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Wednesday, 27 June 2018

*वुज़ु और साइन्स* #02/15


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_वुज़ु और हाइ ब्लड प्रेशर_*
     एक हार्ट स्पेशालिस्ट का बड़े ऐतिमाद के साथ कहना है : हाई ब्लड प्रेशर के मरीज़ को वुज़ु करवाओ फिर उस का ब्लड प्रेशर चेक करो लाज़िमन कम होगा।

     एक मुसलमान माहिरे नफ्सियात का कौल है : नफ्सियात अमराज़ का बेहतरीन इलाज वुज़ु है।

     मग़रिबी माहिरीन नफ्सियात मरीज़ों को वुज़ु की तरह रोज़ाना कई बार बदन पर पानी लगवाते है।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, शफा 60*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Tuesday, 26 June 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #172


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*अल्लाह की गवाही*
     यूसफ़ عليه السلام के बरी होने की शहादत अल्लाह ने दी, इरशाद फ़रमाया: हम इस तरह फेरते है उनसे बुराई ओर बेहयाई को, बेशक वह हमारे मुख्लिस बन्दों में से है।

*इब्लीस का इक़रार*
     यूसफ़ عليه السلام की पाकबाज़ी का इक़रार इब्लीस ने भी किया इसलिये की अल्लाह से जब उसने मोहलत मांगी उसको क़यामत के लिये मोहलत दे दी गई उसने कहा: ऐ अल्लाह! मुझे तेरी इज़्ज़त की क़सम, में सिवाए तेरे मुख्लिस बन्दों के तमाम को गुमराह करता रहूंगा।
     उसका यह इक़रार इस बात को वाज़ेह करता है कि अल्लाह के मुख्लिस बन्दों को राहे रास्त से भटकाना शैतान के लिये मुमकिन नही ओर यूसफ़ عليه السلام का मुखलेसिन से होना भी यक़ीनी तौर पर है क्योंकि अल्लाह ने आपके मुख्लिस बन्दों से होने की शहादत दी है। रब की शहादत पर यक़ीन न आए तो और किस पर आयेगा?
     *अल्लामा राज़ी की फैसला कुन बात* : जो जाहिल यूसफ़ عليه السلام को बुराई (या इरादा बुराई) की तरफ मंसूब करते हैं अगर वह अल्लाह के दीन के मुत्तबेअ है तो वह अल्लाह की शहादत क़बूल करले, जो अल्लाह ने आप عليه السلام की पाकदामनी पर दी है और अगर वह शैतान या उसके लश्कर के ताबेदार है तो वह शैतान की शहादत क़बूल कर ले जो उसने आप عليه السلام की पाकदामनी पर दी है।
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 135
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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*_नमाज़ छोड़ने का वबाल अहादिष की रौशनी में_* #07


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : नमाज़ जन्नत की कुन्जी है।
*✍🏼मुसन्दे अहमद बिन हम्बल*
     जब नमाज़ जन्नत की चाबी है तो उसके बगैर जन्नत का दरवाज़ा हरगिज़ नहीं खुल सकता।

     रहमते आलम ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : बन्दा जब नमाज़ के लिये खड़ा होता है तो उसके लिये जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते है, उसके और परवरदिगार के दरमियान से हिजाबात (पर्दे) हटा दिये जाते है और हूरे इन उसका इस्तिक़बाल करती है।
*✍🏼अत्तरगिब् वत्तरहिब*
     यानी बन्दा नमाज़ के वक़्त अल्लाह की रहमत के बेहद क़रीब हो जाता है।
*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 18
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गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*अमीरे मुआविया का इश्के रसूल* #06


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
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*फ़ज़ाइले इमामे हसन ब ज़बाने अमीरे मुआविया*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हज़रते अमीरे मुआविया رضي الله عنه ने आने हम नशीनों से फ़रमाया: आबाओ अजदाद, चचा, फूफी ओर मामू व खालू के एतिबार से लोगों में सब से ज़्यादा मुअज़्ज़ज़ कौन है? सब ने अर्ज़ की: अमीरुल मुअमिनीन ज़्यादा जानते है। आप ने इमामे हसन رضي الله عنه का दस्ते मुबारक थामा ओर इरशाद फ़रमाया: ये है, क्योंकि इन के वालिद अली बिन अबी तालिब, वालिदा फातिमा, इन के नाना अल्लाह के रसूल, खदीजा इनकी नानी जान, जाफर इनके चचा, हाला बिन्ते अबी तालिब इनकी फूफी ओर हुज़ूर ﷺ की औलाद इनके मामू ओर खालाए है।
     एक ओर मक़ाम पर अमीरे मुआविया رضي الله عنه फरमाते है: मेने हुज़ूर ﷺ को देखा आप इमाम हसन की ज़बान या होंठ मुबारक का बोसा ले रहे थे। बेशक जिस ज़बान या होंटो को हुज़ूर ﷺ ने चूमा उसे हरगिज़ अज़ाब नहीं दिया जाएगा।
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया* 86
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*वुज़ु और साइन्स* #01/15


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_वुज़ु की हिकमते सुनने के सबब कबूले इस्लाम_*
     एक साहिब का बयान है : मेने मेल्जियम में यूनिवर्सिटी के एक गैर मुस्लिम स्टूडंट को इस्लाम की दा'वत दी। उसने सुवाल किया : वुज़ु में क्या क्या साइन्सि हिकमते है ? में ला जवाब हो गया।

     उसको एक आलिम के पास ले गया लेकिन उनको भी इसकी मालूमात न थी। यहाँ तक की साइन्सि मालूमात रखने वाले एक शख्स ने उसको वुज़ु की काफी खुबिया बताई मगर गर्दन के मसह की हिक्मत बताने से वो भी क़ासिर रहा।

     वो गैर मुस्लिम नौजवान चला गया। कुछ अरसे के बाद आया और कहने लगा : हमारे प्रोफेसर ने दौराने लेक्चर बताया : अगर गर्दन की पुशत और अतराफ़ पर रोज़ाना पानी के चन्द कतरे लगा दिये जाए तो रीढ़ की हड्डी और हराम मगज की खराबी से पैदा होने वाले अमराज़ से तहफ्फुज हो जाता है। ये सुन कर वुज़ु में गर्दन के मसह की हक़ीक़त मेरी समज में आ गई लिहाज़ा में मुसलमान होना चाहता हु और वो मुसलमान हो गया।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, शफा 58-59*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*डेली दुआ*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     इस किताब में सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक की ان شاء الله सभी दुआए है। pdf इस वजह से बनाई है की ये हमेशा आप के पास रहे ताकि आप हर काम करते वक़्त उस दुआ को पढ़ सके। इसे खुद भी रखे और दुसरो तक भी पोहचाए।
     किताब निचे 👇🏽दी हुई लिंक से डाऊनलोड करे।
https://drive.google.com/file/d/0BxNzOp0x1IN_WmFvU295ZUlsUVk/view?usp=drivesdk

*दुआए खैर का तालिब*
جزاك الله
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*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*तज़किरतुल अम्बिया* #171


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*औरत की गवाही*
     तोहमत लगाने वाली औरत (ज़ुलैख़ा) ने खुद भी हज़रते यूसुफ عليه السلام के बरी होने का एतराफ़ किया, मिस्र की औरतों के सामने उसने एतराफ़ करते हुए कहा: मेने इसे अपने तरफ माइल करना चाहा लेकिन इसने अपने आप को बचा लिया। इसी तरह उसने ओर कहा: अब बात खुल गई कि मैने उनको अपनी तरफ माइल करना चाहा लेकिन बेशक वह सच्चे है।
     औरत की इस गवाही के बाद वाज़ेह हुआ कि उसने भी यूसुफ عليه السلام को बरिउज़ ज़िम्मा क़रार दिया।
     उस औरत के खाविंद यानी आजिज़ी मिस्र ने कहा: यह तुम औरतों का मकर है बेशक औरतों का मकर बहुत बड़ा होता है ए यूसुफ तुम इसका ख्याल न करो और ए औरत तू अपने गुनाहों की माफी मांग।
     यह यूसुफ عليه السلام की पाकदामनी पर उस औरत के खाविंद की गवाही है।

*गवाह की गवाही*
     यूसुफ عليه السلام के बातिल अमल ओर हराम काम के इरादे से बरी होने पर गवाह की गवाही साबित है।
     और औरत के घर वालों में से एक गवाह ने गवाही दी कि अगर यूसुफ की क़मीज़ काज से फ़टी है तो औरत सच्ची है और अगर क़मीज़ पीछे से फ़टी है तो यूसुफ सच्चे है और औरत झूटी है।
     आपकी क़मीज़ तो पीछे से फ़टी थी लिहाज़ा आपकी बराअत पर गवाही साबित हो गई गवाह भी वह जो उस औरत के खानदान से है और अभी शीर ख्वार भी है इसी वजह से उस औरत के खाविंद ने औरत को मक्कार कहा।
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 133
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*_नमाज़ छोड़ने का वबाल अहादिष की रौशनी में_* #06


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : बन्दा जब सज्दे की आयत पढ़कर सज्दा करता है तो शैतान अलाहिदा (अलग) होकर रोता है और कहता है : हाय मुसीबत ! इसे सज्दे का हुक्म हुआ, इसने सज्दा किया तो इसे जन्नत नसीब हुई और मुझे सज्दे का हुक्म हुआ और मेने नहीं किया तो मुझे दोज़ख मिली।
*✍🏼सहीह मुस्लिम*
     शैतान को जन्नत से इसलिये निकलना पड़ा क्योंकि अल्लाह के हुक्म के बावुजूद उसने सज्दा करने से इनकार कर दिया था। हमें भी अल्लाह ने नमाज़ पढ़ने यानी सजदारेज़ होने का हुक्म फ़रमाया है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम भी इसी सज्दे से गाफिल होने की वजह से जन्नत से महरूम कर दिये जाए।

     हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : अपने अहले खाना (घर वालो) को नमाज़ पढ़ने का हुक्म दो बेशक अल्लाह तुम्हें ऐसी जगह से रोज़ी देगा जिसके मुतअल्लिक़ तुम गुमान भी नहीं कर सकते।
*✍🏼इहयाउल उलूम*
     मालुम हुआ कि नमाज़ पढ़ने वालों को अल्लाह बेरोज़गार नहीं रहने देता, उन्हें ऐसी जगह से रोज़ी देता है जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता।
*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 18
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*अमीरे मुआविया का इश्के रसूल* #05


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*में अली से महब्बत करता हूँ*
     हज़रते इब्ने अब्बास رضي الله عنه ने फ़रमाया: में हुज़ूर ﷺ की बारगाह में हाज़िर था, हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़, उमर फ़ारूक़, उष्मने गनी ओर अमीरे मुआविया भी मौजूद थे। अचानक हज़रते अली كَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم तशरीफ़ लाए, हुज़ूर ﷺ ने अमीरे मुआविया से फ़रमाया: ऐ मुआविया! क्या तुम अली से महब्बत करते हो? अमीरे मुआविया رضي الله عنه ने अर्ज़ की: उस ज़ात की क़सम जिस ले सिवा कोई मअबूद नहीं में अल्लाह के लिये इन से बहुत महब्बत करता हूँ। हुज़ूर ने फरमाया: अनक़रीब तुम दोनों के दरमियान आज़माइश होगी, अमीरे मुआविया رضي الله عنه ने अर्ज़ की: सबके बाद क्या होगा? फ़रमाया: अल्लाह की मुआफी, उसकी रज़ामन्दी ओर जन्नत में दाखिला। अमीरे मुआविया رضي الله عنه ने अर्ज़ की: हम अल्लाह के फैसले पर राज़ी है और उस वक़्त ये आयत नाज़िल हुई:
ओर अल्लाह चाहता तो वो न लड़ते मगर अल्लाह जो चाहे करे।
सूरए बक्र:253
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया* 82
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Monday, 25 June 2018

*बे वुज़ू क़ुरआने मजीद को कही से भी नहीं छू सकते*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     बे वुज़ू आयत को छूना तो खुद ही हराम है अगर्चे आयत किसी और किताब में लिखी हो, मगर क़ुरआने मजीद के सादा हाशिया बल्कि पुठ्ठे बल्कि चिली (यानि जो कपड़ा या चमड़ा गत्ते के साथ चिपका या सिला हो उस) का भी छूना हराम है.
     हा जुज़दान में हो तो जुज़दान को हाथ लगा सकते है।
     बे वुज़ू अपने सीने से भी मुसहफ शरीफ को मस नहीं कर सकता। बे वुज़ू की गरदन पर लंबी चादर का एक कपड़ा पड़ा हुवा है और वो उसके दूसरे कोने को हाथ पर रख कर मुसहफ शरीफ छूना चाहे और अगर चादर इतनी लंबी है की उस शख्स के उठने बैठने से दूसरे गोशे (यानि कोने) तक हरकत न पहोचेगी तो जाइज़ है वरना नहीं।
*✍🏽फतावा राज़वीय्या मुखर्रजा, 4/724-725*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 37*
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*बेटे की तलवार बाप का सर* : # 3


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

      हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो को जब उस की खबर हुई कि उस ने जूटी कसमों से अपने को सच्चा शाबित कर दिया और ज़ैद को ज़ुटला दिया तो शर्म की वजह से बाहर निकलना छोड़ दिया। बिल आख़िर सूरए मुनाफिकून नाज़िल हुई जिस से हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो की सच्चाई और अब्दुल्लाह बिन उबय्य की जूटी कसमो का राज़ खुल गया।
      हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो की वक़्अत मुवाफिक व मुख़ालिफ़ सब की नज़रों में बढ़ गई और अब्दुल्लाह बिन उबय्य का किस्सा भी सब पर ज़ाहिर हो गया। अब्दुल्लाह  बिन उबय्य के बेटे का नाम भी अब्दुल्लाह था और बड़े पक्के मुसलमान और सच्चे आशिके रसूल थे। जंग से वापसी के वक्त मदीनए मुनव्वरा से बाहर तलवार खींच कर खड़े हो गए और बाप से कहने लगे: उस वक्त तक मदिने में दाखिल होने नहीं दूंगा जब तक तू उसका इक़रार न करे कि तू ज़लील है और मुहम्मद ﷺ अज़ीज़ हैं।
     उसको बड़ा ताज़्ज़ुब हुवा क्यूंकि येह हंमेशा से बाप के साथ नेकी का बर्ताव करने वाले थे मगर हुज़ूर ﷺ के मुक़ाबले में बाप की कोई इज़्ज़त व महब्बत दिल में न रही। आखिर उस ने मजबूर हो कर इक़रार किया कि वल्लाह मैं ज़लील हूं और मुहम्मद ﷺ अज़ीज़ हैं। इस के बाद मदिने में दाखिल हो सका।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 148
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Sunday, 24 June 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #170


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*औरत की गवाही*
     तोहमत लगाने वाली औरत (ज़ुलैख़ा) ने खुद भी हज़रते यूसुफ عليه السلام के बरी होने का एतराफ़ किया, मिस्र की औरतों के सामने उसने एतराफ़ करते हुए कहा: मेने इसे अपने तरफ माइल करना चाहा लेकिन इसने अपने आप को बचा लिया। इसी तरह उसने ओर कहा: अब बात खुल गई कि मैने उनको अपनी तरफ माइल करना चाहा लेकिन बेशक वह सच्चे है।
     औरत की इस गवाही के बाद वाज़ेह हुआ कि उसने भी यूसुफ عليه السلام को बरिउज़ ज़िम्मा क़रार दिया।
     उस औरत के खाविंद यानी आजिज़ी मिस्र ने कहा: यह तुम औरतों का मकर है बेशक औरतों का मकर बहुत बड़ा होता है ए यूसुफ तुम इसका ख्याल न करो और ए औरत तू अपने गुनाहों की माफी मांग।
     यह यूसुफ عليه السلام की पाकदामनी पर उस औरत के खाविंद की गवाही है।
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 133
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     हज़रत उबादा बिन सामित से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : पांच वक़्त की नमाज़ अल्लाह ने फ़र्ज़ फ़रमाई है, जिसने अच्छे ढंग से वुज़ू किया और नमाज़ों को उनके वक़्तों पर अदा किया और उनका हक़ हल्का समझकर बर्बाद नहीं किया तो अल्लाह फ़रमाता है "उनका मेरे जिम्मे ये वादा है कि ऐसे आदमी को बख्श दूंगा।
*✍🏼मुस्नदे अहमद*

     हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया : नमाज़ दरमियानी औक़ात (वक़्तों) के गुनाहों का कफ़्फ़ारा है जबकि कबीरा (बड़े) गुनाहों से ओरहेज़ किया जाए।
*✍🏼कन्जुल उम्माल*
*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 17
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*अमीरे मुआविया का इश्के रसूल* #03


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*अलिय्युल मुर्तज़ा मुझसे अफ़ज़ल है*
     हज़रते अमीरे मुआविया رضي الله عنه की बारगाह में अली رضي الله عنه का तज़किरा हुवा तो आप ने फरमाया: खुदा की क़सम! जब अली رضي الله عنه कलाम फरमाते तो आप की आवाज़ में शेर की सी गरज होती, जब ज़ाहिर होते तो चांद की तरह रौशन होते और जब नवाज़ते तो बारिश की तरह बे इन्तिहा अता फरमाते।
     बाज़ हाज़रिने ने पूछा कि आप अफ़ज़ल है या अली رضي الله عنه? फ़रमाया: हज़रते अली رضي الله عنه के चंद नुकुश भी आले अबू सुफ़यान से बेहतर है।
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*वुज़ूए अम्बियाए किराम और नींद मुबारक*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     अम्बिया अलैहिमुस्सलाम का वुज़ू सोने से नहीं जाता।

     अम्बिया की आँखे सोती है दिल कभी नहीं सोता।

     बाज़ वुज़ू तोड़ने वाली चीज़े अम्बिया के लिये यू वुज़ू टूटने का सबब नहीं, की इन का वुक़ूअ (यानि वाक़ेअ होना) ही उन से मुहाल (यानि ना मुम्किन) है जेसे जुनून (यानि पागल पन) या नमाज़ में कहकहा।

     गशी (यानि बेहोशी) भी अम्बिया के जिस्मे ज़ाहिरे पर तारी हो सकती है, दिल मुबारक इस हालत में भी बेदार व खबरदार रहता है।
*✍🏽फतावा राज़वीय्या मुखर्रजा 4/740*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 29-30*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*बेटे की तलवार बाप का सर* : # 2


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
      हज़रते ज़ैद बिन अरक़म रदिअल्लाहो तआला अन्हो नौ उम्र बच्चे थे। वहां मैजूद थे, येह सुन कर ताब न ला सके, कहने लगे, खुदा की कसम! तू ज़लील है, तू अपनी क़ौम में भी तिरछी निगाहों से देखा जाता है। तेरा कोइ   हिमायती नहीं और मुहम्मद ﷺ इज़्ज़त वाले हैं। रहमान की तरफ से भी इज़्ज़त दिये गए हैं और अपनी कौम में भी इज़्ज़त वाले हैं, अब्दुल्लाह बिन उबय्य ने कहा अच्छा चुप रह मैं तो वैसे ही मज़ाक़ में कह रहा था, मगर हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने जा कर हुज़ूरे अक़दस  से नक़्ल कर दिया। हज़रते उमर रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने दरख़्वास्त भी की, इस काफ़िर की गरदन उड़ा दी जाए मगर हुज़ूर  ﷺ ने इजाज़त मर्हमत न फ़रमाई।
      अब्दुल्लाह बिन उबय्य को जब इस कि खबर हुई कि हुज़ूर  तक येह किस्सा पहुंच गया है तो हाज़िरे ख़िदमत हो कर जुटी कसमें खाने लगा कि मैं ने कोई ऐसा लफ्ज़ नहीं कहा है। ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने जुट नक़्ल कर दिया है। अंसार के भी कुछ लोग हाज़ीरे ख़िदमत थे। उन्होंने भी सिफ़ारिश की के या रसूलुल्लाह ﷺ ! अब्दुल्लाह कौम का सरदार है बड़ा आदमी शुमार होता है कि एक बच्चे की बात उस के मुक़ाबले में काबिले क़बूल नहीं। मुमकिन है कि सुनने में कुछ ग़लती हुई हो या समझने में। हुज़ूर  ने उस का उज़्र क़बूल फ़रमा लिया।
     हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो को जब उस की खबर हुई कि उस ने जूटी कसमों से अपने को सच्चा शाबित कर दिया और ज़ैद को ज़ुटला दिया तो शर्म की वजह से बाहर निकलना छोड़ दिया। बिल आख़िर सूरए मुनाफिकून नाज़िल हुई जिस से हज़रते ज़ैद रदिअल्लाहो तआला अन्हो की सच्चाई और अब्दुल्लाह बिन उबय्य की जूटी कसमो का राज़ खुल गया।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 148
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*नमाज़ की ज़रूरीआत*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     कई बन्दे ऐसे है जिन्हें नमाज़ में पढ़े जाने वाले कलामे पाक नहीं आते।
     ये किताब हमने नमाज़ के तअल्लुक़ से बनाई है। इस में आप को 20 सूरह, षना, अत्तहिय्यत, दुरुदे इब्राहिम, दुआएं मसुरा व दुआए क़ुनूत हासिल होंगी। इसे आप ज़बानी याद कर के नमाज़ मुकम्मल की जा सकती है।

किताब 👇🏽 इस लिंक से डाऊनलोड करे।
https://drive.google.com/file/d/1gZjBHEMv6ixbev487qqWGuwVFzUqM2co/view?usp=drivesdk

दुआए खैर का तालिब....
جزاك الله خيرا
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