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Wednesday, 9 August 2017

*83 आसान नेकियां* #22
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #20

*_नमाज़ के इंतज़ार में बैठना_*
     नमाज़ ऐसी इबादत है जिस का इन्तज़ार करने वाला भी षवाब का हक़दार हो जाता है, फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : नमाज़ के इन्तज़ार में बैठने वाला क़याम करने वाले की तरह है और अपने घर से निकलने के वक़्त से लौटने तक नमाज़ियों में लिखा जाता है।

*_गुनाहों को मिटाने वाला अमल_*
     आप صلى الله عليه وسلم ने एक जगह वुज़ू फ़रमाया फिर अपने सहाबए किराम की तरफ रुख कर के फ़रमाया : क्या में तुम्हें गुनाहों को मिटाने वाले अमल के बारे में न बताऊँ ? सहाबा ने अर्ज़ की : ज़रूर बताइये। इर्शाद फ़रमाया : मशक़्क़त के वक़्त कामिल वुज़ू करना और मस्जिद की तरफ कषरत से आमदो रफ्त रखना और एक नमाज़ के बाद दूसरी नमाज़ का इन्तज़ार करना।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 80*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #09
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★ उल्टा कुरआन पढ़ना (मसलन पहली रकअत में "तब्बतयदा" पढ़ी और दूसरी में "इजाजा")

★ किसी वाजिब को तर्क करना। मसलन क़ौमा और जल्सा में पीठ सीधी होने से पहले ही रूकू या दूसरे सज्दे में चला जाना।
◆ इस गुनाह में मुसलमानो की अच्छी खासी तादाद मुलव्व्स नज़र आती है, यद् रखिये ! जितनी भी नमाज़े इस तरह पढ़ी होगी सब का लौटाना वाजिब है।

★ क़याम के इलावा किसी और मौके पर कुरआन पढ़ना।

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.194*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*तौबा की बुन्याद* #01
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : शर्मिन्दगी तौबा है।
*✍🏼سنن ابن ماجه*

     चुकी गुज़श्ता गुनाहो पर नदामत (शर्मिन्दगी) तौबा का रुकने आला है की इस पर बाक़ी सारे अरकान मबनी है, इस लिये सिर्फ नदामत का ज़िक्र फ़रमाया। जो किसी का हक़ मारने पर नादिम होगा तो हक़ अदा भी कर देगा, जो बे नमाज़ी होने पर शरमिन्दा होगा वो गुज़श्ता छूटी नमाज़े क़ज़ा भी कर लेगा أن شاء الله.
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 3/379*

     हमे चाहिये की नदामते क़ल्बी को पाने के लिये इन मदनी फूलों पर अमल करे :
     (1) अल्लाह की नेअमतो पर इस तरह गौरो फ़िक्र करें कि "उस ने मुझे करोडहा नेअमतों से नवाज़ा मसलन मुझे पैदा किया..मुझे ज़िन्दगी बाक़ी रखने के लिये सांसे अता फ़रमाई..चलने के लिये पाऊं दिये.. छूने के लिये हाथ दिये.. देखने के लिये आँखें अता फ़रमाई.. सुनने के लिये कान दिये.. सूंघने के लिये नाक दी.. बोलने के लिये ज़बान अता की और करोडहा ऐसी नेअमते अता फ़रमाई जिन पर आज तक में ने कभी गौर नहीं किया।" फिर अपने आप से यूँ सुवाल करे : क्या इतने एहसानात करने वाले रब की ना फ़रमानी करना मुझे ज़ैब देता है ?

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*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 37*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Tuesday, 8 August 2017

*83 आसान नेकियां* #21
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #19

*_सफ में दाहिनी तरफ खड़े होना_*
     अगर कोशिश कर के इमाम साहिब के सीधे हाथ की तरफ खड़े हो जाएं तो हम एक और फ़ज़ीलत को पाने में कामयाब हो जाएंगे।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : बेशक अल्लाह और उस के फ़रिश्ते सफों की दाहिनी जानिब नमाज़ पढ़ने वालों पर रहमत भेजते है।
*سنن ابي داود*

     मुक्ति (इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने वाला) के लिये अरज़ल जगह ये है की इमाम से क़रीब हो और दोनों तरफ बराबर हो, तो दाहिनी तरफ अफ़्ज़ल है।
*बहारे शरीअत*

*_सफ में खली जगह पुर करना_*
     जमाअत के दौरान सफ में खाली जगह पुर करना भी बेहद आसान नेकी है और इस की भी बड़ी फ़ज़ीलत है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم जो सफ के खला को पुर करेगा अल्लाह उस का एक दर्जा बुलन्द फ़रमाएगा और उस के लिये जन्नत में एक घर बनाएगा।
*✍🏼طبرانى*

*_मगफिरत कर दी जाएगी_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم जो सफ के खला को पुर करेगा उस की मगफिरत कर दी जाएगी।
*✍🏼مجمع الزوائر*
     पहली सफ में जगह हो और पिछली सफ भर गई हो तो उस को चिर कर जाए ओर उस खाली जगह में खड़े हो, और ये वहां है जहां फितना व फसाद का ऐहतिमाल न हो।
*✍🏼बहारे शरीअत*

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*✍🏼आसान नेकियां, 79*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #08
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*_नमाज़ी की तरफ देखना_* #01
★ किसी शख्स के मुह के सामने नमाज़ पढ़ना।
★ दूसरे शख्स को भी नमाज़ी की तरफ मुह करना ना जाइज़ व गुनाह है, कोई पहले से चेहरा किये हुए हो और अब कोई उस के चेहरे की तरफ रुख कर के नमाज़ शुरू करे तो नमाज़ शुरू करने वाला गुनाहगार हुवा और इन नमाज़ी पर कराहत आई वरना चेहरा करने वाले पर गुनाह व कहारत है।
*✍🏼दुर्रे मुख्तार, जी.2 स.496*

★ जो लोग जमाअत का सलाम फिर जाने के बाद अपने ऐन पीछे नमाज़ पढ़ने वाले की तरफ चेहरा कर के उस को देखते है या पीछे जाने के लिये उस की तरफ मुह कर के खड़े हो जाते है कि ये सलाम फेरे तो निकलू, या नमाज़ी के ठीक सामने खड़े हो कर एलान करते, दर्स देते, बयान करते है ये सब तौबा करे।

★ नमाज़ में नाक और मुह छुपाना
*✍🏼आलमगीरी, जी.1 स.106*

★ बिला ज़रूरत खनकार (यानी बलगम वग़ैरा) निकालना।

★क़सदन जमाहि लेना। (अगर खुद बी खुद आए तो हरज नहीं मगर रोकना मुस्तहब है)
     हुज़ूर ﷺ फरमाते है : जब नमाज़ में किसी को जमाही आए तो जहा तक हो सके रोके कि शैतान मुह में दाखिल हो जाता है।
*✍🏼सहीह मुस्लिम, स.413*

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.193*
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*धोका देने का नुक़्सान*
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो धोका देही करे वो हम में से नहीं है।
*✍🏼جامع الترمذي*

     इस हदिष से मालुम हुआ की तिजारती चीज़ में ऐब पैदा करना भी ज़ुर्म है, और कुदरती पैदा शुदा ऐब को छुपाना भी ज़ुर्म।देखो हमारे आक़ा صلى الله عليه وسلم ने बारिश से भीगे गल्ले को छुपाना मिलावट ही में दाखिल फ़रमाया।
     हज़रते अबू हुरैरा رضي الله عنه से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم गल्ले के एक ढेर पर गुज़रे तो अपना हाथ शरीफ उस में डाल दिया। आप की उंगलियों ने उस में तरी पाई तो फ़रमाया : ऐ गल्ले वाले ये क्या ? अर्ज़ की या रसूलुल्लाह صلى الله عليه وسلم ! इस पर बारिश पड़ गई। फ़रमाया : तो गीले गल्ले को तूने ढेर के ऊपर क्यू न डाला ताकि इसे लोग देख लेते, जो धोका दे वो हम में से नही।
*✍🏼صحيح مسلم*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 36*
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Monday, 7 August 2017

*83 आसान नेकियां* #20
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #18

*_नमाज़ से पहले मिस्वाक करना_*
     मिस्वाक करना बड़ी पाकीज़ा सुन्नते मुबारका है, लेकिन अगर नमाज़ से पहले मिस्वाक कर ली जाए तो नमाज़ का षवाब मज़ीद बढ़ जाता है। दो रकअत मिस्वाक कर के पढ़ना बगैर मिस्वाक की 70 रकअतो से अफ़्ज़ल है।
*✍🏼अत्तरगिब् वत्तरहिब*

*_पहली सफ में नमाज़ पढ़ना_*
     जमाअत से नमाज़ पढ़ने का षवाब अकेले नमाज़ पढ़ने के मुक़ाबले में 27 गुना ज़्यादा है लेकिन जमाअत की पहली सफ में नमाज़ पढ़ने की मज़ीद फ़ज़ीलत है।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : पहली सफ मलाइका की सफ की मिष्ल है, और अगर तुम पहली सफ की फ़ज़ीलत जान लेते तो इसे हासिल करने के लिये जल्दी जल्दी आगे बढ़ते।
*✍🏼مسند احمد*
     मर्दों की पहली सफ की इमाम से क़रीब है, दूसरी से अफ़्ज़ल है और दूसरी तीसरी से وعلٰى هذا القياس
*✍🏼बहारे शरीअत*
     लिहाज़ा हमे हर नमाज़ पहली सफ में अदा करने की कोशिश करनी चाहिये लेकिन पहली सफ में इस तरह न घुसा जाए की दूसरों को तकलीफ हो, फंस कर खड़े होने से भी बचिये की सफ टेढ़ी होने का खदशा होता है।

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*✍🏼आसान नेकियां, 78*
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*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #07
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*_आस्मान की तरफ देखना_*
     निगाह आसमान की तरफ उठाना, हुज़ूर ﷺ फरमाते है : क्या हाल है उन लोगो का जो नमाज़ में आसमान की तरफ आँखे उठाते है इससे बाज़ रहे या उनकी आँखे उचक ली जाएगी।
*✍🏼सहीह बुखारी, जी.2 स.103*

     इधर उधर मुह फेर कर देखना, चाहे पूरा मुह फेर या थोडा। मुह फेरे बिगैर सिर्फ आँखे फिरा कर इधर उधर बे ज़रूरत देखना मकरुहे तन्ज़ीहि है और नादिरन किसी गरजे सहीह के तहत हो तो हरज नहीं।
*✍🏼बहारे शरीअत, जी.3 स.194*

     सरकारे मदीना ﷺ फरमाते है : जो बन्दा नमाज़ में है अल्लाह की रहमते खास्सा उस की तरफ मुतवज्जेह रहती है जब तक इधर उधर न देखे, जब उसने अपना मुह फेरा उस की रहमत भी फिर जाती है।
*✍🏼अबू दाऊद, जी.1 स.334 हदिष:909*

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*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स.193*
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*दुआ बला को टाल देती है*
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : दुआ बला को टाल देती है।
*✍🏼الجامع الصغير*

     दुआ के दो फायदे है एक ये की इस की बरकत से आई बला टल जाती है दूसरे ये की आने वाली बला रुक जाती है। लिहाज़ा फ़क़त बला आने पर ही दुआ न की जाए बल्कि हर वक़्त दुआ मांगनी चाहिये, शायद कोई बला आने वाली हो जो इस दुआ से रुक जाए।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 3/295*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 34*
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Sunday, 6 August 2017

*83 आसान नेकियां* #19
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #17

*_मस्जिद से महब्बत करना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो मस्जिद से महब्बत करता है अल्लाह उसे अपना महबूब बना लेता है।
*✍🏼مجمع الزوار*

*_क्या मस्जिद से बेहतर भी कोई जगह है ?_*
     हमारे बुज़ुर्गाने दीन को मस्जिद से कितनी महब्बत होती थी और वो मस्जिद को आबाद रखने की कैसी कोशिशें फ़रमाया करते थे इस की एक झलक मुलाहजा कीजिये चुनान्चे, हज़रते मुहम्मद बिन मुन्कदिर عليه رحما फ़रमाते है की मेने हज़रते ज़ियाद बिन अबू ज़ियाद عليه رحما को देखा की वो मस्जिद में बैठे इस तरह अपने नफ़्स का मुहासबा फरमा रहे थे की बैठ जा ! तू कहां जाना चाहता है, क्यू जाना चाहता है ? क्या मस्जिद से भी बेहतर कोई जगह है जहाँ तू जाना चाहता है ? देख तो सही !यहाँ रहमतों की केसी बरसात है ? जब की तू चाहता है की बाहर जा कर कभी किसी के घर को देखे, कभी किसी के घर को।
*✍🏼زم الهواى*

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*✍🏼आसान नेकियां, 75*
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*दुआ की अहमिय्यात*
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     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : दुआ इबादत का मग्ज़ है।
*✍🏼तिर्मिज़ी*

     दुआ इबादत का रुकने आला है। दुआ इबादत का मग्ज़ इस ऐतिबार से है की दुआ मांगने वाला हर एक से कनारा कर के अपने रब की बारगाह में मुनाजात करता है।

*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 32*
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Saturday, 5 August 2017

*83 आसान नेकियां* #18
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #16

*_मस्जिदे आबाद करना_*
     मस्जिद में नमाज़ पढ़ना, तिलावत करना, अपनी आख़िरत के बारे में गौरो फ़िक़्र करना, इल्मे दीन और मुस्तफा करीम صلى الله عليه وسلم की सुन्नते सीखना सिखाना, ये सब मस्जिद को आबाद करने वाले काम है, बड़े खुश नसीब है वो इस्लामी भाई जो मस्जिदों को आबाद रखते है और इस बशारते नबवी के हक़दार बनते है की मस्जिद हर परहेज़गार का घर है और जिस का घर मस्जिद हो अल्लाह उसे अपनी रहमत, रिज़ा और पुल सिरात से बा हिफाज़त गुज़ार कर अपनी रिज़ा वाले घर जन्नत की ज़मानत देता है।

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم जब कोई बन्दा ज़िक्र व नमाज़ के लिये मस्जिद को ठिकाना बना लेता है तो अल्लाह उस से ऐसे खुश होता है जैसे लोग अपने गुमशुदा शख्स की अपने हा आमद पर खुश होते है।
*✍🏼सुनन इब्ने माजह*

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Friday, 4 August 2017

*83 आसान नेकियां* #17
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #15

*_बा वुज़ू रहना_*
     हर वक़्त बा वुज़ू रहना बड़ी सआदत की बात है और ये ज़्यादा मुश्किल भी नही, सिर्फ ये करना होगा की जब भी वुज़ू टूट जाए दोबारा कर लिया जाए, रफ्ता रफ्ता आदत बन ही जाएगी लेकिन हर बार निय्यत करना न भूलियेगा। हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने हज़रते अनस رضي الله عنه से फ़रमाया बेटा ! अगर तुम हमेशा बा वुज़ू रहने की इस्तिताअत रखो तो ऐसा ही करो क्यू की मलकुल मौत जिस बन्दे की रूह हालते वुज़ू में क़ब्ज़ करता है उस के लिये शहादत लिख दी जाती है।
*✍🏼शोएबुल ईमान*

*_हर वक़्त बा वुज़ू रहने के फ़ज़ाइल_*
     बाज़ आरिफिन ने फ़रमाया जो हमेशा बा वुज़ू रहे अल्लाह उस को 7 फ़ज़िलतो से मुशर्रफ फरमाए (1) मलाइका उस की सोहबत में रगबत करें (2) क़लम उसकी नेकियां लिखता रहे (3) उस के आज़ा तस्बीह करें (4) उस से तकबीरे उला फौत न हो (5) जब सोए अल्लाह कुछ फ़रिश्ते भेजे की जिन्न व इन्स के शर से उस की हिफाज़त करें (6) सकराते मौत उस पर आसान हो (7) जब तक बा वुज़ू हो अमाने इलाही में रहे।

*_बा वुज़ू सोना_*
     अगर सोने से पहले वुज़ू कर लिया जाए तो रात भर एक फ़रिश्ता हमारे लिये दुआए मगफिरत करता रहेगा और हमें रोज़ेदार की सी इबादत का षवाब भी मिलेगा।
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : अपने अजसाम को खूब पाक रखा करो अल्लाह तुम्हे पाक फरमा देगा क्यू की जो शख्स पाक रहते हुवे रात गुज़ारता है तो उस के पहलु में एक फ़रिश्ता भी रात गुज़ारता है और रात की कोई घड़ी ऐसी नही गुज़रती जिस में वो ये दुआ न करता हो : _या अल्लाह अपने बन्दे की मगफिरत फरमा दे क्यू की ये बा वुज़ू सो रहा है।
*✍🏼तिबरानी*
     एक और हदिष में है : बा वुज़ू सोने वाला रोज़ा रख कर इबादत करने वाले की तरह है।
*✍🏼कन्जुल उम्माल*

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*✍🏼आसान नेकियां, 72*
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*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #05
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*_उंगलिया चटखाना_*
★ हज़रते अल्लामा इब्ने आबिदीन शामी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है : इब्ने माजह की रिवायत है कि हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : नमाज़ में अपनी उंगलिया न चतखाया करो।
*✍🏼सुनन इब्ने माजह, जी.1 स.514 हदिष: 965*

★ मजीद एक रिवायत में है " नमाज़ के लिये जाते हुए उंगलिया चटखाने से मना फरमाया। इन अहादीस मुबारका से ये 3 अहकाम साबित हुए।
1⃣नमाज़ के दौरान और नमाज़ के लिये जाते हुए, नमाज़ का इंतज़ार करते हुए उंगलिया चटखाना मकरुहे तहरीमि है।
2⃣ख़ारिजे नमाज़ में बिगैर हाजत के उंगलिया चटखाना मकरुहे तन्ज़िहि है।
3⃣ख़ारिजे नमाज़ में किसी हाजत के सबब मसलन उंगलियो को आराम देने के लिये उनगलिया चटखाना मुबाह (बिला कराहत जाइज़) है
*✍🏼दुर्रे मुख्तार, रद्दल मोहतार, जी.1 स.409*

*_तशबिक यानि एक हाथ की उंगलिया दूसरे हाथ की उंगलियो में डालना_*
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया, जो मस्जिद के इरादे से निकले तो तशबिक यानी एक हाथ की उंगलिया दूसरे हाथ की उंगलियो में न डाले बेशक वो नमाज़ के हुक्म में है।
*✍🏼मस्नद इमाम अहमद बिन हम्बल, जी.6 स.320*

■ नमाज़ के लिये जाते वक़्त और नमाज़ के इंतज़ार में भी ये दोनों चीज़े मकरुहे तहरीमि है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स. 191*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*रहनुमाई की फ़ज़ीलत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो शख्स किसी को नेकी का रास्ता बताएगा, तो उसे भी उतना ही षवाब मिलेगा, जितना की उस नेकी पर अमल करने वाले को।
*✍🏼सहीह मुस्लिम*

     नेकी करने वाला, कराने वाला, बताने वाला, मशवरा देने वाला सब षवाब के मुस्तहिक़ है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 1/194*

     सरकारे दो आलम صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : अल्लाह की क़सम ! अगर अल्लाह तुम्हारे ज़रीए किसी एक को भी हिदायत दे दे तो ये तुम्हारे लिये सुर्ख ऊंटो से बेहतर है।
*✍🏼सुनन इब्ने दाऊद*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 30*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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Thursday, 3 August 2017

*83 आसान नेकियां* #16
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #14

*_वुज़ू के शुरू में بِسْمِ اللّٰهِ وٙالْحٙمْدُ لِلّٰه पढ़ना_*
     अगर हम वुज़ू के शुरू में بِسْمِ اللّٰهِ وٙالْحٙمْدُ لِلّٰه पढ़ लें तो इस काम में चन्द सेकन्डज़ लगेंगे लेकिन जब तक हमारा वुज़ू रहेगा हमारे नामए आमाल में नेकियां लिखी जाती रहेंगी।
     अबू हुरैरा से रिवायत है की हुज़ूर صلى الله عليه وسلم  ने इर्शाद फ़रमाया : ऐ अबू हुरैरा जब तुम वुज़ू करो तो بِسْمِ اللّٰهِ وٙالْحٙمْدُ لِلّٰه कह लिया करो जब तक वुज़ू बाक़ी रहेगा उस वक़्त तक तुम्हारे फिरिश्ते (किरामन कातिबिन) तुम्हारे लिये नेकियां लिखते रहेंगे।

*_वुज़ू के बाद कलिमाए शहादत पढ़ना_*
     वुज़ू के बाद अगर हम आसमान की तरफ निगाह उठा कर कलिमाए शहादत पढ़ लें तो हमारे लिये जन्नत के आठो दरवाज़े खुल जाएंगे, हदिष में है : जिसने अच्छी तरह वुज़ू किया और फिर आसमान की तरफ निगाह उठाई और कलिमाए शहादत पढ़ा उस के लिये जन्नत के आठों दरवाज़े खोल दिये जाते है जिस से चाहे अन्दर दाखिल हो।
*✍🏼سنن دارمى*

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 70*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*नमाज़ के मकरुहाते तहरीमि* #04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_नमाज़ में कंकरिया हटाना_*
★ दौराने नमाज़ कंकरिया हटाना मकरुहे तहरीमि है।

★ हज़रते जाबिर फरमाते है, मेने दौराने नमाज़ कंकरी छूने से मुतअल्लिक़ बारगाहे रिसालत में सुवाल किया, इरशाद हुवा : एक बार। और अगर तू इस से बचे तो सियाह आँख वाली 100 ऊंटनीयो से बेहतर है।

★ हा अगर सुन्नत के मुताबिक़ सज्दा अदा न हो सकता हो तो एक बार हटाने की इजाज़त है और अगर बिगैर हटाए वाजिब अदा न होता हो तो हटाना वाजिब है चाहे एक बार से ज़्यादा की हाजत पड़े।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, स. 190*
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*नजात का ज़रीआ*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो खामोश रहा नजात पा गया।
*✍🏼خامع التر مذي*

     इस फरमान का एक मतलब ये भी हो सकता है की जिस ने खामोशी इख़्तियार की वो दोनों जहां की बालाओं से महफूज़ रहा। इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली عليه رحما फ़रमाते है : कलाम चार किस्म के है, (1) खालिस नुक़्सान देह, (2) खालिस मुफीद, (3) नुक़्सान देह भी और मुफीद भी, (4) न नुक़्सान देह और न मुफीद।
     खालिस नुक़्सान देह से हमेशा परहेज़ ज़रूरी है। खालिस मुफीद कलाम ज़रूर करे। जो कलाम नुक़्सान देह भी हो और मुफीद भी उस के बोलने में एहतियात करे, बेहतर है कि न बोले और चौथी किस्म के कलाम में वक़्त ज़ाएअ करना है। इन कलामों में इम्तियाज़ करना मुश्किल है लिहाज़ा खामोशी बेहतर है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 6/464*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 28*
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Wednesday, 2 August 2017

*83 आसान नेकियां* #15
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #13

*_अज़ान का जवाब देना_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : ऐ औरतो ! जब तुम बिलाल को अज़ान व इक़ामत कहते सुनो तो जिस तरह वो कहता है तुम भी कहो की अल्लाह तुम्हारे लिये हर कलिमे के बदले एक लाख नेकियां लिखेगा और एक हज़ार दरजात बुलन्द फ़रमाएगा और एक हज़ार गुनाह मिटाएगा। ख्वातीन ने ये सुन कर अर्ज़ की : ये तो औरतो के लिए है, मर्दों के लिये क्या है ? फ़रमाया : मर्दों के लिये दुगना।

*_3 करोड़ 24 लाख नेकियां कमाइये_*
     अल्लाह की रहमत पर क़ुर्बान ! उस ने हमारे लिये नेकियां कमाना, अपने दरजात बढ़वाना और गुनाह बख्शवाना किस क़दर आसान फरमा दिया है। मगर अफ़सोस ! इतनी आसानियो के बा वुजूद भी हम गफलत का शिकार रहते है। पेश करदा हदिष में जवाबे अज़ान की जो फ़ज़ीलत बयान हुई है उस की तफ़सील मुलाहजा फरमाइये :
     जेसे الله اكبر الله اكبر ये दो कलीमात है इस तरह पूरी अज़ान में 15 लिमात है। अगर कोई इस्लामी बहन एक अज़ान का जवाब दे यानी मुअज्ज़िन जो कहता जाए इस्लामी बहन भी दोहराती जाए तो उस को 15 लाख नेकियां मिलेगी, 15 हज़ार दरजात बुलन्द होंगे और 15 हज़ार गुनाह मुआफ़ होंगे और इस्लामी भाइयो के लिये सब दुगना।
     फज्र की अज़ान में दो मर्तबा اصلوة خير من النوم है तो फज्र की अज़ान में 17 कलीमात हुवे और यूं फज्र की अज़ान के जवाब में 17 लाख नेकियां, 17 हज़ार दरजात की बुलन्दी और 17 हज़ार गुनाहो की मुआफ़ी मिली और इस्लामी भाइयो के लिये दुगना।
     इक़ामत में दो मर्तबा قدقامت الصلوت भी है यूं इक़ामत में भी 17 कलीमात हुवे तो इक़ामत के जवाब का षवाब भी फज्र की अज़ान के जवाब जितना हुवा।

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*✍🏼आसान नेकियां, 66*
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*तर्जमाए कन्जुल ईमान व तफ़सीर खजाईनुल इरफ़ान, हिन्दी*

पारह 1 से 3 का PDF link 👇🏽
https://www.dropbox.com/sh/4l66frtuixnfct5/AACEYJ56KZsVOBSmeWOElVS1a?dl=0

आप इस तफ़सीर को आसानी से समजना चाहते है तो पहले एक रूकू इस ऑडिओ का सुने फिर एक रूकू पढ़े, ان شاء الله समझने में आसानी होगी।

ऑडियो इस 👇🏽लिंक से डाऊनलोड करे
https://www.dropbox.com/sh/4jv6o6l4173pcm3/AAAO5UrQIjCQ401IsWMz5RyAa?dl=0

दुआए खैर का तालिब
جزاك الله خيرا

*📮षवाब की निय्यत से शेर करे*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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