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Saturday 14 July 2018

*तौबा के फ़ज़ाइल और इसकी बरकतें* #01


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
     ऐ दुन्या की महब्बत में गिरफ्तार होने वाले! ऐ ख्वाहिशाते नफ्सानि के गुलाम, ऐ खताओं में मुन्हमिकरहने वाले, याद कर तूने आगे क्या भेजा है और अपने आक़ा व मौला से इस बात पर डर कि वो तेरी बातिनी लग्ज़िशों और ज़्यादतियों से बा खबर है, कहीं ऐसा न हो कि वो तुझे बाबे रहमत में दाखिले से रोक दे और तुझे अपनी बारगाह से धुत्कार दे और अपने महबूब बन्दों की रफ़ाक़त से महरूम कर दे फिर तू रुस्वाई के जंगल में जा गिरे और ख़सारे से छुटकारा चाहे तो तुझे ग़ैब से यूँ निदा दी जाए:
     हमसे दूर हो जा, हमारी दोस्ती से तूने कोई फायदा नहीं उठाया, ऐ धोका देने वाले! तूने हमसे मज़ाक किया और खियानत की। तूने हमसे मुह मोड़ लिया और हमारी इताअत भी नहीं की इसके बा वजूद भी तू हमारी रिज़ा का मुतलाशि है, अब विसाल का वक़्त नही रहा। हम किस लिये तेरी रिआयत करें कि आज तू हमारी तरफ बढ़ता है हालांकि तवील ज़माने तक तूने हमको भुलाए रखा। ऐ अहद तोड़ने वाले! हमारी मुलाक़ात की ख्वाहिश न रख, ये तो इबादत की कोशिश करने वाले के लिये है।
     ऐ बाक़ी रहने वाली नेमतों को फ़ानी आसाइशों के बदले बेच डालने वाले! क्या तुझे इसका नुक़्सान नहीं मालुम...? विसाल के दिन कितने अच्छे है और जुदाई के अय्याम कितने सख्त... क़ौम की ज़िन्दगी उस वक़्त तक अच्छी नहीं होती जब तक वो (राहे खुदा में सफर के लिये) अपना वतन न छोड़ दे और राते तिलावते क़ुरआन में बसर करे... इसी लिये नेक लोग अपनी रातें अपने रब के हुज़ूर सज्दा और क़याम करते हुए गुज़ारते है।
*आंसुओं का दरिया* 34
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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