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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
वह तो तुम्हें यही हुक़्म देगा बदी और बेहयाई का और यह कि अल्लाह पर वह बात जोड़ो जिसकी तुम्हें ख़बर नहीं.
*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-21, आयत, ①⑦ⓞ*
और जब उनसे कहा जाए अल्लाह के उतारे पर चलो (2) तो कहे बल्कि हम तो उसपर चलेंगे जिसपर अपने बाप दादा को पाया क्या अगरचे (यद्यपि) उनके बाप दादा न कुछ अक़्ल रखते हो न हिदायत(3)
*तफ़सीर*
(2) तौहीद व क़ुरआन पर ईमान लाओ और पाक चीज़ों को हलाल जानो, जिन्हें अल्लाह ने हलाल किया.
(3) जब आप दादा दीन की बातों को न समझते हों और सीधी राह पर न हों तो उनका अनुकरण करना मूर्खता और गुमराही है.
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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