بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
हुदैबिया से वापसी में मक्कए मुर्रमा और मदीनए मुनव्वरह के रास्ते में इस सूरत का नजूल हुवा। जब येह सूरत नाज़िल हुई तो नबिय्ये करीम , रऊफुर्रहीम ﷺ ने फ़रमाया : आज रात मुझ पर एक ऐसी सूरत नाज़िल हुई जो मुझे दुन्या की हर चीज़ से ज़ियादा प्यारी है।
जिस वक्त रमज़ान शरीफ़ का चांद देखा जाए तो सूरए फ़त्ह को तीन बार पढ़ने से तमाम साल रिज्क में फ़राखी होती है।
कश्ती में सुवार होते वक्त पढ़ने से गर्क होने से मामुन रहता है। जिदाल और किताल के वक्त लिख कर पास रखने से हिफाजत होती है। *✍️जन्नती जेवर* 596
दुश्मनों पर फत्ह पाने के लिये इस को 21 मर्तबा पढ़िये अगर रमज़ान का चांद देख कर उस के सामने पढ़ा जाए तो ان شاء الله साल भर अम्न रहेगा।
*✍️जन्नती जेवर* 596
*✍️मदनी पंजसुरह* 64
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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