Pages

Tuesday 4 September 2018

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-8, आयत, ⑥④*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

फिर उसके बाद तुम फिर गए तो अगर अल्लाह की कृपा और उसकी रहमत तुम पर न होती तो तुम टोटे वालों में हो जाते (5)


*तफ़सीर*

     (5) यहाँ फ़ज़्ल व रहमत से या तौबह की तौफ़ीक़ मुराद है या अज़ाब में विलम्ब (देरी.) एक कथन यह भी है कि अल्लाह की कृपा और रहमत से हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की पाक ज़ात मुराद हैं. मानी ये है कि अगर तुम्हें नबियों के सरदार सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के वुजूद (अस्तित्व) की दौलत न मिलती और आपका मार्गदर्शन नसीब न होता तो तुम्हारा अंजाम नष्ट होना और घाटा होता.

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

*​DEEN-E-NABI ﷺ*

📲JOIN WHATSAPP

*(बहनों के लिये अलग ग्रुप)*

📱+91 95580 29197

📧facebook.com/deenenabi

📧Deen-e-nabi.blogspot.in

📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA

No comments:

Post a Comment