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Sunday 9 December 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #333

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*अल्लाह के मूसा अलैहिस्सलाम को इर्शादात*

     रब तआला ने फरमाया ऐ मूसा मैंने अपनी रिसालत व नबुव्वत के लिये तुम्हे तमाम लोगो और तुम्हारी क़ौम से चुन लिये लिया है इसलिये अब मैं तुम्हें वही करने लगा हूं तुम कामिल तवज्जोह से सुनना। रब तआला के इन हुक्म को सुनते ही आप एक पत्थर पर खड़े हो गये और एके पथ्थर से सहारा लगा लिय। अपने दायें हाथ को दूसरे हाथ पर रखा अपनी ठोड़ी को अपने सीने से लगाया और कामिल तरीका से अल्लाह तआला के कलाम को सुनने की तरफ मुतवज्जे हो गये।

     *फायदा* : हज़रत वहब रज़ियल्लाहु अन्हु केहते हैं : सुनने के आदाब यह हैं कि इंसान अपने तमाम आज़ा को हरकत देने से बाज़ रखे नजर नीचे रखे यानी इधर उधर न देखे बल्कि कलान करने वाले की तरफ़ ही सिर्फ मुतावज्जेह हो और मुकम्मल तौर पर कान लगा कर सुने और अक्ल को हाज़िर रखें और फिर काम करने का पक्का इरादा रखे बस यही वह सुनन हैं जो अल्लाह तआला को पसंद है। 

 

     फिर अल्लाह तआला ने सबसे पहले अपनी वहदानियत का जिक्र फ़रमाया क्योंकि उसकी ज़ात व सिफात पर ईनान लाना असलल उसूल (सब उसूलों की असल) है फिर अपनी इबादत करने का हुक्म दिया, फिर नमाज़ का हुक्म दिया कि यह मेरी याद का ज़रिया है फिर क़यामत का जीक्र फरमाय क्योंकि जिसे यह यकीन होगा कि क़यामत आनी है और नेकियों और बुराईयों का हिसाब भी होना है वही शख्स ईमान लायेगा और इबादत भी करेगा और हर्रिमात से इज्तेनाब भी करेगा, फिर क़यामत को मखफी रखने का जिक्र फ़रमाया इसलिये कि अगर वक्त बता दिया जाता तो लोग कहते अभी कयामत दूर है, दूसरे मकाम के करीब होने का जिक्र किया कि उखरवी लाज़वाल जिन्दगी के मुकाबिल यकीनन् क़यामत करीब ही है। 

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 282

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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