  किया. दाख़िल तो हुए पर चूतड़ों के बल घिसरते और तौबह के शब्द की जगह मज़ाक के अंदाज़ में “हब्बतुन फ़ी शअरतिन” कहा जिसके मानी हैं बाल में दाना.

     (20) यह अज़ाब ताऊन (प्लेग) था जिससे एक घण्टे में चौबीस हज़ार हलाक हो गए. यही हदीस की किताबों में है कि ताऊन पिछली उम्मतों के अज़ाब का शेष हिस्सा हैं. जब तुम्हारे शहर में फैले, वहां से न भागो. दूसरे शहर में हो तो ताऊन वाले शहर में न जाओ. सही हदीस में है कि जो लोग वबा के फैलने के वक़्त अल्लाह की मर्ज़ी पर सर झुकाए सब्र करें तो अगर वो वबा (महामारी) से बच जाएं तो भी उन्हें शहादत का सवाब मिलेगा.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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