*नजात का ज़रीआ*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो खामोश रहा नजात पा गया।
*✍🏼خامع التر مذي*
इस फरमान का एक मतलब ये भी हो सकता है की जिस ने खामोशी इख़्तियार की वो दोनों जहां की बालाओं से महफूज़ रहा। इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली عليه رحما फ़रमाते है : कलाम चार किस्म के है, (1) खालिस नुक़्सान देह, (2) खालिस मुफीद, (3) नुक़्सान देह भी और मुफीद भी, (4) न नुक़्सान देह और न मुफीद।
खालिस नुक़्सान देह से हमेशा परहेज़ ज़रूरी है। खालिस मुफीद कलाम ज़रूर करे। जो कलाम नुक़्सान देह भी हो और मुफीद भी उस के बोलने में एहतियात करे, बेहतर है कि न बोले और चौथी किस्म के कलाम में वक़्त ज़ाएअ करना है। इन कलामों में इम्तियाज़ करना मुश्किल है लिहाज़ा खामोशी बेहतर है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 6/464*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 28*
*___________________________________*
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : जो खामोश रहा नजात पा गया।
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इस फरमान का एक मतलब ये भी हो सकता है की जिस ने खामोशी इख़्तियार की वो दोनों जहां की बालाओं से महफूज़ रहा। इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली عليه رحما फ़रमाते है : कलाम चार किस्म के है, (1) खालिस नुक़्सान देह, (2) खालिस मुफीद, (3) नुक़्सान देह भी और मुफीद भी, (4) न नुक़्सान देह और न मुफीद।
खालिस नुक़्सान देह से हमेशा परहेज़ ज़रूरी है। खालिस मुफीद कलाम ज़रूर करे। जो कलाम नुक़्सान देह भी हो और मुफीद भी उस के बोलने में एहतियात करे, बेहतर है कि न बोले और चौथी किस्म के कलाम में वक़्त ज़ाएअ करना है। इन कलामों में इम्तियाज़ करना मुश्किल है लिहाज़ा खामोशी बेहतर है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 6/464*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 28*
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