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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
अगर किसी शख्स के मुताल्लिक आप ﷺ की निस्बत बे अदबी का ख़याल होता तो सहाबए किराम रदिअल्लाहो तआला अन्हुम सख्त बरहम होते।
एक बार अज़रते अबू बक्र रदिअल्लाहो तआला अन्हो दौलत सराए अक़दस में आए। देखा कि हज़रते आइशा रदिअल्लाहो तआला अन्हा ब आवाज़े बुलन्द बोल रही हैं। फौरन तमांचा उठाया और कहा अब कभी आप ﷺ के सामने आवाज़ बुलंद न होने पाए।
आप ﷺ पर एक शख्स का कुछ क़र्ज़ था, उस ने गुस्ताख़ाना तरीके से तक़ाज़ा किया, तो तमाम सहाबा रदिअल्लाहो तआला अन्हुम उस पर बर अंगेख्ता हो गए, तो नबीए करीम ﷺ ने फ़रमाया: रुको! क़र्ज़ ख़्वाह को मक़रूज़ पर मुतालबा करने का उस वक़्त तक हक हैं जब तक वोह क़र्ज़ अदा न करे।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 175
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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